नोएडा
। मुकेश अरनेजा, जेके गौड़, दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता आदि की दोस्ती
नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सतीश सिंघल की मुसीबतों को अंततः बढ़ाने वाली
साबित हुई है क्या ? मजे की बात यह है कि सतीश सिंघल के विरोधियों का
ही नहीं, उनके साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का भी मानना कहना है कि सतीश
सिंघल की मौजूदा मुसीबत के लिए अलग-अलग कारणों से उनके यह दोस्त ही
जिम्मेदार हैं । लोगों का कहना है कि सतीश सिंघल पर जिस तरह के आरोप हैं,
जेके गौड़ पर रोटरी वरदान ब्लड बैंक के मामले में उसकी तुलना में कहीं
ज्यादा गंभीर आरोप थे - लेकिन जेके गौड़ को वैसी मुसीबत का सामना नहीं करना
पड़ा, जैसी मुसीबत में सतीश सिंघल फँसे हैं । कुछ लोगों का यह भी मानना और
कहना है कि अपने आप को मुसीबत में घिरता देख जेके गौड़ ने जिस होशियारी से
मामले को हैंडल किया, वैसी होशियारी सतीश सिंघल नहीं दिखा सके - और मुसीबत
में घिर गए । एक दिलचस्प संयोग यह है कि जेके गौड़ को बेईमानी के कीचड़
में लथेड़ने की तैयारी मुकेश अरनेजा ने की थी, जिसमें उनके मददगार की भूमिका
में सतीश सिंघल, दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता थे; और अब जब सतीश सिंघल
नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के मामले में आरोपों के घेरे में फँसे हैं - तो अलग अलग कारणों से मुकेश अरनेजा, जेके
गौड़, दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता को जिम्मेदार माना/ठहराया जा रहा है ।
सतीश सिंघल के खिलाफ सतीश सिंघल के क्लब के पदाधिकारियों और प्रमुख सदस्यों को 'चार्ज' करने के पीछे शरत जैन की तिकड़म को पहचाना गया है, जिन्होंने मुकेश अरनेजा से बदला लेने के लिए इसे रचा है । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा ने शरत जैन के गवर्नर-काल के एकाउंट्स को लेकर पंगा डाला हुआ है, जिसके चलते शरत जैन के गवर्नर-काल के एकाउंट्स विवाद में पड़ गए हैं और वह अभी तक पास नहीं हो पा रहे हैं । इस कारण से शरत जैन बदनामी के घेरे में हैं । इस घेरे से निकलने के लिए शरत जैन ने सतीश सिंघल से मदद की उम्मीद की थी, उनकी तरफ से सतीश सिंघल को संदेश भिजवाया गया था कि आप भी तो गवर्नर हो, आपके गवर्नर-काल के एकाउंट्स को भी तो पास करवाने की जरूरत पड़ेगी । शरत जैन की तरफ से दिए जा रहे इस संदेश में अप्रत्यक्ष रूप से धमकी वाला भाव रहा कि इस वर्ष एकाउंट्स पास होने में यदि हील-हुज्जत हुई, तो अगले रोटरी वर्ष में फिर 'देख लेना' । उल्लेखनीय है कि अगले रोटरी वर्ष में शरत जैन डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर होंगे । शरत जैन की तरफ से मिले इस संदेश की सतीश सिंघल ने शायद यह सोच कर कोई परवाह नहीं की कि वह भला 'कहाँ' पकड़े जायेंगे और उन्हें भला कौन पकड़ सकेगा ? सतीश सिंघल को 'देख लेने' के लिए लेकिन शरत जैन को अगले वर्ष तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ी - क्योंकि सतीश सिंघल की बदकिस्मती से, सतीश सिंघल जिस नोएडा रोटरी ब्लड बैंक को अपना अजेय दुर्ग समझे बैठे थे, उसकी दीवारों में हलचल हो गई और उन्हें उस दुर्ग से बाहर कर दिया गया । बात वहीं तक रह गई होती, तो ज्यादा बबाल न होता; ब्लड बैंक के नाम पर जिस तरह जेके गौड़ द्वारा किए गए कुकर्मों पर पर्दा पड़ गया, वैसे ही सतीश सिंघल का किया-धरा भी दब-छिप जाता - यदि नोएडा रोटरी ब्लड बैंक की लड़ाई की आग की आँच सतीश सिंघल के क्लब तक न आती । इस काम को करने के पीछे शरत जैन की तिकड़म को देखा/पहचाना जा रहा है ।
शरत जैन के नजदीकियों का कहना है कि अभी हाल ही में हुई काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में शरत जैन की तरफ से मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल को समझाने के प्रयास हुए थे कि वह उनके गवर्नर-काल के एकाउंट्स को पास करने/करवाने के मामले में अड़ंगा न डालें, अन्यथा उनके लिए भी आगे का रास्ता आसान नहीं होगा । शरत जैन बेचारे की छवि कुछ ऐसी 'सॉफ्ट' सी है कि कोई उनकी धमकी को गंभीरता से लेता ही नहीं है; मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल ने भी नहीं ली - नहीं ली, तो शरत जैन ने अपनी धमकी को चरितार्थ कर दिखाया । सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि उनकी मुसीबत में मुकेश अरनेजा भी मजे ले रहे हैं । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल खेमे के लोगों का ही कहना/बताना है कि सतीश सिंघल को मुसीबत में फँसा/घिरा देख मुकेश अरनेजा ने इसलिए राहत महसूस की है कि अब डीआरएफसी के रूप में क्लब्स को ग्रांट्स अलॉट करने के मामले में वह खुली मनमानी और बेईमानी कर सकेंगे । उन्हें शिकायत रही कि इस मामले में सतीश सिंघल कुछ न कुछ अड़ंगा लगाए रखते हैं । मुकेश अरनेजा के लिए समस्या की बात यह रही कि डीआरएफसी के रूप में वह सतीश सिंघल के साथ वैसा रवैया भी नहीं दिखा पा रहे थे, जैसा उन्होंने शरत जैन के साथ दिखाया । ऐसे में, मुकेश अरनेजा के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी कि डीआरएफसी के रूप में मनमानी व अकेले ही लूटखसोट करने के लिए वह कैसे सतीश सिंघल को रास्ते से हटाएँ या किनारे करें ? इसलिए ही सतीश सिंघल का मुसीबत में फँसना मुकेश अरनेजा को वरदान की तरह लगा है । और यही कारण है कि मुसीबत के समय सतीश सिंघल के साथ खड़े होने और उनके बचाव के लिए प्रयास करने की बजाए, मुकेश अरनेजा मजे लेते देखे/सुने जा रहे हैं ।
जेके गौड़ तो मजा लेने के 'मोड' से आगे की दशा में हैं - सतीश सिंघल की मुसीबत में उन्हें जैसे अपना बदला मिल गया है । रोटरी वरदान ब्लड बैंक के मामले में जेके गौड़ जब मुकेश अरनेजा के हाथों फजीहत का शिकार बन रहे थे, तब सतीश सिंघल ने जो रवैया दिखाया हुआ था - उससे जेके गौड़ बुरी तरह आहत रहे हैं । दरअसल उस फजीहत के पीछे जेके गौड़ ने सतीश सिंघल को ही चिन्हित किया हुआ था । उल्लेखनीय है कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक को लगाने/लगवाने के काम में जेके गौड़ ने शुरू में सतीश सिंघल की मदद ली हुई थी, लेकिन बाद में फिर उन्होंने सतीश सिंघल को अलग कर दिया । जेके गौड़ का कहना था कि इसी बात से चिढ़ कर सतीश सिंघल ने मुकेश अरनेजा को ऐसे तथ्य बताए, जिनकी आड़ में मुकेश अरनेजा ने उनके लिए परेशानियाँ खड़ी कीं तथा जो उनके लिए फजीहत के कारण बने । इसीलिए जेके गौड़ को लग रहा है कि सतीश सिंघल के साथ जो हो रहा है, उससे उनका बदला पूरा हो गया है । दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जितवाने के लिए की गई कार्रवाइयों से सतीश सिंघल ने जिन तमाम लोगों को अपना विरोधी बना लिया है, वह सभी सतीश सिंघल की मुसीबतों में चटखारे तो ले ही रहे हैं - उनकी मुसीबतों को भड़काने में भी लगे हुए हैं । सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता भी उनकी मदद करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । दीपक गुप्ता तो कुछेक जगह यह कहते हुए भी सुने गए हैं कि सतीश सिंघल ने जो बोया है, वह तो उन्हें काटना ही पड़ेगा न । आलोक गुप्ता की समस्या दूसरी है : कुछेक लोगों का कहना है कि सतीश सिंघल की मुसीबत को बढ़ाने में जिस तरह से उनके विरोधी और साथी एक हो गए हैं, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट 3100 की तर्ज पर कहीं उनकी गवर्नरी खतरे में न पड़ जाए और उनके गवर्नर-वर्ष में हुआ चुनाव रद्द न हो जाए । इसलिए आलोक गुप्ता ने अपने आपको सतीश सिंघल के साथ और या उनके नजदीक 'दिखने' से बचना शुरू कर दिया है ।
पहले नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में और फिर अपने ही क्लब में मुसीबतों के निशाने पर आए सतीश सिंघल के लिए चुनौती की बात यही है कि लगभग जिस तरह के आरोपों के बावजूद जेके गौड़ और शरत जैन बेदाग़ बने हुए हैं, वह भी कैसे अपने पर लगे दागों को मिटाएँ/छिपाएँ और अपनी इज्जत बचाएँ ?
सतीश सिंघल के खिलाफ सतीश सिंघल के क्लब के पदाधिकारियों और प्रमुख सदस्यों को 'चार्ज' करने के पीछे शरत जैन की तिकड़म को पहचाना गया है, जिन्होंने मुकेश अरनेजा से बदला लेने के लिए इसे रचा है । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा ने शरत जैन के गवर्नर-काल के एकाउंट्स को लेकर पंगा डाला हुआ है, जिसके चलते शरत जैन के गवर्नर-काल के एकाउंट्स विवाद में पड़ गए हैं और वह अभी तक पास नहीं हो पा रहे हैं । इस कारण से शरत जैन बदनामी के घेरे में हैं । इस घेरे से निकलने के लिए शरत जैन ने सतीश सिंघल से मदद की उम्मीद की थी, उनकी तरफ से सतीश सिंघल को संदेश भिजवाया गया था कि आप भी तो गवर्नर हो, आपके गवर्नर-काल के एकाउंट्स को भी तो पास करवाने की जरूरत पड़ेगी । शरत जैन की तरफ से दिए जा रहे इस संदेश में अप्रत्यक्ष रूप से धमकी वाला भाव रहा कि इस वर्ष एकाउंट्स पास होने में यदि हील-हुज्जत हुई, तो अगले रोटरी वर्ष में फिर 'देख लेना' । उल्लेखनीय है कि अगले रोटरी वर्ष में शरत जैन डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर होंगे । शरत जैन की तरफ से मिले इस संदेश की सतीश सिंघल ने शायद यह सोच कर कोई परवाह नहीं की कि वह भला 'कहाँ' पकड़े जायेंगे और उन्हें भला कौन पकड़ सकेगा ? सतीश सिंघल को 'देख लेने' के लिए लेकिन शरत जैन को अगले वर्ष तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ी - क्योंकि सतीश सिंघल की बदकिस्मती से, सतीश सिंघल जिस नोएडा रोटरी ब्लड बैंक को अपना अजेय दुर्ग समझे बैठे थे, उसकी दीवारों में हलचल हो गई और उन्हें उस दुर्ग से बाहर कर दिया गया । बात वहीं तक रह गई होती, तो ज्यादा बबाल न होता; ब्लड बैंक के नाम पर जिस तरह जेके गौड़ द्वारा किए गए कुकर्मों पर पर्दा पड़ गया, वैसे ही सतीश सिंघल का किया-धरा भी दब-छिप जाता - यदि नोएडा रोटरी ब्लड बैंक की लड़ाई की आग की आँच सतीश सिंघल के क्लब तक न आती । इस काम को करने के पीछे शरत जैन की तिकड़म को देखा/पहचाना जा रहा है ।
शरत जैन के नजदीकियों का कहना है कि अभी हाल ही में हुई काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में शरत जैन की तरफ से मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल को समझाने के प्रयास हुए थे कि वह उनके गवर्नर-काल के एकाउंट्स को पास करने/करवाने के मामले में अड़ंगा न डालें, अन्यथा उनके लिए भी आगे का रास्ता आसान नहीं होगा । शरत जैन बेचारे की छवि कुछ ऐसी 'सॉफ्ट' सी है कि कोई उनकी धमकी को गंभीरता से लेता ही नहीं है; मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल ने भी नहीं ली - नहीं ली, तो शरत जैन ने अपनी धमकी को चरितार्थ कर दिखाया । सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि उनकी मुसीबत में मुकेश अरनेजा भी मजे ले रहे हैं । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल खेमे के लोगों का ही कहना/बताना है कि सतीश सिंघल को मुसीबत में फँसा/घिरा देख मुकेश अरनेजा ने इसलिए राहत महसूस की है कि अब डीआरएफसी के रूप में क्लब्स को ग्रांट्स अलॉट करने के मामले में वह खुली मनमानी और बेईमानी कर सकेंगे । उन्हें शिकायत रही कि इस मामले में सतीश सिंघल कुछ न कुछ अड़ंगा लगाए रखते हैं । मुकेश अरनेजा के लिए समस्या की बात यह रही कि डीआरएफसी के रूप में वह सतीश सिंघल के साथ वैसा रवैया भी नहीं दिखा पा रहे थे, जैसा उन्होंने शरत जैन के साथ दिखाया । ऐसे में, मुकेश अरनेजा के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी कि डीआरएफसी के रूप में मनमानी व अकेले ही लूटखसोट करने के लिए वह कैसे सतीश सिंघल को रास्ते से हटाएँ या किनारे करें ? इसलिए ही सतीश सिंघल का मुसीबत में फँसना मुकेश अरनेजा को वरदान की तरह लगा है । और यही कारण है कि मुसीबत के समय सतीश सिंघल के साथ खड़े होने और उनके बचाव के लिए प्रयास करने की बजाए, मुकेश अरनेजा मजे लेते देखे/सुने जा रहे हैं ।
जेके गौड़ तो मजा लेने के 'मोड' से आगे की दशा में हैं - सतीश सिंघल की मुसीबत में उन्हें जैसे अपना बदला मिल गया है । रोटरी वरदान ब्लड बैंक के मामले में जेके गौड़ जब मुकेश अरनेजा के हाथों फजीहत का शिकार बन रहे थे, तब सतीश सिंघल ने जो रवैया दिखाया हुआ था - उससे जेके गौड़ बुरी तरह आहत रहे हैं । दरअसल उस फजीहत के पीछे जेके गौड़ ने सतीश सिंघल को ही चिन्हित किया हुआ था । उल्लेखनीय है कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक को लगाने/लगवाने के काम में जेके गौड़ ने शुरू में सतीश सिंघल की मदद ली हुई थी, लेकिन बाद में फिर उन्होंने सतीश सिंघल को अलग कर दिया । जेके गौड़ का कहना था कि इसी बात से चिढ़ कर सतीश सिंघल ने मुकेश अरनेजा को ऐसे तथ्य बताए, जिनकी आड़ में मुकेश अरनेजा ने उनके लिए परेशानियाँ खड़ी कीं तथा जो उनके लिए फजीहत के कारण बने । इसीलिए जेके गौड़ को लग रहा है कि सतीश सिंघल के साथ जो हो रहा है, उससे उनका बदला पूरा हो गया है । दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जितवाने के लिए की गई कार्रवाइयों से सतीश सिंघल ने जिन तमाम लोगों को अपना विरोधी बना लिया है, वह सभी सतीश सिंघल की मुसीबतों में चटखारे तो ले ही रहे हैं - उनकी मुसीबतों को भड़काने में भी लगे हुए हैं । सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता भी उनकी मदद करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । दीपक गुप्ता तो कुछेक जगह यह कहते हुए भी सुने गए हैं कि सतीश सिंघल ने जो बोया है, वह तो उन्हें काटना ही पड़ेगा न । आलोक गुप्ता की समस्या दूसरी है : कुछेक लोगों का कहना है कि सतीश सिंघल की मुसीबत को बढ़ाने में जिस तरह से उनके विरोधी और साथी एक हो गए हैं, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट 3100 की तर्ज पर कहीं उनकी गवर्नरी खतरे में न पड़ जाए और उनके गवर्नर-वर्ष में हुआ चुनाव रद्द न हो जाए । इसलिए आलोक गुप्ता ने अपने आपको सतीश सिंघल के साथ और या उनके नजदीक 'दिखने' से बचना शुरू कर दिया है ।
पहले नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में और फिर अपने ही क्लब में मुसीबतों के निशाने पर आए सतीश सिंघल के लिए चुनौती की बात यही है कि लगभग जिस तरह के आरोपों के बावजूद जेके गौड़ और शरत जैन बेदाग़ बने हुए हैं, वह भी कैसे अपने पर लगे दागों को मिटाएँ/छिपाएँ और अपनी इज्जत बचाएँ ?