नई
दिल्ली । महिला सशक्तिकरण के नाम पर 'पत्नी सशक्तिकरण' करने की राजेश
शर्मा की कोशिश उन्हें ऐसी उल्टी पड़ी कि अपनी पत्नी को तो उन्हें 'वुमेन कॉन्फ्रेंस' से दूर रखना ही पड़ा, कॉन्फ्रेंस भी कुल मिला कर मजाक बन कर रह गई । पूर्व
सेंट्रल काउंसिल सदस्य चरनजोत सिंह नंदा, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल
के पूर्व चेयरमैन राज चावला और रीजनल काउंसिल के पूर्व सदस्य हंसराज चुग
आदि को कॉन्फ्रेंस स्थल से बेइज्जत होकर वापस लौटना पड़ा । राजेश शर्मा की
कारस्तानी के चलते इंस्टीट्यूट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि
इंस्टीट्यूट प्रशासन को किसी कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था की निगरानी के लिए
ऑब्जर्वर भेजना पड़ा । दरअसल सेंट्रल काउंसिल के सदस्य संजीव चौधरी ने
इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट को ईमेल लिख कर आगाह किया था कि इंस्टीट्यूट में
एक व्यक्ति को मनमानी और बदतमीजी क्यों करने दी जा रही है ? इसी के बाद,
इंस्टीट्यूट प्रशासन ने 'वुमेन कॉन्फ्रेंस' की निगरानी के लिए ऑब्जर्वर की नियुक्ति की । राजेश शर्मा की हरकतों पर जो बबाल मचा, उसके चलते आयोजन की डायरेक्टर अर्चना शर्मा ही आयोजन से नदारत हो गईं । कॉन्फ्रेंस
में ट्रॉफी का लालच देकर बुलवाई गईं कई महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को
पहली बात पता चला कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन एक ऐसा
व्यक्ति है, जिसे लोगों के सामने बोलना तक नहीं आता है और जो बोलने से बचता
है; उन्हें हैरानी हुई कि ऐसा व्यक्ति काउंसिल का सदस्य और फिर चेयरमैन
कैसे बन गया ? कोढ़ में खाज वाली बात यह हुई कि राजेश शर्मा और रीजनल
काउंसिल में उनके छह चंपुओं की तमाम कोशिशों के बावजूद कॉन्फ्रेंस में कुल
62 महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ही जुट सकीं । काउंसिल के ही लोगों ने याद
किया कि पिछले वर्ष हुई बुमेन कॉन्फ्रेंस में 67 महिला चार्टर्ड
एकाउंटेंट्स थीं, जबकि उसकी तैयारी अकेले तत्कालीन वाइस चेयरपरसन पूजा बंसल
ने की थी - और बिना किसी तमाशे के आयोजन किया था ।
इस बार सबसे बड़ा तमाशा तो अर्चना शर्मा को लेकर हुआ । अपनी पत्नी को कॉन्फ्रेंस का डायरेक्टर बनाने/बनवाने को लेकर राजेश शर्मा की जब चौतरफा फजीहत हुई, तो उन्होंने यह कहते हुए अपने आप को बचाया कि कॉन्फ्रेंस में मेरी पत्नी की बजाए कोई और अर्चना शर्मा डायरेक्टर के रूप में आयेंगी । इसके बाद किसी ऐसी अर्चना शर्मा की खोज शुरू हुई, जो कॉन्फ्रेंस में आने को तैयार हो जाए । राजेश शर्मा की मदद से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का अगला चेयरमैन बनने की तैयारी कर रहे पंकज पेरिवाल इस मामले में उनके मददगार बने, और उन्होंने अपने एक साथी पदाधिकारी की पत्नी - अर्चना शर्मा को कॉन्फ्रेंस में डायरेक्टर के रूप में भेजने की व्यवस्था कर दी । पंकज पेरिवाल ने तो व्यवस्था कर दी, लेकिन उनके साथी व उनकी पत्नी को जल्दी ही समझ में आ गया कि पंकज पेरिवाल और राजेश शर्मा अपने स्वार्थ में उनका इस्तेमाल कर रहे हैं, और उनके चक्कर में वह भी फजीहत का शिकार बनेंगे । लिहाजा, ऐन मौके पर वह अर्चना शर्मा पीछे हट गईं । राजेश शर्मा और उनके चंपुओं ने अंत समय तक अर्चना शर्मा की खोज की - लेकिन अर्चना सिंघल मिलीं, अर्चना गुप्ता मिलीं, अर्चना श्रीवास्तव मिलीं, अर्चना अग्रवाल मिलीं, किंतु अर्चना शर्मा नहीं मिलीं - जो मिलीं, वह राजेश शर्मा के 'खेल' में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हुईं । नतीजा यह रहा कि कॉन्फ्रेंस की डायरेक्टर के रूप में अर्चना शर्मा के नाम का शोर तो बहुत मचा था, लेकिन कॉन्फ्रेंस में अर्चना शर्मा ही नहीं मिलीं । सारे झमेले से अनजान कॉन्फ्रेंस में पहुँची कुछेक महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने राजेश शर्मा से पूछा भी कि भाभी जी क्यों नहीं आईं ? भैय्या जी से लेकिन इसका कोई जबाव देते हुए नहीं बना ।
'वुमेन कॉन्फ्रेंस' को लेकर भारी फजीहत का शिकार होने के चलते बौखलाए राजेश शर्मा की बदतमीजी का शिकार चरनजोत सिंह नंदा, राज चावला और हंसराज चुग जैसे लोग भी हुए । राकेश मक्कड़ ने इन्हें कॉन्फ्रेंस में प्रतिभागियों को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित कर लिया था । ऐसा करते हुए राकेश मक्कड़ दरअसल भूल गए थे कि भले ही वह रीजनल काउंसिल के चेयरमैन हैं, किंतु राजेश शर्मा ने उनकी औकात दो कौड़ी की बना कर रखी हुई है - यही कारण रहा कि राकेश मक्कड़ के इन आमंत्रितों को राजेश शर्मा ने कॉन्फ्रेंस हॉल के अंदर घुसने तक नहीं दिया । चरनजोत सिंह नंदा को हॉल में प्रवेश करता देख राजेश शर्मा ऐसा भड़के कि मंच से ही चिल्ला उठे कि बाहर के लोगों को अंदर क्यों घुसने दिया जा रहा है । चरनजोत सिंह नंदा मंच से प्रतिभागियों को संबोधित करना चाहते थे; राकेश मक्कड़ इसके लिए उन्हें मंच तक ले जा रहे थे, लेकिन राजेश शर्मा ने उनकी ऐसी बेइज्जती की, कि चरनजोत सिंह नंदा फिर उलटे पैर वापस ही लौट गए । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल के पिछले चुनाव में राजेश शर्मा ने चरनजोत सिंह नंदा के उम्मीदवार के रूप में ही अपना अभियान चलाया था, और उन्हीं के समर्थन के बूते चुनाव जीता था । उस समय राजेश शर्मा उनकी खुशामद में लगे रहते थे । उन्हीं राजेश शर्मा के द्वारा चरनजोत सिंह नंदा को बेइज्जत होता देख, कॉन्फ्रेंस स्थल पर पहुँचे राज चावला और हंसराज चुग ने हॉल में जाने की हिम्मत ही नहीं की - और बाहर से ही वापस लौट गए । राकेश मक्कड़ उनसे मुँह छिपाते देखे गए । राकेश मक्कड़ को कॉन्फ्रेंस में पहुँचे प्रतिभागियों से भी उस समय मुँह छिपाने की जरूरत पड़ी, जब चेयरमैन के रूप में उन्हें 'दो शब्द' कहने के लिए कहा गया । राकेश मक्कड़ माइक की तरफ बढ़े भी और वास्तव में उन्होंने दो की जगह पाँच शब्द कहे - 'मुझे कुछ नहीं कहना है' । यह सुनकर प्रतिभागियों को हैरानी हुई कि यह कैसा चेयरमैन है ? उन्होंने आपस में एक-दूसरे से पूछा भी कि रीजनल काउंसिल में ऐसे लोग भी सदस्य और चेयरमैन बन जाते हैं क्या ?
ऐसी ही घटनाओं और बातों ने इस वर्ष की 'वुमेन कॉन्फ्रेंस' को मजाक का विषय बना दिया, जिसके लिए हर कोई राजेश शर्मा की घटिया व छोटी सोच तथा उनके बदतमीजीपूर्ण व्यवहार को जिम्मेदार ठहरा रहा है ।
इस बार सबसे बड़ा तमाशा तो अर्चना शर्मा को लेकर हुआ । अपनी पत्नी को कॉन्फ्रेंस का डायरेक्टर बनाने/बनवाने को लेकर राजेश शर्मा की जब चौतरफा फजीहत हुई, तो उन्होंने यह कहते हुए अपने आप को बचाया कि कॉन्फ्रेंस में मेरी पत्नी की बजाए कोई और अर्चना शर्मा डायरेक्टर के रूप में आयेंगी । इसके बाद किसी ऐसी अर्चना शर्मा की खोज शुरू हुई, जो कॉन्फ्रेंस में आने को तैयार हो जाए । राजेश शर्मा की मदद से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का अगला चेयरमैन बनने की तैयारी कर रहे पंकज पेरिवाल इस मामले में उनके मददगार बने, और उन्होंने अपने एक साथी पदाधिकारी की पत्नी - अर्चना शर्मा को कॉन्फ्रेंस में डायरेक्टर के रूप में भेजने की व्यवस्था कर दी । पंकज पेरिवाल ने तो व्यवस्था कर दी, लेकिन उनके साथी व उनकी पत्नी को जल्दी ही समझ में आ गया कि पंकज पेरिवाल और राजेश शर्मा अपने स्वार्थ में उनका इस्तेमाल कर रहे हैं, और उनके चक्कर में वह भी फजीहत का शिकार बनेंगे । लिहाजा, ऐन मौके पर वह अर्चना शर्मा पीछे हट गईं । राजेश शर्मा और उनके चंपुओं ने अंत समय तक अर्चना शर्मा की खोज की - लेकिन अर्चना सिंघल मिलीं, अर्चना गुप्ता मिलीं, अर्चना श्रीवास्तव मिलीं, अर्चना अग्रवाल मिलीं, किंतु अर्चना शर्मा नहीं मिलीं - जो मिलीं, वह राजेश शर्मा के 'खेल' में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हुईं । नतीजा यह रहा कि कॉन्फ्रेंस की डायरेक्टर के रूप में अर्चना शर्मा के नाम का शोर तो बहुत मचा था, लेकिन कॉन्फ्रेंस में अर्चना शर्मा ही नहीं मिलीं । सारे झमेले से अनजान कॉन्फ्रेंस में पहुँची कुछेक महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने राजेश शर्मा से पूछा भी कि भाभी जी क्यों नहीं आईं ? भैय्या जी से लेकिन इसका कोई जबाव देते हुए नहीं बना ।
'वुमेन कॉन्फ्रेंस' को लेकर भारी फजीहत का शिकार होने के चलते बौखलाए राजेश शर्मा की बदतमीजी का शिकार चरनजोत सिंह नंदा, राज चावला और हंसराज चुग जैसे लोग भी हुए । राकेश मक्कड़ ने इन्हें कॉन्फ्रेंस में प्रतिभागियों को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित कर लिया था । ऐसा करते हुए राकेश मक्कड़ दरअसल भूल गए थे कि भले ही वह रीजनल काउंसिल के चेयरमैन हैं, किंतु राजेश शर्मा ने उनकी औकात दो कौड़ी की बना कर रखी हुई है - यही कारण रहा कि राकेश मक्कड़ के इन आमंत्रितों को राजेश शर्मा ने कॉन्फ्रेंस हॉल के अंदर घुसने तक नहीं दिया । चरनजोत सिंह नंदा को हॉल में प्रवेश करता देख राजेश शर्मा ऐसा भड़के कि मंच से ही चिल्ला उठे कि बाहर के लोगों को अंदर क्यों घुसने दिया जा रहा है । चरनजोत सिंह नंदा मंच से प्रतिभागियों को संबोधित करना चाहते थे; राकेश मक्कड़ इसके लिए उन्हें मंच तक ले जा रहे थे, लेकिन राजेश शर्मा ने उनकी ऐसी बेइज्जती की, कि चरनजोत सिंह नंदा फिर उलटे पैर वापस ही लौट गए । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल के पिछले चुनाव में राजेश शर्मा ने चरनजोत सिंह नंदा के उम्मीदवार के रूप में ही अपना अभियान चलाया था, और उन्हीं के समर्थन के बूते चुनाव जीता था । उस समय राजेश शर्मा उनकी खुशामद में लगे रहते थे । उन्हीं राजेश शर्मा के द्वारा चरनजोत सिंह नंदा को बेइज्जत होता देख, कॉन्फ्रेंस स्थल पर पहुँचे राज चावला और हंसराज चुग ने हॉल में जाने की हिम्मत ही नहीं की - और बाहर से ही वापस लौट गए । राकेश मक्कड़ उनसे मुँह छिपाते देखे गए । राकेश मक्कड़ को कॉन्फ्रेंस में पहुँचे प्रतिभागियों से भी उस समय मुँह छिपाने की जरूरत पड़ी, जब चेयरमैन के रूप में उन्हें 'दो शब्द' कहने के लिए कहा गया । राकेश मक्कड़ माइक की तरफ बढ़े भी और वास्तव में उन्होंने दो की जगह पाँच शब्द कहे - 'मुझे कुछ नहीं कहना है' । यह सुनकर प्रतिभागियों को हैरानी हुई कि यह कैसा चेयरमैन है ? उन्होंने आपस में एक-दूसरे से पूछा भी कि रीजनल काउंसिल में ऐसे लोग भी सदस्य और चेयरमैन बन जाते हैं क्या ?
ऐसी ही घटनाओं और बातों ने इस वर्ष की 'वुमेन कॉन्फ्रेंस' को मजाक का विषय बना दिया, जिसके लिए हर कोई राजेश शर्मा की घटिया व छोटी सोच तथा उनके बदतमीजीपूर्ण व्यवहार को जिम्मेदार ठहरा रहा है ।