नई
दिल्ली । महिला सशक्तिकरण के नाम पर 'पत्नी सशक्तिकरण' करने की राजेश
शर्मा की हरकत से लोगों के बीच एक बार फिर यह साबित हुआ कि राजेश शर्मा
किसी भी तरह से सुधरने वाले नहीं हैं । उल्लेखनीय है कि राजेश शर्मा
अपनी हरकतों के चलते प्रोफेशन के लोगों के बीच बार बार लताड़ खाते रहे हैं ।
इंस्टीट्यूट के इतिहास में राजेश शर्मा अभी तक अकेले ऐसे सेंट्रल काउंसिल
सदस्य हैं, जिन्हें प्रोफेशन के लोगों की नाराजगी का शिकार होने से बचने के
लिए इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में खिड़की से कूद कर भागना पड़ा और जिनके लिए
इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में 'राजेश शर्मा चोर है' जैसे नारे लगाए गए और
गूँजे । उम्मीद की गई थी कि प्रोफेशन के लोगों के बीच अपनी हो/बढ़ रही
बदनामी से सबक लेकर राजेश शर्मा अपने व्यवहार और आचरण में संजीदगी लायेंगे,
और ऐसे काम करने से बचेंगे - जो लोगों के बीच उनकी नकारात्मक पहचान को
बढ़ाए व गाढ़ा करें । लेकिन राजेश शर्मा बार बार अपनी हरकतों से लोगों की
उम्मीदों को ठेंगा दिखा देते हैं और पिछली बार से भी बड़ा कारनामा कर दिखाते
हैं । राजेश शर्मा अभी तक तो अपनी हरकतों से प्रोफेशन के सदस्यों को ही
परेशान, उपेक्षित और अपमानित करते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने सेंट्रल
काउंसिल के सदस्यों को ही निशाने पर ले लिया है । इंस्टीट्यूट की
कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस कमेटी और नॉर्दर्न इंडिया रीजनल
काउंसिल के संयुक्त तत्त्वाधान में 'बुमेन कॉन्फ्रेंस' करने में जल्दबाजी
करने तथा राजेश शर्मा की पत्नी अर्चना शर्मा के कॉन्फ्रेंस की डायरेक्टर
'बनने' में राजेश शर्मा की जो हरकत रही है, प्रोफेशन के लोगों के बीच उसे
लेकर भारी नाराजगी है ।
मजे की बात यह है कि कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस कमेटी में सेंट्रल काउंसिल की दो महिला सदस्य - के श्रीप्रिया और केमिशा सोनी हैं, तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में दो महिला सदस्य - योगिता आनंद व पूजा बंसल हैं; लेकिन बुमेन कॉन्फ्रेंस का डायरेक्टर इनमें से किसी को न बना कर राजेश शर्मा की पत्नी को बनाया गया । कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस कमेटी के चेयरमैन मुकेश कुशवाह से इस बारे में कुछ लोगों ने जब बात की, तो उन्होंने यह कहते हुए मामले से अपने को अलग कर लिया कि इस बारे में सभी फैसले राजेश शर्मा कर रहे हैं, लिहाजा उनसे ही पूछो । राजेश शर्मा उक्त कमेटी के वाइस चेयरमैन हैं । कमेटी के बाकी लोगों का कहना है कि मुकेश कुशवाह तो बस कहने के लिए चेयरमैन हैं, उन्हें कुछ आता/जाता भी नहीं है और उन्हें कुछ करने में दिलचस्पी भी नहीं है - जिसके चलते राजेश शर्मा ने ही चेयरमैन की 'जिम्मेदारियाँ' ले ली हैं । 'बुमेन कॉन्फ्रेंस' की तैयारी को लेकर जो मीटिंग हुई, उसमें भी अर्चना शर्मा को डायरेक्टर बनाने पर सवाल उठे, और पूछा गया कि उनका कहाँ क्या योगदान है और उन्होंने ऐसा क्या किया है कि चार काउंसिल सदस्यों के होते हुए उन्हें डायरेक्टर बनाया जा रहा है; तो इसके जबाव में सुनने को मिला कि चेयरमैन ने कहा है कि भाभी जी को ही डायरेक्टर बनाना है । यहाँ चेयरमैन से मतलब राकेश मक्कड़ से है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ किस हद तक राजेश शर्मा की गिरफ्त में हैं, और उनकी जी-हुजूरी में रहते हैं - यह अब जगजाहिर बात है ।
राजेश शर्मा की पत्नी अर्चना शर्मा को डायरेक्टर बनाने से काउंसिल सदस्य ही नहीं, बल्कि राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ के कई समर्थक तक नाराज हो गए हैं । इनके समर्थकों व नजदीकियों में जो महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं, उनमें से कइयों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि चुनाव के समय तो यह उनसे मदद लेते हैं, और जब कहीं कार्यक्रम का मौका आता है, तो अपनी पत्नी और भाभी ही इन्हें दिखती हैं । अपनी पत्नी को डायरेक्टर बनवाने की राजेश शर्मा की हरकत को लेकर लोगों के बीच जो नाराजगी पैदा हुई है, उसने बुमेन कॉन्फ्रेंस के बुरी तरह फ्लॉप होने की स्थिति बना दी है । कॉन्फ्रेंस को फ्लॉप होने से बचाने के लिए राजेश शर्मा और उनके 'चंपुओं' ने वाट्स-ऐप पर अभियान तो चलाया हुआ है, लेकिन उसका कोई फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है । राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ से इस वर्ष होने वाले रीजनल काउंसिल के चुनाव में सहयोग/समर्थन मिलने की उम्मीद में कुछेक संभावित उम्मीदवारों - जो पिछली बार हार गए थे - ने भी कॉन्फ्रेंस को कामयाब बनाने का बीड़ा उठाया हुआ है । राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ की तरफ से महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तथा ब्रांचेज में महिला पदाधिकरियों को ट्रॉफी व अवॉर्ड का लालच देकर ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को कॉन्फ्रेंस में लाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है । उन्हें उम्मीद है कि ट्रॉफी और अवॉर्ड के लालच में कई महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तथा ब्रांचेज में महिला पदाधिकारी कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में जुट जायेंगी । हारे हुए और लालची किस्म के 'नेताओं' के भरोसे, अपनी पत्नी की डायरेक्टरशिप में होने वाली बुमेन कॉन्फ्रेंस को कामयाब बनाने की राजेश शर्मा की कोशिशों ने इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन की साख व प्रतिष्ठा को उनके हाथों एक बार फिर कलंकित करने का ही काम किया है ।
मजे की बात यह है कि कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस कमेटी में सेंट्रल काउंसिल की दो महिला सदस्य - के श्रीप्रिया और केमिशा सोनी हैं, तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में दो महिला सदस्य - योगिता आनंद व पूजा बंसल हैं; लेकिन बुमेन कॉन्फ्रेंस का डायरेक्टर इनमें से किसी को न बना कर राजेश शर्मा की पत्नी को बनाया गया । कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस कमेटी के चेयरमैन मुकेश कुशवाह से इस बारे में कुछ लोगों ने जब बात की, तो उन्होंने यह कहते हुए मामले से अपने को अलग कर लिया कि इस बारे में सभी फैसले राजेश शर्मा कर रहे हैं, लिहाजा उनसे ही पूछो । राजेश शर्मा उक्त कमेटी के वाइस चेयरमैन हैं । कमेटी के बाकी लोगों का कहना है कि मुकेश कुशवाह तो बस कहने के लिए चेयरमैन हैं, उन्हें कुछ आता/जाता भी नहीं है और उन्हें कुछ करने में दिलचस्पी भी नहीं है - जिसके चलते राजेश शर्मा ने ही चेयरमैन की 'जिम्मेदारियाँ' ले ली हैं । 'बुमेन कॉन्फ्रेंस' की तैयारी को लेकर जो मीटिंग हुई, उसमें भी अर्चना शर्मा को डायरेक्टर बनाने पर सवाल उठे, और पूछा गया कि उनका कहाँ क्या योगदान है और उन्होंने ऐसा क्या किया है कि चार काउंसिल सदस्यों के होते हुए उन्हें डायरेक्टर बनाया जा रहा है; तो इसके जबाव में सुनने को मिला कि चेयरमैन ने कहा है कि भाभी जी को ही डायरेक्टर बनाना है । यहाँ चेयरमैन से मतलब राकेश मक्कड़ से है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ किस हद तक राजेश शर्मा की गिरफ्त में हैं, और उनकी जी-हुजूरी में रहते हैं - यह अब जगजाहिर बात है ।
राजेश शर्मा की पत्नी अर्चना शर्मा को डायरेक्टर बनाने से काउंसिल सदस्य ही नहीं, बल्कि राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ के कई समर्थक तक नाराज हो गए हैं । इनके समर्थकों व नजदीकियों में जो महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं, उनमें से कइयों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि चुनाव के समय तो यह उनसे मदद लेते हैं, और जब कहीं कार्यक्रम का मौका आता है, तो अपनी पत्नी और भाभी ही इन्हें दिखती हैं । अपनी पत्नी को डायरेक्टर बनवाने की राजेश शर्मा की हरकत को लेकर लोगों के बीच जो नाराजगी पैदा हुई है, उसने बुमेन कॉन्फ्रेंस के बुरी तरह फ्लॉप होने की स्थिति बना दी है । कॉन्फ्रेंस को फ्लॉप होने से बचाने के लिए राजेश शर्मा और उनके 'चंपुओं' ने वाट्स-ऐप पर अभियान तो चलाया हुआ है, लेकिन उसका कोई फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है । राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ से इस वर्ष होने वाले रीजनल काउंसिल के चुनाव में सहयोग/समर्थन मिलने की उम्मीद में कुछेक संभावित उम्मीदवारों - जो पिछली बार हार गए थे - ने भी कॉन्फ्रेंस को कामयाब बनाने का बीड़ा उठाया हुआ है । राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ की तरफ से महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तथा ब्रांचेज में महिला पदाधिकरियों को ट्रॉफी व अवॉर्ड का लालच देकर ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को कॉन्फ्रेंस में लाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है । उन्हें उम्मीद है कि ट्रॉफी और अवॉर्ड के लालच में कई महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तथा ब्रांचेज में महिला पदाधिकारी कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में जुट जायेंगी । हारे हुए और लालची किस्म के 'नेताओं' के भरोसे, अपनी पत्नी की डायरेक्टरशिप में होने वाली बुमेन कॉन्फ्रेंस को कामयाब बनाने की राजेश शर्मा की कोशिशों ने इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन की साख व प्रतिष्ठा को उनके हाथों एक बार फिर कलंकित करने का ही काम किया है ।