नई
दिल्ली । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुनने की
प्रक्रिया में डीके अग्रवाल और - पहले उनके चेले रहे लेकिन अब गुरु 'बनने'
की कोशिश कर रहे - अजय बुद्धराज ने जो खेल किया है, उससे योगेश भसीन तथा
उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स भड़के हुए हैं । डीके अग्रवाल और अजय
बुद्धराज हालाँकि इसकी कोई परवाह करते हुए नहीं दिख रहे हैं । उनकी तरफ से
कहा जा रहा है कि उन्हें पता है कि योगेश भसीन को कौन भड़का रहा है, लेकिन
वह यह भी जानते हैं कि योगेश भसीन और उन्हें भड़काने वाले लोग कुछ कर नहीं
पायेंगे । योगेश भसीन की शिकायत है कि पूर्व गवर्नर्स की मीटिंग में इस
वर्ष और अगले वर्ष के लिए फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए
उम्मीदवार का चयन होना था, और वह हुआ भी - लेकिन इस प्रक्रिया को पूर्णता
तक नहीं पहुँचाया गया है । योगेश भसीन का कहना है कि उक्त प्रक्रिया को
यदि पूर्णता तक पहुँचाया जाए, तो अगले वर्ष के लिए उनकी उम्मीदवारी घोषित
होती है - लेकिन जिन डीके अग्रवाल पर उक्त प्रक्रिया को पूर्णता तक
पहुँचाने की जिम्मेदारी है, वह चूँकि उनके प्रति निजी खुन्नस रखते हैं
इसलिए उन्होंने उक्त प्रक्रिया को बीच में ही रोक दिया है; और कोई फैसला भी
नहीं दे रहे हैं । उल्लेखनीय है कि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद
के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए तीन जनवरी को डिस्ट्रिक्ट के
दिल्ली के पूर्व गवर्नर्स की मीटिंग हुई, जिसमें 14 पूर्व गवर्नर्स ने
हिस्सा लिया । मीटिंग की संचालन व्यवस्था डीके अग्रवाल के हाथ में थी,
जिनकी तरफ से सभी पूर्व गवर्नर्स को आरके अग्रवाल, आनंद दुआ और योगेश भसीन
के नाम लिखे कागज दिए गए - जिसमें पूर्व गवर्नर्स को तीनों नामों को अपनी
पसंद के अनुसार वरीयता क्रम देने थे । फिर यह कागज वापस डीके अग्रवाल के
पास पहुँचने थे, और उन्हें प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गणना करके
इस वर्ष और अगले वर्ष के लिए उम्मीदवार की घोषणा करना थी । गणना करके डीके
अग्रवाल ने इस वर्ष के लिए आरके अग्रवाल को और अगले वर्ष के लिए आनंद दुआ
को उम्मीदवार घोषित किया ।
योगेश भसीन के अनुसार, यहाँ तक तो सब ठीक हुआ - लेकिन डीके अग्रवाल का असली रंग इसके बाद देखने को मिला । योगेश भसीन का कहना है कि फैसला सुनने के बाद आनंद दुआ ने तुरंत मौके पर ही चूँकि अगले वर्ष उम्मीदवार होने से साफ इंकार कर दिया, इसलिए अगले वर्ष उम्मीदवार बनने का मौका उन्हें मिलना चाहिए था । डीके अग्रवाल ने लेकिन ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली । अजय बुद्धराज ने आनंद दुआ को विचार करने के लिए चौबीस घंटे का समय देने की बात कही । योगेश भसीन ने इसे भी स्वीकार कर लिया था । उनका कहना है कि आनंद दुआ को विचार करने के लिए दिए गए चौबीस घंटों को बीते हुए भी अब तो डेढ़ सौ घंटे से भी ऊपर हो गए हैं, आनंद दुआ ने लेकिन अपना फैसला बदलने की घोषणा नहीं की है - फिर भी डीके अग्रवाल तीन जनवरी की मीटिंग की प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए अगले वर्ष के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा नहीं कर रहे हैं । योगेश भसीन के दावे और उनकी माँग का समर्थन करते हुए एक पूर्व गवर्नर ने बताया कि इसी तरह का दोहरा रवैया अपनाने के कारण बड़े नेताओं ने डीके अग्रवाल का नाम 'डुप्लीकेट कुमार' रखा हुआ है । डीके अग्रवाल का पूरा नाम दरअसल धीरज कुमार अग्रवाल है, जिसे बिगाड़ कर कुछेक बड़े नेताओं ने डुप्लीकेट कुमार अग्रवाल किया हुआ है । योगेश भसीन का दावा यह भी है कि तीन जनवरी की मीटिंग में उपस्थित हुए पूर्व गवर्नर्स से उनकी जो अलग अलग बात हुई है, उसके अनुसार आठ/नौ पूर्व गवर्नर्स ने अगले वर्ष के उम्मीदवार के रूप में उन्हें वोट दिया था; इस आधार पर उनका गंभीर आरोप यह भी है कि डीके अग्रवाल ने वोटों की गिनती में भी धोखाधड़ी की है ।
योगेश भसीन और उनके समर्थक - और या उन्हें भड़काने में लगे - पूर्व गवर्नर्स अजय बुद्धराज के रवैये पर और भी ज्यादा खफा हैं । खफा होने का कारण अजय बुद्धराज की योगेश भसीन के स्वास्थ्य को लेकर की गई टिप्पणी है । तीन जनवरी की मीटिंग में अगले वर्ष के लिए आनंद दुआ के इंकार के बाद जब योगेश भसीन अपनी उम्मीदवारी घोषित किये जाने की माँग कर रहे थे, तब अजय बुद्धराज ने यह कहते हुए उन्हें हतोत्साहित किया कि आपके कमजोर स्वास्थ्य को देखते हुए आपकी उम्मीदवारी पर फैसला करना अभी उचित नहीं होगा । यह सुनकर योगेश भसीन भड़क गए और उन्होंने अजय बुद्धराज से पूछा कि मेरे स्वास्थ्य का हाल पूछने कितनी बार मेरे यहाँ आए हो - जो अब मेरे स्वास्थ्य की चिंता कर रहे हो । योगेश भसीन के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाने की अजय बुद्धराज की कोशिश को लेकर अन्य कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की । उनका कहना रहा कि योगेश भसीन अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से जब उनके यहाँ महँगी घड़ी का गिफ्ट लेकर आए थे, तब अजय बुद्धराज ने उनसे क्यों नहीं कहा कि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और अब आपको उम्मीदवारी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए । उल्लेखनीय है कि उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले योगेश भसीन दिल्ली के सभी पूर्व गवर्नर्स के यहाँ महँगी घड़ी का गिफ्ट लेकर गए थे; उनके अनुसार, जिस पर उन्होंने दो/ढाई लाख रुपए खर्च किए । योगेश भसीन के समर्थक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि महँगा गिफ्ट लेने के बावजूद अजय बुद्धराज को योगेश भसीन की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करना था, तो न करते - उसमें शिकायत की कोई बात नहीं है; लेकिन योगेश भसीन के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाने का उनका प्रयास बहुत ही अशोभनीय, अमानवीय व आपत्तिजनक है ।
योगेश भसीन और उनके समर्थकों की नाराजगीभरी बातें डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज तक भी पहुँची हैं । दोनों ही लेकिन उनकी बातों की परवाह करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । गिफ्ट की बात पर अजय बुद्धराज की तरफ से कहा/सुना गया है कि उन्होंने - या अन्य किसी ने भी योगेश भसीन से गिफ्ट माँगा था क्या; अब वह क्यों बखान कर रहे हैं कि उन्होंने कितना महँगा गिफ्ट दिया और उस पर कितने रुपए खर्च किए । डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि उन्हें पता है कि योगेश भसीन को भड़का कर, उनकी आड़ में कौन क्या राजनीति कर रहा है - लेकिन इससे कुछ होगा नहीं । लोगों का कहना लेकिन यह है कि डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज का यह विश्वास हो सकता है कि सही साबित हो कि योगेश भसीन व उनके समर्थक होने का दिखावा करने वाले पूर्व गवर्नर्स की बातों से कुछ होगा नहीं - लेकिन उनकी बातों ने लोगों के बीच डीके अग्रवाल व अजय बुद्धराज के पक्षपातपूर्ण तथा दोहरे रवैये को बेनकाब करने का काम तो किया ही है; और इससे डिस्ट्रिक्ट में बदमजगी तो पैदा हुई ही है ।
योगेश भसीन के अनुसार, यहाँ तक तो सब ठीक हुआ - लेकिन डीके अग्रवाल का असली रंग इसके बाद देखने को मिला । योगेश भसीन का कहना है कि फैसला सुनने के बाद आनंद दुआ ने तुरंत मौके पर ही चूँकि अगले वर्ष उम्मीदवार होने से साफ इंकार कर दिया, इसलिए अगले वर्ष उम्मीदवार बनने का मौका उन्हें मिलना चाहिए था । डीके अग्रवाल ने लेकिन ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली । अजय बुद्धराज ने आनंद दुआ को विचार करने के लिए चौबीस घंटे का समय देने की बात कही । योगेश भसीन ने इसे भी स्वीकार कर लिया था । उनका कहना है कि आनंद दुआ को विचार करने के लिए दिए गए चौबीस घंटों को बीते हुए भी अब तो डेढ़ सौ घंटे से भी ऊपर हो गए हैं, आनंद दुआ ने लेकिन अपना फैसला बदलने की घोषणा नहीं की है - फिर भी डीके अग्रवाल तीन जनवरी की मीटिंग की प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए अगले वर्ष के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा नहीं कर रहे हैं । योगेश भसीन के दावे और उनकी माँग का समर्थन करते हुए एक पूर्व गवर्नर ने बताया कि इसी तरह का दोहरा रवैया अपनाने के कारण बड़े नेताओं ने डीके अग्रवाल का नाम 'डुप्लीकेट कुमार' रखा हुआ है । डीके अग्रवाल का पूरा नाम दरअसल धीरज कुमार अग्रवाल है, जिसे बिगाड़ कर कुछेक बड़े नेताओं ने डुप्लीकेट कुमार अग्रवाल किया हुआ है । योगेश भसीन का दावा यह भी है कि तीन जनवरी की मीटिंग में उपस्थित हुए पूर्व गवर्नर्स से उनकी जो अलग अलग बात हुई है, उसके अनुसार आठ/नौ पूर्व गवर्नर्स ने अगले वर्ष के उम्मीदवार के रूप में उन्हें वोट दिया था; इस आधार पर उनका गंभीर आरोप यह भी है कि डीके अग्रवाल ने वोटों की गिनती में भी धोखाधड़ी की है ।
योगेश भसीन और उनके समर्थक - और या उन्हें भड़काने में लगे - पूर्व गवर्नर्स अजय बुद्धराज के रवैये पर और भी ज्यादा खफा हैं । खफा होने का कारण अजय बुद्धराज की योगेश भसीन के स्वास्थ्य को लेकर की गई टिप्पणी है । तीन जनवरी की मीटिंग में अगले वर्ष के लिए आनंद दुआ के इंकार के बाद जब योगेश भसीन अपनी उम्मीदवारी घोषित किये जाने की माँग कर रहे थे, तब अजय बुद्धराज ने यह कहते हुए उन्हें हतोत्साहित किया कि आपके कमजोर स्वास्थ्य को देखते हुए आपकी उम्मीदवारी पर फैसला करना अभी उचित नहीं होगा । यह सुनकर योगेश भसीन भड़क गए और उन्होंने अजय बुद्धराज से पूछा कि मेरे स्वास्थ्य का हाल पूछने कितनी बार मेरे यहाँ आए हो - जो अब मेरे स्वास्थ्य की चिंता कर रहे हो । योगेश भसीन के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाने की अजय बुद्धराज की कोशिश को लेकर अन्य कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की । उनका कहना रहा कि योगेश भसीन अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से जब उनके यहाँ महँगी घड़ी का गिफ्ट लेकर आए थे, तब अजय बुद्धराज ने उनसे क्यों नहीं कहा कि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और अब आपको उम्मीदवारी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए । उल्लेखनीय है कि उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले योगेश भसीन दिल्ली के सभी पूर्व गवर्नर्स के यहाँ महँगी घड़ी का गिफ्ट लेकर गए थे; उनके अनुसार, जिस पर उन्होंने दो/ढाई लाख रुपए खर्च किए । योगेश भसीन के समर्थक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि महँगा गिफ्ट लेने के बावजूद अजय बुद्धराज को योगेश भसीन की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करना था, तो न करते - उसमें शिकायत की कोई बात नहीं है; लेकिन योगेश भसीन के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाने का उनका प्रयास बहुत ही अशोभनीय, अमानवीय व आपत्तिजनक है ।
योगेश भसीन और उनके समर्थकों की नाराजगीभरी बातें डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज तक भी पहुँची हैं । दोनों ही लेकिन उनकी बातों की परवाह करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । गिफ्ट की बात पर अजय बुद्धराज की तरफ से कहा/सुना गया है कि उन्होंने - या अन्य किसी ने भी योगेश भसीन से गिफ्ट माँगा था क्या; अब वह क्यों बखान कर रहे हैं कि उन्होंने कितना महँगा गिफ्ट दिया और उस पर कितने रुपए खर्च किए । डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि उन्हें पता है कि योगेश भसीन को भड़का कर, उनकी आड़ में कौन क्या राजनीति कर रहा है - लेकिन इससे कुछ होगा नहीं । लोगों का कहना लेकिन यह है कि डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज का यह विश्वास हो सकता है कि सही साबित हो कि योगेश भसीन व उनके समर्थक होने का दिखावा करने वाले पूर्व गवर्नर्स की बातों से कुछ होगा नहीं - लेकिन उनकी बातों ने लोगों के बीच डीके अग्रवाल व अजय बुद्धराज के पक्षपातपूर्ण तथा दोहरे रवैये को बेनकाब करने का काम तो किया ही है; और इससे डिस्ट्रिक्ट में बदमजगी तो पैदा हुई ही है ।