Wednesday, January 17, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में राजीव अग्रवाल को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार चुने जाने के तरीके को लेकर पैदा हुई नाराजगी का, राजिंदर बंसल के 'कभी पास/कभी दूर' दिखने के चलते आरके शाह कोई फायदा उठाते हुए नजर नहीं आ रहे हैं

नई दिल्ली । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में राजीव अग्रवाल को आशीर्वाद देने वाले कार्यक्रम में राजिंदर बंसल की उपस्थिति ने आरके शाह को तगड़ा झटका दिया है । दरअसल आरके शाह को उम्मीद थी कि राजिंदर बंसल हरियाणा में उन्हें समर्थन दिलवाने के लिए प्रयास करेंगे । यह उम्मीद उन्हें दो कारणों से थी : एक कारण तो राजिंदर बंसल के साथ उनके पुराने संबंध के रूप में था, जिसमें हालाँकि बीच में काफी उतार-चढ़ाव आते रहे थे - लेकिन पिछले दिनों राजिंदर बंसल के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में जब दिल्ली से पहुँचने वालों में एक अकेले आरके शाह ही लोगों को दिखे थे, तब यह मान लिया गया था कि तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद राजिंदर बंसल के साथ आरके शाह के संबंध यथावत है; दूसरा कारण राजिंदर बंसल का वह कथन बना, जो दिल्ली के पूर्व गवर्नर्स की मीटिंग में राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलने के बाद राजिंदर बंसल की तरफ से सुना गया - जिसमें कहा बताया गया कि राजीव अग्रवाल को हरियाणा में जानता ही कौन है ? इससे संकेत मिला कि राजिंदर बंसल फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में राजीव अग्रवाल के चयन से खुश नहीं हैं । कुछेक लोगों का कहना भी रहा कि राजिंदर बंसल फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में आरके शाह की वकालत कर रहे थे - हालाँकि ढीले/ढाले ढंग से ही कर रहे थे । इस तरह की बातों से आरके शाह की उम्मीदवारी को बल मिल रहा था । लेकिन दिल्ली में राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का आशीर्वाद देने/दिलवाने के उद्देश्य से आयोजित हुए कार्यक्रम में हरियाणा के अन्य पूर्व गवर्नर्स के साथ-साथ राजिंदर बंसल की भी मौजूदगी ने आरके शाह की उम्मीदवारी को मिल रहे बल का दम निकालने का काम किया ।
हालाँकि कार्यक्रम में मौजूदगी से समर्थन का कोई ठोस दावा तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन उससे एक संकेत तो मिलता ही है । राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी को आशीर्वाद देने/दिलवाने वाले कार्यक्रम में दिल्ली के ही जो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मौजूद थे, उनमें से कई राजीव अग्रवाल को उम्मीदवार चुने जाने के 'तरीके' को लेकर अभी तक भी अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं, और यदि हालात बने तो उनको राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी के खिलाफ जाते देखने का भी नजारा दिख जायेगा । इन पूर्व गवर्नर्स का आरोप है कि राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने में डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की जोड़ी ने धोखे का सहारा लिया । आरोप है कि मीटिंग से पहले तक यह दोनों आनंद दुआ को हरी झंडी देने की बात कर रहे थे, इसलिए आनंद दुआ की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले पूर्व गवर्नर्स ने इन पर भरोसा कर लिया और मीटिंग को संचालित करने की जिम्मेदारी इन्हें ही सौंप दी । मीटिंग के संचालन की बागडोर हाथ में आते ही डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज ने खेल कर दिया, और राजीव अग्रवाल के नाम की घोषणा कर दी । आनंद दुआ के समर्थक हक्के-बक्के रह गए और मौके की नजाकत भाँप कर वह कुछ कहने का साहस भी नहीं कर सके और राजीव अग्रवाल के नाम पर सहमति 'व्यक्त' करने के लिए मजबूर हुए । डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज के धोखे से खुद आनंद दुआ इतने हताश हुए कि दूसरा नंबर देने की पेशकश को उन्होंने तुरंत ठुकरा दिया । उनकी तरफ से सुनने को मिला कि धोखेबाजों का क्या भरोसा, अगले वर्ष वह फिर धोखा दे सकते हैं । आनंद दुआ और उनके समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स नेताओं की नाराजगी और हताशा राजीव अग्रवाल  की उम्मीदवारी के लिए चुनौती बन सकती है ।
राजीव अग्रवाल के लिए अभी हालाँकि हालात अनुकूल नजर आ रहे हैं । हरियाणा में उन्हें अभी भले ही कोई न जानता/पहचानता हो और दिल्ली में अलग अलग कारणों से कई लोग उम्मीदवार के रूप में उनके चयन से भले ही खुश न हों - लेकिन चूँकि उनके सामने कोई मजबूत और संगठित चुनौती उपस्थित नहीं है, इसलिए उनके सामने 'अभी' खतरा कुछ नहीं दिख रहा है । आरके शाह उम्मीदवार बने जरूर हुए हैं, लेकिन उनकी सक्रियता में कोई सुनियोजित योजना और तैयारी नजर नहीं आ रही है । यही कारण है कि उम्मीदवार के रूप में राजीव अग्रवाल के चयन के तरीके को लेकर पैदा हुई नाराजगी का वह कोई फायदा उठाते हुए नहीं दिखे हैं । मजे की बात यह है कि जो 'नाराज' पूर्व गवर्नर आरके शाह की उम्मीदवारी में अपना 'भविष्य' देख रहे हैं, वह भी आरके शाह के ढीले/ढाले व बिखरे हुए से रवैये को देख कर नाउम्मीद से हो रहे हैं । उनका कहना है कि आरके शाह के पास/साथ लगता है कि कोई योजनाकार नहीं है और आरके शाह विश्वास कर रहे हैं कि 'नाराज' पूर्व गवर्नर्स अपने आप उनके पास जायेंगे । 'नाराज' पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि वह कितना ही राजीव अग्रवाल के चयन से नाराज हों, और इसका बदला वह आरके शाह का समर्थन करके लेना चाहते हों - लेकिन इसके लिए पहल वह नहीं कर सकते हैं, पहल तो आरके शाह को ही करना है । आरके शाह की तरफ से कोई प्रभावी पहल होती हुई नजर नहीं आ रही है । ऐसे ही मुकाम पर राजिंदर बंसल की भूमिका रेखांकनीय हो जाती है । आरके शाह के लिए मुश्किल की बात यह हो गई है कि आरके शाह के समर्थक हो सकने वाले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को जोड़ने का काम राजिंदर बंसल कर सकते हैं - पर वह यदि यह नहीं कर रहे हैं, तो फिर लोगों के बीच इसका मतलब यही समझा जायेगा कि आरके शाह की उम्मीदवारी को राजिंदर बंसल का समर्थन भी नहीं रह गया है ।
राजीव अग्रवाल और आरके शाह आजकल हरियाणा की खाक छान रहे हैं; हरियाणा के क्लब्स के प्रमुख लोग अपने अपने नेताओं से पूछ रहे हैं कि किसे 'हाँ' कहनी और किसे 'न' ? मजे की बात यह सुनने को मिल रही है कि नेताओं की तरफ से उन्हें सलाह दी जा रही है कि अभी न किसी से 'हाँ' कहो और न किसी को 'न' कहो; दोनों को ही भरोसा दो कि हम तुम्हारे साथ है, बाद में देखेंगे कि क्या करना है । इससे संकेत मिल रहा है कि अनुकूल माहौल के बावजूद अभी भी राजीव अग्रवाल के लिए आगे का रास्ता पूरी तरह सुरक्षित नहीं हुआ है, और आरके शाह के लिए उम्मीद अभी भी बाकी है । आगे का सीन इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों उम्मीदवार आगे तैयारी क्या दिखाते हैं, और चाल क्या चलते हैं ?