Thursday, January 4, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के नॉर्दर्न रीजन में स्टूडेंट कन्वेंशन करवाने को लेकर नितिन कँवर की आड़ में बोर्ड ऑफ स्टडीज के चेयरमैन अतुल गुप्ता द्वारा चली गई चाल ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सत्ता खेमे को भी विभाजन किया, जिसके चलते मीटिंग स्थगित करने की नौबत आई

नई दिल्ली । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की बोर्ड ऑफ स्टडीज कमेटी के चेयरमैन अतुल गुप्ता ने निकासा चेयरमैन नितिन कँवर को शिखंडी की तरह इस्तेमाल करके स्टूडेंट कन्वेंशन को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की अनुमति दिलवाने की जो चाल चली, उसके चलते रीजनल काउंसिल के सत्ता खेमे में ही फूट पड़ गई है - जिसका नतीजा यह देखने में आया कि सत्ता खेमे में अगले वर्ष चेयरमैन बनने की तैयारी कर रहे पंकज पेरिवाल ने ही काउंसिल की मीटिंग का बहिष्कार कर दिया । पंकज पेरिवाल की अनुपस्थिति के कारण मीटिंग में सत्ता खेमे की 'ताकत' और घट गई, जिसके चलते उसके प्रस्तावों के पास होने की संभावना भी घट गई - फलस्वरूप फजीहत से बचने के लिए चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने मीटिंग ही स्थगित कर दी । मीटिंग स्थगित करने के उनके फैसले से पहले स्टूडेंट कन्वेंशन के लिए काउंसिल की अनुमति लेने का प्रस्ताव और बजट पास करने का प्रस्ताव फेल हो ही चुका था । उल्लेखनीय है कि नितिन कँवर द्वारा तैयार किया गया स्टूडेंट कन्वेंशन का प्रस्ताव अनाप-शनाप और महँगे बजट के कारण पहले से ही रीजनल काउंसिल के बहुमत सदस्यों के निशाने पर है; लेकिन जब से यह बात सामने आई है कि स्टूडेंट कन्वेंशन नितिन कँवर से भी ज्यादा सेंट्रल काउंसिल सदस्य अतुल गुप्ता की 'जरूरत' है, तब से स्टूडेंट कन्वेंशन को लेकर सत्ता खेमे में भी विभाजन हो गया है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सत्ता खेमे के सदस्य दरअसल इस बात पर भड़के हुए हैं कि बोर्ड ऑफ स्टडीज के चेयरमैन के रूप में अतुल गुप्ता पहले तो अनाप-शनाप व महँगे बजट को लेकर राकेश मक्कड़ व नितिन कँवर की गर्दन दबोचने में विरोधी खेमे के सदस्यों के सुर में सुर मिला रहे थे, लेकिन अब वह राकेश मक्कड़ व नितिन कँवर की खुशामद में लगे हुए हैं । गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले अतुल गुप्ता के इस रवैये को लेकर सत्ता खेमे के सदस्यों के बीच ही जिस तरह की नाराजगी पैदा हुई है, उसके कारण स्टूडेंट कन्वेंशन को लेकर रीजनल काउंसिल में वास्तव में अब किसी को भी दिलचस्पी नहीं रह गई है । 
उल्लेखनीय है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के पाँचों रीजंस में नॉर्दर्न रीजन ही अकेला रीजन बचा रह गया है, जहाँ स्टूडेंट कन्वेंशन नहीं हो सकी है । इंस्टीट्यूट में अतुल गुप्ता इसी नॉर्दर्न रीजन का प्रतिनिधित्व करते हैं । स्टूडेंट कन्वेंशन बोर्ड ऑफ स्टडीज का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन होता है । ऐसे में, अतुल गुप्ता के लिए शर्मनाक स्थिति यह बनी है कि बोर्ड ऑफ स्टडीज के चेयरमैन होते हुए उनके अपने ही रीजन में स्टूडेंट कन्वेंशन नहीं हो पा रही है । अतुल गुप्ता वैसे तो बड़े जुगाड़ु व्यक्ति के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं, और जिसके चलते चारों दिशाओं में उनका डंका बजता हुआ सुनाई देता है । लेकिन अपने ही रीजन में, स्टूडेंट कन्वेंशन न करवा पाने के रूप में - अपने ही 'घर' में जो 'मार' पड़ रही है, वह उनकी तमाम उपलब्धियों पर भारी पड़ रही है, और इस बात ने उन्हें सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच बेहद शर्मिंदगी की स्थिति में ला दिया है । नितिन कँवर ने अपने नजदीकियों को ही बताया है कि इस शर्मिंदगी से बचने के लिए अतुल गुप्ता किसी भी तरह से स्टूडेंट कन्वेंशन कर लेने के जुगाड़ में लगे हैं । नितिन कँवर के अनुसार, अतुल गुप्ता तो एक मौके पर इस बात के लिए भी राजी हो गए थे कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को किनारे रख कर - बोर्ड ऑफ स्टडीज व निकासा मिल कर स्टूडेंट कन्वेंशन का आयोजन कर लें । नितिन कँवर ने ही लोगों को बताया है कि अतुल गुप्ता स्टूडेंट कन्वेंशन करने के लिए जुगाड़ बैठाने हेतु उनकी खुशामद में लगे हुए हैं । मजे की बात यह है कि अभी कुछ ही दिन पहले अतुल गुप्ता लोगों के बीच नितिन कँवर की बदतमीजियों का रोना रोते फिर रहे थे और बता रहे थे कि कैसे नितिन कँवर ने उन्हें भी अपनी बदतमीजी का शिकार बना लिया है ।
नितिन कँवर द्वारा की गई बदतमीजी का शिकार होने के बाद से ही अतुल गुप्ता उनसे बुरी तरह खफा चल रहे थे, किंतु अब जब अपने ही रीजन में स्टूडेंट कन्वेंशन करवाने की जरूरत उनके सामने आ पड़ी तो अतुल गुप्ता ने पलटी मारी और वह नितिन कँवर की खुशामद में लग गए । अतुल गुप्ता का समर्थन मिला तो नितिन कँवर और ज्यादा जोशोखरोश के साथ स्टूडेंट कन्वेंशन के लिए रीजनल काउंसिल की अनुमति लेने की कोशिशों में जुट गए । अनाप-शनाप और महँगे बजट के नाम पर हो रहे विरोध को देखते हुए नितिन कँवर ने बजट को 35 लाख से घटा कर करीब 25 लाख का भी कर लिया, लेकिन विरोधियों की आपत्तियां जहाँ की तहाँ ही बनी हुई हैं । उन्हें 25 लाख का बजट भी ज्यादा लग रहा है । उनका कहना है कि स्टूडेंट कन्वेंशन में जितने स्टूडेंट्स आते हैं, उतने स्टूडेंट्स के लिए आठ/दस लाख में बढ़िया तैयारी की जा सकती है । विरोधियों का आरोप है कि स्टूडेंट्स की ज्यादा संख्या और कई चीजों के खर्च को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा कर नितिन कँवर कन्वेंशन के नाम पर दरअसल अपनी और अपने साथियों की जेबें भरने का इंतजाम कर रहे हैं । पिछले वर्ष हुए घाटे का उदाहरण सामने रख कर विरोधियों का कहना है कि अनाप-शनाप खर्चों के कारण काउंसिल का बजट गड़बड़ाता है, और फिर जरूरी काम तक करना मुश्किल हो जाता है । विरोधियों का कहना है कि नितिन कँवर और काउंसिल में पदाधिकारी उनके साथी एक तरफ तो पैसे की कमी का रोना रोते हुए लाइब्रेरीज बंद करने के प्रयास कर रहे हैं, और दूसरी तरफ कन्वेंशन के नाम पर पैसा लुटाने/बहाने की योजना बना रहे हैं ।
बोर्ड ऑफ स्टडीज के चेयरमैन के रूप में अतुल गुप्ता के रवैये पर भी रीजनल काउंसिल के अधिकतर सदस्यों को हैरानी है । उनका कहना है कि रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों की लूट-खसोट पर अतुल गुप्ता पहले तो ऐतराज करते थे, लेकिन अब उन्होंने जिस तरह से न सिर्फ चुप्पी साध ली है बल्कि उनके समर्थक भी बन गए हैं, उसके चलते रीजनल काउंसिल के 'लुटेरे' पदाधिकारियों के हौंसले और बढ़ गए हैं । रीजनल काउंसिल के अधिकतर सदस्यों का कहना है कि अतुल गुप्ता क्यों नहीं नितिन कँवर और उनके साथी पदाधिकारियों को समझाते कि कन्वेशन के नाम पर फालतू पैसा बहाने की बजाए यदि लाइब्रेरीज को सुचारू रूप से चलाने का काम किया जायेगा, तो स्टूडेंट्स का ज्यादा फायदा होगा । इस तरह की बातों से लग रहा है कि स्टूडेंट कन्वेंशन के नाम पर नितिन कँवर और अतुल गुप्ता जिस तरह पुराने बैर-भाव भूल कर गले मिल रहे हैं, उसके चलते दोनों को ही अलग अलग मोर्चों पर फजीहत का शिकार होना पड़ रहा है ।