नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जोन 4 में हो रहे चुनाव में भरत पांड्या को कड़े मुकाबले के चलते हार के कगार में फँसा देख, बचे-खुचे वोटों पर कब्जा जमाने के लिए भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों ने रिसोर्स ग्रुप के पदों को 'बेचने' की तैयारी की है । समस्या
की बात लेकिन यह हुई है कि इस तैयारी की भनक मिलने पर रिसोर्स ग्रुप के
मौजूदा पदाधिकारियों के बीच अपनी अपनी कुर्सी बचाने की दौड़ मच गई है, जिसके
कारण एक तरफ तो गुपचुप रूप से की जा रही तैयारी की पोल खुल गई है - और
दूसरी तरफ रिसोर्स ग्रुप के पदों पर काबिज होने के लिए भरत पांड्या के
समर्थकों में होड़ मच गई है । इस दौड़/होड़ में रिसोर्स ग्रुप में दीपक तलवार, विनोद बंसल, ललित श्रीमाल, आशीष देसाई आदि के पदों पर खतरा मंडराता देखा जा रहा है ।
रिसोर्स ग्रुप के पदों के लिए यूँ तो लंबी लाइन है, लेकिन इंटरनेशनल
डायरेक्टर पद के चुनाव की पृष्ठभूमि में रिसोर्स ग्रुप के पदों के लिए सबसे
बड़े दावेदारों में गुरजीत सिंह, दीपक शिकारपुर, दीपक पुरोहित आदि हैं ।
इन्होंने भरत पांड्या के पक्ष में माहौल बनाने तथा उन्हें वोट दिलवाने के
लिए अथक प्रयास किए हैं, लेकिन उन्हें लग रहा है कि भरत पांड्या की
उम्मीदवारी के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों ने उन्हें इस्तेमाल कर
लिया है - उनसे काम तो ले लिया, लेकिन उनके लिए कुछ करते हुए नहीं दिख रहे
हैं । अपने आप को 'इस्तेमाल करो, और छोड़ दो' वाले फार्मूले का शिकार
होता देख यह लोग भड़के हुए हैं । गुरजीत सिंह का तो काम पूरा हो गया है,
इसलिए भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों को उनकी ज्यादा
चिंता नहीं है; लेकिन दीपक शिकारपुर और दीपक पुरोहित के डिस्ट्रिक्ट -
डिस्ट्रिक्ट 3131 में अभी करीब पचास प्रतिशत वोटिंग बाकी है - इसलिए भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों को इनकी चिंता करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।
जोन 4 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए हो रहे चुनाव में 85 से 90 प्रतिशत के बीच वोटिंग हो चुकने का अनुमान लगाया जा रहा है । वोटिंग पैटर्न के जो तथ्य भरत पांड्या के समर्थकों को मिले हैं, या उन्होंने जुटाए हैं - उसने उन्हें निराश किया है । भरत पांड्या के कई एक समर्थकों का कहना है कि अभी तक जो वोट पड़े हैं, उनमें ही अशोक गुप्ता ने निर्णायक बढ़त बना ली है; हालाँकि अन्य कुछेक समर्थकों का कहना है कि अशोक गुप्ता को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में अच्छे वोट मिले हैं और वह बराबर की टक्कर पर हैं या थोड़ा बहुत आगे भी हैं - तो भी भरत पांड्या के लिए मुकाबला अभी खत्म नहीं हुआ है, और बाकी बचे वोटों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में कुल करीब 2300 वोट पड़ने हैं । अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में इंटरनेट सुविधा से दूर और अलग-थलग रहने/पड़ने वाले क्लब्स के वोट अभी नहीं पड़ सके हैं, और या जिन्हें अभी तक भी लिंक व पासवर्ड नहीं मिले हैं - वह वोट डालने से बचे रह गए हैं । एक अकेले डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही वोटिंग की रफ्तार ढीली है । इसका कारण यह सुना जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट के 'नेताओं' ने जानबूझ कर 'अपने अपने' क्लब्स को वोट डालने से रोका हुआ है - ताकि वह भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों से 'ठीक' से सौदेबाजी कर सकें । दरअसल भरत पांड्या के समर्थक नेताओं व पदाधिकारियों ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के प्रमुख 'नेताओं' को रिसोर्स ग्रुप में पद देने/दिलवाने का लालच देकर अपने पक्ष में किया हुआ था । वह तो जब कमल सांघवी के इस्तीफे से खाली हुए आरआरएफसी के पद पर भरत पांड्या के ही डिस्ट्रिक्ट के विजय जालान की नियुक्ति हो गई, तब नेताओं का माथा ठनका और उन्हें लगा कि उन्हें झूठे लालच देकर इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है ।
दरअसल विजय जालान को रिसोर्स ग्रुप में पद मिलने के साथ ही विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के नेताओं को जब अपने ठगे जाने तथा धोखे का शिकार होने का अहसास हुआ, तभी उनमें से अधिकतर ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी के पक्ष में सक्रिय रहने तथा कुछ करने से मुँह मोड़ लिया - जिसका खामियाजा वोटिंग लाइन खुलने के बाद भरत पांड्या की उम्मीदवारी को उठाना पड़ा । भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में जिन जिन नेताओं से 'सहयोग' मिलने की उम्मीद थी, उनमें से अधिकतर शांत बने रहे और उन्होंने कुछ किया ही नहीं - कुछेक ने तो अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए काम किया । स्वाभाविक रूप से इसका फायदा अशोक गुप्ता को मिला, और कई डिस्ट्रिक्ट्स में उन्हें उम्मीद से बढ़ कर समर्थन मिला । मामले की नजाकत भरा यह नजारा देख कर भरत पांड्या के समर्थक नेता और पदाधिकारी सावधान और सक्रिय हुए हैं, तथा उन्होंने समझ लिया है कि अब झूठे आश्वासन देने से काम नहीं चलेगा - उन्हें ठोस रूप में कुछ करना पड़ेगा । ठोस रूप में कुछ करने की ज्यादा जरूरत उन्हें डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही लग रही है - जहाँ कि अभी सौ के करीब वोट पड़ना बाकी हैं, और जहाँ दो/तीन नेता रिसोर्स ग्रुप में पद पाने के अभिलाषी हैं । रिसोर्स ग्रुप की विभिन्न कमेटियों में में इनके लिए जगह बनाने के लिए मौजूदा कुछेक कमेटियों के पदाधिकारियों की बलि चढ़ानी पड़ेगी - और जिसके तहत उन्हें उनके पदों से हटाना पड़ेगा ।
इस हलचल को देखते हुए रिसोर्स ग्रुप के पदाधिकारियों के बीच अपने अपने पद बचाने की होड़ मच गई है । रिसोर्स ग्रुप में दीपक तलवार, विनोद बंसल, ललित श्रीमाल और आशीष देसाई को कमजोर कड़ी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है - और जिसके चलते इनकी कुर्सी को खतरे के निशाने पर चिन्हित किया गया है । कुछेक लोगों को लगता है कि आशीष देसाई को पद से हटाने का चूँकि गलत संदेश जायेगा और उससे अशोक गुप्ता को सहानुभूति मिल सकती है, इसलिए हो सकता है कि उनकी कुर्सी सुरक्षित बनी रहे - और बाकी लोग निशाना बने; जबकि अन्य कुछ लोगों को लगता है कि दीपक तलवार व विनोद बंसल के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में, तथा ललित श्रीमाल के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3040 में अभी चूँकि थोड़ी बहुत वोटिंग बाकी है, इसलिए उन्हें न छेड़ कर आशीष देसाई का ही शिकार करने का निश्चय किया जाए । इसके अलावा, यह तय करने की भी चुनौती है कि रिसोर्स ग्रुप में किसे पद दिया जाए ? पद पाने के आकांक्षी चूँकि ज्यादा हैं, अंतिम चरण की वोटिंग के लिहाज से महत्त्वपूर्ण बने डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही दो/तीन नेता पद के आकांक्षी हैं - इसलिए यह तय करना भी मुश्किलों भरा काम है कि अभी किसे संतुष्ट किया जाए । बीच वर्ष में पद खाली करवाने/भरवाने की कार्रवाई एक अलग तरह की बदनामी और मुसीबत का सबब बन सकती है, इसलिए ज्यादा कुछ करने से भी बचने की कोशिश होगी । बड़े नेताओं के बीच की चर्चाओं के अनुसार, ज्यादा नहीं तो - एक पद के लिए तो हटाने/भरने का खेल हो सकता है । अब लोगों के बीच सारी माथापच्ची इस बात पर है कि वह एक कौन होगा, जिसका पद छिनेगा और जिसे मिलेगा ? सारी माथापच्ची में यह मानने/समझने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है कि भरत पांड्या को बाकी बचे वोटों की बड़ी संख्या दिलवाने के लिए उनके समर्थक नेता और पदाधिकारी रिसोर्स ग्रुप में रोटरी पब्लिक इमेज कोऑर्डीनेटर के पद से आशीष देसाई को हटा कर उनकी जगह दीपक शिकारपुर को बैठा दें - जिसके बदले में दीपक शिकारपुर डिस्ट्रिक्ट के बाकी बचे करीब पचास प्रतिशत वोट भरत पांड्या को दिलवाएँ । लोगों के बीच कयास बहुतेरे हैं; ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर होता क्या है ?
जोन 4 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए हो रहे चुनाव में 85 से 90 प्रतिशत के बीच वोटिंग हो चुकने का अनुमान लगाया जा रहा है । वोटिंग पैटर्न के जो तथ्य भरत पांड्या के समर्थकों को मिले हैं, या उन्होंने जुटाए हैं - उसने उन्हें निराश किया है । भरत पांड्या के कई एक समर्थकों का कहना है कि अभी तक जो वोट पड़े हैं, उनमें ही अशोक गुप्ता ने निर्णायक बढ़त बना ली है; हालाँकि अन्य कुछेक समर्थकों का कहना है कि अशोक गुप्ता को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में अच्छे वोट मिले हैं और वह बराबर की टक्कर पर हैं या थोड़ा बहुत आगे भी हैं - तो भी भरत पांड्या के लिए मुकाबला अभी खत्म नहीं हुआ है, और बाकी बचे वोटों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में कुल करीब 2300 वोट पड़ने हैं । अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में इंटरनेट सुविधा से दूर और अलग-थलग रहने/पड़ने वाले क्लब्स के वोट अभी नहीं पड़ सके हैं, और या जिन्हें अभी तक भी लिंक व पासवर्ड नहीं मिले हैं - वह वोट डालने से बचे रह गए हैं । एक अकेले डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही वोटिंग की रफ्तार ढीली है । इसका कारण यह सुना जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट के 'नेताओं' ने जानबूझ कर 'अपने अपने' क्लब्स को वोट डालने से रोका हुआ है - ताकि वह भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों से 'ठीक' से सौदेबाजी कर सकें । दरअसल भरत पांड्या के समर्थक नेताओं व पदाधिकारियों ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के प्रमुख 'नेताओं' को रिसोर्स ग्रुप में पद देने/दिलवाने का लालच देकर अपने पक्ष में किया हुआ था । वह तो जब कमल सांघवी के इस्तीफे से खाली हुए आरआरएफसी के पद पर भरत पांड्या के ही डिस्ट्रिक्ट के विजय जालान की नियुक्ति हो गई, तब नेताओं का माथा ठनका और उन्हें लगा कि उन्हें झूठे लालच देकर इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है ।
दरअसल विजय जालान को रिसोर्स ग्रुप में पद मिलने के साथ ही विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के नेताओं को जब अपने ठगे जाने तथा धोखे का शिकार होने का अहसास हुआ, तभी उनमें से अधिकतर ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी के पक्ष में सक्रिय रहने तथा कुछ करने से मुँह मोड़ लिया - जिसका खामियाजा वोटिंग लाइन खुलने के बाद भरत पांड्या की उम्मीदवारी को उठाना पड़ा । भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में जिन जिन नेताओं से 'सहयोग' मिलने की उम्मीद थी, उनमें से अधिकतर शांत बने रहे और उन्होंने कुछ किया ही नहीं - कुछेक ने तो अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए काम किया । स्वाभाविक रूप से इसका फायदा अशोक गुप्ता को मिला, और कई डिस्ट्रिक्ट्स में उन्हें उम्मीद से बढ़ कर समर्थन मिला । मामले की नजाकत भरा यह नजारा देख कर भरत पांड्या के समर्थक नेता और पदाधिकारी सावधान और सक्रिय हुए हैं, तथा उन्होंने समझ लिया है कि अब झूठे आश्वासन देने से काम नहीं चलेगा - उन्हें ठोस रूप में कुछ करना पड़ेगा । ठोस रूप में कुछ करने की ज्यादा जरूरत उन्हें डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही लग रही है - जहाँ कि अभी सौ के करीब वोट पड़ना बाकी हैं, और जहाँ दो/तीन नेता रिसोर्स ग्रुप में पद पाने के अभिलाषी हैं । रिसोर्स ग्रुप की विभिन्न कमेटियों में में इनके लिए जगह बनाने के लिए मौजूदा कुछेक कमेटियों के पदाधिकारियों की बलि चढ़ानी पड़ेगी - और जिसके तहत उन्हें उनके पदों से हटाना पड़ेगा ।
इस हलचल को देखते हुए रिसोर्स ग्रुप के पदाधिकारियों के बीच अपने अपने पद बचाने की होड़ मच गई है । रिसोर्स ग्रुप में दीपक तलवार, विनोद बंसल, ललित श्रीमाल और आशीष देसाई को कमजोर कड़ी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है - और जिसके चलते इनकी कुर्सी को खतरे के निशाने पर चिन्हित किया गया है । कुछेक लोगों को लगता है कि आशीष देसाई को पद से हटाने का चूँकि गलत संदेश जायेगा और उससे अशोक गुप्ता को सहानुभूति मिल सकती है, इसलिए हो सकता है कि उनकी कुर्सी सुरक्षित बनी रहे - और बाकी लोग निशाना बने; जबकि अन्य कुछ लोगों को लगता है कि दीपक तलवार व विनोद बंसल के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में, तथा ललित श्रीमाल के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3040 में अभी चूँकि थोड़ी बहुत वोटिंग बाकी है, इसलिए उन्हें न छेड़ कर आशीष देसाई का ही शिकार करने का निश्चय किया जाए । इसके अलावा, यह तय करने की भी चुनौती है कि रिसोर्स ग्रुप में किसे पद दिया जाए ? पद पाने के आकांक्षी चूँकि ज्यादा हैं, अंतिम चरण की वोटिंग के लिहाज से महत्त्वपूर्ण बने डिस्ट्रिक्ट 3131 में ही दो/तीन नेता पद के आकांक्षी हैं - इसलिए यह तय करना भी मुश्किलों भरा काम है कि अभी किसे संतुष्ट किया जाए । बीच वर्ष में पद खाली करवाने/भरवाने की कार्रवाई एक अलग तरह की बदनामी और मुसीबत का सबब बन सकती है, इसलिए ज्यादा कुछ करने से भी बचने की कोशिश होगी । बड़े नेताओं के बीच की चर्चाओं के अनुसार, ज्यादा नहीं तो - एक पद के लिए तो हटाने/भरने का खेल हो सकता है । अब लोगों के बीच सारी माथापच्ची इस बात पर है कि वह एक कौन होगा, जिसका पद छिनेगा और जिसे मिलेगा ? सारी माथापच्ची में यह मानने/समझने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है कि भरत पांड्या को बाकी बचे वोटों की बड़ी संख्या दिलवाने के लिए उनके समर्थक नेता और पदाधिकारी रिसोर्स ग्रुप में रोटरी पब्लिक इमेज कोऑर्डीनेटर के पद से आशीष देसाई को हटा कर उनकी जगह दीपक शिकारपुर को बैठा दें - जिसके बदले में दीपक शिकारपुर डिस्ट्रिक्ट के बाकी बचे करीब पचास प्रतिशत वोट भरत पांड्या को दिलवाएँ । लोगों के बीच कयास बहुतेरे हैं; ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर होता क्या है ?