नोएडा
। इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले की तरफ से सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के पद से तुरंत इस्तीफा देने के मिले सुझाव से यह स्पष्ट हो गया है
कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर सतीश सिंघल के दिन अब गिनती के बचे हैं । ईआन
रिसेले ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सतीश सिंघल यदि
इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो वह कारण सहित यह बताएँ कि
उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से बर्खास्त क्यों न कर दिया जाए ? रोटरी
इंटरनेशनल के काम करने के तरीकों से जो लोग परिचित हैं, उनका मानना और कहना
है कि सतीश सिंघल पर लगे आरोपों के मामले में अब जब इंटरनेशनल प्रेसीडेंट
का 'प्रवेश' हो गया है, तो इसका सीधा मतलब है कि इंटरनेशनल पदाधिकारियों ने
सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटाने की पूरी 'तैयारी' कर ली है,
और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के पत्र के जरिए उस तैयारी को अमली जामा पहनाने
की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है । इस मामले में दिलचस्पी दिखा रहे
रोटरी के बड़े नेताओं का कहना है कि सतीश सिंघल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर
बासकर चॉकलिंगम द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों के सामने अपनी बात रखने से
बचने की कोशिश करके अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है । सतीश
सिंघल अपने पहले से निर्धारित कार्यक्रम का वास्ता देकर दिल्ली आए उक्त
कमेटी के सदस्यों के सामने उपस्थित नहीं हुए । ऐसे में, सतीश सिंघल के
खिलाफ आरोपों का पुलिंदा लिए उनके क्लब के पदाधिकारियों ने कमेटी के
सदस्यों को यह भी बताया कि क्लब में शुरू हुई कार्रवाई में भी सतीश सिंघल
ने सहयोग नहीं किया, और फिर आरोप लगाने लगे कि उनका पक्ष सुने बिना उनके
खिलाफ कार्रवाई कर दी गई । कमेटी के सदस्यों ने सतीश सिंघल को यह विकल्प भी
दिया कि खुद न आ पाने की स्थिति में वह अपना पक्ष रखने के लिए अपने किसी
प्रतिनिधि को भेज सकते हैं । सतीश सिंघल ने लेकिन इस विकल्प को भी
स्वीकार नहीं किया । समझा जाता है कि इससे यह माना गया कि सतीश सिंघल जाँच
के काम को लंबा खींचना चाहते हैं, और यह वह बचने के लिए कर रहे हैं ।
रोटरी के बड़े नेताओं का मानना और कहना है कि सतीश सिंघल की यह कोशिश उन पर
भारी पड़ी है, क्योंकि उनके इस रवैये को देख कर ही रोटरी इंटरनेशनल के
पदाधिकारियों ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निश्चय कर लिया है ।
सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती वाला संयोग रहा कि जिन दिनों उनके खिलाफ लगे आरोपों की जाँच के लिए बनी कमेटी के सदस्य दिल्ली आए हुए थे, उन्हीं दिनों रोटरी फाउंडेशन की एक मीटिंग के सिलसिले में रोटरी के कई बड़े नेता दिल्ली में थे । सतीश सिंघल के खिलाफ मोर्चा खोले लोग तो बड़े नेताओं के बीच सतीश सिंघल के खिलाफ लगे आरोपों के तथ्य दिखा/बता रहे थे, लेकिन वहाँ सतीश सिंघल की तरफदारी करने वाला कोई नहीं था । डिस्ट्रिक्ट में सतीश सिंघल के नजदीक समझे जाने वाले लोग या तो उस 'भीड़' से दूर ही रहे, और जो मौके पर मौजूद भी थे - उन्होंने चुप बने रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इससे कमेटी के सदस्यों के साथ-साथ रोटरी के बड़े नेताओं के बीच भी यही संदेश गया कि सतीश सिंघल के खिलाफ लगे आरोप इतने पुख्ता हैं, कि उनके समर्थक और नजदीकी भी उनकी तरफदारी करने से बच रहे हैं । जैसा कि इस तरह के मौकों पर होता है, लोग बढ़चढ़ कर अपनी राय देने लगते हैं और एक माहौल-सा बन जाता है । यहाँ माहौल सतीश सिंघल के खिलाफ बन गया, क्योंकि प्रायः हर बड़े नेता ने कहा/सुनाया कि रोटरी में इस तरह की बेईमानियाँ स्वीकार और बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिएँ । समझा जाता है कि बड़े नेताओं की इस तरह की बातों से जाँच कमेटी के सदस्य प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके, और फलस्वरूप उनकी रिपोर्ट सतीश सिंघल के खिलाफ कुछ ऐसी बनी कि उनके लिए बचने का कोई शक-सुबह भी बचा नहीं रह गया ।
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले के सतीश सिंघल को लिखे पत्र की लंबाई, उसकी भाषा, उसमें व्यक्त हुए शब्दों और उसके 'तेवर' पर यदि गौर करें - तो यह समझने में देर नहीं लगेगी कि रोटरी इंटरनेशनल में सतीश सिंघल के खिलाफ मामला कितना पुख्ता और गंभीर बन चुका है । रोटरी इंटरनेशनल द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों से परिचित लोगों तथा अन्य जानकारों का कहना है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के पत्र आमतौर पर इतने लंबे नहीं होते हैं, और उनमें तथ्यों के मामले में संकेत भर होते हैं । सतीश सिंघल को संबोधित पत्र में ईआन रिसेले ने लेकिन जिस विस्तार से बातों और घटनाओं का सिलसिलेवार जिक्र किया है, और आरोपों के संदर्भ में जिस तरह के भारी-भरकम व दो-टूक शब्दों का इस्तेमाल किया है, उसे इसी बात के संकेत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने सतीश सिंघल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी पद से हटाए जाने को अदालत में चुनौती देकर, तथा क्लब से निकाले जाने को आर्बिट्रेटर के विवाद में फँसाने के जरिए सतीश सिंघल ने अपने बचने के लिए जो मौके बनाए हैं - वैसा मौका लगता है कि इंटरनेशनल पदाधिकारी सतीश सिंघल को नहीं देना चाहते हैं, और इसीलिए उन्होंने बहुत ध्यान व गहराई से तैयारी की है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले का पत्र इस तैयारी का पूरा पूरा आभास दे रहा है । सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा देने का सुझाव देने के साथ ही ईआन रिसेले ने उन्हें बर्खास्त करने से पहले अपना पक्ष रखने का जो मौका दिया है, उससे लग रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल उनके बचने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहता है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर सतीश सिंघल के दिन बस अब गिने-चुने ही रह गए हैं ।
सतीश सिंघल के लिए बदकिस्मती वाला संयोग रहा कि जिन दिनों उनके खिलाफ लगे आरोपों की जाँच के लिए बनी कमेटी के सदस्य दिल्ली आए हुए थे, उन्हीं दिनों रोटरी फाउंडेशन की एक मीटिंग के सिलसिले में रोटरी के कई बड़े नेता दिल्ली में थे । सतीश सिंघल के खिलाफ मोर्चा खोले लोग तो बड़े नेताओं के बीच सतीश सिंघल के खिलाफ लगे आरोपों के तथ्य दिखा/बता रहे थे, लेकिन वहाँ सतीश सिंघल की तरफदारी करने वाला कोई नहीं था । डिस्ट्रिक्ट में सतीश सिंघल के नजदीक समझे जाने वाले लोग या तो उस 'भीड़' से दूर ही रहे, और जो मौके पर मौजूद भी थे - उन्होंने चुप बने रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इससे कमेटी के सदस्यों के साथ-साथ रोटरी के बड़े नेताओं के बीच भी यही संदेश गया कि सतीश सिंघल के खिलाफ लगे आरोप इतने पुख्ता हैं, कि उनके समर्थक और नजदीकी भी उनकी तरफदारी करने से बच रहे हैं । जैसा कि इस तरह के मौकों पर होता है, लोग बढ़चढ़ कर अपनी राय देने लगते हैं और एक माहौल-सा बन जाता है । यहाँ माहौल सतीश सिंघल के खिलाफ बन गया, क्योंकि प्रायः हर बड़े नेता ने कहा/सुनाया कि रोटरी में इस तरह की बेईमानियाँ स्वीकार और बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिएँ । समझा जाता है कि बड़े नेताओं की इस तरह की बातों से जाँच कमेटी के सदस्य प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके, और फलस्वरूप उनकी रिपोर्ट सतीश सिंघल के खिलाफ कुछ ऐसी बनी कि उनके लिए बचने का कोई शक-सुबह भी बचा नहीं रह गया ।
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले के सतीश सिंघल को लिखे पत्र की लंबाई, उसकी भाषा, उसमें व्यक्त हुए शब्दों और उसके 'तेवर' पर यदि गौर करें - तो यह समझने में देर नहीं लगेगी कि रोटरी इंटरनेशनल में सतीश सिंघल के खिलाफ मामला कितना पुख्ता और गंभीर बन चुका है । रोटरी इंटरनेशनल द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों से परिचित लोगों तथा अन्य जानकारों का कहना है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के पत्र आमतौर पर इतने लंबे नहीं होते हैं, और उनमें तथ्यों के मामले में संकेत भर होते हैं । सतीश सिंघल को संबोधित पत्र में ईआन रिसेले ने लेकिन जिस विस्तार से बातों और घटनाओं का सिलसिलेवार जिक्र किया है, और आरोपों के संदर्भ में जिस तरह के भारी-भरकम व दो-टूक शब्दों का इस्तेमाल किया है, उसे इसी बात के संकेत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने सतीश सिंघल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी पद से हटाए जाने को अदालत में चुनौती देकर, तथा क्लब से निकाले जाने को आर्बिट्रेटर के विवाद में फँसाने के जरिए सतीश सिंघल ने अपने बचने के लिए जो मौके बनाए हैं - वैसा मौका लगता है कि इंटरनेशनल पदाधिकारी सतीश सिंघल को नहीं देना चाहते हैं, और इसीलिए उन्होंने बहुत ध्यान व गहराई से तैयारी की है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले का पत्र इस तैयारी का पूरा पूरा आभास दे रहा है । सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा देने का सुझाव देने के साथ ही ईआन रिसेले ने उन्हें बर्खास्त करने से पहले अपना पक्ष रखने का जो मौका दिया है, उससे लग रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल उनके बचने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहता है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर सतीश सिंघल के दिन बस अब गिने-चुने ही रह गए हैं ।