Sunday, January 7, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में डायबिटीज की बेईमानी के भुगतान को लेकर इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा की धमकीभरी 'स्मार्टनेस' पर विनय गर्ग द्वारा किए गए पलटवार ने जगदीश गुलाटी और ग्रांट की रकम को ठिकाने लगा चुके उनके साथियों को सांसत में डाला

नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा की झूठी धमकीभरी 'स्मार्टनेस' ने डायबिटीज प्रोजेक्ट के लिए एक करोड़ 31 लाख रुपए की रकम से जुड़े विवाद को और गंभीर बना दिया है । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के पदाधिकारियों की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि वीके लूथरा लायंस इंटरनेशनल के आदेश की झूठी व्याख्या करके उन पर दबाव नहीं बना सकते हैं, और डायबिटीज प्रोजेक्ट के नाम पर हुई लूट में मददगार बनने के लिए उन्हें मजबूर नहीं कर सकते हैं । उल्लेखनीय है कि डाटबिटीज प्रोजेक्ट के लिए आई एक करोड़ 31 लाख रुपए की ग्रांट के अनाप-शनाप खर्च को लेकर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के पदाधिकारियों तथा बड़े नेताओं के बीच भुगतान को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है । प्रोजेक्ट चेयरमैन जगदीश गुलाटी ने अपने साथी बड़े नेताओं के साथ मिल कर आनन-फानन में उक्त रकम ठिकाने लगा दी है और अब वह चाहते हैं कि मल्टीपल पदाधिकारी उक्त रकम का भुगतान कर दें । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय गर्ग कह रहे हैं कि जहाँ जो रकम खर्च हुई है, उसका पूरा हिसाब दे कर उसकी जाँच करवा लें और भुगतान ले लें । जगदीश गुलाटी और उनके साथी बड़े नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं; वह चाहते हैं कि वह जिस किसी को जितनी रकम देने को कहें, काउंसिल चेयरमैन विनय गर्ग बिना चूँ-चपड़ किए उतनी रकम उसे दे दें । विनय गर्ग इसके लिए तैयार नहीं हैं ।
विनय गर्ग का कहना है कि डायबिटीज प्रोजेक्ट के नाम पर जो खर्चा किया गया है और उसकी जो बिलिंग है, वह काफी संदेहास्पद है और प्रोजेक्ट की रकम में बड़ी लूट-खसोट का आभास देती है । विनय गर्ग ने यह कहते/बताते हुए मामले को खासा गंभीर बना दिया है कि प्रोजेक्ट के तहत जो उपकरण छह से आठ लाख रुपए में खरीदे दिखाए गए हैं, वह खुले बाजार में चार से पाँच लाख रुपए में उपलब्ध सुने जा रहे हैं । इसी तरह कई चीजों के खर्च अनाप-शनाप वृद्धि के साथ दिखाए/बताए गए हैं और ऐसा लगता है कि प्रोजेक्ट की रकम का एक बड़ा हिस्सा प्रोजेक्ट करने वालों ने अपनी जेबों में भर लिया है । विनय गर्ग का कहना है कि वह ऐसे किसी काम में सहभागी नहीं बनेंगे, जिसमें बेईमानी करने के आरोप लगें और लोग उन पर भी उँगलियाँ उठाएँ । विनय गर्ग ने प्रस्ताव रखा कि मल्टीपल में एक कमेटी बनाई जाए, जो खर्च हुए पैसे का वास्तविक मूल्याँकन करे - और वह जो रकम बताए, प्रोजेक्ट की रकम के अकाउंट से उसका भुगतान कर दिया जाए । प्रोजेक्ट चेयरमैन जगदीश गुलाटी और प्रोजेक्ट 'करने' में उनके सहयोगी रहे बड़े नेता इसके लिए राजी नहीं हैं । मजे की बात यह है कि उक्त प्रोजेक्ट मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के लिए ग्रांट हुआ था, लेकिन इस प्रोजेक्ट को करने में मल्टीपल के सभी डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों को शामिल नहीं किया गया, और मनमाने तरीके से कुछ ही लोगों ने इस प्रोजेक्ट की बंदरबाँट कर ली । प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी पूरा करने की हड़बड़ी में प्रोजेक्ट पूरा करने की सामान्य प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया; जिसके चलते प्रोजेक्ट में हुए खर्च को एलसीसीआई से पैसा उधार लेकर पूरा किया गया । लायंस इंटरनेशनल के इतिहास में किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने में ऐसी हड़बड़ी दिखाने का दूसरा उदाहरण शायद ही मिले, जिसमें प्रोजेक्ट ग्रांट की रकम आ चुकने के बावजूद - उसे खर्च करने की नियमबद्ध प्रक्रिया अपनाने की बजाए कहीं और से उधार लेकर प्रोजेक्ट का खर्च पूरा किया जाए । विवाद और झगड़ा वास्तव में इसी बात का है कि जगदीश गुलाटी और उनके साथी माँग कर रहे हैं कि ग्रांट का पैसा एलसीसीआई को दे दिया जाए, जो प्रोजेक्ट में खर्च हुआ है; विनय गर्ग कह रहे हैं कि पहली बात तो यह कि प्रोजेक्ट ग्रांट का पैसा इस तरह ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है, और दूसरी बात यह कि चलो इस बात का तो कोई तोड़ निकाल भी लिया जायेगा - लेकिन मनमाने तरीके से किए/हुए खर्च का आँख मूँद कर तो भुगतान किसी भी तरह से नहीं ही किया जा सकेगा ।
इस विवाद के लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में पहुँच जाने से मामला थोड़ा ट्रिकी भी हो गया है । तकनीकी रूप से देखें तो तथ्य यह है कि डायबिटीज प्रोजेक्ट की ग्रांट की रकम अभी खर्च नहीं हुई है । इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए एलसीआईएफ कार्यालय ने काउंसिल चेयरमैन विनय गर्ग को पत्र लिख कर उक्त रकम वापस करने के लिए कहा है । एलसीआईएफ कार्यालय की तरफ से लिखे पत्र में साफ कहा गया है कि उक्त ग्रांट की रकम यदि वापस नहीं की गई, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी और यह मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट को मिलने वाली ग्रांट्स पर पाबंदी के रूप में भी हो सकती है । एलसीआईएफ के इस पत्र की झूठी व्याख्या करते हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा ने विनय गर्ग को पत्र लिख कर 'धमकाया' है कि उन्होंने यदि जल्दी ही ग्रांट का पैसा रिलीज नहीं किया, तो मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट पर पाबंदी लग जाएगी । विनय गर्ग ने उनकी इस धमकी पर कुछेक लोगों के बीच चुटकी लेते हुए कहा कि थोड़ी अंग्रेजी तो हमें भी आती है और हम भी समझ रहे हैं कि एलसीआईएफ ने मल्टीपल पर नहीं, बल्कि मल्टीपल को मिलने वाली ग्रांट्स पर पाबंदी लगाने की बात कही है । विनय गर्ग की तरफ से कहा जा रहा है कि प्रोजेक्ट के नाम पर हुए खर्च का उन्हें यदि उचित हिसाब-किताब नहीं मिला, तो वह ग्रांट की रकम एलसीआईएफ को वापस भेज देंगे । वीके लूथरा की 'स्मार्टनेस' पर विनय गर्ग द्वारा किए गए पलटवार ने जगदीश गुलाटी और ग्रांट की रकम को ठिकाने लगा चुके उनके साथियों को सांसत में डाल दिया है । उन्हें डर हुआ है कि विनय गर्ग ने यदि सचमुच ग्रांट की रकम को एलसीआईएफ को वापस कर दिया, तो फिर क्या होगा ? वीके लूथरा की धमकी का असर उल्टा पड़ने के बाद जगदीश गुलाटी और उनके संगी-साथी एक बार फिर तेजपाल खिल्लन के साथ सौदेबाजी करने का मौका बनाने की कोशिशों में जुटे हैं । तेजपाल खिल्लन चूँकि लायन लीडर के भेष में एक सौदेबाज व्यवसायी हैं - इसलिए जगदीश गुलाटी और उनके संगी-साथियों को लगता है कि तेजपाल खिल्लन से सौदेबाजी करके ही वह विनय गर्ग से भुगतान ले सकेंगे । ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विनय गर्ग बिना उचित रिकॉर्ड मिले भुगतान न करने के अपने रवैये पर टिके/बने रहते हैं, और या जगदीश गुलाटी व तेजपाल खिल्लन के बीच होने वाली सौदेबाजी के शिकार बन जाते हैं ।
विनय गर्ग को एलसीआईएफ पदाधिकारी का पत्र :