गुरुग्राम । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में वोटर्स को प्रभावित करने तथा उनके वोट अपने यहाँ और अपने
सामने डलवाने के आरोप में घिरे पूर्व गवर्नर सुशील खुराना ने अन्य दो पूर्व
गवर्नर्स - दीपक तलवार और विनोद बंसल के खिलाफ जिस तरह से मोर्चा खोल दिया है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट का माहौल खासा गर्मा गया है । उल्लेखनीय
है कि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट एसएन चतुर्वेदी ने
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पक्षपातपूर्ण तरीके से बेईमानी
होने का आरोप लगाते हुए जो आरोप-पत्र दिया है, उसमें सुशील खुराना की
भूमिका का खासतौर से जिक्र करते हुए बताया गया है कि उन्होंने रोटरी क्लब
गुरुग्राम के प्रेसीडेंट त्रिलोक गर्ग तथा रोटरी क्लब गुरुग्राम मिलिनियम
के प्रेसीडेंट दीपांकर सेठी को अपने कल्याणी अस्पताल में बुलाया और उन्हें
अपने सामने वोट डालने के लिए मजबूर किया । आरोप पत्र में दावा किया गया है
कि दोनों क्लब्स के पड़े वोटों की टाईमिंग, लोकेशन तथा आईपी ऐड्रेस में इस
बात का सुबूत देखा जा सकता है । सुशील खुराना पर रोटरी क्लब गुरुग्राम
क़ुतुब के प्रेसीडेंट विमल सिंघानिया को संजीव राय मेहरा को वोट देने के लिए
धमकाने का भी आरोप लगाया गया है । यह आरोप पत्र चूँकि दीपक तलवार के
क्लब के प्रेसीडेंट की तरफ से दिया गया है, इसलिए सुशील खुराना ने आरोप
पत्र में उनका नाम भी घसीटे जाने के लिए दीपक तलवार को जिम्मेदार ठहराया है
। सुशील खुराना का कहना है कि दीपक तलवार अपने उम्मीदवार की हार से बौखला
गए हैं, और इसलिए उन्होंने आरोपों के घेरे में उन्हें भी शामिल कर/करवा
दिया है । मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अभी
तक सुशील खुराना और दीपक तलवार को एकसाथ देखा जाता रहा है, लेकिन
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में दीपक तलवार की तरफ से सुशील
खुराना पर धोखा देने का आरोप सुना जा रहा है, तो सुशील खुराना की तरफ से
दीपक तलवार पर उन्हें बदनाम करने का आरोप मढ़ा जा रहा है ।
सुशील खुराना और दीपक तलवार के बीच खिंची तलवारों ने डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक माहौल को रोमांचक बनाया हुआ है । हालाँकि बहुत से लोगों के लिए यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि सुशील खुराना ने ऐन मौके पर दीपक तलवार को आखिर धोखा क्यों दिया ? सुशील खुराना शुरू से ही दीपक तलवार के उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे अनूप मित्तल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का संकेत दे रहे थे । दीपक तलवार के साथ सुशील खुराना की जिस तरह की 'दोस्ती' रही है, उसके चलते किसी को कभी उनके संकेतों पर शक भी नहीं हुआ - इसलिए ऐन मौके पर सुशील खुराना को जब अचानक से संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट इकट्ठा करते और डलवाते देखा गया, तो दीपक तलवार सहित दूसरे लोगों का भी माथा ठनका । किसी के लिए भी समझना मुश्किल हुआ कि ऐन मौके पर सुशील खुराना को पलटी मारने का हुनर दिखाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी ? यह सवाल अनसुलझा ही रह जाता, यदि सुशील खुराना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में हुई बेईमानी के आरोपों के झमेले में विनोद बंसल को भी निशाने पर न ले लेते । सुशील खुराना ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट के आरोप पत्र में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और पप्पूजीत सिंह सरना व अमित जोनेजा जैसे सिपहसालारों पर तो पक्षपातपूर्ण ढंग से सक्रिय होने का आरोप लगाया गया है, लेकिन इनके 'रिंग मास्टर' विनोद बंसल को छोड़ दिया गया है । सुशील खुराना का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में क्या कोई विश्वास कर सकता है कि विनोद बंसल की सहमति के बिना यह तीनों सक्रिय हुए होंगे ? सुशील खुराना की इस बात को 'आधा सच और आधा फ़साना' की तरह देखा/समझा जा रहा है । लोगों का कहना है कि हो सकता है कि विनय भाटिया, पप्पूजीत सिंह सरना और अमित जोनेजा की सक्रियता विनोद बंसल के निर्देश तथा उनकी सहमति से ही हुई हो; लेकिन किसी प्रेसीडेंट ने विनोद बंसल पर धमकाने और या अपने ऑफिस में बुलवा कर अपने सामने वोट डलवाने का आरोप तो नहीं लगाया है - इसलिए चुनावी बेईमानी के आरोप पत्र के तथ्यात्मक विवरण में उनका नाम न होने पर आश्चर्य कैसा ?
विनोद बंसल का नाम आरोप पत्र में न होने पर लोगों को आश्चर्य भले न हो, पर सुशील खुराना को है - और उन्होंने इसे जाहिर भी किया है तो इसे विनोद बंसल के प्रति सुशील खुराना की खुन्नस के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों को लगा है कि विनोद बंसल के साथ सीओएल चुनाव को लेकर उनकी जो खुन्नस थी, वह अभी भी हिलोरे में है और इसी बात का फायदा उठा कर रवि चौधरी ने उन्हें अपने साथ कर लिया । समझा जा रहा है कि सीओएल के चुनाव में विनोद बंसल से मिलने वाली चुनौती से निपटने में रवि चौधरी ने उनकी जो मदद की थी, उसका ही एहसान चुकाने के लिए वह दीपक तलवार के साथ धोखा करने को तैयार हो गए । दीपक तलवार के साथ धोखा करने की स्थिति के बीज भी वास्तव में सीओएल के चुनाव के दौरान ही पड़ गए थे । दरअसल विनोद बंसल से मिलने वाली चुनौती से निपटने के मामले में सुशील खुराना को दीपक तलवार से कोई मदद नहीं मिली थी; बल्कि दीपक तलवार ने तो उन्हें समझाने की कोशिश की थी कि चुनाव की स्थिति में विनोद बंसल का पलड़ा भारी रहेगा और इसलिए उन्हें सीओएल का चक्कर छोड़ ही देना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी भी उस समय विनोद बंसल के नजदीक थे, इसलिए सुशील खुराना को सीओएल दूर दिख रही थी - लेकिन फिर अचानक रवि चौधरी ने सुशील खुराना की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया । रवि चौधरी की इस हरकत से विनोद बंसल का हौंसला टूट गया और फिर वह सीओएल की चुनावी दौड़ से ही बाहर हो गए, और सुशील खुराना के लिए सीओएल का रास्ता आसान हो गया । सीओएल के चुनाव में रवि चौधरी ने सुशील खुराना की मदद की थी, तो उसके ऐवज में सुशील खुराना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में रवि चौधरी की मदद की - और अपने पुराने साथी रहे दीपक तलवार के साथ धोखा करने से भी उन्होंने कोई परहेज नहीं किया ।
सुशील खुराना ने रवि चौधरी के साथ मिल कर पहले विनोद बंसल को और अब दीपक तलवार को राजनीतिक रूप से 'मार' तो लिया, लेकिन पक्षपातपूर्ण चुनावी बेईमानी में नाम आने से वह मुसीबत में भी फँस गए हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने के कारण 'चुनावी अपराधी' के रूप में सुशील खुराना रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की लताड़ खा चुके हैं । लताड़ लगाते हुए बोर्ड के फैसले में कहा गया था कि अभी तो सिर्फ चेतावनी दे कर छोड़ा जा रहा है, लेकिन यदि दोबारा 'ऐसी' शिकायत मिली, तो आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी । सुशील खुराना के लिए चिंता और परेशानी की बात यह है कि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट द्वारा तैयार किया गया और डिस्ट्रिक्ट की इलेक्शन ग्रीवेंस कमेटी को भेजा गया आरोप पत्र यदि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को भी भेजा गया तो वह वहाँ एक ऐसे 'चुनावी अपराधी' के रूप में 'पेश' होंगे, जिन पर इंटरनेशनल बोर्ड की चेतावनी का भी कोई असर नहीं हुआ है । ऐसे में, सुशील खुराना को डर है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड कहीं उनके खिलाफ सचमुच कड़ी कार्रवाई न कर दे । हाल-फिलहाल के दिनों में कई एक पूर्व गवर्नर अलग अलग तरह की हरकतों के चलते जिस तरह से रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के कठोर फैसलों के शिकार हो चुके हैं, उसके कारण सुशील खुराना का डर और बढ़ गया है । सुशील खुराना के लिए फजीहत की बात यह और है कि पिछली बार जब इंटरनेशनल बोर्ड की लताड़ पड़ी थी, तब 'चुनावी अपराधी' के रूप में उनके साथ दीपक तलवार और विनोद बंसल का नाम भी था - अब लेकिन यह दोनों तो चतुराई से बच गए हैं, और सुशील खुराना अकेले फँस गए हैं । इसलिए सुशील खुराना यह कोशिश भी करते सुने जा रहे हैं कि वह दीपक तलवार को इस बात के लिए राजी करने में भी जुटे हैं कि वह एसएन चतुर्वेदी के आरोप पत्र से उनका नाम हटवा/निकलवा दें ।
सुशील खुराना और दीपक तलवार के बीच खिंची तलवारों ने डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक माहौल को रोमांचक बनाया हुआ है । हालाँकि बहुत से लोगों के लिए यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि सुशील खुराना ने ऐन मौके पर दीपक तलवार को आखिर धोखा क्यों दिया ? सुशील खुराना शुरू से ही दीपक तलवार के उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे अनूप मित्तल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का संकेत दे रहे थे । दीपक तलवार के साथ सुशील खुराना की जिस तरह की 'दोस्ती' रही है, उसके चलते किसी को कभी उनके संकेतों पर शक भी नहीं हुआ - इसलिए ऐन मौके पर सुशील खुराना को जब अचानक से संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट इकट्ठा करते और डलवाते देखा गया, तो दीपक तलवार सहित दूसरे लोगों का भी माथा ठनका । किसी के लिए भी समझना मुश्किल हुआ कि ऐन मौके पर सुशील खुराना को पलटी मारने का हुनर दिखाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी ? यह सवाल अनसुलझा ही रह जाता, यदि सुशील खुराना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में हुई बेईमानी के आरोपों के झमेले में विनोद बंसल को भी निशाने पर न ले लेते । सुशील खुराना ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट के आरोप पत्र में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और पप्पूजीत सिंह सरना व अमित जोनेजा जैसे सिपहसालारों पर तो पक्षपातपूर्ण ढंग से सक्रिय होने का आरोप लगाया गया है, लेकिन इनके 'रिंग मास्टर' विनोद बंसल को छोड़ दिया गया है । सुशील खुराना का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में क्या कोई विश्वास कर सकता है कि विनोद बंसल की सहमति के बिना यह तीनों सक्रिय हुए होंगे ? सुशील खुराना की इस बात को 'आधा सच और आधा फ़साना' की तरह देखा/समझा जा रहा है । लोगों का कहना है कि हो सकता है कि विनय भाटिया, पप्पूजीत सिंह सरना और अमित जोनेजा की सक्रियता विनोद बंसल के निर्देश तथा उनकी सहमति से ही हुई हो; लेकिन किसी प्रेसीडेंट ने विनोद बंसल पर धमकाने और या अपने ऑफिस में बुलवा कर अपने सामने वोट डलवाने का आरोप तो नहीं लगाया है - इसलिए चुनावी बेईमानी के आरोप पत्र के तथ्यात्मक विवरण में उनका नाम न होने पर आश्चर्य कैसा ?
विनोद बंसल का नाम आरोप पत्र में न होने पर लोगों को आश्चर्य भले न हो, पर सुशील खुराना को है - और उन्होंने इसे जाहिर भी किया है तो इसे विनोद बंसल के प्रति सुशील खुराना की खुन्नस के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों को लगा है कि विनोद बंसल के साथ सीओएल चुनाव को लेकर उनकी जो खुन्नस थी, वह अभी भी हिलोरे में है और इसी बात का फायदा उठा कर रवि चौधरी ने उन्हें अपने साथ कर लिया । समझा जा रहा है कि सीओएल के चुनाव में विनोद बंसल से मिलने वाली चुनौती से निपटने में रवि चौधरी ने उनकी जो मदद की थी, उसका ही एहसान चुकाने के लिए वह दीपक तलवार के साथ धोखा करने को तैयार हो गए । दीपक तलवार के साथ धोखा करने की स्थिति के बीज भी वास्तव में सीओएल के चुनाव के दौरान ही पड़ गए थे । दरअसल विनोद बंसल से मिलने वाली चुनौती से निपटने के मामले में सुशील खुराना को दीपक तलवार से कोई मदद नहीं मिली थी; बल्कि दीपक तलवार ने तो उन्हें समझाने की कोशिश की थी कि चुनाव की स्थिति में विनोद बंसल का पलड़ा भारी रहेगा और इसलिए उन्हें सीओएल का चक्कर छोड़ ही देना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी भी उस समय विनोद बंसल के नजदीक थे, इसलिए सुशील खुराना को सीओएल दूर दिख रही थी - लेकिन फिर अचानक रवि चौधरी ने सुशील खुराना की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया । रवि चौधरी की इस हरकत से विनोद बंसल का हौंसला टूट गया और फिर वह सीओएल की चुनावी दौड़ से ही बाहर हो गए, और सुशील खुराना के लिए सीओएल का रास्ता आसान हो गया । सीओएल के चुनाव में रवि चौधरी ने सुशील खुराना की मदद की थी, तो उसके ऐवज में सुशील खुराना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में रवि चौधरी की मदद की - और अपने पुराने साथी रहे दीपक तलवार के साथ धोखा करने से भी उन्होंने कोई परहेज नहीं किया ।
सुशील खुराना ने रवि चौधरी के साथ मिल कर पहले विनोद बंसल को और अब दीपक तलवार को राजनीतिक रूप से 'मार' तो लिया, लेकिन पक्षपातपूर्ण चुनावी बेईमानी में नाम आने से वह मुसीबत में भी फँस गए हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने के कारण 'चुनावी अपराधी' के रूप में सुशील खुराना रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की लताड़ खा चुके हैं । लताड़ लगाते हुए बोर्ड के फैसले में कहा गया था कि अभी तो सिर्फ चेतावनी दे कर छोड़ा जा रहा है, लेकिन यदि दोबारा 'ऐसी' शिकायत मिली, तो आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी । सुशील खुराना के लिए चिंता और परेशानी की बात यह है कि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट द्वारा तैयार किया गया और डिस्ट्रिक्ट की इलेक्शन ग्रीवेंस कमेटी को भेजा गया आरोप पत्र यदि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को भी भेजा गया तो वह वहाँ एक ऐसे 'चुनावी अपराधी' के रूप में 'पेश' होंगे, जिन पर इंटरनेशनल बोर्ड की चेतावनी का भी कोई असर नहीं हुआ है । ऐसे में, सुशील खुराना को डर है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड कहीं उनके खिलाफ सचमुच कड़ी कार्रवाई न कर दे । हाल-फिलहाल के दिनों में कई एक पूर्व गवर्नर अलग अलग तरह की हरकतों के चलते जिस तरह से रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के कठोर फैसलों के शिकार हो चुके हैं, उसके कारण सुशील खुराना का डर और बढ़ गया है । सुशील खुराना के लिए फजीहत की बात यह और है कि पिछली बार जब इंटरनेशनल बोर्ड की लताड़ पड़ी थी, तब 'चुनावी अपराधी' के रूप में उनके साथ दीपक तलवार और विनोद बंसल का नाम भी था - अब लेकिन यह दोनों तो चतुराई से बच गए हैं, और सुशील खुराना अकेले फँस गए हैं । इसलिए सुशील खुराना यह कोशिश भी करते सुने जा रहे हैं कि वह दीपक तलवार को इस बात के लिए राजी करने में भी जुटे हैं कि वह एसएन चतुर्वेदी के आरोप पत्र से उनका नाम हटवा/निकलवा दें ।