Tuesday, January 23, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल और जयपुर ब्रांच की राजनीति में गौतम शर्मा को जब-तब इस्तेमाल करते रहे सेंट्रल काउंसिल सदस्य प्रकाश शर्मा क्या अब सचमुच उनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं

जयपुर । प्रकाश शर्मा के बदलते तेवरों के चलते गौतम शर्मा को सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने की पिछले करीब एक वर्ष से पाली हुई अपनी उम्मीद खतरे में पड़ती दिख रही है । मजे की बात यह है कि यह खतरा प्रकाश शर्मा का 'आदमी' होने के कारण ही वास्तव में उनके सामने आ खड़ा हुआ है । चुनावी वर्ष होने के कारण सेंट्रल काउंसिल सदस्य पिछली बार की ही तरह इस बार भी 'एकता' बना कर किसी ऐसे सदस्य को तो चेयरमैन बनाने/बनवाने का प्रयास करेंगे, जो मौजूदा चेयरमैन दीप मिश्र की तरह ही उनकी कठपुतली बन कर रहे - लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वह सदस्य गौतम शर्मा तो नहीं ही होंगे । कहा/सुना जा रहा है कि गौतम शर्मा को प्रकाश शर्मा के 'आदमी' के रूप में देखने/पहचानने के कारण 'एका' बनाने वाले बाकी सेंट्रल काउंसिल सदस्य चेयरमैन के रूप में उनके नाम पर सहमत नहीं होंगे । गौतम शर्मा के नजदीकियों के अनुसार, प्रकाश शर्मा ने उन्हें सेक्रेटरी बनवाने का आश्वासन जरूर दिया हुआ है । गौतम शर्मा और उनके समर्थक दरअसल यह देख/जान कर ज्यादा निराश हैं कि जो प्रकाश शर्मा पिछले करीब एक वर्ष से उन्हें चेयरमैन बनवाने का आश्वासन दे रहे थे, वही प्रकाश शर्मा मौका नजदीक आने पर गौतम शर्मा को इस बार चेयरमैन पद की चुनावी दौड़ से बाहर ही मान/बता रहे हैं । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के मौजूदा चेयरमैन दीप मिश्र ऐसे अनोखे चेयरमैन हैं, जिन्हें रीजनल काउंसिल के दस सदस्यों में से कुल चार का समर्थन है, और जिन्हें चेयरमैन का पद एक्सऑफिसो सदस्य के रूप में सेंट्रल काउंसिल के पाँच में से चार सदस्यों के समर्थन के चलते मिला है । गौतम शर्मा इसी समीकरण के भरोसे इस बार सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन बनने की कोशिश में थे, लेकिन इंस्टीट्यूट में चुनावी वर्ष होने के कारण सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच गौतम शर्मा के नाम पर सहमती बनती हुई नहीं दिख रही है ।
दरअसल सेंट्रल काउंसिल के लिए इस बार अनुज गोयल, अभय छाजेड़ और प्रमोद बूब के उम्मीदवार बनने की संभावनाओं के चलते सेंट्रल रीजन के पाँचों मौजूदा सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की सदस्यता खतरे में पड़ी दिख रही है - इसलिए वह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहेंगे, जो लोगों के बीच उनकी पहचान को नकारात्मक बनाए । अनुज गोयल की संभावित उम्मीदवारी के चलते मुकेश कुशवाह और मनु अग्रवाल की सदस्यता पर खतरा दिख रहा है । यह तो हर कोई मान रहा है कि उत्तर प्रदेश में इन तीनों में से दो लोग तो आ जायेंगे, लेकिन वह दो लोग कौन होंगे - इसे लेकर कोई भी निश्चिन्त नहीं है । यही हाल राजस्थान में है, जहाँ कि प्रमोद बूब की संभावित उम्मीदवारी प्रकाश शर्मा और श्यामलाल अग्रवाल के लिए खतरा बनी है; इस खतरे को सतीश गुप्ता व विजय गर्ग में से किसी एक की संभावित उम्मीदवारी और बढ़ा देती है । जातीय आधार पर प्रकाश शर्मा ही सबसे ज्यादा खतरे में नजर आ रहे हैं । अभय छाजेड़ की संभावित उम्मीदवारी मध्य प्रदेश में केमिशा सोनी के लिए चुनौती बनी है । अपनी कई गतिविधियों और अपने रवैये के चलते केमिशा सोनी ने इंदौर में अपने विरोधियों की संख्या को बढ़ाने का जो काम किया है, वह भी चुनाव में उनकी मुश्किलों को बढ़ाने वाला साबित होगा और इसलिए भी इस बार का चुनाव उनके लिए खासा चुनौतीपूर्ण होगा । सेंट्रल काउंसिल के सदस्य चुनावी नजरिये से अपने अपने क्षेत्रों में जिस तरह से मुसीबत में घिरे हैं, उसके चलते सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के इस वर्ष होने वाले चुनाव में वह पिछली बार की तरह आरोपपूर्ण तरीके से शामिल होने से बचने की कोशिश - उम्मीद है कि करेंगे ।
इस बात ने सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के इस बार होने वाले चुनावों को दिलचस्प बना दिया है । प्रकाश शर्मा जिस तरह से गौतम शर्मा को सेक्रेटरी बनवाने की बात कर रहे हैं, उसके चलते माना जा रहा है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य विरोधी खेमे के दो/तीन सदस्यों को तोड़ कर रीजनल काउंसिल में अपना बहुमत बनाने का प्रयास करेंगे । रीजनल काउंसिल के दस सदस्यों में छह सदस्यों वाला विरोधी खेमा यदि एकजुट बना रहता है, और सेंट्रल काउंसिल सदस्य रीजनल काउंसिल की राजनीति से अपने आप को दूर रखते हैं - तब तो गौतम शर्मा और सत्ता पक्ष के बाकी सदस्यों को अबकी बार सिर्फ झुनझुना मिलने की ही स्थिति है । छह सदस्यीय विरोधी खेमे में चेयरमैन बनने के प्रबल आकांक्षी तो हालाँकि दो/तीन सदस्य हैं, लेकिन उनके बीच गलाकाट स्पर्धा के संकेत अभी तो नहीं दिख रहे हैं - इसलिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के लिए उनमें फूट डालना भी आसान काम नहीं होगा । इसलिए गौतम शर्मा के लिए चेयरमैन तो दूर, सेक्रेटरी बनने के भी लाले दिख रहे हैं । गौतम शर्मा के नजदीकियों के अनुसार, गौतम शर्मा और उनके समर्थक लेकिन इस बात से निराश और नाराज हैं कि प्रकाश शर्मा अपने स्वार्थ में उन्हें जब-तब इस्तेमाल तो करते रहे, लेकिन अब वह उनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं और उन्हें अकेला छोड़ दिया । प्रकाश शर्मा के चक्कर में गौतम शर्मा ने रीजनल काउंसिल और जयपुर ब्रांच में भी लोगों से 'दुश्मनी' कर ली - और अब प्रकाश शर्मा ने भी उन्हें अकेला कर दिया है ।