वाराणसी । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अशोक सिंह के
कहने पर अगले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने जा रहे प्रभात
चतुर्वेदी ने सुधीर भल्ला को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाने का विचार त्याग कर
जगदीश गुलाटी को जो चोट पहुँचाई है, उसने डिस्ट्रिक्ट में जगदीश गुलाटी
खेमे के नेताओं के लिए तो परेशानी खड़ी की ही है - साथ ही मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन की चुनावी लड़ाई को भी प्रभावित करने के संकेत दिए हैं । उल्लेखनीय
है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी ने जितेंद्र चौहान को भरोसा
दिया हुआ है कि वह प्रभात चतुर्वेदी का वोट पारस अग्रवाल को दिलवा देंगे ।
यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि प्रभात चतुर्वेदी जब पहली बार सेकेंड
वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बने थे, तब यह जगदीश गुलाटी ही थे
जिन्होंने प्रभात चतुर्वेदी को धोखा देकर कुँवर बीएम सिंह को उनके मुकाबले
उम्मीदवार बनवा दिया था और प्रभात चतुर्वेदी को चुनाव हरवाने के लिए
एड़ीचोटी का जोर लगाया था । और यह सब जगदीश गुलाटी ने सिर्फ अशोक सिंह को
नीचा दिखाने तथा अपमानित करने के लिए किया था । दरअसल प्रभात चतुर्वेदी
डिस्ट्रिक्ट में अशोक सिंह के 'आदमी' के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं ।
प्रभात चतुर्वेदी को हरवा कर जगदीश गुलाटी ने वास्तव में अशोक सिंह को
'हराने' का काम किया और उन्हें अपमानित किया । अगले वर्ष भी जगदीश
गुलाटी ने प्रभात चतुर्वेदी के खिलाफ उम्मीदवार लाने का खूब प्रयास किया,
लेकिन उस वर्ष उन्हें कोई उम्मीदवार नहीं मिला और फलस्वरूप प्रभात
चतुर्वेदी निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुन लिए गए । प्रभात
चतुर्वेदी अतिव्यस्त रहने वाले सीधे-सादे व्यक्ति हैं, उधर अशोक सिंह भी
लायनिज्म की और डिस्ट्रिक्ट की टुच्ची राजनीति में दिलचस्पी नहीं लेते हैं -
लिहाजा जगदीश गुलाटी और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स ने प्रभात चतुर्वेदी को
अपने साथ करने/मिलाने का प्रयास किया ।
प्रभात चतुर्वेदी उनके साथ मिलते/होते देखे/पाए भी गए । प्रभात चतुर्वेदी की उम्मीदवारी का दोनों वर्ष साथ देने वाले लोगों को यह देख कर बड़ी परेशानी भी हुई कि प्रभात चतुर्वेदी अपने विरोधियों के साथ बड़ा कंफर्टेबल हो रहे हैं । हद तब हुई जब अभी कुछ दिन पहले पता चला कि जगदीश गुलाटी ने प्रभात चतुर्वेदी को सुधीर भल्ला को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाने के लिए राजी कर लिया है । प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों और समर्थकों के बीच सुधीर भल्ला को प्रभात चतुर्वेदी की हार के प्रमुख खलनायक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । आरोप है कि सुधीर भल्ला ने अपने क्लब में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पीएसटी को मिलने वाले वोटिंग राइट्स के अधिकार को षड्यंत्र करके बदलवा दिया था, क्योंकि पीएसटी को प्रभात चतुर्वेदी के समर्थकों के रूप में देखा जा रहा था; सुधीर भल्ला ने अपने क्लब में वोटिंग राइट्स उन लोगों को दिलवाए जिनके बारे में पक्का भरोसा था कि वह कुँवर बीएम सिंह को ही वोट देंगे - और सुधीर भल्ला की यही हरकत मामूली से अंतर से हुई प्रभात चतुर्वेदी की हार का प्रमुख कारण बनी थी । इस नाते प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों और समर्थकों के बीच सुधीर भल्ला को लेकर नाराजगी और विरोध का भाव रहा है । ऐसे भाव के बीच, उन्होंने जब प्रभात चतुर्वेदी के गवर्नर-काल में सुधीर भल्ला के कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की बात सुनी, तो उनकी नाराजगी के निशाने पर प्रभात चतुर्वेदी भी आए । उन्होंने कहा/पूछा कि सुधीर भल्ला जैसे व्यक्ति को प्रभात चतुर्वेदी कैबिनेट सेक्रेटरी कैसे बना सकते हैं । प्रभात चतुर्वेदी लेकिन जगदीश गुलाटी के रंग में ऐसे रंग गए थे कि उन्होंने अपने नजदीकियों और समर्थकों की भी नहीं सुनी ।
तब प्रभात चतुर्वेदी पर चढ़े जगदीश गुलाटी के रंग को उतारने का काम अशोक सिंह ने किया । सुधीर भल्ला के कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की बात चारों तरफ फैल चुकी थी, और वह लोगों से इसके लिए बधाईयाँ भी ले चुके थे - लेकिन कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की औपचारिक घोषणा होती, उससे पहले ही अशोक सिंह ने प्रभात चतुर्वेदी को कैबिनेट सेक्रेटरी को लेकट लिए गए फैसले को बदलने के लिए राजी कर लिया, और प्रभात चतुर्वेदी ने कैबिनेट सेक्रेटरी के पद पर अशोक गुप्ता का नाम घोषित किया । सुधीर भल्ला को कैबिनेट सेक्रेटरी बनवाने के मामले में मुँहकी खाये जगदीश गुलाटी के पास हाथ मलते रह जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा । इस प्रसंग ने जगदीश गुलाटी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी का वोट पारस अग्रवाल को दिलवाने को लेकर संशय में और डाल दिया है । जगदीश गुलाटी के दावे के भरोसे जितेंद्र चौहान और पारस अग्रवाल मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी के वोट को लेकर आश्वस्त तो हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 ई के दूसरे पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें बताया है कि अशोक सिंह यदि सक्रिय हुए, तो वह प्रभात चतुर्वेदी का वोट पारस अग्रवाल से छीन भी सकते हैं । प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों का भी कहना है कि अशोक सिंह की सक्रियता के अभाव में प्रभात चतुर्वेदी भले ही जगदीश गुलाटी की सुन/मान लें, लेकिन अशोक सिंह के सक्रिय होने/रहने पर वह अशोक सिंह के कहे अनुसार ही 'चलेंगे' । कैबिनेट सेक्रेटरी का पद पहले जगदीश गुलाटी के कहने से सुधीर भल्ला को देने, लेकिन फिर अशोक सिंह के कहने से सुधीर भल्ला को न देने के प्रभात चतुर्वेदी के फैसले ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी की भूमिका को सशंकित बना दिया है ।
प्रभात चतुर्वेदी उनके साथ मिलते/होते देखे/पाए भी गए । प्रभात चतुर्वेदी की उम्मीदवारी का दोनों वर्ष साथ देने वाले लोगों को यह देख कर बड़ी परेशानी भी हुई कि प्रभात चतुर्वेदी अपने विरोधियों के साथ बड़ा कंफर्टेबल हो रहे हैं । हद तब हुई जब अभी कुछ दिन पहले पता चला कि जगदीश गुलाटी ने प्रभात चतुर्वेदी को सुधीर भल्ला को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाने के लिए राजी कर लिया है । प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों और समर्थकों के बीच सुधीर भल्ला को प्रभात चतुर्वेदी की हार के प्रमुख खलनायक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । आरोप है कि सुधीर भल्ला ने अपने क्लब में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पीएसटी को मिलने वाले वोटिंग राइट्स के अधिकार को षड्यंत्र करके बदलवा दिया था, क्योंकि पीएसटी को प्रभात चतुर्वेदी के समर्थकों के रूप में देखा जा रहा था; सुधीर भल्ला ने अपने क्लब में वोटिंग राइट्स उन लोगों को दिलवाए जिनके बारे में पक्का भरोसा था कि वह कुँवर बीएम सिंह को ही वोट देंगे - और सुधीर भल्ला की यही हरकत मामूली से अंतर से हुई प्रभात चतुर्वेदी की हार का प्रमुख कारण बनी थी । इस नाते प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों और समर्थकों के बीच सुधीर भल्ला को लेकर नाराजगी और विरोध का भाव रहा है । ऐसे भाव के बीच, उन्होंने जब प्रभात चतुर्वेदी के गवर्नर-काल में सुधीर भल्ला के कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की बात सुनी, तो उनकी नाराजगी के निशाने पर प्रभात चतुर्वेदी भी आए । उन्होंने कहा/पूछा कि सुधीर भल्ला जैसे व्यक्ति को प्रभात चतुर्वेदी कैबिनेट सेक्रेटरी कैसे बना सकते हैं । प्रभात चतुर्वेदी लेकिन जगदीश गुलाटी के रंग में ऐसे रंग गए थे कि उन्होंने अपने नजदीकियों और समर्थकों की भी नहीं सुनी ।
तब प्रभात चतुर्वेदी पर चढ़े जगदीश गुलाटी के रंग को उतारने का काम अशोक सिंह ने किया । सुधीर भल्ला के कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की बात चारों तरफ फैल चुकी थी, और वह लोगों से इसके लिए बधाईयाँ भी ले चुके थे - लेकिन कैबिनेट सेक्रेटरी बनने की औपचारिक घोषणा होती, उससे पहले ही अशोक सिंह ने प्रभात चतुर्वेदी को कैबिनेट सेक्रेटरी को लेकट लिए गए फैसले को बदलने के लिए राजी कर लिया, और प्रभात चतुर्वेदी ने कैबिनेट सेक्रेटरी के पद पर अशोक गुप्ता का नाम घोषित किया । सुधीर भल्ला को कैबिनेट सेक्रेटरी बनवाने के मामले में मुँहकी खाये जगदीश गुलाटी के पास हाथ मलते रह जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा । इस प्रसंग ने जगदीश गुलाटी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी का वोट पारस अग्रवाल को दिलवाने को लेकर संशय में और डाल दिया है । जगदीश गुलाटी के दावे के भरोसे जितेंद्र चौहान और पारस अग्रवाल मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी के वोट को लेकर आश्वस्त तो हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 ई के दूसरे पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें बताया है कि अशोक सिंह यदि सक्रिय हुए, तो वह प्रभात चतुर्वेदी का वोट पारस अग्रवाल से छीन भी सकते हैं । प्रभात चतुर्वेदी के नजदीकियों का भी कहना है कि अशोक सिंह की सक्रियता के अभाव में प्रभात चतुर्वेदी भले ही जगदीश गुलाटी की सुन/मान लें, लेकिन अशोक सिंह के सक्रिय होने/रहने पर वह अशोक सिंह के कहे अनुसार ही 'चलेंगे' । कैबिनेट सेक्रेटरी का पद पहले जगदीश गुलाटी के कहने से सुधीर भल्ला को देने, लेकिन फिर अशोक सिंह के कहने से सुधीर भल्ला को न देने के प्रभात चतुर्वेदी के फैसले ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में प्रभात चतुर्वेदी की भूमिका को सशंकित बना दिया है ।