Friday, May 18, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के असेम्बली सेमीनार से पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के वापस लौटते ही अशोक कंतूर ने रवि चौधरी के साथ मिल कर उनके संदेश का जिस तरह से मजाक बनाना शुरू कर दिया है, उसके चलते अशोक कंतूर किसी बड़ी मुसीबत में तो नहीं फँस जायेंगे ?

नई दिल्ली । पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन दिल्ली में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट 3011 के असेम्बली सेमीनार में पदाधिकारियों द्वारा नियमों का पालन करने तथा रोटरी की पहचान के साथ खिलवाड़ न करने के सुझाव देने वाली बातें करके अभी अपने घर भी नहीं पहुँचे होंगे, कि डिस्ट्रिक्ट 3011 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी और गवर्नर नॉमिनी का चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे अशोक कंतूर ने उनकी बातों का मजाक ही बना दिया । रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के अनुसार, जैसे ही कोई रोटेरियन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की घोषणा करता है, वैसे ही उसे रोटरी के अधिकृत कार्यक्रमों से अपने आप को दूर कर लेना चाहिए - अन्यथा उसे चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना जायेगा और उसे उम्मीदवारी के अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा । अशोक कंतूर लेकिन रोटरी इंटरनेशनल के इस नियम का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं; और मजे की तथा गंभीरता की बात यह है कि इस मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी की उन्हें पूरी पूरी शह मिली हुई है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने जिस तरह से मनमानी, बदतमीजीपूर्ण और लफंगई से परिपूर्ण कार्रवाईयाँ की हैं - उन्हें ध्यान में रखते हुए उनसे तो किसी को उम्मीद नहीं बची रह गई है कि वह रोटरी के नियमों व आदर्शों का पालन करेंगे; लेकिन लोगों को अशोक कंतूर के व्यवहार पर जरूर हैरानी हो रही है । लोगों को लग रहा है कि रवि चौधरी के चक्कर में अशोक कंतूर अपने लिए किस किस तरह की मुसीबतों को इकट्ठा कर रहे हैं, इसका शायद उन्हें आभास नहीं है । अशोक कंतूर के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि रवि चौधरी की मनमानियों और हर किसी के साथ बदतमीजी कर लेने की कार्रवाईयों के बावजूद डिस्ट्रिक्ट के बड़े समझे जाने वाले 'नेता' जिस तरह चुप्पी साधे बैठे हैं, उससे अशोक कंतूर को विश्वास हो चला है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से उतरने के बाद भी नेतागिरी तो रवि चौधरी की ही चलेगी - और डिस्ट्रिक्ट के बाकी नेता उनके सामने बौने ही साबित होंगे । नजदीकियों के ही अनुसार, अशोक कंतूर को खतरे का भी अहसास है, और इसलिए उन्होंने बचाव का रास्ता भी बना लिया है ।  
रवि चौधरी धड़ल्ले से बार-बार यह कहते/बताते हैं ही कि उन्होंने जैसे संजीव राय मेहरा जैसे व्यक्ति को चुनाव जितवा दिया है, वैसे ही वह अशोक कंतूर को भी चुनाव जितवा देंगे । इसीलिए अशोक कंतूर पूरी तरह से रवि चौधरी की 'भक्ति' में लगे हैं । रवि चौधरी भी उनकी भक्ति का पूरा पूरा सम्मान कर रहे हैं, और इसके लिए क्लब्स में होने वाले जीओवी कार्यक्रमों को ही उन्होंने अशोक कंतूर के चुनाव प्रचार अभियान का प्लेटफॉर्म बना लिया है । आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार, रवि चौधरी क्लब्स के पदाधिकारियों को मजबूर करते हैं कि वह जीओवी कार्यक्रम में अशोक कंतूर को भी आमंत्रित करें, तथा उनका सम्मान करें । अशोक कंतूर डिस्ट्रिक्ट कोर टीम के सदस्य हैं, इस नाते रवि चौधरी उन्हें अपने साथ जीओवी में ले जा सकते हैं; लेकिन अशोक कंतूर ने चूँकि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है, इसलिए रोटरी इंटरनेशनल के नियम का ख्याल रखते हुए रवि चौधरी को कोर टीम के किसी और सदस्य को अपने साथ जीओवी में ले जाना चाहिए । पर रवि चौधरी यदि ऐसा करेंगे तो उनका घटिया रूप लोगों को फिर कैसे दिखेगा ? इसलिए वह अशोक कंतूर को ही जीओवी में साथ रखते हैं, और अशोक कंतूर भी इस अवसर का फायदा उठाते हैं । कुछेक क्लब्स में तो यहाँ तक हुआ है कि रवि चौधरी के कहने के बावजूद क्लब्स के पदाधिकारियों ने अशोक कंतूर को जीओवी के लिए आमंत्रित नहीं किया, तो अशोक कंतूर ने रवि चौधरी से शिकायत करके ऐन मौके पर भी अपने लिए निमंत्रण 'मँगवाया' । इसी के साथ, अशोक कंतूर ने प्रेसीडेंट्स इलेक्ट को अपने घर पर आमंत्रित करने और उनके आवभगत करके उन्हें अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में पटाने का काम भी शुरू किया है । उनके ऐसा करने पर तो किसी को भी आपत्ति करने का हक हालाँकि नहीं है, लेकिन इस मामले में भी हो यह रहा है कि कोई प्रेसीडेंट इलेक्ट अपनी व्यस्तता का वास्ता देकर, आने में आनाकानी करता नजर आता है - तो अशोक कंतूर उसकी शिकायत रवि चौधरी से करते हैं, रवि चौधरी फिर उसे हड़का कर अशोक कंतूर के घर जाने के लिए राजी करते हैं ।
अशोक कंतूर के नजदीकियों व समर्थकों को भी लग रहा है, और वह कहते सुने जा रहे हैं कि अशोक कंतूर ने अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु रवि चौधरी पर जिस तरह की निर्भरता बना ली है, वही उनके लिए दोहरे तरीके से आत्मघाती साबित होगी । दरअसल एक तरफ तो रवि चौधरी ने अपनी सनकभरी हरकतों से अशोक कंतूर की उम्मीदवारी को सत्ता के सहयोग के इतने सुबूत इकट्ठे कर दिए हैं, जो उनकी उम्मीदवारी को ही अयोग्य कर देने का काम कर देंगे; और दूसरी तरफ रवि चौधरी ने अपने कार्य-व्यवहार से हर किसी को अपना 'दुश्मन' बना लिया है, जो अभी भले ही चुप हों - लेकिन रवि चौधरी के गवर्नर पद से हटते ही जो रवि चौधरी से गिन गिन कर बदले लेंगे, और रवि चौधरी की आड़ में वास्तव में अशोक कंतूर से लेंगे । अशोक कंतूर के कुछेक नजदीकियों का लेकिन यह भी कहना/बताना है कि अशोक कंतूर को इस 'खतरे' का पता है, और उन्होंने इससे बाहर निकलने का 'रास्ता' पहले से ही बना लिया है; नजदीकियों के अनुसार, अशोक कंतूर अभी बस तभी तक रवि चौधरी के साथ हैं, जब तक रवि चौधरी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं - अशोक कंतूर को भी पता है कि रवि चौधरी से वह तभी तक फायदा उठा सकते हैं, जब तक कि वह गवर्नर हैं, गवर्नर न रहने पर रवि चौधरी उनके लिए फायदे की चीज नहीं रह जायेंगे, और तब अशोक कंतूर उनसे दूरी बना लेंगे । अशोक कंतूर के नजदीकियों का ही मानना और कहना है कि अशोक कंतूर ने 'रास्ता' तो ठीक बनाया है, लेकिन अभी बनी हुई रवि चौधरी के साथ उनकी जोड़ी की लोगों के बीच इतनी बदनामी हो चुकी है कि - इस कालिख से छुटकारा पाना उनके लिए आसान नहीं होगा । पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के दिल्ली से वापस लौटते ही अशोक कंतूर ने रवि चौधरी के साथ मिल कर उनके संदेश का जिस तरह से मजाक बनाना शुरू कर दिया है, अशोक कंतूर को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है ।