झाँसी । डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में डिस्ट्रिक्ट
कॉन्फ्रेंस को लेकर जो बड़ा विवाद और असमंजस पैदा हो गया है, उसने लायंस क्लब
झाँसी सेंटेनियल के संजय सिंह के लिए भी भारी मुसीबत पैदा कर दी है । उनके
नजदीकियों के अनुसार, संजय सिंह अगले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन
मौजूदा विवाद और असमंजस के पैदा हो जाने से उनकी तैयारी पर ग्रहण लग गया
नजर आ रहा है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को लेकर जो विवाद और असमंजस
पैदा हुआ है, उसकी परिणति के रूप में बहुत संभावना यह मानी/देखी जा रही है
कि डिस्ट्रिक्ट के नेता आपसी समझौते के तहत अजय डैंग और नवीन गुप्ता को
बारी-बारी से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए 'चुन' लें और इस तरह
विवाद व झगड़े को अंततः समाप्त करें । यह समझौता होने पर संजय सिंह की अगले
लायन वर्ष की तैयारी स्वतः धरी की धरी रह जानी है । मजे की बात यह है कि इस
तरह का समझौता होने की परिस्थिति डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस होने के करीब
पच्चीस दिन पहले बनी थी, जिसे लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक राज आनंद,
फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वंदना निगम के साथ-साथ सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बलविंदर सिंह सैनी ने अपने अपने राजनीतिक स्वार्थों के
चलते फलीभूत नहीं होने दिया था ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस होने के करीब पच्चीस दिन पहले डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर महेंद्र मोहन गुप्ता के घर पूर्व गवर्नर्स व मौजूदा लीडर्स की मीटिंग हुई थी, जिसमें उम्मीदवारी पर दावेदारी को लेकर चर्चा हुई थी । पिछले कई वर्षों से डिस्ट्रिक्ट में रिवाज बना हुआ है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दो उम्मीदवार होने की स्थिति में महेंद्र मोहन गुप्ता की सरपरस्ती में समझौता हो जाता रहा है, जिसमें निर्विरोध तरीके से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनते रहे हैं । इस वर्ष भी ऐसा ही कुछ हो जाने की उम्मीद की जा रही थी । लेकिन मीटिंग में पहले तो दीपक राज आनंद व वंदना निगम ने यह कोशिश करके मीटिंग के एजेंडे को डिस्टर्ब किया कि अभी सिर्फ इस वर्ष के उम्मीदवार/विजेता का फैसला किया जाये, अगले वर्ष का फैसला अभी न लिया जाये । दीपक राज आनंद और वंदना निगम की लगाई इस 'आग' को भड़काने का काम बलविंदर सिंह सैनी ने यह कहते हुए किया कि जब दोनों उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं तो चुनाव होने ही दिया जाये । महेंद्र मोहन गुप्ता और मीटिंग में मौजूद अन्य पूर्व गवर्नर्स ने समझ लिया कि मौजूदा तीनों लीडर्स अपने अपने स्वार्थ में चुनाव होते हुए ही देखना चाहते हैं । महेंद्र मोहन गुप्ता बल्कि नाराज भी हुए कि तीनों पदाधिकारी जब चुनाव चाहते ही हैं, तो यह मीटिंग करने की जरूरत ही क्या थी ?
समझा जाता है और आरोप भी लगे कि दीपक राज आनंद और वंदना निगम तो इसलिए चुनाव चाहते थे, ताकि अपने उम्मीदवार अजय डैंग से वह ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ सकें; जबकि बलविंदर सिंह सैनी इसलिए चुनाव के पक्ष में रहे ताकि उम्मीदवार के रूप में नवीन गुप्ता का किस्सा खत्म हो और अगले वर्ष वह संजय सिंह को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करें । समझौता होता, तो अजय डैंग या नवीन गुप्ता अगले वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनते'; चुनाव होता तो जो हारता वह अगले वर्ष दोबारा से उम्मीदवार बनने की हिम्मत नहीं करता - और तब संजय सिंह का नंबर लग जाता । बलविंदर सिंह सैनी को यह उम्मीद भी थी कि अपने उम्मीदवार अजय डैंग के लिए उनका समर्थन पाने के लिए वंदना निगम अगले वर्ष में उनके उम्मीदवार के रूप में संजय सिंह के समर्थन के लिए भी राजी हो सकती थीं । इस तरह अपने अपने स्वार्थ में मौजूदा तीनों पदाधिकारियों ने चुनाव होने देने के लिए माहौल बनाया और महेंद्र मोहन गुप्ता की सरपरस्ती में हो सकने वाले समझौते की संभावना में मट्ठा ही डाल दिया । बदकिस्मती से लेकिन अब जो हालात बने हैं, उसमें पहले हो न सका समझौता ही अब एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है । कुछ लोगों को हालाँकि अब भी लग रहा है कि वंदना निगम और उनके सलाहकार अपनी जिदबाजी में समझौता शायद न होने दें, लेकिन कई लोगों को लग रहा है कि अपनी जिदबाजी और लालच के चक्कर में वंदना निगम ने अपना नुकसान करवा लेने के साथ-साथ अपने लिए जिस मुसीबत को मोल ले लिया है, उससे सबक लेकर अब वह ऐसा कोई काम नहीं करेंगी जिससे उनका गवर्नर-काल भी फजीहत का शिकार हो । डिस्ट्रिक्ट और उसके मौजूदा पदाधिकारी अभी पैदा हुई मुसीबत व फजीहत से कैसे बाहर निकलेंगे और क्या होगा, यह तो अभी कुछ दिन बाद पता चलेगा - लेकिन अभी एक बात जरूर पता चल गई है कि मौजूदा विवाद व असमंजस के चलते संजय सिंह को लेकर बनाया गया बलविंदर सिंह सैनी का प्लान जरूर फेल हो गया है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस होने के करीब पच्चीस दिन पहले डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर महेंद्र मोहन गुप्ता के घर पूर्व गवर्नर्स व मौजूदा लीडर्स की मीटिंग हुई थी, जिसमें उम्मीदवारी पर दावेदारी को लेकर चर्चा हुई थी । पिछले कई वर्षों से डिस्ट्रिक्ट में रिवाज बना हुआ है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दो उम्मीदवार होने की स्थिति में महेंद्र मोहन गुप्ता की सरपरस्ती में समझौता हो जाता रहा है, जिसमें निर्विरोध तरीके से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनते रहे हैं । इस वर्ष भी ऐसा ही कुछ हो जाने की उम्मीद की जा रही थी । लेकिन मीटिंग में पहले तो दीपक राज आनंद व वंदना निगम ने यह कोशिश करके मीटिंग के एजेंडे को डिस्टर्ब किया कि अभी सिर्फ इस वर्ष के उम्मीदवार/विजेता का फैसला किया जाये, अगले वर्ष का फैसला अभी न लिया जाये । दीपक राज आनंद और वंदना निगम की लगाई इस 'आग' को भड़काने का काम बलविंदर सिंह सैनी ने यह कहते हुए किया कि जब दोनों उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं तो चुनाव होने ही दिया जाये । महेंद्र मोहन गुप्ता और मीटिंग में मौजूद अन्य पूर्व गवर्नर्स ने समझ लिया कि मौजूदा तीनों लीडर्स अपने अपने स्वार्थ में चुनाव होते हुए ही देखना चाहते हैं । महेंद्र मोहन गुप्ता बल्कि नाराज भी हुए कि तीनों पदाधिकारी जब चुनाव चाहते ही हैं, तो यह मीटिंग करने की जरूरत ही क्या थी ?
समझा जाता है और आरोप भी लगे कि दीपक राज आनंद और वंदना निगम तो इसलिए चुनाव चाहते थे, ताकि अपने उम्मीदवार अजय डैंग से वह ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ सकें; जबकि बलविंदर सिंह सैनी इसलिए चुनाव के पक्ष में रहे ताकि उम्मीदवार के रूप में नवीन गुप्ता का किस्सा खत्म हो और अगले वर्ष वह संजय सिंह को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करें । समझौता होता, तो अजय डैंग या नवीन गुप्ता अगले वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनते'; चुनाव होता तो जो हारता वह अगले वर्ष दोबारा से उम्मीदवार बनने की हिम्मत नहीं करता - और तब संजय सिंह का नंबर लग जाता । बलविंदर सिंह सैनी को यह उम्मीद भी थी कि अपने उम्मीदवार अजय डैंग के लिए उनका समर्थन पाने के लिए वंदना निगम अगले वर्ष में उनके उम्मीदवार के रूप में संजय सिंह के समर्थन के लिए भी राजी हो सकती थीं । इस तरह अपने अपने स्वार्थ में मौजूदा तीनों पदाधिकारियों ने चुनाव होने देने के लिए माहौल बनाया और महेंद्र मोहन गुप्ता की सरपरस्ती में हो सकने वाले समझौते की संभावना में मट्ठा ही डाल दिया । बदकिस्मती से लेकिन अब जो हालात बने हैं, उसमें पहले हो न सका समझौता ही अब एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है । कुछ लोगों को हालाँकि अब भी लग रहा है कि वंदना निगम और उनके सलाहकार अपनी जिदबाजी में समझौता शायद न होने दें, लेकिन कई लोगों को लग रहा है कि अपनी जिदबाजी और लालच के चक्कर में वंदना निगम ने अपना नुकसान करवा लेने के साथ-साथ अपने लिए जिस मुसीबत को मोल ले लिया है, उससे सबक लेकर अब वह ऐसा कोई काम नहीं करेंगी जिससे उनका गवर्नर-काल भी फजीहत का शिकार हो । डिस्ट्रिक्ट और उसके मौजूदा पदाधिकारी अभी पैदा हुई मुसीबत व फजीहत से कैसे बाहर निकलेंगे और क्या होगा, यह तो अभी कुछ दिन बाद पता चलेगा - लेकिन अभी एक बात जरूर पता चल गई है कि मौजूदा विवाद व असमंजस के चलते संजय सिंह को लेकर बनाया गया बलविंदर सिंह सैनी का प्लान जरूर फेल हो गया है ।