नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट की पब्लिक फाइनेंस एंड गवर्नमेंट अकाउंटिंग कमेटी की तरफ से जीएसटी पर हो रहे नेशनल कॉन्क्लेव में कोई भी भूमिका पाने में असफल रहे राजेंद्र अरोड़ा कमेटी के चेयरमैन अतुल गुप्ता तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पंकज पेरिवाल को कोसने में लगे हैं । राजेंद्र अरोड़ा के लिए फजीहत की बात यह हुई है कि एक तरफ तो वह अपनी पहचान जीएसटी के एक बड़े एक्सपर्ट के रूप में बनाने की कोशिश कर रहे हैं, और इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया में एक शेखचिल्लीपूर्ण हरकत यह तक की है कि अपना नाम ही 'जीएसटी सीए राजेंद्र अरोड़ा' कर लिया है - लेकिन दूसरी तरफ एक व
दो जून को दिल्ली में हो रहे दो दिवसीय जीएसटी कॉन्क्लेव में उन्हें कोई भी
भूमिका देने से इंकार कर दिया गया है । स्पीकर के रूप में तो उन्हें मौका
नहीं ही मिला, पैनल डिस्कसन डिस्कशन तक में उन्हें शामिल करने से इंकार कर
दिया गया । जिस बेचारे ने बाप/दादा की जगह जीएसटी का नाम तक अपने नाम
में जोड़ लिया, उसकी इतनी बेइज्जती - और वह भी तब, जब राजेंद्र अरोड़ा
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के ट्रेजरर हैं और नॉर्दर्न इंडिया रीजनल
काउंसिल उक्त कॉन्क्लेव की आयोजक की भूमिका में है । राजेंद्र अरोड़ा ने
कॉन्क्लेव ऑर्गेनाइज्ड करने वाली कमेटी के चेयरमैन अतुल गुप्ता की भी बहुत
खुशामद की कि वह उन्हें कॉन्क्लेव में कोई भूमिका दे दें, और उन्होंने
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पंकज पेरिवाल से भी इसके लिए
सिफारिश करवाने की कोशिश की, लेकिन उनकी न तो अतुल गुप्ता ने सुनी और न
पंकज पेरिवाल ने ही उनकी मदद करने में कोई दिलचस्पी ली । ऐसे समय जब कि
राजेंद्र अरोड़ा तरह तरह के करतबों के जरिये लोगों को यह दिखाने/जताने का
प्रयास कर रहे हैं कि वह जीएसटी के मामले में बड़े एक्सपर्ट हैं, तब दिल्ली
में आयोजित हो रहे जीएसटी कॉन्क्लेव में उन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है -
इससे उनकी सारी करतबबाजी भारी फजीहत का शिकार हो रही है ।
राजेंद्र अरोड़ा अपनी इस फजीहत के लिए अतुल गुप्ता और पंकज पेरिवाल को लगातार कोस रहे हैं । उनका कहना है कि लोगों के बीच बढ़ रही उनकी लोकप्रियता से यह दोनों लोग चिढ़ रहे हैं, और उनका आगे बढ़ना इन्हें पसंद नहीं आ रहा है - इसलिए यह दोनों उन्हें किसी प्रोग्राम में महत्त्व लेने देना नहीं चाहते हैं । पंकज पेरिवाल के प्रति राजेंद्र अरोड़ा की नाराजगी कुछ ज्यादा ही सुनी/देखी जा रही है । दरअसल अभी हाल ही में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल द्वारा आयोजित एक सेमीनार में राजेंद्र अरोड़ा की स्पीकर बनने की हसरत पंकज पेरिवाल के विरोध के चलते फेल हो गई थी । जीएसटी में रिफंड प्रोसीजर्स जैसे विषय पर आयोजित सेमीनार में राजेंद्र अरोड़ा ने अपने आप को स्पीकर के रूप में घोषित कर दिया था । काउंसिल के चेयरमैन के रूप में पंकज पेरिवाल ने उनकी इस हरकत का विरोध किया । पंकज पेरिवाल ने उन्हें ध्यान दिलाया कि वह रीजनल काउंसिल में पदाधिकारी हैं, उन्हें काउंसिल के इस नियम के बारे में पता होना ही चाहिए और इसका पालन करना चाहिए कि काउंसिल का कोई पदाधिकारी सेमीनार में स्पीकर नहीं हो सकता है । राजेंद्र अरोड़ा लेकिन अपने आप को जीएसटी के एक्सपर्ट साबित करने की इतनी जल्दी में हैं कि किसी भी नियम-फियम को मानने तथा उसका पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं । पंकज पेरिवाल की सख्ती के सामने लेकिन उनकी एक नहीं चली और सेमीनार में स्पीकर के रूप में अपने आप को हटाने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ा ।
राजेंद्र अरोड़ा ने पक्षपातपूर्ण मनमानी करने के घटियापने में तो लेकिन जैसे पीएचडी की हुई है; लिहाजा स्पीकर बनने का मौका उनसे छिना तो उन्होंने अपने आप को प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में निमंत्रण पत्र में दर्ज कर लिया । उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल द्वारा आयोजित किए जाने वाले सेमिनार्स के निमंत्रण पत्रों में इससे पहले कभी प्रोग्राम डायरेक्टर का नाम नहीं गया है । वास्तव में इस तरह का कोई पद और या व्यवस्था है ही नहीं । यह सीधे सीधे काउंसिल की गतिविधियों के नाम पर अपना नाम चमकाने की फूहड़ व बेशर्म कोशिश का एक नजारा भर है । सेमीनार में इसके लिए राजेंद्र अरोड़ा की जमकर थू थू और फजीहत भी हुई, लेकिन लगता नहीं है कि इससे उन्होंने कोई सबक सीखा होगा । राजेंद्र अरोड़ा ने भले ही सबक न सीखा हो, लेकिन दिल्ली में जीएसटी पर दो दिवसीय कॉन्क्लेव ऑर्गेनाइज और होस्ट करने जा रहे अतुल गुप्ता व पंकज पेरिवाल ने राजेंद्र अरोड़ा को उनकी सही जगह दिखाने/बताने का काम जरूर कर दिया है । इससे जाहिर हो गया है कि खुद को जीएसटी के एक्सपर्ट के रूप में स्थापित करने के लिए की जा रही राजेंद्र अरोड़ा की तरह तरह की नौटंकी उनके काम आ नहीं रही है ।
राजेंद्र अरोड़ा अपनी इस फजीहत के लिए अतुल गुप्ता और पंकज पेरिवाल को लगातार कोस रहे हैं । उनका कहना है कि लोगों के बीच बढ़ रही उनकी लोकप्रियता से यह दोनों लोग चिढ़ रहे हैं, और उनका आगे बढ़ना इन्हें पसंद नहीं आ रहा है - इसलिए यह दोनों उन्हें किसी प्रोग्राम में महत्त्व लेने देना नहीं चाहते हैं । पंकज पेरिवाल के प्रति राजेंद्र अरोड़ा की नाराजगी कुछ ज्यादा ही सुनी/देखी जा रही है । दरअसल अभी हाल ही में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल द्वारा आयोजित एक सेमीनार में राजेंद्र अरोड़ा की स्पीकर बनने की हसरत पंकज पेरिवाल के विरोध के चलते फेल हो गई थी । जीएसटी में रिफंड प्रोसीजर्स जैसे विषय पर आयोजित सेमीनार में राजेंद्र अरोड़ा ने अपने आप को स्पीकर के रूप में घोषित कर दिया था । काउंसिल के चेयरमैन के रूप में पंकज पेरिवाल ने उनकी इस हरकत का विरोध किया । पंकज पेरिवाल ने उन्हें ध्यान दिलाया कि वह रीजनल काउंसिल में पदाधिकारी हैं, उन्हें काउंसिल के इस नियम के बारे में पता होना ही चाहिए और इसका पालन करना चाहिए कि काउंसिल का कोई पदाधिकारी सेमीनार में स्पीकर नहीं हो सकता है । राजेंद्र अरोड़ा लेकिन अपने आप को जीएसटी के एक्सपर्ट साबित करने की इतनी जल्दी में हैं कि किसी भी नियम-फियम को मानने तथा उसका पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं । पंकज पेरिवाल की सख्ती के सामने लेकिन उनकी एक नहीं चली और सेमीनार में स्पीकर के रूप में अपने आप को हटाने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ा ।
राजेंद्र अरोड़ा ने पक्षपातपूर्ण मनमानी करने के घटियापने में तो लेकिन जैसे पीएचडी की हुई है; लिहाजा स्पीकर बनने का मौका उनसे छिना तो उन्होंने अपने आप को प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में निमंत्रण पत्र में दर्ज कर लिया । उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल द्वारा आयोजित किए जाने वाले सेमिनार्स के निमंत्रण पत्रों में इससे पहले कभी प्रोग्राम डायरेक्टर का नाम नहीं गया है । वास्तव में इस तरह का कोई पद और या व्यवस्था है ही नहीं । यह सीधे सीधे काउंसिल की गतिविधियों के नाम पर अपना नाम चमकाने की फूहड़ व बेशर्म कोशिश का एक नजारा भर है । सेमीनार में इसके लिए राजेंद्र अरोड़ा की जमकर थू थू और फजीहत भी हुई, लेकिन लगता नहीं है कि इससे उन्होंने कोई सबक सीखा होगा । राजेंद्र अरोड़ा ने भले ही सबक न सीखा हो, लेकिन दिल्ली में जीएसटी पर दो दिवसीय कॉन्क्लेव ऑर्गेनाइज और होस्ट करने जा रहे अतुल गुप्ता व पंकज पेरिवाल ने राजेंद्र अरोड़ा को उनकी सही जगह दिखाने/बताने का काम जरूर कर दिया है । इससे जाहिर हो गया है कि खुद को जीएसटी के एक्सपर्ट के रूप में स्थापित करने के लिए की जा रही राजेंद्र अरोड़ा की तरह तरह की नौटंकी उनके काम आ नहीं रही है ।