Wednesday, May 23, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के द्वारका स्टडी सर्किल में स्पीकर का पद 'बेचने' के आरोप के चलते स्टडी सर्किल, ब्रांचेज और रीजनल काउंसिल के सेमिनार्स में उम्मीदवारों को स्पीकर बनाने का 'धंधा' एक बार फिर प्रोफेशन के लोगों के बीच चर्चा में

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के द्वारका स्टडी सर्किल में पैसे लेकर संजीव सिंघल और प्रमोद जैन को स्पीकर बनाए जाने के आरोप की इंस्टीट्यूट में शिकायत हो जाने से रीजनल काउंसिल, ब्रांचेज व स्टडी सर्किल द्वारा आयोजित कराये जाने वाले सेमिनार्स में पैसे लेकर उम्मीदवारों को स्पीकर बनाए जाने का आरोप एक बार फिर गर्माता हुआ दिख रहा है । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट के प्रत्येक चुनाव में यह आरोप जोरशोर से उठता है, और इसके चलते हर बार यह माँग उठती है कि चुनावी वर्ष में होने वाले सेमिनार्स में उन लोगों को स्पीकर के रूप में आमंत्रित किए जाने पर रोक लगनी चाहिए, जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी हो । चुनाव के बाद लेकिन हर कोई इस माँग को भूल जाता है, और फिर मामला जहाँ का तहाँ ही बना रहता है । कई बार रीजनल काउंसिल, ब्रांचेज व स्टडी सर्किल के सदस्य सेमिनार्स में उम्मीदवारों को स्पीकर के रूप में बुलाये जाने का विरोध करते हैं, लेकिन सेमिनार्स के आयोजक उनकी सुनते ही नहीं हैं । लोगों का आरोप है कि उम्मीदवार आयोजकों पर तरह तरह से दबाव बना कर सेमिनार्स में अपने आपको आमंत्रित करने/करवाने के लिए 'मजबूर' कर ही लेते हैं । दरअसल उम्मीदवारों को लगता है कि सेमिनार्स में स्पीकर के रूप में शामिल होने से उन्हें लोगों तक पहुँचने का एक आसान और प्रभावी मौका मिल जाता है । वह अपनी उम्मीदवारी के प्रमोशन के लिए अपनी तरफ से मीटिंग या कार्यक्रम आयोजित करने के झँझट में पड़े, इसकी तुलना में सेमिनार्स में स्पीकर बन जाना उन्हें बढ़िया और 'सस्ता' सौदा लगता है । आरोप सुने जाते रहे हैं कि इसके लिए उम्मीदवार सेमिनार्स के आयोजकों की जेबें भी भरते हैं ।
अभी हाल ही में हुए सेमीनार में संजीव सिंघल और प्रमोद जैन को स्पीकर के रूप में आमंत्रित किए जाने को लेकर द्वारका स्टडी सर्किल ऐसे ही आरोप के घेरे में आ फँसा है । इंस्टीट्यूट को लिखे/भेजे एक शिकायती पत्र में कहा/बताया गया है कि द्वारका स्टडी सर्किल के ही कुछेक लोगों ने संयोजक रतन सिंह यादव को समझाया था कि वह सेमीनार में स्पीकर के रूप में संजीव सिंघल और प्रमोद जैन को आमंत्रित न करें, क्योंकि उससे नाहक ही स्टडी सर्किल की बदनामी होगी । उन लोगों का कहना था कि बेशक संजीव सिंघल और प्रमोद जैन अपने अपने विषय के एक्सपर्ट हैं, लेकिन चूँकि उन्होंने सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी अपनी उम्मीदवारी घोषित की हुई है - इसलिए सेमीनार में स्पीकर के रूप में उन्हें बुलाने से विवाद होगा और इस विवाद से बचने के लिए स्पीकर के रूपमें ऐसे लोग आमंत्रित किये जाएँ जो इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में सीधे सीधे हिस्सेदार नहीं हैं । शिकायती पत्र के अनुसार, लेकिन रतन सिंह यादव ने किसी की नहीं सुनी और मनमाने तरीके से संजीव सिंघल व प्रमोद जैन को स्पीकर के रूप में आमंत्रित करने के अपने फैसले पर वह अड़े रहे । मजे की बात यह रही कि सेमीनार में शामिल होने आये लोगों ने भी रतन सिंह यादव से कहा कि स्पीकर बनाये जाने के ऐवज में तुमने जब संजीव सिंघल और प्रमोद जैन से पैसे लिए ही हैं, तो सेमीनार फीस के रूप में प्रत्येक से छह सौ रुपए क्यों ले रहे हो ? कार्यक्रम के दौरान होने वाली इस तरह की चर्चाओं को रतन सिंह यादव ने अनसुना करने में ही भलाई देखी और कार्यक्रम के दौरान इस मामले में वह लगातार चुप ही बने रहे ।
कार्यक्रम के दौरान होने वाली चर्चाओं को तो रतन सिंह यादव ने अनसुना कर दिया, लेकिन इस संबंध में इंस्टीट्यूट में की गई शिकायत से मामला गर्म हो गया है । शिकायत में माँग की गई है कि द्वारका स्टडी सर्किल की जिम्मेदारी रतन सिंह यादव से वापस ली जाए और यह सुनिश्चित किया जाये कि आगे किसी सेमीनार में किसी उम्मीदवार को स्पीकर के रूप में नहीं बुलाया जायेगा । रतन सिंह यादव के प्रति-आरोपों ने भी मामले को गर्माने में मदद की । उनकी तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी घोषित करने वाले कुछेक उम्मीदवार उनके पीछे पड़े हुए थे कि वह उन्हें स्पीकर बनाएँ, और चूँकि उन्हें स्पीकर बनने का मौका नहीं मिला - इसलिए वही लोग अब इस तरह के आरोप लगा कर उन्हें बदनाम करने का काम कर रहे हैं । उनकी इस सफाई से लोगों के बीच यह चर्चा और छिड़ गई है कि रतन सिंह यादव ने स्पीकर बनने के लिए उनके पीछे पड़े उम्मीदवारों को स्पीकर न बना कर संजीव सिंघल व प्रमोद जैन को ही स्पीकर आखिर क्यों बनाया ? लोग यह भी माँग कर रहे हैं कि रतन सिंह यादव को उन उम्मीदवारों के नाम भी बताना चाहिए, जो सेमीनार में स्पीकर बनने के लिए उनके पीछे पड़े थे । द्वारका स्टडी सर्किल के सेमीनार को लेकर छिड़े विवाद के संदर्भ में कई लोगों का यह भी मानना/कहना है कि यह सिर्फ इसी स्टडी सर्किल की बात नहीं है, कई स्टडी सर्किल और ब्रांचेज के पदाधिकारी तथा रीजनल काउंसिल के पदाधिकारी तक उम्मीदवारों को स्पीकर बनाने के 'धंधे' में लगे हुए हैं, और इंस्टीट्यूट को इस धंधे को रोकने के लिए जल्दी ही कुछ नियम बनाने चाहिएँ ।