Friday, May 4, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन को घपलेबाजी के आरोपों से बचाने में सुशील गुप्ता की मदद ले पाने में रमेश अग्रवाल के विफल रहने के बाद डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सवाल गंभीर हुआ कि शरत जैन का भी हाल कहीं सतीश सिंघल जैसा ही तो नहीं होगा ?

नई दिल्ली । रोटरी फाउंडेशन के नाम पर इकट्ठा किए गए पैसों में हेराफेरी करने और फिर उनकी बंदरबाँट करने के आरोप में डिस्ट्रिक्ट 3012 के पिछले वर्ष के गवर्नर शरत जैन के खिलाफ जाँच पूरी हो गई है, और जाँच करने वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को सौंप दी है - माना जा रहा है कि उक्त जाँच रिपोर्ट के आधार पर रोटरी इंटरनेशनल का फैसला जल्दी ही आ जायेगा । जाँच कमेटी के सामने जिन जिन लोगों को अपना अपना पक्ष रखने का मौका मिला, संभावित फैसले को लेकर उनकी राय बँटी हुई है, कुछ लोग यह मान रहे हैं कि कमेटी के सदस्यों ने रोटरी फाउंडेशन के पैसों को लेकर शरत जैन के पार्ट पर व्यवस्था संबंधी गड़बड़ियाँ तो पाई है और माना/कहा है कि पैसों का हिसाब-किताब रखने में शरत जैन ने न तो नियमितता रखी और न पारदर्शिता दिखाई, लेकिन बेईमानी होने/करने के कमेटी को कोई सुबूत नहीं मिले; जबकि अन्य कुछ लोगों का कहना/बताना है कि कमेटी के सदस्यों ने शरत जैन के हिसाब-किताब में जो अनियमितता तथा व्यवस्था संबंधी गड़बड़ियाँ पाई है, उन्हें बेईमानी करने के इरादे से ही 'की गई' गड़बड़ियों के रूप में देखा/पाया है । कमेटी के सामने चूँकि सबसे ज्यादा समय शरत जैन का लगा, लिहाजा उसे लेकर भी परस्पर विरोधी आकलन हैं । कुछेक लोगों का कहना है कि शरत जैन को कमेटी के सदस्यों के सामने ज्यादा समय इसीलिए लगा, क्योंकि उन्होंने एक एक मुद्दे पर अपनी सफाई दी और सुबूत रखे - जिन्हें देखने/सुनने में कमेटी के सदस्यों ने भी दिलचस्पी दिखाई; जबकि अन्य कुछेक लोगों का कहना है कि शरत जैन को कमेटी के सदस्यों के सामने ज्यादा समय इसलिए लगा, क्योंकि उनके पास शरत जैन से पूछने के लिए बहुत सारे सवाल थे और शरत जैन को उनका जबाव देने में मुश्किल आ रही थी । इसी आधार पर कुछ लोगों को लगता है कि शरत जैन का कुछ नहीं होगा, और ज्यादा से ज्यादा एक नसीहत या एक फटकार देकर उन्हें छोड़ दिया जायेगा; लेकिन कुछ अन्य लोगों को लगता है कि शरत जैन का गुनाह सतीश सिंघल से भी गंभीर है, और इसलिए रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय उन्हें भी सतीश सिंघल के 'रास्ते' पर ही भेजेगा - और सख्त कार्रवाई करते हुए शरत जैन से भी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने का अधिकार छीन लिया जायेगा ।
इस बीच शरत जैन के मामले ने रोटरी के बड़े सर्कल में राजनीतिक रंग भी ले लिया है, जो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की बयानबाजी के चलते हुआ । दरअसल रमेश अग्रवाल ने यह कहते/बताते हुए शरत जैन और अपने लिए सहानुभूति जुटाने का प्रयास किया कि कुछ लोग रोटरी में उनके बढ़ते कदमों को रोकने के लिए शरत जैन को बली का बकरा बना रहे हैं । रमेश अग्रवाल ने अपने कुछेक नजदीकियों को बताया है कि वह पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता से मिले संकेतों के आधार पर यह बात कह रहे हैं । सुशील गुप्ता के नजदीकियों का कहना/बताना है कि शरत जैन को बचाने/बचवाने में रमेश अग्रवाल ने सुशील गुप्ता की मदद लेने की कोशिश की थी, लेकिन सुशील गुप्ता ने यह कहते हुए इस पचड़े में पड़ने से साफ इंकार कर दिया कि इंटरनेशनल वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के चलते उनके लिए इस मामले में दिलचस्पी लेना उचित नहीं होगा । समझा जाता है कि इसी बातचीत में सुशील गुप्ता ने रमेश अग्रवाल से ऐसा कुछ कहा/बताया होगा, जिससे रमेश अग्रवाल को लगा है कि रोटरी में उनके आगे बढ़ने के रास्ते को रोकने के लिए कुछेक लोगों ने शरत जैन के मामले को एक मौके के रूप में देखा/पहचाना है - और शरत जैन के बहाने उन्होंने रमेश अग्रवाल का शिकार करने की तैयारी कर ली है । कुछेक लोगों को लगता है कि इस तरह की बातें करके रमेश अग्रवाल ने पहले से ही अपने बचाव की तैयारी शुरू की है । रमेश अग्रवाल को डर है कि शरत जैन को यदि 'सजा' हुई तो उसके छीटें उन पर भी पड़ेंगे, क्योंकि शरत जैन के गवर्नर-काल में वह डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर थे और उस नाते शरत जैन द्वारा की गई अनियमितताओं और बेईमानियों में उनकी भी मिलीभगत मानी जाएगी । 
मजे की बात यह है कि शरत जैन जिस मुसीबत में घिरे/फँसे हैं, उसे उन्होंने अपनी 'होशियारी' दिखाने के चक्कर में खुद ही आमंत्रित किया है । रोटरी फाउंडेशन के लिए फंड इकट्ठा करने हेतु डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शरत जैन ने जो बॉल की, उसमें शुरू से ही शरत जैन की पैंतरेबाजी और बेईमानी देखी/पहचानी गई । शरत जैन ने फाउंडेशन बॉल का आयोजन वास्तव में किया ही नहीं; इसे उन्होंने रोटरी क्लब दिल्ली निरवाना के एक कार्यक्रम के साथ जोड़ दिया था । वह जो कार्यक्रम था, उसकी 'प्रकृति' फाउंडेशन बॉल के लिए उपयुक्त थी ही नहीं - लेकिन शरत जैन ने इस बात की परवाह ही नहीं की । आरोप लगा कि इस तरह शरत जैन ने कार्यक्रम आयोजित करने में होने वाले खर्च में हेराफेरी कर ली । इसके बाद शरत जैन के बड़बोलेपन ने उनकी मुसीबत बढ़ाने का काम किया । फाउंडेशन बॉल का तथाकथित आयोजन हो जाने के बाद शरत जैन ने बढ़चढ़ कर दावा किया कि उनकी बॉल में तीन हजार से ज्यादा लोग आए । उनके इस दावे के आधार पर लोगों ने गणना कर ली कि बॉल में शामिल होने के लिए चूँकि छह हजार रुपए का रजिस्ट्रेशन रखा गया था, इसलिए उनकी बॉल में एक करोड़ 80 लाख रुपए आ गए । लेकिन शरत जैन ने करीब 20 लाख रुपए ही दिखाए । बाकी रकम के लिए पूछा गया, तो शरत जैन अपने दावे से पलट गए और कहने/बताने लगे कि तीन हजार लोगों की गिनती तो उन्होंने कार्यक्रम में आये बच्चों को भी शामिल करके बताई थी, और रजिस्ट्रेशन वाले लोगों की संख्या तो तीन सौ के करीब ही थी । शरत जैन द्वारा गोलमोल बातें करने से लोगों का शक बढ़ा, तो कुछेक लोगों ने अपने अपने स्तर पर जाँच-पड़ताल की ।
जाँच-पड़ताल में शरत जैन के कारनामों का चौंकाने वाला खुलासा हुआ । आरोपों के अनुसार, रोटरी फाउंडेशन के लिए जो पैसा शरत जैन को 'रोटरी फाउंडेशन इंडिया' के नाम पर लेना था और या उसमें जमा करना था, वह पैसा पहले उन्होंने डिस्ट्रिक्ट ट्रस्ट में जमा कराया, वहाँ से वह पैसा उन्होंने एक गैर रोटरी ट्रस्ट में ट्रांसफर किया और वहाँ से फिर वह रोटरी फाउंडेशन इंडिया में गया । रोटरी फाउंडेशन के पैसे को इतनी चहल-कदमी करवाने के पीछे शरत जैन का क्या उद्देश्य रहा होगा, यह तो वही जानते होंगे; लोगों को लेकिन इसमें बड़ा गड़बड़झाला लगा । शरत जैन की तरफ से कुछेक जरूरी सरकारी नियमों के पूरा न होने को इसका कारण बताया गया । लोगों को यह कारण लेकिन हजम नहीं हुआ; उनका कहना रहा कि शरत जैन को उक्त जरूरी सरकारी नियमों को पूरा करवा लेना चाहिए था । आरोप के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शरत जैन ने दोहरा अपराध किया - पहले तो उन्होंने जरूरी सरकारी नियमों को पूरा नहीं किया, और फिर इसका वास्ता देकर गड़बड़झाले को जस्टीफाई करने की कोशिश की । बॉल के लिए स्पॉन्सर्स से जो पैसे लिए गए थे, उनके रिकॉर्ड्स में भी हेराफेरी के आरोप लगे । रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत हुई, तो इंटरनेशनल पदाधिकारियों ने आरोपों को गंभीर माना और जाँच के योग्य पाया । जाँच के लिए कमेटी गठित की, और जैसा कि शुरू में ही बताया जा चुका है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रोटरी इंटरनेशनल को सौंप दी है । रमेश अग्रवाल ने इस मामले को जो राजनीतिक रंग दिया है, उसके चलते जाँच रिपोर्ट पर लिए जाने वाले फैसले का खास महत्त्व हो गया है । ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि शरत जैन बचते हैं, या सतीश सिंघल की 'दशा' को प्राप्त होते हैं ?