नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय
गर्ग को लायंस इंटरनेशनल के लीगल विभाग से भारतीय समयानुसार आज आधी रात के बाद तीन बजे के
करीब जो ईमेल चिट्ठी मिली है, वह इस बात का जीता-जागता सुबूत है कि नरेश
अग्रवाल के प्रेसीडेंट-काल में लायन इंटरनेशनल में किस तरह की मनमानियाँ हो
रही हैं, और लायंस इंटरनेशनल की न्याय व्यवस्था का ही नहीं - बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था का भी मजाक बनाया जा रहा है । ईमेल
चिट्ठी में विनय गर्ग को धमकाने वाले अंदाज में बताया गया है कि लायंस
इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करके उन्होंने अपनी
लायन सदस्यता को रद्द करने/करवाने का एक कारण और दे दिया है । विनय गर्ग को
ध्यान दिलाया गया है कि लायंस इंटरनेशनल में यह नियम है कि कोई लायन सदस्य
यदि लायनिज्म की व्यवस्था से बाहर जाकर कार्रवाई करता है, तो उसकी लायन
सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी । लीगल विभाग के पदाधिकारी के इस रवैये में
आपत्ति की बात यह है कि लायंस इंटरनेशनल में लीगल विभाग लीगल मामलों में
कार्रवाई करने के लिए बनाया गया है, वह लोगों को नियम-कानून बताने और या
धमकाने के लिए नहीं बनाया गया है । विनय गर्ग ने यदि सचमुच कोई नियम
विरुद्ध काम किया है, तो लीगल विभाग के पदाधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह
तुरंत उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करे; लीगल विभाग का पदाधिकारी लेकिन
कार्रवाई शुरू करने की बजाए, विनय गर्ग को धमकी देने का काम कर रहा है - तो
उससे लग रहा है कि किसी बड़े नेता ने उसे किसी 'और' काम पर लगाया है ।
यहाँ मजे की यह बात भी गौर करने की है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में
पिछले लायन वर्ष के अंतिम दिनों में मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में घटी घटनाओं को
लेकर कई लोग पुलिस में और अदालत में गए थे, तब यह लीगल विभाग का अधिकारी
कहाँ सो रहा था और लायनिज्म की व्यवस्था से बाहर जाकर कार्रवाई करने वाले
लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात क्यों नहीं कर रहा था ? इससे जाहिर
लग रहा है कि लीगल विभाग का यह अधिकारी अपनी ड्यूटी करने की बजाए लायन
लीडर्स की कठपुतली बना हुआ है - और कुछेक लायन लीडर्स के इशारे पर लायंस
इंटरनेशनल की व्यवस्था के साथ-साथ भारतीय न्याय व्यवस्था का भी मजाक बना
रहा है ।
हद की बात यह भी है कि लीगल विभाग के पदाधिकारी ने
विनय गर्ग को धमकाने का यह मौका, जिस मामले में बनाया है - उसे उन्होंने
लगभग अंत में धकेल दिया है । लीगल विभाग के पदाधिकारी ने यह पत्र वास्तव
में मल्टीपल काउंसिल की आपात मीटिंग बुलाने तथा उसमें लिए गए फैसलों को
लेकर लिखा है - लेकिन इस बात का जिक्र उन्होंने चार पैराग्राफ की अपनी
चिट्ठी के तीसरे पैराग्राफ में किया है । इसमें भी उन्होंने कोई निर्णय
नहीं दिया है, बल्कि चेताया है कि उक्त आपात मीटिंग यदि उचित प्रक्रिया का
पालन करते हुए नहीं की गई है, तो उसके फैसले अमान्य होंगे । यह ऐसी कौन
सी खास बात है जिसे बताने में लीगल विभाग के प्रमुख अधिकारी को अपना समय
नष्ट करना पड़ा है । यह बात तो हर पदाधिकारी जानता है कि उसने कोई भी काम
यदि उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए नहीं किया है, तो वह काम अमान्य ही
होगा । एक बार फिर दोहराना चाहेंगे कि लीगल विभाग के एक प्रमुख पदाधिकारी
का काम यह बताना नहीं है; उसे तो यह देखना चाहिए था कि उक्त आपात मीटिंग
उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए हुई है या नहीं, और यदि नहीं हुई है तो
उसे मीटिंग के फैसलों को अमान्य घोषित करना चाहिए । ऐसा न करके, उसने
जो किया है - उससे लग रहा है कि वह खुद असमंजस में है कि उसे आखिर
कहना/करना क्या है, और ऐसा असमंजस प्रायः तब पैदा होता है जब कोई पदाधिकारी
अपने विवेक से फैसला न करके किसी अन्य के आदेश पर काम कर रहा हो ।
आखिरी
पैराग्राफ में तो लीगल विभाग के पदाधिकारी ने हद की भी हद कर दी है । उसने
विनय गर्ग को निर्देश दिया है कि वह मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के सभी अकाउंट्स
मल्टीपल काउंसिल के वाइस चेयरमैन तथा सेक्रेटरी को सौंप दें । क्यों
सौंप दें ? लायंस इंटरनेशनल की तरफ से विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन पद से हटाने की अभी तक कोई अधिकृत कार्रवाई नहीं हुई है; जो अधिकृत
कार्रवाई हुई है उसमें विनय गर्ग के क्लब के प्रेसीडेंट को विनय गर्ग को
क्लब से निकालने के लिए कहा गया है, जिस पर अदालत से स्टे मिला हुआ है ।
हर कोई जान/समझ रहा है कि यह अधिकृत कार्रवाई विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन पद से हटाने/हटवाने की कार्रवाई का हिस्सा ही है; लेकिन आज भी
व्यवस्था संबंधी सच्चाई यही है कि विनय गर्ग मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन हैं,
और लायंस इंटरनेशनल ने भी उनकी इस स्थिति को लेकर अभी तक कोई चैलेंज नहीं
किया/दिया है । गौर करने की बात यह भी है कि लीगल विभाग के पदाधिकारी ने भी
यह नहीं कहा है कि विनय गर्ग चेयरमैन का कार्यभार वाइस चेयरमैन को सौंपे;
यानि वह भी विनय गर्ग को अभी चेयरमैन मान रहा है - आखिर तब फिर वह अकाउंट्स
वाइस चेयरमैन को सौंपने के निर्देश किस अधिकार के तहत दे रहा है ? हर कोई
जान रहा है कि नरेश अग्रवाल करीब पचास दिन बाद प्रेसीडेंट के पद पर नहीं
रहेंगे, तो क्या लीगल विभाग उनसे कहेगा कि अकाउंट्स प्रेसीडेंट इलेक्ट को
सौंप दो ? नरेश अग्रवाल जब प्रेसीडेंट नहीं रहेंगे, और विनय गर्ग जब
चेयरमैन नहीं रहेंगे - तब उनसे संबंधित अकाउंट्स स्वतः दूसरे लोगों को
ट्रांसफर हो ही जायेंगे, इसमें लीगल विभाग का भला क्या काम है ? इसके बाद
भी लीगल विभाग का पदाधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर 'काम' कर रहा
है, तो इस संदेह को बल मिल रहा है कि वह किसी अन्य के इशारे पर काम कर रहा
है ।
विनय गर्ग से लायंस इंटरनेशनल के लीगल विभाग के
पदाधिकारी की भला क्या खुन्नस हो सकती है ? इसलिए संदेह यही किया जा रहा है
कि लीगल विभाग के पदाधिकारी को नरेश अग्रवाल के नेतृत्व वाला 'गैंग ऑफ
फोर' इस्तेमाल कर रहा है । इससे यह बात भी स्पष्ट हो चली है कि नरेश
अग्रवाल के नेतृत्व वाला 'गैंग ऑफ फोर' विनय गर्ग को तरह तरह से घेरने की
कोशिश करता रहेगा और मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का कार्यकाल पूरा नहीं करने
देगा । साथ ही लेकिन यह भी दिखाई दे रहा है कि यह सब वह सहज तरीके से तो
नहीं ही कर सकेगा । जाहिर है कि मल्टीपल एक बड़े झगड़े और फसाद का केंद्र
बनेगा - उस झगड़े और फसाद में जीते चाहें कोई भी, हारेगा सिर्फ लायनिज्म । नरेश अग्रवाल के नेतृत्व वाला 'गैंग ऑफ फोर' विनय गर्ग को 'बर्बाद' और बदनाम करने के लिए तीन-तिकड़म कर रहा होता, तो कोई बात नहीं होती; लेकिन उसकी तीन-तिकड़में
जिस तरह से लायनिज्म को बर्बाद और बदनाम करने का काम कर रही हैं - उससे
नरेश अग्रवाल का प्रेसीडेंट-काल लायंस इंटरनेशनल पर एक कलंक की तरह ही याद
किया जायेगा ।