Wednesday, May 30, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए सत्ता-समर्थकों के साथ साथ सत्ता-विरोधियों का भी समर्थन जुटा कर पारस अग्रवाल ने ऐतिहासिक जीत की तैयारी की

आगरा । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू के गवर्नर पारस अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में जिस तरह से एकतरफा समर्थन जुटाया है, उससे उन्होंने साबित किया है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने के लिए वह लीडरशिप के रहमोकरम पर निर्भर नहीं हैं । मजे की बात यह देखने में आ रही है कि पारस अग्रवाल की उम्मीदवारी को एक तरफ लीडरशिप के समर्थकों का भी समर्थन मिलता दिख रहा है, तो दूसरी तरफ लीडरशिप के विरोधियों के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले लोग भी उनकी उम्मीदवारी के समर्थन का झंडा उठाये नजर आ रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद को लेकर चली राजनीति में पिछले महीनों में काफी उतार-चढ़ाव रहे, जिनके चलते पारस अग्रवाल का 'खेल' कभी बनता तो कभी बिगड़ता हुआ दिखा; लेकिन हर प्रसंग व घटना को पारस अग्रवाल ने जिस चतुराई से हैंडल किया और प्रतिकूल दिखते प्रसंग को अपने हित में मोड़ने और या इस्तेमाल करने का काम किया - उसके कारण हालात फिर उनके अनुकूल होते गए । पारस अग्रवाल को अपनी मुहिम में अपने डिस्ट्रिक्ट के जितेंद्र चौहान और अशोक कपूर जैसे पूर्व गवर्नर्स की मदद तो मिली ही, साथ ही डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय मित्तल का भी अप्रत्याशित सहयोग मिला । जितेंद्र चौहान ने पारस अग्रवाल की उम्मीदवारी के पक्ष में फील्डिंग जमाने का काम किया, अशोक कपूर ने लीडरशिप की तरफ से खड़ी हो सकने वाली मुश्किलों को खत्म करने में भूमिका निभाई और विनय मित्तल ने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच पारस अग्रवाल के लिए समर्थन बनाने का माहौल बनाया । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स में विनय मित्तल की तरह भले लोग हालाँकि और भी हैं, लेकिन वह राजनीति नहीं जानते/समझते - विनय मित्तल अकेले ऐसे फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, जिन्होंने अपने आचरण व व्यवहार से लोगों के बीच अपनी साख व विश्वसनीयता भी अर्जित की है, और वह राजनीतिक समीकरणों का ताना-बाना भी जोड़ लेते है; इसलिए विनय मित्तल की भूमिका ने पारस अग्रवाल के लिए मल्टीपल के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के सत्ता-समर्थकों के साथ-साथ सत्ता-विरोधी समझे जाने वाले लोगों का भी समर्थन जुटाने का काम किया ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए पारस अग्रवाल को दस में से आठ फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन मिल जाने का दावा किया जा रहा है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के किसी उम्मीदवार को चुनाव से पहले ही घोषित रूप से इतना जोरदार समर्थन इससे पहले शायद ही कभी मिला हो - और वह भी तब जब मल्टीपल में नेताओं के बीच जोरदार घमासान मचा हो, और राजनीतिक मतभेद मनभेद की हद तक पहुँचे हुए हों और दूसरी तरफ के लोगों को दुश्मनों की तरह से देखा जा रहा हो । ऐसे माहौल में पारस अग्रवाल ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में जो समर्थन जुटाया है, और मुकाबले को जिस तरह से एकपक्षीय बना दिया है - उसे मल्टीपल के चुनावी परिदृश्य में एक बड़ी घटना के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । कुछेक लोगों को लगता है और उनका कहना है कि हालात ने भी पारस अग्रवाल की स्थिति को मजबूत बनाने में मदद की है, जैसे डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू और डिस्ट्रिक्ट 321 डी में घटा घटनाचक्र पारस अग्रवाल के बड़ा काम आया है । यह बात कुछ हद तक सही भी है, लेकिन इसके साथ इस बात को भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि इन दोनों डिस्ट्रिक्ट्स में जो कुछ हुआ, उसका फायदा विरोधी खेमा भी उठा सकता था - बल्कि विरोधी खेमे के पास उसका फायदा उठाने का ज्यादा बढ़िया अवसर था; लेकिन अपने खिलाफ जाते अवसर को पारस अग्रवाल ने अपने साथियों/समर्थकों की मदद से जिस तरह अपने अनुकूल बना लिया, वह उनकी कुशल रणनीति का ही नतीजा है । डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में जो हुआ, उसका कुशलता के साथ इस्तेमाल करते हुए पारस अग्रवाल और उनके साथियों ने अपनी लड़ाई को सिर्फ जीता ही नहीं, बल्कि 'आसान' भी बना लिया ।
दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू की फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वंदना निगम के कारण मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की इस बार की लड़ाई को मोलतोल की 'गंदगी' में फँसता हुआ देखा/पहचाना जा रहा था । डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस की 'नीयत' भी लपलपाती नजर आई तो माना जाने लगा कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की लड़ाई इस बार बहुत ही लूट-खसोट भरी होने जा रही है । लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में अपने ही लालचभरे जाल में वंदना निगम जब फँस गईं, तो मल्टीपल की चुनावी राजनीति की डोर उनके हाथ से खुद ब खुद छूट गई - और फिर वीके हंस भी जब अकेले पड़ गए तो वह भी 'चुप' हो जाने के लिए मजबूर हो गए । इस तरह, डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू के घटनाचक्र ने मल्टीपल की चुनावी लड़ाई को 'गंदा' होने से बचा लिया । बाकी काम के लिए जितेंद्र चौहान की फील्डिंग, अशोक कपूर की लॉबिंग और विनय मित्तल की नफासतभरी राजनीति ने माहौल बना दिया - जिस पर पारस अग्रवाल ने मल्टीपल काउंसिल डिस्ट्रिक्ट 321 में चेयरमैन पद के लिए समर्थन जुटाने का इतिहास रच दिया ।