नई
दिल्ली । लायंस क्लब्स इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल और उनकी गैंग
के सदस्य मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के चेयरमैन विनय गर्ग से लड़ते लड़ते
मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 से ही लड़ बैठे हैं, और मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की
कार्रवाईयों पर अदालती रोक लगवाने को अपनी जीत मान रहे हैं । मल्टीपल
डिस्ट्रिक्ट 321 के लिए मौजूदा लायन वर्ष में गर्व करने की बात यह है कि इस
वर्ष लायंस इंटरनेशनल बोर्ड में उसके दो सदस्य हैं - प्रेसीडेंट के रूप
में नरेश अग्रवाल और डायरेक्टर नॉमिनी के रूप में विनोद खन्ना । गर्व की
लेकिन यही बात मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के लिए शर्म की बात भी हो गई है -
क्योंकि इसके इतिहास में पहली बार मल्टीपल कॉन्फ्रेंस नहीं हो पाएगी, और
इसके लिए नरेश अग्रवाल और विनोद खन्ना ही जिम्मेदार हैं । बेशर्मी की
निर्लज्जता की बात यह है कि इस स्थिति को यह अपनी जीत मान रहे हैं । मजे की बात हालाँकि यह
है कि नरेश अग्रवाल और उनके गैंग को वास्तव में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन
विनय गर्ग से 'लड़ना' था; विनय गर्ग के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई शुरू भी कर
दी थी - लेकिन विनय गर्ग ने अपने आप को 'बचा' लिया । नरेश अग्रवाल और उनका
गैंग जब विनय गर्ग का कुछ नहीं कर पाया, तब उन्होंने मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट
को ही निशाने पर ले लिया । यह कुछ कुछ ऐसा ही मामला हुआ कि कोई अपने घर
के चूहों को भगाने व सबक सिखाने के लिए अपने ही घर में आग लगा ले, और फिर
इस बात पर खुशी मनाएँ कि देखा, मैंने चूहों को कैसे भगाया । मूर्खता व
निर्लज्जता की पट्टी के पीछे छिपी आँखों से वह बेचारा यह देख ही नहीं पाता
है कि चूहे तो जले हुए घर के आसपास ही मंडरा रहे हैं । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लायन
सदस्यों और पदाधिकारियों का मानना और कहना है कि विनय गर्ग से लड़ाई में
'पिटने' की खुन्नस नरेश अग्रवाल और उनकी गैंग के नेता लोगों को मल्टीपल
डिस्ट्रिक्ट व मल्टीपल कॉन्फ्रेंस के साथ नहीं निकालना चाहिए थी, क्योंकि
इससे खुद उनकी भूमिका ही कलंकित हुई है ।
नरेश अग्रवाल और
उनकी गैंग के सदस्यों की शिकायत रही है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप
में विनय गर्ग नियमानुसार काम नहीं कर रहे थे । तो क्या लायंस इंटरनेशनल की
अंदरूनी व्यवस्था इतनी लचर है कि नियमानुसार काम न करने वाले एक
पदाधिकारी से वह न निपट सके, और उसके चक्कर में संगठन की एक ईकाई को ही
ध्वस्त कर देना पड़े ? सौ वर्षों से अधिक समय से दुनिया भर के तमाम देशों
में सक्रिय लायंस इंटरनेशनल की अंदरूनी व्यवस्था यदि सचमुच लचर होती, तो
लायंस इंटरनेशनल कब का 'बैठ' गया होता । नरेश अग्रवाल और उनके गैंग को
विनय गर्ग के साथ निपटने में बार-बार जो 'मार' खाना पड़ी, उससे साबित है कि
चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग ने यदि सचमुच कुछ गड़बड़ियाँ की हुई होंगी भी,
तो नरेश अग्रवाल और उनके गैंग के लोग भी कोई दूध से नहाये हुए नहीं होंगे ।
अधिकतर लोगों को लगता है कि विनय गर्ग चूँकि नरेश अग्रवाल गैंग के
इशारों पर नहीं चले और उनकी लूट-खसोट में हिस्सेदार नहीं बने, इसलिए नरेश
अग्रवाल गैंग ने तरह तरह की बहानेबाजी से विनय गर्ग को पहले परेशान करने और
फिर उन्हें रास्ते से हटाने के लिए अभियान छेड़ा - जिसमें लेकिन वह असफल
रहे । नरेश अग्रवाल गैंग ने विनय गर्ग के खिलाफ जिस तरह का 'युद्ध'
छेड़ा, उसमें जबावी कार्रवाई करते हुए विनय गर्ग की तरफ से भी नियमों संबंधी
कुछ ऊंच-नीच हुई, जिसका फायदा उठाते हुए नरेश अग्रवाल और उनकी गैंग के नेताओं ने विनय गर्ग
के मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में काम करने पर अदालती रोक लगवा दी है ।
मल्टीपल कॉन्फ्रेंस के आयोजन-स्थल व तारीखों में की गई फेरबदल को लेकर विनय गर्ग को घेरने की जो कोशिश की गई, और जिसके परिणामस्वरूप अंततः मल्टीपल कॉन्फ्रेंस हो सकने का मौका ही छिन गया है - वह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था जिसे हल न किया जा सकता हो । कल
आए अदालती फैसले से करीब 25 दिन पहले मल्टीपल के वरिष्ठ लायन व
डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू के पूर्व गवर्नर जगदीश मेहरा ने विनय गर्ग को ईमेल
पत्र लिख कर मल्टीपल कॉन्फ्रेंस के आयोजन-स्थल व तारीख में किए गए फेरबदल
को लेकर आपत्ति की थी, जिस पर न तो विनय गर्ग ने कोई ध्यान दिया और न ही
नरेश अग्रवाल गैंग ने जिसकी परवाह की । जगदीश मेहरा द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर नरेश अग्रवाल गैंग ध्यान देता तो वह विनय गर्ग पर दबाव बना कर कॉन्फ्रेंस को नियमानुसार करवा सकता था; दूसरी तरफ
विनय गर्ग और उनके साथियों ने जगदीश मेहरा की आपत्तियों पर ध्यान न देकर
अपने लिए मुसीबतों का रास्ता खोले रखने का ही काम किया । अब माना/समझा जा
रहा है कि विनय गर्ग और उनके साथियों ने जगदीश मेहरा के पाँच मई के ईमेल
पत्र को यदि गंभीरता से लिया होता, तो हो सकता है कि नरेश अग्रवाल गैंग की
तरफ से उन पर जो हमला हुआ है, उसकी चोट उन पर - और मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट पर न पड़ी होती । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं है, जो मौजूदा स्थिति के लिए तेजपाल खिल्लन को मुख्य रूप से जिम्मेदार मानते/ठहराते हैं । उनके
अनुसार, तेजपाल खिल्लन ने अपनी राजनीति और अपने धंधे के स्वार्थ में विनय
गर्ग का इस्तेमाल किया; और विनय गर्ग का कुसूर सिर्फ इतना रहा कि उन्होंने
बुरे/भले की चिंता किए बिना अपना इस्तेमाल होने दिया । कई लोगों का कहना है कि विनय गर्ग द्वारा लिए गए कई फैसले वास्तव में विनय गर्ग के फैसले नहीं हैं, बल्कि तेजपाल खिल्लन के फैसले हैं - जिनके चलते माहौल बिगड़ता चला गया और हालात हर किसी की पकड़ से बाहर हो गए हैं । दोनों पक्षों की लड़ाई में नुकसान अंततः मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 का ही हुआ है ।