Thursday, June 28, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक राज आनंद के खिलाफ हुई कड़ी कार्रवाई के चलते, गवर्नरी की आड़ में मनमानी व बेईमानी करने के मौके वंदना निगम से छिन गए हैं - और इस तरह उनके लिए गवर्नरी करने का सारा मजा ही खराब हो गया है

कानपुर । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त किए गए दीपक राज आनंद को उनकी कारस्तानियों की सजा दिलवाने के बाद डिस्ट्रिक्ट के विरोधी खेमे के नेताओं ने वंदना निगम तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स की नकेल कसने/कसवाने के लिए भी तैयारी शुरू कर दी है । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के होने को लेकर झूठे तथ्य गढ़ने तथा लायंस इंटरनेशनल को गुमराह करने के जिस आरोप में दीपक राज आनंद को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से हटाया गया है और उन्हें 'पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' की पहचान से भी वंचित कर दिया गया है, वह काम अकेले दीपक राज आनंद का ही नहीं है - बल्कि उस काम में वंदना निगम तथा कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की भी मिलीभगत थी, और इसलिए उन्हें भी दंडित किया जाना चाहिए । लोगों का कहना है कि जो कुछ भी हुआ, उसके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते दीपक राज आनंद की जिम्मेदारी ज्यादा बनती है, इसलिए उन्हें जो सजा मिली वह उचित ही है; लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दीपक राज आनंद यदि लायंस इंटरनेशनल के साथ 'बेईमानी' करने का साहस कर सके, तो इसलिए क्योंकि उन्हें फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वंदना निगम तथा कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का खुल्ला समर्थन व सहयोग मिला - इसलिए उनकी मिलीभगत को यदि अनदेखा कर दिया गया तो वह आगे भी लायंस इंटरनेशनल को 'ठगने' तथा उसके साथ 'बेईमानी' करने का काम कर सकते हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को लेकर फर्जीवाड़ा करने के लिए तकनीकी रूप से भले ही दीपक राज आनंद दोषी हैं, लेकिन असली मुजरिम वंदना निगम तथा उनके सहयोगी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स हैं - इसलिए उन्हें भी ऐसा कोई सबक दिया जाना चाहिए, जिससे कि वह आगे कभी फर्जीवाड़ा और बेईमानी करने के बारे में सोच भी न सकें ।
लायंस इंटरनेशनल की तरफ से दीपक राज आनंद को सजा मिलने की घोषणा के बाद डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के लोगों के बीच निराशा है, जबकि विरोधी खेमे के लोग बम-बम हैं - और इसीलिए विरोधी खेमे के लोगों ने सत्ता खेमे के नेताओं पर दबाव बनाने के लिए आक्रामक रवैया अपना लिया है । सत्ता खेमे के लोगों ने इस बात पर राहत महसूस की है कि वंदना निगम के लिए गवर्नरी करने का मौका बच गया है और उनकी स्थिति पर कोई आँच नहीं आई है । सत्ता खेमे के लोगों को यह भी भरोसा है कि विरोधी खेमे के लोगों ने वंदना निगम तथा कुछेक पूर्व गवर्नर्स को घेरने के लिए जो आक्रामकता दिखाना शुरू किया है, उसका उनके लिए कोई खराब नतीजा नहीं निकलेगा और विरोधी खेमे की आक्रामकता कुछ दिनों का शोर-शराबा बन कर ही रह जाएगी । सत्ता खेमे के नेताओं के सामने समस्या लेकिन दूसरी है, और वह यह कि वंदना निगम की गवर्नरी की आड़ में उनके लिए मनमानी करने के मौके छिन गए हैं । दीपक राज आनंद के खिलाफ कठोर फैसला करके लायंस इंटरनेशनल ने संकेत दिया है कि वह किसी भी तरह की 'बेईमानी' को बर्दाश्त नहीं करेगा । गौर करने वाली बात यह है कि लायंस इंटरनेशनल के सौ वर्षों से ज्यादा के इतिहास में यह पहला अवसर है, जबकि गलत रिपोर्टिंग के मामले में एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को न सिर्फ गवर्नर पद से बल्कि लायनिज्म से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है । इस फैसले से वंदना निगम पर दबाव बना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह नियमानुसार ही काम करें और किसी भी तरह की बेईमानीपूर्ण हरकत से दूर ही रहें ।
वंदना निगम के लिए मुसीबत की बात यह है कि उन्होंने तथा उनके पति पूर्व गवर्नर श्याम निगम ने अपने व्यवहार के चलते डिस्ट्रिक्ट में आम और खास लोगों को बुरी तरह नाराज किया हुआ है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में हुए गड़बड़झाले के बाद तो यह दोनों लोगों से बात-बेबात उलझते रहे हैं, और 'चोरी व सीनाजोरी' वाला रवैया दिखा कर लोगों से बदतमीजी करते रहे हैं । इसके चलते यह दोनों ही लोगों के निशाने पर हैं, और लोग मौके के इंतजार में हैं कि यह कोई गड़बड़ी करें तो वह इन्हें घेरें । ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वंदना निगम पर दबाव बढ़ गया है । अपनी टीम के पदों को 'बेचने' तथा उम्मीदवारों से पैसे ऐंठने की उनकी योजनाएँ खतरे में पड़ गई हैं । मुसीबत की बात यह हुई है कि उन्होंने यदि ज्यादा चूँ-चपड़ की तो लोग विरोध व शिकायत करने के लिए तैयार ही बैठे हैं; उधर लीडरशिप की भौहें तनी हुई हैं ही । वंदना निगम के लिए समस्या की बात यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में लोगों के बीच उनके लिए न तो सम्मान है, और न ही वह रौबदाब दिखाने की स्थिति में रह गई हैं - और इस तरह उनके लिए गवर्नरी करने का सारा मजा ही खराब हो गया है । हालाँकि उनके शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि वंदना निगम यदि होशियारी व उदारता से काम लें और अपने रवैये को व्यवहारकुशल बनाएँ तो स्थितियों को काफी हद तक संभालने के साथ-साथ अनुकूल बना सकती हैं । देखना दिलचस्प होगा कि मुश्किल हो गए हालात को संभालने के लिए वंदना निगम अपने रवैये में कोई परिवर्तन व सुधार करती हैं, या पहले जैसे रवैये को बनाए रखते हुए अपनी मुश्किलों में और इजाफा करती हैं ।