नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के
प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल के कई सदस्यों को, नॉर्दर्न
इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी पूजा बंसल के साथ अपनी खुन्नस निकालने
के चक्कर में - अतुल गुप्ता ने 'पोपट' बना दिया है । सेंट्रल काउंसिल
के कई सदस्य अब नवीन गुप्ता और अतुल गुप्ता को कोस रहे हैं, और हैरानी
व्यक्त कर रहे हैं कि अतुल गुप्ता जैसा व्यक्ति इतनी बड़ी ठगी भी कर सकता
है, और नवीन गुप्ता इतना घोंचू साबित हो सकता है कि अतुल गुप्ता की ठगी का
आसानी से शिकार हो जाए । उल्लेखनीय है कि 13 जून की अपनी रिपोर्ट में
'रचनात्मक संकल्प' ने आशंका व्यक्त की थी कि सेंट्रल काउंसिल के लिए
उम्मीदवारी प्रस्तुत करके
पूजा बंसल ने जिस तरह से मौजूदा व संभावित भावी सदस्यों की चुनावी उम्मीदों
और तैयारी को खतरे में डाला है, उसकी
प्रतिक्रिया में वह चुप तो नहीं बैठेंगे और निश्चित रूप से जल्दी ही पूजा
बंसल और या उनके पति मोहित बंसल के खिलाफ ऐसा कुछ करेंगे, जिसमें उलझ कर
पूजा बंसल अपना चुनाव भूल जाएँ । 13 जून को व्यक्त की गई यह आशंका 14
जून को ही सच साबित हो गई । 14 जून से सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग शुरू हुई,
और मीटिंग में पहले ही दिन मोहित बंसल के खिलाफ चले एक आपराधिक मुकदमे में
अपराध सिद्ध होने तथा सजा होने का झूठा दावा करते हुए
अतुल गुप्ता ने इंस्टीट्यूट की उनकी सदस्यता खत्म करवाने का प्रयास किया । वर्षों पहले के उक्त मामले में मोहित बंसल को दिल्ली हाईकोर्ट से अपराधमुक्त किए जाने का फैसला हुआ था । अतुल गुप्ता ने मीटिंग में मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए दिल्ली
हाईकोर्ट के फैसले को तो छिपा लिया, तथा निचली अदालत से मोहित बंसल को सजा
होने वाले फैसले को 'दिखाते' हुए मीटिंग में मोहित बंसल के खिलाफ माहौल
बनाया ।
मीटिंग में मौजूद सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने अतुल गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजों पर भरोसा किया, और मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया । राजेश शर्मा ने लेकिन इस आधार पर तुरंत फैसला करने का विरोध किया कि मोहित बंसल का पक्ष सुने बिना उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए । इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों में यह व्यवस्था दर्ज है कि इंस्टीट्यूट प्रशासन जब भी किसी सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो उस सदस्य को अपना पक्ष रखने/बताने का मौका देता है । राजेश शर्मा ने जब यह तर्क देते हुए मोहित बंसल के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का विरोध किया, तो अतुल गुप्ता और नवीन गुप्ता को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा । राजेश शर्मा के विरोध के बावजूद अतुल गुप्ता ने हालाँकि मोहित बंसल के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की वकालत करना जारी तो रखा, लेकिन जल्दी ही उन्होंने भाँप लिया कि कार्रवाई करने को लेकर जल्दी मचाने की उनकी हरकत दूसरे सदस्यों के बीच संदेह पैदा कर रही है, तो फिर उन्होंने चुप हो जाने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इस किस्से की जानकारी मोहित बंसल को मिली, तो वह सक्रिय हुए और उन्होंने सभी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले की कॉपी भेजी, जिसमें उन्हें दोषमुक्त घोषित किया गया था । मोहित बंसल ने सदस्यों को यह भी बताया कि उन्होंने तो करीब एक वर्ष पहले ही अपने केस से जुड़े सारे कागजात इंस्टीट्यूट में जमा करवा दिए थे, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी भी थी । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को यह जानकार हैरानी हुई कि अतुल गुप्ता ने आखिर किस रंजिश में मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने/करवाने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों तक को धोखे में रखने का प्रयास किया । सेंट्रल काउंसिल के कई सदस्यों को डर हुआ है कि यह तो कोर्ट की अवमानना का मामला भी बन सकता है, जिसमें कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषमुक्त करार दिए गए व्यक्ति को इंस्टीट्यूट इस झूठे आधार पर सजा दे रहा है कि कोर्ट ने उसे दोषी माना है ।
बात निकली तो पता चला कि अतुल गुप्ता हाल ही में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी के रूप में पूजा बंसल द्वारा लिए गए कुछेक फैसलों से बुरी तरह बिफरे हुए थे । पूजा बंसल ने स्टडी सर्किल्स के साथ मिल कर कार्यक्रम किए, जिसके चलते चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की न केवल भागीदारी बढ़ी, बल्कि उनको कम रजिस्ट्रेशन फीस में अच्छा खाना-पीना और सर्विस मिली । पूजा बंसल के प्रयासों को जो सराहना मिली, उसने अतुल गुप्ता को खासा झटका पहुँचाया । अतुल गुप्ता ने कुछेक लोगों से कहा भी कि पूजा बंसल अपने कामकाज से उनका तो धंधा बंद करवा देंगी । इसी दौरान हुए कार्यक्रमों में कुछेक स्पीकर्स को लेकर भी अतुल गुप्ता को शिकायत हुई, कि 'उन' स्पीकर्स को दिल्ली में तवज्जो मिलेगी तो उन्हें फिर कौन पूछेगा ? अतुल गुप्ता ने सीधे सीधे आरोप लगाए कि पूजा बंसल कोई बड़ी राजनीति कर रही हैं । लोगों ने कहा भी कि पूजा बंसल यदि सचमुच कोई राजनीति कर भी रही हैं; और उनके फैसलों से प्रोफेशन से जुड़े लोगों को तथा इंस्टीट्यूट को यदि फायदा हो रहा है, तो इसमें बुरा क्या है ? इस सब के बीच पूजा बंसल ने सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी, जिससे अतुल गुप्ता के तो तोते ही उड़ गए । पूजा बंसल और मोहित बंसल को सेंट्रल काउंसिल सदस्य संजय अग्रवाल के नजदीक देखा/पहचाना जाता है, जिनके सेंट्रल काउंसिल में तीन टर्म पूरे हो रहे हैं । दूसरे कई लोगों के साथ-साथ अतुल गुप्ता को भी लगा कि पूजा बंसल की उम्मीदवारी के पीछे संजय अग्रवाल हैं । संजय अग्रवाल के वोटरों पर अतुल गुप्ता की नजर थी, लेकिन पूजा बंसल की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने से अतुल गुप्ता को संजय अग्रवाल के वोटरों पर कब्जा करने की अपनी तैयारी फेल होती हुई दिखी । यह तो कोई भी नहीं मानता/कहता है कि पूजा बंसल की उम्मीदवारी से अतुल गुप्ता की उम्मीदवारी को हल्की से खरोंच भी लगेगी, लेकिन संजय अग्रवाल के वोटों पर कब्जा करके सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने और सबसे ज्यादा वोट पाने की अतुल गुप्ता की कोशिशों को जरूर धक्का लगा है । इसीलिए पूजा बंसल की उम्मीदवारी पेश होते ही अतुल गुप्ता ने उनके सामने मुश्किलें खड़ी करते हुए उनके पति मोहित बंसल को एक पुराने मामले में आधे-अधूरे तथा झूठे तथ्य पेश करते हुए फँसाने की चाल चल दी ।
इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की संजय अग्रवाल के साथ खासी खुन्नस रही है, लिहाजा उन्हें भी संजय अग्रवाल के नजदीकी का शिकार करते हुए संजय अग्रवाल से खुन्नस निकालने का मौका दिखा - तो उन्होंने भी अतुल गुप्ता की कार्रवाई का बिना सोचे-विचारे समर्थन कर डाला । पर अब जब सच्चाई सामने आ रही है, तो नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल के सदस्य अपने आप को अतुल गुप्ता के हाथों ठगा हुआ पा रहे हैं । सभी को लग रहा है कि अतुल गुप्ता ने अपने स्वार्थ और अपनी निजी खुन्नस में काम करते हुए इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को पोपट बना कर मुसीबत में फँसा दिया है ।
मीटिंग में मौजूद सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने अतुल गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजों पर भरोसा किया, और मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया । राजेश शर्मा ने लेकिन इस आधार पर तुरंत फैसला करने का विरोध किया कि मोहित बंसल का पक्ष सुने बिना उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए । इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों में यह व्यवस्था दर्ज है कि इंस्टीट्यूट प्रशासन जब भी किसी सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो उस सदस्य को अपना पक्ष रखने/बताने का मौका देता है । राजेश शर्मा ने जब यह तर्क देते हुए मोहित बंसल के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का विरोध किया, तो अतुल गुप्ता और नवीन गुप्ता को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा । राजेश शर्मा के विरोध के बावजूद अतुल गुप्ता ने हालाँकि मोहित बंसल के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की वकालत करना जारी तो रखा, लेकिन जल्दी ही उन्होंने भाँप लिया कि कार्रवाई करने को लेकर जल्दी मचाने की उनकी हरकत दूसरे सदस्यों के बीच संदेह पैदा कर रही है, तो फिर उन्होंने चुप हो जाने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इस किस्से की जानकारी मोहित बंसल को मिली, तो वह सक्रिय हुए और उन्होंने सभी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले की कॉपी भेजी, जिसमें उन्हें दोषमुक्त घोषित किया गया था । मोहित बंसल ने सदस्यों को यह भी बताया कि उन्होंने तो करीब एक वर्ष पहले ही अपने केस से जुड़े सारे कागजात इंस्टीट्यूट में जमा करवा दिए थे, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी भी थी । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को यह जानकार हैरानी हुई कि अतुल गुप्ता ने आखिर किस रंजिश में मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने/करवाने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों तक को धोखे में रखने का प्रयास किया । सेंट्रल काउंसिल के कई सदस्यों को डर हुआ है कि यह तो कोर्ट की अवमानना का मामला भी बन सकता है, जिसमें कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषमुक्त करार दिए गए व्यक्ति को इंस्टीट्यूट इस झूठे आधार पर सजा दे रहा है कि कोर्ट ने उसे दोषी माना है ।
बात निकली तो पता चला कि अतुल गुप्ता हाल ही में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी के रूप में पूजा बंसल द्वारा लिए गए कुछेक फैसलों से बुरी तरह बिफरे हुए थे । पूजा बंसल ने स्टडी सर्किल्स के साथ मिल कर कार्यक्रम किए, जिसके चलते चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की न केवल भागीदारी बढ़ी, बल्कि उनको कम रजिस्ट्रेशन फीस में अच्छा खाना-पीना और सर्विस मिली । पूजा बंसल के प्रयासों को जो सराहना मिली, उसने अतुल गुप्ता को खासा झटका पहुँचाया । अतुल गुप्ता ने कुछेक लोगों से कहा भी कि पूजा बंसल अपने कामकाज से उनका तो धंधा बंद करवा देंगी । इसी दौरान हुए कार्यक्रमों में कुछेक स्पीकर्स को लेकर भी अतुल गुप्ता को शिकायत हुई, कि 'उन' स्पीकर्स को दिल्ली में तवज्जो मिलेगी तो उन्हें फिर कौन पूछेगा ? अतुल गुप्ता ने सीधे सीधे आरोप लगाए कि पूजा बंसल कोई बड़ी राजनीति कर रही हैं । लोगों ने कहा भी कि पूजा बंसल यदि सचमुच कोई राजनीति कर भी रही हैं; और उनके फैसलों से प्रोफेशन से जुड़े लोगों को तथा इंस्टीट्यूट को यदि फायदा हो रहा है, तो इसमें बुरा क्या है ? इस सब के बीच पूजा बंसल ने सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी, जिससे अतुल गुप्ता के तो तोते ही उड़ गए । पूजा बंसल और मोहित बंसल को सेंट्रल काउंसिल सदस्य संजय अग्रवाल के नजदीक देखा/पहचाना जाता है, जिनके सेंट्रल काउंसिल में तीन टर्म पूरे हो रहे हैं । दूसरे कई लोगों के साथ-साथ अतुल गुप्ता को भी लगा कि पूजा बंसल की उम्मीदवारी के पीछे संजय अग्रवाल हैं । संजय अग्रवाल के वोटरों पर अतुल गुप्ता की नजर थी, लेकिन पूजा बंसल की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने से अतुल गुप्ता को संजय अग्रवाल के वोटरों पर कब्जा करने की अपनी तैयारी फेल होती हुई दिखी । यह तो कोई भी नहीं मानता/कहता है कि पूजा बंसल की उम्मीदवारी से अतुल गुप्ता की उम्मीदवारी को हल्की से खरोंच भी लगेगी, लेकिन संजय अग्रवाल के वोटों पर कब्जा करके सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने और सबसे ज्यादा वोट पाने की अतुल गुप्ता की कोशिशों को जरूर धक्का लगा है । इसीलिए पूजा बंसल की उम्मीदवारी पेश होते ही अतुल गुप्ता ने उनके सामने मुश्किलें खड़ी करते हुए उनके पति मोहित बंसल को एक पुराने मामले में आधे-अधूरे तथा झूठे तथ्य पेश करते हुए फँसाने की चाल चल दी ।
इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की संजय अग्रवाल के साथ खासी खुन्नस रही है, लिहाजा उन्हें भी संजय अग्रवाल के नजदीकी का शिकार करते हुए संजय अग्रवाल से खुन्नस निकालने का मौका दिखा - तो उन्होंने भी अतुल गुप्ता की कार्रवाई का बिना सोचे-विचारे समर्थन कर डाला । पर अब जब सच्चाई सामने आ रही है, तो नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल के सदस्य अपने आप को अतुल गुप्ता के हाथों ठगा हुआ पा रहे हैं । सभी को लग रहा है कि अतुल गुप्ता ने अपने स्वार्थ और अपनी निजी खुन्नस में काम करते हुए इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को पोपट बना कर मुसीबत में फँसा दिया है ।