पुणे ।
पुणे ब्रांच के चेयरमैन आनंद जखोटिया ने वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के
सदस्य सत्यनारायण मूंदड़ा के खिलाफ जिस तरह का अभियान छेड़ा हुआ है और अलग
अलग तरीकों से उन्हें अपमानित करने तथा रीजनल काउंसिल की चुनावी राजनीति से
बाहर करने के लिए वह प्रयास कर रहे हैं, उसके चलते माहेश्वरी समाज और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स छात्रों के बीच गहरी नाराजगी पनपती देखी/महसूस की जा रही है । आनंद
जखोटिया के लिए मुसीबत की बात यह भी हो गई है कि ब्रांच में भी वह पूरी
तरह अलग-थलग और अकेले पड़ गए हैं, जिसका परिणाम 31 मई को स्थगित होकर चार
जून को संपन्न हुई ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी की मीटिंग में देखने को मिला ।
31 मई को बुलाई गई मीटिंग में तो ऐतिहासिक काण्ड हो गया, क्योंकि पुणे
ब्रांच के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि चेयरमैन द्वारा बुलाई गई मैनेजिंग
कमेटी की मीटिंग का सभी सदस्यों ने बहिष्कार किया, जिसके चलते मीटिंग में
चेयरमैन के अलावा अन्य कोई सदस्य पहुँचा ही नहीं - जिसके नतीजे में चेयरमैन
के रूप में आनंद जखोटिया को मीटिंग के लिए नई तारीख की घोषणा करने के लिए
मजबूर होना पड़ा । 4 जून को जब दोबारा बुलाई गई मीटिंग हुई, तो उसमें
अधिकतर सदस्यों ने आनंद जखोटिया को जमकर खरीखोटी सुनाई । पुणे ब्रांच के
सेक्रेटरी तथा पुणे विकासा चेयरमैन राजेश अग्रवाल का तो गंभीर आरोप रहा कि
उनसे पूछे व उन्हें बताये बिना ही आनंद जखोटिया ब्रांच के खर्चे तथा
छात्रों से जुड़े कार्यक्रम कर ले रहे हैं । राजेश अग्रवाल कई मौकों पर
रोना रो चुके हैं कि आनंद जखोटिया पिछले वर्ष जब चेयरमैन बनने की तिकड़में
लगा रहे थे, तब तो वह तत्कालीन चेयरमैन अरुण गिरी का समर्थन दिलवाने के लिए
उनकी खुशामद में रहते थे, लेकिन चेयरमैन बनने के बाद आनंद जखोटिया उन्हें
सहयोगी पदाधिकारी के अनुरूप तक इज्जत देने को तैयार नहीं हैं । पुणे में
कई लोग जानते हैं कि राजेश अग्रवाल ने आनंद जखोटिया को चेयरमैन बनवाने के
लिए अरुण गिरी को समर्थन के लिए कितनी मुश्किलों से तैयार किया था, क्योंकि
अरुण गिरी जानते/समझते थे कि आनंद जखोटिया भरोसा करने वाले व्यक्ति नहीं
है । राजेश अग्रवाल अब महसूस कर रहे हैं कि अरुण गिरी की बात न मान कर
उन्होंने बड़ी गलती की है ।
मीटिंग में एक्सऑफिसो सदस्य के
रूप में वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य सर्वेश जोशी ने आनंद
जखोटिया की इस बात के लिए भारी आलोचना की कि वह ब्रांच के पदाधिकारी अपने
साथियों के साथ-साथ वरिष्ठ सदस्यों को भी पर्याप्त इज्जत नहीं देते हैं, और
अपनी कारगुजारियों व अपने व्यवहार से कभी भी किसी भी मौके पर किसी को भी
बेइज्जत कर देते हैं । सर्वेश जोशी ने उन्हें यह कहते हुए सलाह दी, कि
हालाँकि मैं जानता हूँ कि आप इसे मानेंगे नहीं, कि आपको सभी को उचित सम्मान
देना चाहिए, ब्रांच की कार्रवाईयों में सभी सदस्यों को सम्मिलित करना
चाहिए तथा सभी का सहयोग लेना चाहिए । पिछले वर्ष ब्रांच के चेयरमैन रहे
अरुण गिरी ने आनंद जखोटिया के कार्य-व्यवहार की आलोचना करते हुए चेतावनी
दी कि आनंद जखोटिया का काम करने का तरीका और उनका व्यवहार पुणे ब्रांच में
हमेशा से रहे सौहार्द के माहौल को खराब करने के साथ-साथ पुणे ब्रांच को
बदनाम करने का भी काम कर रहा है । आनंद जखोटिया पर एक गंभीर आरोप यह लगा कि
ब्रांच की तरफ से होने वाले सेमिनार्स आदि में स्पीकर्स के रूप में अपने
परिचितों के नाम पर वह मनमाने तरीके से ऐसे लोगों को बुला रहे हैं, जिनकी
एकेडमिक क्षमताएँ कम और संदिग्ध हैं, और इस तरह वह सेमिनार्स व स्पीकर्स के
मामले में पुणे ब्रांच की बनी हुई पहचान व प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ कर रहे
हैं । 4 जून की मीटिंग में आनंद जखोटिया का जो हाल हुआ और उन पर जिस
तरह के गंभीर आरोप लगे, उसके बारे में पुणे के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को
जैसे जैसे पता चला, वैसे वैसे पुणे के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच आनंद
जखोटिया के कार्य-व्यवहार को लेकर शिकायती बातें चर्चा में आने लगी हैं ।
इन्हीं चर्चाओं में वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य सत्यनारायण
मूंदड़ा के खिलाफ आनंद जखोटिया द्वारा की जा रही कारगुजारियों की बातें
प्रमुखता से सुनाई देने लगी हैं । सत्यनारायण मूंदड़ा पुणे के वरिष्ठ
चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, जो कई वर्षों से वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल
में पुणे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । रीजनल काउंसिल के पिछले चुनाव में
उन्हें पुणे के उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट मिले थे । सत्यनारायण
मूंदड़ा को पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की राजनीति में मारवाड़ी, खासकर
माहेश्वरी समाज के एक बड़े प्रवक्ता व प्रतिनिधि के रूप में भी देखा/पहचाना
जाता है । देखने में आ रहा है कि पुणे ब्रांच के चेयरमैन के रूप में आनंद जखोटिया तरह तरह की कार्रवाईयों के
जरिये सत्यनारायण मूंदड़ा को अपमानित तथा परेशान करने का काम कर रहे हैं ।
समझा
जा रहा है कि आनंद जखोटिया वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चुनाव लड़ने
की 'तैयारी' कर रहे हैं, और इसी तैयारी के तहत वह सत्यनारायण मूंदड़ा पर इस
बार चुनावी मुकाबले से बाहर रहने के लिए दबाव बना रहे हैं । दरअसल आनंद
जखोटिया भी अपनी संभावित उम्मीदवारी के समर्थन के लिए माहेश्वरी वोटों पर
निर्भर हैं; और जानते/समझते हैं कि सत्यनारायण मूंदड़ा के उम्मीदवार
होते/रहते हुए तो माहेश्वरी वोट उन्हें मिलेंगे नहीं - लिहाजा वह किसी भी
तरह से सत्यनारायण मूंदड़ा को रास्ते से हटाने के अभियान में जुट गए हैं ।
आनंद जखोटिया पुणे में माहेश्वरी प्रोफेशनल फोरम के चेयरमैन भी हैं, और इस
रूप में वह माहेश्वरीज के बीच सत्यनारायण मूंदड़ा को बदनाम करने का प्रयास
भी कर रहे हैं । इसके लिए आनंद जखोटिया अक्सर उस किस्से का इस्तेमाल करते
हैं, जिसमें पुणे ब्रांच की एक मीटिंग में सत्यनारायण मूंदड़ा ने कथित
रूप से यह कहा कि 'बिल्डिंग चेयरमैन के बाप की नहीं है ।' आनंद जखोटिया ने
इस किस्से को वाट्स-ऐप पर भी प्रचारित किया और तरह तरह से लोगों को बताया
भी कि सत्यनारायण मूंदड़ा ने मीटिंग में असभ्य भाषा का इस्तेमाल करते हुए
उन्हें निशाना बनाया और अपमानित किया । आनंद जखोटिया के लिए मुसीबत की बात
लेकिन यह है कि कोई इस बात पर विश्वास करने के लिए ही तैयार ही नहीं है कि
सत्यनारायण मूंदड़ा किसी के लिए भी असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं; कुछेक
लोगों ने तो यहाँ तक कहा कि और यदि सत्यनारायण मूंदड़ा ने वास्तव में आनंद
जखोटिया के लिए असभ्य भाषा का इस्तेमाल किया भी है, तो यह इस बात का प्रमाण
है कि वह आनंद जखोटिया के व्यवहार से बुरी तरह तंग व परेशान हो गए होंगे ।
आनंद जखोटिया ने खुद ही बताया कि सत्यनारायण मूंदड़ा ब्रांच बिल्डिंग में
छात्रों के साथ तस्वीर खिंचवाते समय उनके एक आदेश का हवाला देते हुए उन्हें
रोके जाने पर नाराज थे, हालाँकि उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है । लोगों
का यह पूछना है कि चेयरमैन के रूप में आनंद जखोटिया ने क्या इस बात की
जाँच और कार्रवाई की, कि उनके आदेश का झूठा हवाला देते हुए आखिर किसने और
क्यों सत्यनारायण मूंदड़ा जैसे वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट व पदाधिकारी को
ब्रांच बिल्डिंग में अपमानित करने का काम किया ?
आनंद
जखोटिया जहाँ तहाँ सत्यनारायण मूंदड़ा की तो शिकायत करते रहते हैं, लेकिन
उनका नाम लेकर ब्रांच बिल्डिंग में हुए सत्यनारायण मूंदड़ा के अपमान पर
चुप्पी बनाये रखते हैं । आनंद जखोटिया के इस व्यवहार पर पुणे के माहेश्वरी
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच गहरा रोष है, जिसका सामना आनंद जखोटिया को
माहेश्वरी प्रोफेशनल फोरम में भी करना पड़ रहा है । लोगों का कहना है कि
आनंद जखोटिया अपने राजनीतिक स्वार्थ में माहेश्वरी समाज के सत्यनारायण
मूंदड़ा जैसे वरिष्ठ व प्रतिष्ठित व्यक्ति को अपमानित कर/करवा सकते हैं, तो
फिर उन पर कौन भरोसा कर सकता है ? आनंद जखोटिया के नजदीकियों का ही
कहना/बताना है कि वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी को
प्रस्तुत करने की तैयारी के तहत माहेश्वरी वोटों का समर्थन पक्का करने के
उद्देश्य से सत्यनारायण मूंदड़ा को रास्ते से हटाने के लिए उन्हें तरह
तरह से अपमानित व परेशान करने का जो दुष्चक्र रचा है, वह आनंद जखोटिया के
लिए ही मुसीबत का कारण बन रहा है ।