Saturday, June 2, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में जबर्दस्ती गवर्नरी 'करने' की सतीश सिंघल की कोशिशों पर जतिंदर सिंह द्वारा लगी रोक ने प्रेसीडेंट्स को तो उल्लू बनने से बचा ही लिया है, साथ ही अशोक अग्रवाल के चुनावी अभियान को भी बड़ी राहत पहुँचाई है

नोएडा । अदालती फैसले की झूठी व्याख्या करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त सतीश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर अपनी प्रतिनियुक्ति को लेकर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को पटाने की जो कोशिश की, उसे रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारी जतिंदर सिंह ने तुरंत फुरत कार्रवाई करके फेल कर दिया है । सतीश सिंघल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का भी कहना और पूछना है कि सतीश सिंघल पता नहीं क्यों अपनी फजीहत पर फजीहत करवाए जा रहे हैं, और खुद को बदनामी के दलदल में और गहरे धँसाते जा रहे हैं । ताजा प्रकरण में सतीश सिंघल ने अदालत के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल के साथ भी धोखाधड़ी करने का प्रयास किया है, लेकिन जो तुरंत ही पकड़ी गई है । अदालत ने 28 मई की सुनवाई में यथास्थिति बनाए रखने का जो आदेश दिया, सतीश सिंघल ने उसकी झूठी व्याख्या करते हुए क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को लिख भेजा कि अदालत ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर बहाल कर दिया है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह जीओवी तथा थैंक्स-गिविंग कार्यक्रम करेंगे तथा अवॉर्ड बाटेंगे । सतीश सिंघल ने रोटरी फाउंडेशन के नाम पर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स से पैसे बसूलने के लिए भी दबाव बनाया । कुछेक प्रेसीडेंट्स को सतीश सिंघल के 'व्यवहार' पर शक हुआ और उन्हें लगा कि सतीश सिंघल धोखेबाजी कर रहे हैं, सो अपना शक दूर करने के लिए उन्होंने इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम तथा रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस से संपर्क किया । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में क्लब व डिस्ट्रिक्ट मामलों के मुखिया जतिंदर सिंह के जबाव ने सतीश सिंघल की धोखाधड़ी की पोल खोल दी । मामले में संगीन पहलू यह है कि रोटरी इंटरनेशनल के अधिकृत पदाधिकारी जतिंदर सिंह द्वारा पोल खोले जाने के बाद भी सतीश सिंघल अपने गवर्नर होने का दावा यह कहते हुए कर रहे हैं कि जतिंदर सिंह कौन होता है यह कहने वाला कि वह गवर्नर नहीं हैं ?
गौर करने की बात यह है कि सतीश सिंघल के दावे को झूठा बताते हुए, रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में क्लब व डिस्ट्रिक्ट मामलों के मुखिया जतिंदर सिंह ने जो कहा/बताया है - वह उन्होंने अपनी तरफ से नहीं कहा है, बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के हवाले से कहा है । डिस्ट्रिक्ट 3012 के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स से सतीश सिंघल के दावों को लेकर मिली शिकायतों पर जतिंदर सिंह ने बासकर चॉकलिंगम से बात की, और उनसे मिले जबाव से क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को अवगत कराया । गनीमत है कि सतीश सिंघल ने अभी तक यह नहीं कहा है कि बासकर चॉकलिंगम कौन होता है उन्हें गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभाने से रोकने वाला ! बासकर चॉकलिंगम के हवाले से जतिंदर सिंह ने साफ लिखा/बताया है कि रोटरी इंटरनेशनल ने सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से हटाने का जो फैसला किया हुआ है, उसमें अदालती फैसले के चलते कोई बदलाव नहीं हुआ है और सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में किसी भी तरह का काम करने का कोई हक नहीं मिला है । सतीश सिंघल के जले पर नमक छिड़कने जैसा काम जतिंदर सिंह ने प्रेसीडेंट्स को यह बता कर और कर दिया कि उन्हें यदि कोई जानकारी चाहिए हो तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सुभाष जैन से संपर्क करें । जतिंदर सिंह के इस कहे के अनुसार, रोटरी इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सतीश सिंघल द्वारा कुछ भी करने/धरने के दावे को पूरी तरह झूठा घोषित कर दिया है ।
जतिंदर सिंह के प्रेसीडेंट्स को लिखे इस पत्र ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक अग्रवाल को बड़ी राहत दी है । दरअसल सतीश सिंघल ने जब क्लब्स के प्रेसीडेंट्स से संपर्क करना शुरू किया और गवर्नर पद पर अपने बहाल होने का दावा करना शुरू किया, तो डिस्ट्रिक्ट में राजनीतिक सरगर्मी एकदम से बढ़ गई । सतीश सिंघल के मूवमेंट के पीछे मुकेश अरनेजा को देखा/पहचाना गया है । असल में, सतीश सिंघल के गवर्नर पद से बर्खास्त होने के बाद वास्तव में तगड़ा झटका मुकेश अरनेजा को ही लगा है, और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरण में वह पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल के नजदीकियों के ही अनुसार, सतीश सिंघल के जरिये अदालती फैसले की झूठी व्याख्या करवा कर मुकेश अरनेजा ने क्लब्स के पदाधिकारियों के बीच अपनी पहुँच/पैठ बनाने की कोशिश की थी, ताकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में अपनी भूमिका निभा सकें । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल के इस 'खेल' को अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए चुनौती और मुसीबत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । इसलिए जैसे ही उनके खेल की हवा निकली, अशोक अग्रवाल और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों ने राहत की साँस ली । सतीश सिंघल के रोटरी इंटरनेशनल व अदालती फैसले को ठेंगा दिखाते हुए जबर्दस्ती गवर्नरी 'करने' की कोशिशों पर जतिंदर सिंह के पत्र ने जो रोक लगाई है, उसने क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को तो उल्लू बनने से बचा ही लिया है, साथ ही अशोक अग्रवाल के चुनावी अभियान को भी बड़ी राहत पहुँचाई है ।