नई
दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन की घपलेबाजियों में
सहयोग करने और या उनकी तरफ से आँख मूँद लेने के कारण चार्टर्ड एकाउंटेंट
राजेश मंगला मुसीबत में फँसते दिख रहे हैं । राजेश
मंगला ने रोटरी 3010 चेरिटेबल फाउंडेशन के एकाउंट्स ऑडिट किए हैं, और उन पर
आरोप है कि ऐसा करते हुए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट 3012 के एकाउंट्स का या तो
संज्ञान ही नहीं लिया, और यदि लिया भी तो उसमें हुई 'घपलेबाजी' को अनदेखा
करने का काम किया । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3010 के दो डिस्ट्रिक्ट्स
में विभाजित होने के बाद भी उसका चेरिटेबल फाउंडेशन अलग अलग नहीं हुआ है और
वह पूर्ववत ही चल रहा है । ऐसे में उसका जो एकाउंट बनता है, उसमें विभाजन
के बाद बने दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के एकाउंट जोड़ लिए जाते हैं । आरोप है कि
ऑडिटर के रूप में राजेश मंगला ने डिस्ट्रिक्ट 3012 के एकाउंट का संज्ञान ही
नहीं लिया; उन्होंने संज्ञान ले लिया होता तो शरत जैन की घपलेबाजियाँ पहले
ही पकड़ ली जातीं, और मामला रोटरी इंटरनेशनल तक नहीं जाता । रोटरी
इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की लीपापोती के चलते शरत जैन तो किसी बड़ी सजा से
बच गए हैं, लेकिन इस मामले को उठाने तथा बनाये रखने में दिलचस्पी रखने
वाले लोगों द्वारा अब राजेश मंगला को लपेटने की तैयारी करते सुना जा रहा है
। सुना जा रहा है कि रोटरी के पैसों में की गई घपलेबाजी में 'सहयोग' करने
तथा अपने काम में लापरवाही बरतने के लिए राजेश मंगला की शिकायत चार्टर्ड
एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट में करने की तैयारी की जा रही है । राजेश
मंगला को फँसाने के पीछे उद्देश्य दरअसल एक तीर से दो निशाने साधने का भी
है; राजेश मंगला को फँसा कर शरत जैन के साथ साथ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल को भी परेशान करने की तैयारी है । उल्लेखनीय
है कि राजेश मंगला अभी कुछ समय पहले तक अपनी फर्म के साथ साथ विनोद बंसल की फर्म में भी पार्टनर
थे, और समझा जाता है कि ऑडिट का यह काम उन्हें विनोद बंसल ने ही दिलवाया
था; इसलिए राजेश मंगला के लिए मुसीबत खड़ी करने की तैयारी में लगे लोगों को
लगता है कि इसके कुछ छीटें विनोद बंसल पर भी पड़ेंगे ही और उनकी भी किरकिरी होगी ही ।
राजेश मंगला की तरफ से हालाँकि दावा किया जा रहा है कि उन पर जो आरोप लगाया जा रहा है, वही इस बात का सुबूत है कि आरोप लगाने वालों को एकाउंटिंग व्यवस्था की जानकारी नहीं है; उनकी तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि उन्होंने जो एकाउंट हस्ताक्षर किए हैं, उनमें दोनों डिस्ट्रिक्ट के एकाउंट जोड़ दिए गए हैं तथा उन्होंने न कुछ छिपाया है और न कोई लापरवाही की है । उनकी तरफ से जो कुछ कहा/सुना जा रहा है, उसमें यह बात तो सामने आई है कि शरत जैन ने अपने एकाउंट देने में लेटलतीफी की और उन्हें बहुत छकाया, लेकिन उसके बावजूद ऑडीटर के रूप में उन्होंने अपना काम नियमानुसार किया है और इस मामले में उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है । राजेश मंगला को निशाने पर लेने की तैयारी कर रहे लोगों का कहना लेकिन यह है कि ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला ने अपना काम यदि ठीक से किया होता, तो रोटरी इंटरनेशनल को शरत जैन पर प्रतिकूल टिप्पणी करने की जरूरत नहीं पड़ती । रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से शरत जैन हालाँकि बड़ी सजा से तो बच गए हैं, लेकिन उनके एकाउंट पर रोटरी इंटरनेशनल ने जो प्रतिकूल टिप्पणी की है - उसके लिए राजेश मंगला अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं । आखिर शरत जैन के एकाउंट में जिस अनियमितता को रोटरी इंटरनेशनल ने 'पकड़ा' और रेखांकित किया है, उसे ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला को पकड़ना व रेखांकित करना चाहिए था - जो काम में लापरवाही के चलते उन्होंने नहीं किया ।
डिस्ट्रिक्ट 3012 का चेरिटेबल फाउंडेशन का एकाउंट गाजियाबाद में पंजाब नेशनल बैंक की राजनगर शाखा में है । राजेश मंगला ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में लेकिन इस एकाउंट का कोई जिक्र नहीं किया है । उनकी तरफ से बताया गया है कि उन्होंने इस अकाउंट की रकम हिसाब में जोड़ ली है । उनका यह दावा लेकिन संदेह इसलिए पैदा करता है क्योंकि अपनी रिपोर्ट में जब वह बैंक ऑफ इंडिया तथा बैंक ऑफ बड़ौदा के चार एकाउंट्स का अलग अलग विवरण दे रहे हैं, तो फिर पंजाब नेशनल बैंक के एकाउंट का विवरण अलग से देने से क्यों बचा गया ? यह संदेह इसलिए और पुष्ट होता है, क्योंकि पंजाब नेशनल बैंक के ही एकाउंट में पैसों की घपलेबाजियाँ हैं और नियमविरुद्ध ट्रांसफर्स हैं, जिनके लिए शरत जैन को रोटरी इंटरनेशनल से लताड़ पड़ी है । इस मामले में ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला पर आरोप इसीलिए बनता है कि यदि उन्होंने अपने काम में लापरवाही नहीं की होती और डिस्ट्रिक्ट 3012 के पंजाब नेशनल बैंक के एकाउंट को देख भर लिया होता, और उसका संज्ञान लिया होता तो शरत जैन की घपलेबाजी को वह शुरू में ही पकड़ लेते और मामला ऊपर तक जाने की नौबत नहीं आती ।
राजेश मंगला की तरफ से हालाँकि दावा किया जा रहा है कि उन पर जो आरोप लगाया जा रहा है, वही इस बात का सुबूत है कि आरोप लगाने वालों को एकाउंटिंग व्यवस्था की जानकारी नहीं है; उनकी तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि उन्होंने जो एकाउंट हस्ताक्षर किए हैं, उनमें दोनों डिस्ट्रिक्ट के एकाउंट जोड़ दिए गए हैं तथा उन्होंने न कुछ छिपाया है और न कोई लापरवाही की है । उनकी तरफ से जो कुछ कहा/सुना जा रहा है, उसमें यह बात तो सामने आई है कि शरत जैन ने अपने एकाउंट देने में लेटलतीफी की और उन्हें बहुत छकाया, लेकिन उसके बावजूद ऑडीटर के रूप में उन्होंने अपना काम नियमानुसार किया है और इस मामले में उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है । राजेश मंगला को निशाने पर लेने की तैयारी कर रहे लोगों का कहना लेकिन यह है कि ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला ने अपना काम यदि ठीक से किया होता, तो रोटरी इंटरनेशनल को शरत जैन पर प्रतिकूल टिप्पणी करने की जरूरत नहीं पड़ती । रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से शरत जैन हालाँकि बड़ी सजा से तो बच गए हैं, लेकिन उनके एकाउंट पर रोटरी इंटरनेशनल ने जो प्रतिकूल टिप्पणी की है - उसके लिए राजेश मंगला अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं । आखिर शरत जैन के एकाउंट में जिस अनियमितता को रोटरी इंटरनेशनल ने 'पकड़ा' और रेखांकित किया है, उसे ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला को पकड़ना व रेखांकित करना चाहिए था - जो काम में लापरवाही के चलते उन्होंने नहीं किया ।
डिस्ट्रिक्ट 3012 का चेरिटेबल फाउंडेशन का एकाउंट गाजियाबाद में पंजाब नेशनल बैंक की राजनगर शाखा में है । राजेश मंगला ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में लेकिन इस एकाउंट का कोई जिक्र नहीं किया है । उनकी तरफ से बताया गया है कि उन्होंने इस अकाउंट की रकम हिसाब में जोड़ ली है । उनका यह दावा लेकिन संदेह इसलिए पैदा करता है क्योंकि अपनी रिपोर्ट में जब वह बैंक ऑफ इंडिया तथा बैंक ऑफ बड़ौदा के चार एकाउंट्स का अलग अलग विवरण दे रहे हैं, तो फिर पंजाब नेशनल बैंक के एकाउंट का विवरण अलग से देने से क्यों बचा गया ? यह संदेह इसलिए और पुष्ट होता है, क्योंकि पंजाब नेशनल बैंक के ही एकाउंट में पैसों की घपलेबाजियाँ हैं और नियमविरुद्ध ट्रांसफर्स हैं, जिनके लिए शरत जैन को रोटरी इंटरनेशनल से लताड़ पड़ी है । इस मामले में ऑडीटर के रूप में राजेश मंगला पर आरोप इसीलिए बनता है कि यदि उन्होंने अपने काम में लापरवाही नहीं की होती और डिस्ट्रिक्ट 3012 के पंजाब नेशनल बैंक के एकाउंट को देख भर लिया होता, और उसका संज्ञान लिया होता तो शरत जैन की घपलेबाजी को वह शुरू में ही पकड़ लेते और मामला ऊपर तक जाने की नौबत नहीं आती ।