Tuesday, June 5, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की दो कमेटियों की तरफ से लुधियाना में आयोजित हो रही नेशनल कॉन्फ्रेंस के सहारे समर्थन जुटाने की राजेश शर्मा की कोशिशें, विशाल गर्ग और उनके समर्थकों के आक्रामक रवैये को देखते हुए अभी तो सफल होती नहीं नजर आ रही हैं

लुधियाना । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की कैपिटल मार्किट एंड इन्वेस्टर्स प्रोटेक्शन कमेटी द्वारा लुधियाना में आयोजित की जा रही दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के दो संभावित उम्मीदवारों - राजेश शर्मा व विशाल गर्ग के बीच के चुनावी झगड़े में फँसती और विवादित होती नजर आ रही है । इंस्टीट्यूट की एक अन्य कमेटी - कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ मेंबर्स इन प्रैक्टिस के साथ मिलकर आयोजित की जा रही नेशनल कॉन्फ्रेंस की मुख्य आयोजक कमेटी के चेयरमैन चूँकि राजेश शर्मा हैं, इसलिए विशाल गर्ग और उनके समर्थकों का आरोप है कि लुधियाना में अपने लिए वोट जुटाने तथा विशाल गर्ग को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से राजेश शर्मा नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन लुधियाना में कर/करवा रहे हैं । दरअसल राजेश शर्मा के सामने इस बार के चुनाव में अपनी सीट बचाने की गंभीर चुनौती है । एक तरफ तो पिछले वर्ष हुए सीए डे के फंक्शन की बदइंतजामी को लेकर उनके माथे पर लगा कलंक हल्का पड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है, और दूसरी तरफ चरनजोत सिंह नंदा की उम्मीदवारी ने उनके लिए मुसीबत खड़ी कर दी है । राजेश शर्मा सेंट्रल काउंसिल की अपनी सीट बचाने के लिए लुधियाना पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं; उनके नजदीकियों का कहना है कि उन्हें लग रहा है कि पंकज पेरिवाल के सहयोग से वह विशाल गर्ग को पीछे धकेल देंगे और लुधियाना में अपने लिए अच्छा समर्थन जुटा लेंगे । पिछली बार के चुनाव में हालाँकि पहली वरीयता के वोटों की गिनती में राजेश शर्मा को विशाल गर्ग से कम वोट मिले थे । पहली वरीयता के वोटों की गिनती में विशाल गर्ग 1412 वोटों के साथ छठे नंबर पर थे, जबकि 1361 वोटों के साथ राजेश शर्मा आठवें नंबर पर थे - दूसरी वरीयता के वोटों के सहारे राजेश शर्मा गिरते-पड़ते किसी तरह सातवें नंबर पर पहुँचने में हालाँकि सफल हो गए थे । पिछली बार जैसे-तैसे मिली सफलता को इस बार दोहरा पाना उनके लिए मुश्किल माना/समझा जा रहा है । पिछले वर्ष आयोजित हुए सीए डे से जुड़ी उनकी बदनामी के चलते पहली वरीयता के वोटों की गिनती में उनके पिछड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है ।
राजेश शर्मा ने पिछले कुछ दिनों में पिछले वर्ष के सीए डे से जुड़ी बदनामी के दागों को धोने की यह कहते/बताते हुए हालाँकि कोशिश तो बहुत की कि उन्होंने तो अपना काम बहुत जिम्मेदारी से किया था और बदइंतजामी के लिए उन्हें नाहक ही जिम्मेदार ठहराया गया - लेकिन उनकी यह कोशिश सफल होती दिख नहीं रही है । इसके लिए दरअसल राजेश शर्मा का व्यवहार भी जिम्मेदार है - चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सामने वह डींगें तो बहुत मारते/दिखाते हैं कि उनकी तमाम मंत्रियों और नेताओं के साथ निकटता है और सरकारी विभागों में अच्छी पैठ है, लेकिन लोगों के काम करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं; लोगों के अनुभव तो यहाँ तक हैं कि वह अक्सर फोन ही नहीं उठाते हैं, बाद में कभी मिलने या बात होने पर शिकायत करो तो उनसे रटा-रटाया यही जबाव सुनने को मिलता है कि अरे, उस समय मैं फलाँ मंत्री के साथ मीटिंग में था । इस तरह के रवैये से राजेश शर्मा ने लोगों को बुरी तरह से नाराज तो किया हुआ ही है, साथ ही पिछले वर्ष के सीए डे से जुड़ी बदनामी के दाग को भी और गहरा बनाया है । ऐसे में उनकी सारी उम्मीद लुधियाना पर टिकी हुई है । उन्हें उम्मीद है कि पंकज पेरिवाल को नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनवाने का श्रेय लेकर वह लुधियाना में अपने लिए अच्छा समर्थन जुटा सकते हैं । पंकज पेरिवाल के हालाँकि सेंट्रल काउंसिल के एक अन्य सदस्य विजय गुप्ता के साथ भी अच्छे और विश्वासपूर्ण संबंध हैं; और उनके नजदीकियों का मानना/कहना है कि पंकज पेरिवाल यदि राजेश शर्मा के ही भरोसे रहते तो राजेश शर्मा की बदनामी की चलते हरगिज चेयरमैन न बन पाते, वह तो विजय गुप्ता ने जुगाड़ बैठाये और तब पंकज पेरिवाल के लिए चेयरमैन बन पाना संभव हुआ । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों का भी कहना/बताना है कि पंकज पेरिवाल के चेयरमैन-काल में राजेश शर्मा की उतनी मनमानी नहीं चल पा रही है, जितनी मनमानी राकेश मक्कड़ के चेयरमैन-काल में उन्होंने चला ली थी । इसका कारण यह भी माना/समझा जाता है कि पिछले वर्ष रीजनल काउंसिल में चेयरमैन रहे राकेश मक्कड़ चूँकि एक नाकारा और हद दर्जे के लालची/बेईमान व्यक्ति हैं, इसलिए राजेश शर्मा ने उनका जैसा मनमाना इस्तेमाल कर लिया, वैसा इस्तेमाल वह पंकज पेरिवाल का नहीं कर पा रहे हैं ।
जहाँ तक राजेश शर्मा के चेयरमैन वाली कमेटी द्वारा लुधियाना में नेशनल कॉन्फ्रेंस करने वाली बात है, तो पंकज पेरिवाल के नजदीकियों के अनुसार इसमें चूँकि पंकज पेरिवाल को भी अपना 'फायदा' नजर आ रहा है - इसलिए इस कॉन्फ्रेंस के लिए वह भी सहज रूप से इसे लुधियाना में आयोजित करने के लिए तैयार हो गए । पंकज पेरिवाल का विशाल गर्ग के साथ विरोध का संबंध है, यह बात भी पूरी तरह सच है - और विरोध के इसी संबंध का फायदा उठाने के लिए ही राजेश शर्मा ने अपने चेयरमैन वाली कमेटी द्वारा नेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए लुधियाना को चुना है । विशाल गर्ग और उनके समर्थक भी राजेश शर्मा के इस खेल को समझ रहे हैं और कॉन्फ्रेंस के दौरान जुटे लोगों को राजेश शर्मा की कारस्तानियों से अवगत कराने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं । नेशनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में राजेश शर्मा का उपस्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को संबोधित करने का प्रोग्राम है; सुना जा रहा है कि इसी सत्र में जुटे लोगों को राजेश शर्मा की कारगुजारियों से अवगत करवाया जायेगा । विशाल गर्ग और उनके समर्थकों ने पंकज पेरिवाल को भी निशाने पर लिया हुआ है; उनका गंभीर आरोप है कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन बनने के लिए की गई सौदेबाजी में वह लुधियाना में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सदस्यों की एकजुटता को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और बाहरी लोगों के प्यादे बने हुए हैं । विशाल गर्ग और उनके समर्थकों के आक्रामक रवैये को देखते हुए पंकज पेरिवाल के सहारे लुधियाना में समर्थन जुटाने की राजेश शर्मा की कोशिशें सफल होती हुई अभी तो नहीं नजर आ रही हैं ।