नई दिल्ली । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की कल शाम हुई मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी के साथ आखिरकार ठीक वैसा ही हुआ, जैसा कि 'रचनात्मक संकल्प' ने 4 जून की अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया था । पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की जुबानी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी की ऐसी जमकर
'धुलाई' हुई, कि ऐसा लगा जैसे रवि चौधरी को पूरे गवर्नर-वर्ष में अपने किए
धरे का ब्याज सहित रिटर्न मिल रहा हो । इससे पहले किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
का अपने ही द्वारा बुलाई गई मीटिंग में ऐसा हाल-बेहाल हुआ हो, पुराने
पूर्व गवर्नर्स को भी इसका पता या ध्यान नहीं है । मजे की बात यह रही कि यह
मीटिंग रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और उनके
डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल को सबक सिखाने/सिखवाने के लिए बुलाई थी,
लेकिन मीटिंग में उल्टा ही हो गया । रवि चौधरी की उम्मीद के विपरीत,
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने विनय भाटिया और विनोद बंसल से तो कुछ नहीं
कहा - सभी उलटे रवि चौधरी पर ही पिल पड़े । रवि चौधरी ने विनय भाटिया के
डिस्ट्रिक्ट असेम्बली कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के हुए उल्लंघन पर विचार के
लिए काउंसिल और गवर्नर्स की मीटिंग बुलाई थी; उनकी शिकायत थी कि प्रोटोकॉल
के उल्लंघन के चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनका अपमान हुआ । रोचक
नजारा यह रहा कि यही शिकायत रवि चौधरी को भारी पड़ गई ।
अलग अलग उदाहरणों के जरिये पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का पूछने के अंदाज में कहना रहा कि अपने पूरे गवर्नर वर्ष में रवि चौधरी ने कभी प्रोटोकॉल का पालन किया क्या, और अपनी हरकतों के जरिये दूसरों का - यहाँ तक कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तक का उन्होंने अपमान नहीं किया क्या ? और रही बात विनय भाटिया के डिस्ट्रिक्ट असेम्बली कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के उल्लंघन होने की - पूर्व गवर्नर्स का पूछना/कहना रहा कि प्रोटोकॉल के पालन की जिम्मेदारी क्या अकेले विनय भाटिया की ही थी, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं थी क्या ? कार्यक्रम में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के साथ जिस तरह की बदतमीजी की, उसमें प्रोटोकॉल का वह कौन सा पालन कर रहे थे ?
अलग अलग उदाहरणों के जरिये पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का पूछने के अंदाज में कहना रहा कि अपने पूरे गवर्नर वर्ष में रवि चौधरी ने कभी प्रोटोकॉल का पालन किया क्या, और अपनी हरकतों के जरिये दूसरों का - यहाँ तक कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तक का उन्होंने अपमान नहीं किया क्या ? और रही बात विनय भाटिया के डिस्ट्रिक्ट असेम्बली कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के उल्लंघन होने की - पूर्व गवर्नर्स का पूछना/कहना रहा कि प्रोटोकॉल के पालन की जिम्मेदारी क्या अकेले विनय भाटिया की ही थी, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं थी क्या ? कार्यक्रम में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के साथ जिस तरह की बदतमीजी की, उसमें प्रोटोकॉल का वह कौन सा पालन कर रहे थे ?
पूर्व
गवर्नर्स की इस तरह की बातों ने जताया/दिखाया कि जैसे हर पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी से बदला लेने की ताक में था, और मौका मिलने
पर फिर वह 'लात जमाने' से चूका नहीं । रवि चौधरी के लिए बदकिस्मती की बात
यह रही कि जिन दमनजीत सिंह को उन्होंने अपना डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया और
जिन अशोक घोष व राजेश बत्रा के कहने पर उन्होंने संजीव राय मेहरा को
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जितवाने के लिए हर संभव बेईमानी की,
उन्होंने भी उनकी 'पिटाई' में मजे लिए और चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहे;
विनय अग्रवाल ने जरूर कुछेक मौकों पर रवि चौधरी का बचाव करने का प्रयास
किया, लेकिन अधिकतर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के तीखे तेवर देखते हुए
किसी भी मौके पर उनकी चली नहीं । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में
विनय भाटिया और विनोद बंसल को जिस तरह का समर्थन मिला, वह उनके लिए भी अचरज
की बात रही । मीटिंग से पहले विनय भाटिया और विनोद बंसल खासे परेशान थे ।
कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अलग अलग कारणों से इनके खिलाफ देखा/समझा
जाता है; कुछ दिन पहले तक विनय भाटिया को रवि चौधरी के थैले के ही
चट्टे-बट्टे के रूप में देखा/पहचाना जाता था; लिहाजा इन्हें डर था कि
मीटिंग में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इन्हें भी निशाने पर लेंगे । लेकिन
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स जिस तरह रवि चौधरी को ही 'पीटने' में लगे रहे,
उससे विनय भाटिया और विनोद बंसल ने राहत की गहरी साँस ली । काउंसिल ऑफ
गवर्नर्स की मीटिंग में रवि चौधरी की हुई जोरदार पिटाई का विवरण देते हुए
एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का कहना रहा कि रवि चौधरी का यह हाल पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के कारण नहीं हुआ, बल्कि उनकी खुद की मूर्खता व उनके
अहंकार के कारण हुआ । अधिकतर लोगों का यही मानना और कहना है कि
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने पूरे वर्ष जो बोया, वही उन्हें
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में वापस मिला है ।
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में रवि चौधरी के साथ जो हुआ, उसे विनय भाटिया के लिए भी एक सबक के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों को लग रहा है कि विनय भाटिया अभी तो बच गए हैं, लेकिन उनकी रवि चौधरी जैसी जो हरकतें रही हैं वह यदि जारी रहीं तो उनका हाल भी रवि चौधरी जैसा ही बन जा सकता है । लोगों का कहना है कि व्यवहार में विनय भाटिया हालाँकि रवि चौधरी जैसे बदतमीज तो नहीं हैं; लेकिन बाकी (दु)र्गुणों
के मामले में वह रवि चौधरी के 'मौसेरे' भाई ही हैं । यही कारण है कि अभी
कुछ दिन पहले तक रवि चौधरी के साथ उनकी खूब बनती/छनती थी; और यह भी उनके
रवि चौधरी जैसे होने का ही सुबूत है कि उनकी हरकतों का पहला शिकार उनका
अपना समझा जाने वाला रवि चौधरी ही हो गया है । लोगों का मानना और कहना
है कि विनय भाटिया की हरकतों का शिकार बनने से जब रवि चौधरी ही नहीं बच
सका, तो फिर कौन बच पायेगा ? रवि चौधरी ने हालाँकि उनके साथ जो हुआ, उसके
लिए विनोद बंसल को जिम्मेदार ठहराया है । विनोद बंसल की मामले में कोई भूमिका रही हो या न रही हो, विनय भाटिया को तो लेकिन क्लीन चिट नहीं ही दी जा सकती है । लोगों का कहना
है कि विनय भाटिया ने यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियों और पद की
गरिमा को गंभीरता से नहीं लिया/समझा और रोटरी को लूट-खसोट तथा मौज-मजा व मनमानियों का अड्डा/जरिया ही समझे रहे, तो उनका हाल भी रवि चौधरी जैसा होना ही तय है ।