Wednesday, May 9, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में डीके शर्मा के पक्ष में आए अदालती फैसले तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक जैन की हरकत और उस हरकत पर रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय द्वारा अपनाए गए कड़े रवैये जैसी घटनाओं के एक साथ होने/घटने से डिस्ट्रिक्ट में डर हो चला है कि पटरी पर वापस लौटता डिस्ट्रिक्ट कहीं एक बार फिर पटरी से उतर तो नहीं जाएगा ?

सिकंदराबाद । पौढ़ी-गढ़वाल के सिविल जज की अदालत में डीके शर्मा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी सौंपने को लेकर आज हुए एक फैसले ने डिस्ट्रिक्ट 3100 में एक बार फिर उथलपुथल मचा दी है । उथलपुथल दरअसल इस फैसले से उत्साहित होते हुए डीके शर्मा की अगली कार्रवाई से मची है । अदालत में हुए फैसले का संज्ञान लेते हुए डीके शर्मा की तरफ से अगले दो रोटरी वर्षों के लिए हुए चुनाव को निरस्त करने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करने की चर्चा है । उनकी कार्रवाई पर अदालती फैसला क्या होगा, यह तो कार्रवाई चलने और फैसला आने के बाद ही पता चलेगा - लेकिन आज जो घटनाचक्र घटा/चला है, उसने कम से कम अगले रोटरी वर्ष के दीपक जैन के गवर्नर-काल को तो संशय में डाल ही दिया है । दीपक जैन बेचारे के लिए मुसीबत की बात यह हो गई है कि उन्हें वैसे भी ज्यादा लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, तिस पर इस तरह की घटनाएँ उनके गवर्नर-काल का और कबाड़ा किए दे रही हैं । एक गवर्नर के रूप में दीपक जैन की कारस्तानियाँ भी उनकी फजीहत करने/करवाने में सहयोग कर रही हैं । डीआरएफसी के पद से अजय कुमार को हटवाने की उनकी कोशिशों का जैसा जो हश्र हुआ और रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने उनकी हरकत को जिस तरह से निष्प्रभावी किया, वह किसी भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए बहुत ही शर्म की बात है । रोटरी इंटरनेशनल के इतिहास में इससे पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा, जबकि डीआरएफसी के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की सिफारिश को स्वीकार करने की बजाये रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने उसे रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया हो । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में दीपक जैन द्वारा की गई हरकत, उस हरकत पर रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय द्वारा अपनाए गए कड़े रवैये और डीके शर्मा की अदालती जीत जैसी घटनाओं के एक साथ होने/घटने से लोगों को यह डर भी हो चला है कि पटरी पर वापस लौटता डिस्ट्रिक्ट कहीं एक बार फिर पटरी से उतर न जाए ।
पिछले दिनों, हिचकोले खाते खाते हुए भी दीपक जैन की गवर्नरी के कार्यक्रमों के जैसे तैसे होने तथा उनके गवर्नर-काल के बाद वाले वर्ष के लिए निर्विरोध तरीके से गवर्नर का चयन होने से लगा था कि डिस्ट्रिक्ट धीरे धीरे ही सही पटरी पर लौट रहा है । डीके शर्मा और उनकी कानूनी लड़ाईयों को लोगों ने भुला दिया था और उनके चैप्टर को खत्म हुआ मान/समझ लिया गया था । लेकिन आज आए अदालती फैसले ने डीके शर्मा के मामले को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है । लगता है कि आज आए फैसले ने डीके शर्मा को एक नई ऊर्जा से भर दिया है, और वह एक बार फिर ताल ठोंक कर रोटरी इंटरनेशनल से भिड़ने को तैयार हो गए हैं । देखा/समझा जा रहा है कि डीके शर्मा को मिली अदालती जीत तथा उनके फिर से सक्रिय होने से डिस्ट्रिक्ट के उन लोगों को खासा उत्साह मिला है, जो दीपक जैन के वोटों की खरीदारी से गवर्नरी का चुनाव जीतने की स्थिति को देख कर निराश हुए हैं । दीपक जैन के चुनावी अभियान में वोटों को खरीदने का जो खुल्लाखेल हुआ, उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सवाल उठा/छिड़ा कि दो वर्षों तक डिस्ट्रिक्ट को निलंबित रखने का आखिर क्या फायदा हुआ ? यह सवाल इस विडंबना को देखते हुए और महत्त्वपूर्ण बना कि निहायत शांति और भाईचारे की भावना के साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के लिए चुने गए डीके शर्मा को तो गवर्नरी करने का मौका नहीं मिला, और वोटों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच गवर्नर का चुनाव जीतने वाले दीपक जैन को गवर्नरी करने का मौका मिल रहा है । यही कारण रहा कि डिस्ट्रिक्ट के पटरी पर लौटने की स्थिति डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लोगों को उत्साहित व प्रेरित करने में विफल रही है ।
दीपक जैन की हरकतों ने जैसे ठंडी पड़ती आग में घी डालने का काम किया । दीपक जैन द्वारा चुनाव जीतने के लिए अपनाए गए हथकंडों की चर्चा भी थमने लगी थी, और लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया था कि दीपक जैन चाहें जैसे भी हों, और वह चाहें जैसे चुनाव जीते हों - लेकिन डिस्ट्रिक्ट को अब उन्हीं के नेतृत्व में आगे बढ़ना है । यह एक मौका था, जब दीपक जैन होशियारी व जिम्मेदारी से काम लेते तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी साख बनाते, लेकिन वह पदों के मनमाने बँटवारे और छीना-झपटी के खेल में उलझ गए । डीआरएफसी के पद पर नई नियुक्ति को लेकर की गई उनकी मूर्खतापूर्ण कार्रवाई ने तो उन्हें जगहँसाई का पात्र बना दिया । कई-एक लोगों का कहना हालाँकि यह भी है कि दीपक जैन की गलती सिर्फ इतनी है कि वह कठपुतली बने हुए हैं, और उनके नजदीकी उन्हें जैसा नचाते हैं वह नाचते हैं - ऐसे में उनके नजदीकियों ने उन्हें गलत 'स्टेप' बता दिए तो वह भी क्या करते ? कुछेक लोगों का लेकिन यह भी कहना है कि दीपक जैन इतने नादान भी नहीं हैं; वह यह अच्छे से जानते हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रोटरी फाउंडेशन के पैसे में हेराफेरी करनी है तो डीआरएफसी अपना 'आदमी' होना चाहिए; उन्हें पता है कि अजय कुमार के डीआरएफसी रहते हुए तो रोटरी फाउंडेशन के पैसों में हेराफेरी करने का उन्हें मौका नहीं मिल सकेगा, इसलिए अजय कुमार को डीआरएफसी पद से हटाने/हटवाने के लिए दीपक जैन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया - लेकिन तमाम जोर के बावजूद उनके हाथ सिर्फ फजीहत ही लगी । दीपक जैन की इन हरकतों ने डीके शर्मा के साथ हुई नाइंसाफी की बात को और मुखर बना दिया । कई लोग तो कहने भी लगे हैं कि डिस्ट्रिक्ट दीपक जैन के 'हाथ' में रहे, उससे तो अच्छा है कि वह निलंबित ही बना रहे । डीके शर्मा के पक्ष में आज आए अदालती फैसले ने इस बात को और बड़ा करने तथा बढ़ाने का काम किया है कि डीके शर्मा की अदालती कार्रवाई के चलते डिस्ट्रिक्ट यदि निलंबित ही बना रहता है तो कम से कम दीपक जैन की बेईमानीपूर्ण हरकतों से तो बचा रहेगा ।