Tuesday, May 1, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में रमन गुप्ता की जोरदार जीत वास्तव में इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने जा रहे जेपी सिंह पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह की दूसरी बड़ी जीत है, जिन्होंने हर मोर्चे पर जेपी सिंह को करारी मात दी है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में रमन गुप्ता की जोरदार जीत को मल्टीपल के लोगों के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह की जीत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और हर किसी का मानना/कहना है कि इंद्रजीत सिंह ने जिस व्यूह रचना के साथ लीडरशिप के नाम पर बने 'गैंग ऑफ फोर' को धूल चटाई है - वह लायंस इंटरनेशनल के इतिहास की एक बड़ी घटना के रूप में देखी और याद रखी जायेगी । अपने उम्मीदवार मदन बत्रा की हार की खबर सुनते ही, जीत की उम्मीद करते हुए जीत का जश्न मनाने की तैयारी किए बैठे जेपी सिंह और विनोद खन्ना को चुपचाप निकलते/खिसकते जिन्होंने देखा, उनका कहना है कि इस हार को उन दोनों ने भी अपनी बड़ी फजीहत के रूप में देखा/लिया है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में इस वर्ष जो हुआ, वह अपने आप में विलक्षण घटना और उदाहरण है । लायनिज्म में राजनीति होती है, बड़े बड़े नेता उसमें कभी छिप कर तो कभी खुल कर अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं; कई बार मामला बड़ा कड़वाहटभरा भी हो जाता है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 में इस वर्ष जो हुआ, उसने पिछली सभी लड़ाइयों को, पिछले सभी घमासानों को पीछे छोड़ दिया । इससे पहले, ऐसा कभी देखने में नहीं आया कि किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के खिलाफ पूरा लायंस इंटरनेशनल एक हो गया हो, और तरह तरह से वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा हो । कई मौकों पर तो ऐसा लगा जैसे लायंस इंटरनेशनल को एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह से लड़ने के अलावा और कोई काम ही नहीं रह गया है । इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा और इंटरनेशनल बोर्ड में नॉमिनी विनोद खन्ना ने इंद्रजीत सिंह के खिलाफ जिस तरह की बेशर्मीभरी हरकतें कीं, वैसी हरकतें इससे पहले बोर्ड सदस्यों ने कभी की हों - यह किसी को याद नहीं पड़ता । आने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह ने डिस्ट्रिक्ट में इंद्रजीत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था, और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल धृतराष्ट्र की तरह 'अंधे' बने वीके लूथरा, विनोद खन्ना, जेपी सिंह की कारस्तानियों को शह देते रहे । लेकिन इंद्रजीत सिंह के खिलाफ तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद जेपी सिंह और 'गैंग ऑफ फोर' के उनके साथियों को जिस भारी पराजय का सामना करना पड़ा है, उसने कौरवों की पराजय वाले प्रसंग को मौजूदा समय में चरितार्थ करने का काम किया है ।
वास्तव में यह लड़ाई मदन बत्रा के नाम पर जेपी सिंह और विनोद खन्ना ही मिल कर लड़ रहे थे, जो डिस्ट्रिक्ट पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए प्रयत्नशील थे, और इसमें इंद्रजीत सिंह को एक बड़ी बाधा के रूप में देखते हैं । जेपी सिंह और विनोद खन्ना यूँ तो डिस्ट्रिक्ट की चुनावी लड़ाई में पहले भी पराजय का शिकार बने हैं, लेकिन इंद्रजीत सिंह के साथ उनकी कुछ खास ही खुन्नस रही - जिसके चलते उन्हें इंद्रजीत सिंह को नीचा दिखाना जरूरी लगता रहा । जेपी सिंह ने कभी इस बात को छिपाने की भी कोशिश नहीं की कि लायनिज्म में और डिस्ट्रिक्ट में उनका 'दुश्मन' एक ही है, और वह इंद्रजीत सिंह हैं । दरअसल, दो वर्ष पहले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट लेने के प्रयास में अकेले उम्मीदवार होने के बावजूद जेपी सिंह को हार का शिकार होना पड़ा था, और जिस हार के चलते उनकी भारी फजीहत हुई थी - जेपी सिंह उसके लिए इंद्रजीत सिंह को जिम्मेदार ठहराते हैं और उसके लिए जेपी सिंह ने इंद्रजीत सिंह को सबक सिखाने का फैसला लिया हुआ था । इसी फैसले के चलते जेपी सिंह ने तरह तरह से इंद्रजीत सिंह को परेशान करने और घेरने के उपक्रम किए हुए थे । जेपी सिंह ने कई बार रमन गुप्ता को कहा और कहलवाया था कि मुझे तुम्हारी उम्मीदवारी से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन चूँकि तुम इंद्रजीत सिंह के उम्मीदवार के रूप में हो - इसलिए मुझे तुम्हारी उम्मीदवारी को फेल करने के लिए हर उपाय करना ही होगा । जेपी सिंह के इस रवैये के चलते इंद्रजीत सिंह के सामने दोहरी चुनौती थी - एक तरफ तो उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में रमन गुप्ता की जीत को सुनिश्चित करने की रणनीति बनानी थी, और दूसरी तरफ अपने ऊपर होने वाले जेपी सिंह के हमलों का भी मुकाबला करना था ।
इंद्रजीत सिंह को अकेले जेपी सिंह से ही नहीं लड़ना था; जेपी सिंह को चूँकि विनोद खन्ना, वीके लूथरा व नरेश अग्रवाल से भी शह और समर्थन मिल रहा था - इसलिए इंद्रजीत सिंह को वास्तव में इन चारों की मिलीजुली ताकत से लड़ना था । जेपी सिंह और इंद्रजीत सिंह के झगड़े में इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा जिस तरह से बेमतलब में कूदे और उन्होंने इंद्रजीत सिंह के खिलाफ जिस तरह की चिट्ठी-बाजी की, वह लायनिज्म को कलंकित करने वाली बात बनी । इंद्रजीत सिंह को कमजोर करने/बनाने के लिए विनोद खन्ना व वीके लूथरा की मदद से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय गर्ग को उनके पद से हटाने का षड्यंत्र तक रचा गया । इंद्रजीत सिंह तथा विनय गर्ग की जोड़ी ने लेकिन 'गैंग ऑफ फोर' की हर हरकत का करारा जबाव दिया । जेपी सिंह के लिए मुसीबत की बात यह रही कि उनकी हर चालबाजी का उन्हें करारा जबाव तो मिला ही, जिसके चलते उनकी हर चालबाजी फेल होती गई - उनकी चालबाजियों के कारण इंद्रजीत सिंह को सहानुभूति व समर्थन और मिलता/बढ़ता गया । यही कारण रहा कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों को इंद्रजीत सिंह के खिलाफ भड़काने की जेपी सिंह की कोशिशें भी सफल नहीं हो सकीं । डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने इस बात का बहुत ही बुरा माना कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने जा रहे जेपी सिंह अपने ही डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर इंद्रजीत सिंह के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए लोगों के घर घर जा रहे हैं और इंद्रजीत सिंह के खिलाफ उनके कान भर रहे हैं । जेपी सिंह यह समझने/पहचानने में असफल रहे कि इंद्रजीत सिंह को परेशान करने वाली उनकी तमाम कोशिशें वास्तव में इंद्रजीत सिंह को और मजबूत कर रही हैं । जेपी सिंह अंतिम क्षणों तक गलतफहमी में रहे । यही कारण रहा कि चुनावी नतीजा आने से ठीक पहले तक जेपी सिंह दस से बारह वोटों से मदन बत्रा के जीतने का दावा कर रहे थे, लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि मदन बत्रा 64 वोटों से हार गए । इस नतीजे को देख/सुन कर जेपी सिंह ने विनोद खन्ना को साथ लेकर चुपचाप खिसक लेने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी ।
डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव पर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों की निगाह थी, और हर किसी को नतीजे का बेसब्री से इन्तजार था । नतीजा सुन कर मल्टीपल के लोगों का कहना रहा कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के जरिये इंद्रजीत सिंह ने एक बार फिर जेपी सिंह को सीधी पटकनी दी है । इस बार की पटकनी जेपी सिंह के लिए इसलिए और फजीहतभरी है, क्योंकि जेपी सिंह इंटरनेशनल डायरेक्टर होने जा रहे हैं और इस बार तो इंद्रजीत सिंह से लड़ने में उन्हें विनोद खन्ना के साथ-साथ वीके लूथरा व नरेश अग्रवाल जैसे बड़े पदाधिकारियों का खुला सहयोग और समर्थन मिल रहा था । जेपी सिंह की कारस्तानियों का बुरा नतीजा बेचारे गुरचरण सिंह भोला को भी भुगतना पड़ा । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच गुरचरण सिंह भोला की हालाँकि अच्छी साख व पहचान है, लेकिन जेपी सिंह के साथ होने के कारण उन्हें 67 नेगेटिव वोट पड़ गए । जेपी सिंह और उनके समर्थकों ने रवि मेहरा के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा नेगेटिव वोट डलवाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन वह रवि मेहरा के खिलाफ कुल 41 नेगेटिव वोट ही डलवा सके । इस तरह जेपी सिंह को हर मोर्चे पर इंद्रजीत सिंह से मात खानी पड़ी - जिससे लोगों के सामने पोल खुली कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने जा रहे जेपी सिंह की अपने ही डिस्ट्रिक्ट में कितनी बदनामी और कमजोर स्थिति है ।