चंडीगढ़ । प्रेसीडेंट्स इलेक्ट व सेक्रेटरीज इलेक्ट सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए और पधारे
इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के कड़े तेवर देख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
इलेक्ट प्रवीन गोयल ने वर्ष 2020-21 के लिए चुने गए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
रमेश बजाज को बधाई देने का कार्यक्रम करने में ही भलाई देखी/पहचानी । राजा
साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के इशारे पर प्रवीन गोयल पहले रमेश
बजाज को बधाई देने/दिलवाने का कार्यक्रम करवाने में आनाकानी कर रहे थे ।
दरअसल राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अभी भी रमेश बजाज की जीत
की घोषणा को हजम नहीं कर पा रहे हैं । प्रेम भल्ला, शाजु पीटर, जेपीएस
सिबिआ, रंजीत भाटिया, रमन अनेजा आदि पूर्व गवर्नर्स ने बासकर चॉकलिंगम से
मिलकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी की शिकायत की कि उन्होंने चैलेंजिंग
उम्मीदवार सुरेश सबलोक के पक्ष में आईं कॉन्करेंस की संख्या को जानबूझ कर
कम दिखा कर मनमाने तरीके से रमेश बजाज को विजेता घोषित कर दिया है । बासकर
चॉकलिंगम ने लेकिन उन्हें यह जानकारी देते हुए उनका मुँह बंद कर दिया कि
टीके रूबी लगातार उन्हें और दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस को तथ्यों से
अवगत कराते रहे हैं और उन्होंने जो भी फैसला लिया, वह उनसे विचार-विमर्श
करके ही लिया है । इन पूर्व गवर्नर्स ने बासकर चॉकलिंगम के सामने धमकी वाले
अंदाज में यह बात भी कही कि इस मामले में यदि अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई,
तो सुरेश सबलोक रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करेंगे । बासकर चॉकलिंगम ने भी
उन्हें टका सा जबाव दे दिया कि मेरे हिसाब से टीके रूबी ने जो किया है, वह
ठीक किया है - अब इसके बाद जिसे जो करना है, वह करे । बासकर चॉकलिंगम द्वारा मौजूदा लीडर्स के साथ खिंचवाई जा रही तस्वीर में रमेश बजाज को भी शामिल किए जाने का दृश्य देख कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स पीछे हटने के लिए
मजबूर हुए और प्रवीन गोयल को भी 'संदेश' मिल गया कि रमेश बजाज को विजेता
मानने में ही उनकी भलाई है; और फिर रमेश बजाज के लिए बधाई देने/दिलवाने
वाला कार्यक्रम करवाने को लेकर आनाकानी करने वाला रवैया उन्होंने छोड़ा और
प्रेसीडेंट्स इलेक्ट व सेक्रेटरीज इलेक्ट सेमीनार में उन्होंने वर्ष
2020-21 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश बजाज का स्वागत किया/करवाया
।
बासकर चॉकलिंगम के कड़े तेवर देख कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अभी भले ही पीछे हटने के लिए मजबूर हुए हैं; लेकिन लोगों को आशंका है कि अपनी घटिया व टुच्ची सोच को वह आसानी से छोड़ेंगे नहीं और कुछ न कुछ बबाल खड़ा करेंगे ही । मजे की बात यह है कि उनके द्वारा किए जाने वाले संभावित बबाल का वास्ता देकर सुरेश सबलोक टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं के साथ सौदेबाजी करने लगे हैं । सुरेश सबलोक ऑफर दे रहे हैं कि टीके रूबी वाले खेमे के नेता अगले वर्ष में उन्हें यदि अपना उम्मीदवार बना/मान लेने का आश्वासन दें, तो वह राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के हाथों का खिलौना नहीं बनेंगे और उनकी बात नहीं मानेंगे और इस बार अपनी हार स्वीकार कर लेंगे और चुप बैठेंगे । टीके रूबी वाले खेमे के नेता लोग लेकिन सुरेश सबलोक के इस ऑफर में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । उनका मानना/कहना है कि सुरेश सबलोक यदि उनकी बाँह मरोड़ कर अपनी उम्मीदवारी के लिए उनका समर्थन चाह रहे हैं, तो यह तो नहीं हो पायेगा । सुरेश सबलोक यदि दोस्तों की तरह साथ आएँ तो अगले दो-तीन वर्षों में गवर्नर चुन लिए जा सकेंगे - लेकिन इसके लिए कोई सौदेबाजी नहीं की जा सकती है । टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं का कहना है कि सुरेश सबलोक सौदेबाजी फलीभूत न होने की स्थिति में यदि डीसी बंसल वाले 'रास्ते' पर ही जाना चाहते हैं, तो फिर उन्हें कौन रोक सकता है ? राजा साबू गिरोह के चक्कर में फँस कर डीसी बंसल को अपना रोटरी जीवन बर्बाद करने से जब कोई नहीं रोक पाया, तो सुरेश सबलोक को भी कोई नहीं रोक पायेगा ।
ऐसे में, सभी की निगाह इस बात पर है कि सुरेश सबलोक एक सच्चे रोटेरियन की तरह क्या इस सच्चाई को स्वीकार करेंगे कि वह निर्धारित समय तक अपने चैलेंज के लिए जरूरी कॉन्करेंस की व्यवस्था करने में असफल रहे हैं और इस तरह इस वर्ष की चुनावी लड़ाई को हार चुके हैं; और या राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की बबाल पैदा करने वाली राजनीति का 'मोहरा' बनेंगे । उनके नजदीकियों की मानें तो सुरेश सबलोक इस बात को जान/समझ तो रहे हैं कि राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं उन्हें यह भी लग रहा है कि इस तरह इस्तेमाल होकर ही वह टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं को अगले वर्ष के समर्थन के समझौते के लिए राजी कर सकते हैं - इसलिए हो सकता है कि वह राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स का 'मोहरा' बने रहें । देखने की बात सिर्फ यह होगी कि सुरेश सबलोक को मोहरा बना कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स का खेल कितना दूर तक जायेगा और चलेगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर रमेश बजाज की जोरदार चुनावी जीत और उनकी जीत को इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम की तरफ से मिली खुली व स्पष्ट दो-टूक मान्यता से टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं तथा समर्थकों के हौंसले खासे बुलंद हैं । प्रेसीडेंट्स इलेक्ट व सेक्रेटरीज इलेक्ट सेमीनार में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी द्वारा दिए गए भाषण को लोगों की जो तालियाँ मिलीं, और बासकर चॉकलिंगम ने अपने भाषण में टीके रूबी की जैसी जो खुली ढेर प्रशंसा की - उससे भी टीके रूबी वाले खेमे के लोगों को उत्साह मिला है, और राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स दबाव में आए हैं और कमजोर पड़ते दिखे हैं । लेकिन फिर भी अगले कुछ दिनों की घटनाएँ डिस्ट्रिक्ट के आगे के माहौल को तय करने वाली साबित होंगी ।
बासकर चॉकलिंगम के कड़े तेवर देख कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अभी भले ही पीछे हटने के लिए मजबूर हुए हैं; लेकिन लोगों को आशंका है कि अपनी घटिया व टुच्ची सोच को वह आसानी से छोड़ेंगे नहीं और कुछ न कुछ बबाल खड़ा करेंगे ही । मजे की बात यह है कि उनके द्वारा किए जाने वाले संभावित बबाल का वास्ता देकर सुरेश सबलोक टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं के साथ सौदेबाजी करने लगे हैं । सुरेश सबलोक ऑफर दे रहे हैं कि टीके रूबी वाले खेमे के नेता अगले वर्ष में उन्हें यदि अपना उम्मीदवार बना/मान लेने का आश्वासन दें, तो वह राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के हाथों का खिलौना नहीं बनेंगे और उनकी बात नहीं मानेंगे और इस बार अपनी हार स्वीकार कर लेंगे और चुप बैठेंगे । टीके रूबी वाले खेमे के नेता लोग लेकिन सुरेश सबलोक के इस ऑफर में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । उनका मानना/कहना है कि सुरेश सबलोक यदि उनकी बाँह मरोड़ कर अपनी उम्मीदवारी के लिए उनका समर्थन चाह रहे हैं, तो यह तो नहीं हो पायेगा । सुरेश सबलोक यदि दोस्तों की तरह साथ आएँ तो अगले दो-तीन वर्षों में गवर्नर चुन लिए जा सकेंगे - लेकिन इसके लिए कोई सौदेबाजी नहीं की जा सकती है । टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं का कहना है कि सुरेश सबलोक सौदेबाजी फलीभूत न होने की स्थिति में यदि डीसी बंसल वाले 'रास्ते' पर ही जाना चाहते हैं, तो फिर उन्हें कौन रोक सकता है ? राजा साबू गिरोह के चक्कर में फँस कर डीसी बंसल को अपना रोटरी जीवन बर्बाद करने से जब कोई नहीं रोक पाया, तो सुरेश सबलोक को भी कोई नहीं रोक पायेगा ।
ऐसे में, सभी की निगाह इस बात पर है कि सुरेश सबलोक एक सच्चे रोटेरियन की तरह क्या इस सच्चाई को स्वीकार करेंगे कि वह निर्धारित समय तक अपने चैलेंज के लिए जरूरी कॉन्करेंस की व्यवस्था करने में असफल रहे हैं और इस तरह इस वर्ष की चुनावी लड़ाई को हार चुके हैं; और या राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की बबाल पैदा करने वाली राजनीति का 'मोहरा' बनेंगे । उनके नजदीकियों की मानें तो सुरेश सबलोक इस बात को जान/समझ तो रहे हैं कि राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं उन्हें यह भी लग रहा है कि इस तरह इस्तेमाल होकर ही वह टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं को अगले वर्ष के समर्थन के समझौते के लिए राजी कर सकते हैं - इसलिए हो सकता है कि वह राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स का 'मोहरा' बने रहें । देखने की बात सिर्फ यह होगी कि सुरेश सबलोक को मोहरा बना कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स का खेल कितना दूर तक जायेगा और चलेगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर रमेश बजाज की जोरदार चुनावी जीत और उनकी जीत को इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम की तरफ से मिली खुली व स्पष्ट दो-टूक मान्यता से टीके रूबी वाले खेमे के नेताओं तथा समर्थकों के हौंसले खासे बुलंद हैं । प्रेसीडेंट्स इलेक्ट व सेक्रेटरीज इलेक्ट सेमीनार में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी द्वारा दिए गए भाषण को लोगों की जो तालियाँ मिलीं, और बासकर चॉकलिंगम ने अपने भाषण में टीके रूबी की जैसी जो खुली ढेर प्रशंसा की - उससे भी टीके रूबी वाले खेमे के लोगों को उत्साह मिला है, और राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स दबाव में आए हैं और कमजोर पड़ते दिखे हैं । लेकिन फिर भी अगले कुछ दिनों की घटनाएँ डिस्ट्रिक्ट के आगे के माहौल को तय करने वाली साबित होंगी ।