Friday, April 20, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में सतीश सिंघल के रोटरी और डिस्ट्रिक्ट से बाहर होने की बन रही संभावना के चलते अमित गुप्ता और रवि सचदेवा के गेम-प्लान के पूरी तरह तहस-नहस हो जाने की स्थिति डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक अग्रवाल के लिए वरदान की तरह ही है

गाजियाबाद । सतीश सिंघल की मुश्किलें और उनके कारण बनी स्थितियाँ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए जैसे वरदान बन कर आई हैं । दरअसल सतीश सिंघल को लेकर जो हालात बने हैं, उन्होंने अन्य संभावित उम्मीदवारों - अमित गुप्ता और रवि सचदेवा के सामने अप्रत्याशित आफतें खड़ी कर दी हैं, और उनकी यही अप्रत्याशित आफतें अशोक अग्रवाल के लिए वरदान बन गईं हैं । मजे की बात यह है कि सतीश सिंघल के कारण बनी मुश्किलों को अमित गुप्ता और रवि सचदेवा ने अलग अलग तरीकों से खुद ही आमंत्रित किया है । रवि सचदेवा का मामला तो ज्यादा ही दिलचस्प है । उल्लेखनीय है कि सतीश सिंघल को मुसीबतों ने जब घेरना शुरू किया, और उसके एक पड़ाव पर उन्हें जब अपने ही क्लब से निकाला गया - तब रवि सचदेवा ने उन्हें अपने क्लब में शरण दी/दिलवाई । रवि सचदेवा और उनके संगी-साथियों ने सोचा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके क्लब का सदस्य होगा, तो उनके क्लब की धाक बनेगी और एक उम्मीदवार के रूप में रवि सचदेवा का पलड़ा भारी होगा । ऐसा सोचते हुए उन्हें जरा भी आशंका नहीं रही होगी कि सतीश सिंघल को अपने क्लब में शामिल करने के साथ ही बदकिस्मती ने भी उनके क्लब में डेरा डाल दिया है । पहले तो, रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को बड़े जोरशोर के साथ प्रमोट करने के लिए जो कार्यक्रम बनाया गया, उसके ठीक एक दिन पहले सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त करने की घोषणा हो गई - जिसके चलते कार्यक्रम का सारा तामझाम निरर्थक हो गया । दूसरी मुसीबत अब यह आ पड़ी है कि सतीश सिंघल द्वारा रोटरी इंटरनेशनल के खिलाफ अदालती कार्रवाई शुरू किए जाने की प्रतिक्रिया में रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय की तरफ से सतीश सिंघल को क्लब से निकालने के लिए दबाव बनाया जा रहा है । 
 उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल का यह नियम है कि कोई रोटेरियन यदि उसके खिलाफ अदालत जाता है, तो उसके क्लब को उसकी सदस्यता खत्म करने के लिए कहा जाता है, और यदि क्लब ऐसा नहीं करता है तो क्लब को ही बंद कर दिया जाता है । पिछले दिनों ही गवर्नरी के चक्कर में डिस्ट्रिक्ट 3100 और डिस्ट्रिक्ट 3080 में ऐसा हो चुका है । इसीलिए रवि सचदेवा के क्लब के सामने अपने आप को बचाये रखने के लिए एक ही विकल्प है - और वह यह कि वह सतीश सिंघल को क्लब से निकाल दें । यह स्थिति रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को बड़ा झटका देने वाली है, जिससे उबर पाना उनके लिए मुश्किल ही होगा । अमित गुप्ता का मामला थोड़ा अलग है, और एक बड़ी सुनियोजित योजना के फेल हो जाने की कहानी कहता है । दरअसल अमित गुप्ता ने अगले रोटरी वर्ष में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की योजना सतीश सिंघल के कहने पर ही बनाई थी । वास्तव में अमित गुप्ता इसी वर्ष उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे थे । उनके नजदीकियों ने उन्हें समझाया था कि यह वर्ष उनके लिए बहुत ही मुफीद रहेगा; क्योंकि मुकेश अरनेजा ने आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति अपना अनमनापन प्रकट कर ही दिया था - इसलिए अलग अलग कारणों से अमित गुप्ता को कई नेताओं का समर्थन मिल सकने की संभावना बन रही थी । सतीश सिंघल ने लेकिन अमित गुप्ता को अपनी टीम में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दीं और समझाया कि इन जिम्मेदारियों को निभाते और काम करते हुए इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच पहचान और पैठ बनाओ और अगले वर्ष उम्मीदवार बनो ।
सतीश सिंघल ने तर्क दिया कि अगले वर्ष गवर्नर के क्लब का उम्मीदवार होने का फायदा मिलेगा और फिर निवर्त्तमान गवर्नर के रूप में मेरा और आने वाले दो गवर्नरों का समर्थन मिलेगा । किसी भी उम्मीदवार को यह तर्क लुभायेगा ही, सो अमित गुप्ता को भी इस तर्क ने लुभा लिया और अपने तमाम समर्थकों की सलाह को दरकिनार कर उन्होंने अगले वर्ष के लिए उम्मीदवारी लाने का फैसला कर लिया । उनके कुछेक नजदीकियों ने फिर भी समझाया कि इस वर्ष यदि हार भी गए तो अगले वर्ष अपनी स्थिति को मजबूत करोगे । अमित गुप्ता पर लेकिन सतीश सिंघल के तर्क का जादु चढ़ चुका था, लिहाजा उन्होंने किसी की नहीं सुनी । पर अब जब अमित गुप्ता को सतीश सिंघल की मदद की जरूरत पड़ी, तब सतीश सिंघल खुद मुसीबत में फँस गए और ऐसी मुसीबत में फँस गए कि किसी उम्मीदवार के तो काम के नहीं ही रह गए । सतीश सिंघल के मुसीबत में फँसने से अमित गुप्ता और रवि सचदेवा के सामने बैठे-बिठाए जो संकट आ खड़ा हुआ है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक अग्रवाल को बिना कुछ करे-धरे ही लाभ की स्थिति में ला दिया है । सतीश सिंघल के साथ जो हुआ है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों का ताना-बाना पूरी तरह बिखर गया है और दूसरे किसी खेमे के 'बनने' की संभावना फिलहाल धूमिल ही लगती है । अलग अलग कारणों से और अलग अलग तरीकों से अमित गुप्ता तथा रवि सचदेवा चूँकि सतीश सिंघल के समर्थन पर निर्भर थे, इसलिए सतीश सिंघल के रोटरी और डिस्ट्रिक्ट से बाहर होने की बन रही संभावना के चलते इनका गेम-प्लान पूरी तरह तहस-नहस हो गया है । चुनावी मुकाबला शुरू होने से पहले ही संभावित प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवारों के गेम प्लान के ध्वस्त होने की स्थिति अशोक अग्रवाल के लिए वरदान से कम नहीं है ।