गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के अंतर्गत आने वाले लायनेस क्लब्स और डिस्ट्रिक्ट को पूर्ण स्वतंत्रता देने/दिलवाने की माँग करते हुए पूर्व लायनेस डिस्ट्रिक्ट चेयरपरसन रश्मि चौहान ने लायंस इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को पत्र लिख कर मामले को खासी गर्मी दे दी है । रश्मि
चौहान हालाँकि पिछले काफी समय से इस मामले को उठा रही हैं, लेकिन कुछेक
बड़े नेताओं के जुबानी समर्थन से ज्यादा इस मामले में कुछ हुआ नहीं है ।
रश्मि चौहान का कहना है कि लायंस इंटरनेशनल ने लायनेस क्लब्स व डिस्ट्रिक्ट
को जब लायंस डिस्ट्रिक्ट से अलग कर दिया है और लायनेस की आधिकारिक मान्यता
को समाप्त कर दिया है, तब फिर लायनेस के डिस्ट्रिक्ट चेयरपरसन की नियुक्ति
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर द्वारा क्यों की जा रही है - और लायनेस डिस्ट्रिक्ट के
चेयरपरसन का चुनाव करने का अधिकार लायनेस क्लब्स को क्यों नहीं दिया जा
रहा है ? रश्मि चौहान लायनेस क्लब्स और डिस्ट्रिक्ट को स्वतंत्रता न देने
के लिए मुकेश गोयल को जिम्मेदार ठहराती हैं । नरेश अग्रवाल को लिखे पत्र
में रश्मि चौहान ने एक तरह से लायनेस क्लब्स और डिस्ट्रिक्ट को मुकेश गोयल
के चंगुल से निकालने की गुहार लगाई है । रश्मि चौहान का आरोप है कि मुकेश
गोयल अपने कहे में रहने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के जरिये लायनेस
डिस्ट्रिक्ट के चेयरपरसन पद पर मनमाने तरीके से नियुक्तियाँ करते हैं ।
मुकेश गोयल को निशाने पर लेकर रश्मि चौहान ने मामले में गर्मी तो पैदा कर दी है, लेकिन मामले को राजनीतिक रंग भी दे दिया है । मुकेश गोयल खेमे की तरफ से कहा/पूछा जा रहा है कि सारे झमेले के लिए यदि सिर्फ मुकेश गोयल ही जिम्मेदार हैं, तो पिछले लायन वर्ष में गवर्नर रहे मुकेश गोयल के धुर विरोधी शिव कुमार चौधरी ने रश्मि चौहान की बात क्यों नहीं मानी ? इसी बात के सहारे, मुकेश गोयल खेमे के लोगों को कहने का मौका मिल रहा है कि लायनेस चेयरपरसन के चयन के लिए स्वतंत्रता की रश्मि चौहान की माँग मुकेश गोयल विरोधी नेताओं की राजनीति से प्रेरित है । मुकेश गोयल खेमे के लोगों का कहना है कि लायनेस क्लब अभी भी चूँकि लायंस क्लब की अनुशंसा पर खुलते हैं और उन्हीं के द्वारा प्रायोजित किये जाते हैं, इसलिए लायनेस चेयरपरसन की नियुक्ति लायंस के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के द्वारा ही हो सकती है । किसी को यदि लायंस से पूरी तरह स्वतंत्र होना ही है, तो वह कोई और संस्था खोल ले - वह लायनिज्म की पहचान के साथ ही क्यों रहना चाहता है ? कुछेक लोगों का कहना है कि लायनेस क्लब्स चूँकि लायंस की राजनीति के सहायक भी बनते हैं, इसलिए लायंस डिस्ट्रिक्ट और क्लब की राजनीति करने वाले लोग लायनेस क्लब और डिस्ट्रिक्ट की बागडोर अपने हाथ में रखना चाहते हैं और उन्हें स्वतंत्रता नहीं देना चाहते हैं । पिछले लायन वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी ने तो इसमें ठगी करने और पैसे बनाने के मौके भी खोज लिए । उन्होंने दो चेयरपरसन बनाने का काम किया और इसके बदले में दोनों से ही पैसे ऐंठे । पैसे ऐंठने के लालच में शिव कुमार चौधरी ने दो चेयरपरसन बनाने का जो काम किया, उनके बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने वाले अजय सिंघल और विनय मित्तल ने उसमें व्यवस्थासंबंधी सुविधा देखी/पहचानी, तो उन्होंने भी दो चेयरपरसन बनाने के काम को जारी रखा है ।
दो चेयरपरसन वाली व्यवस्था ने मुकेश गोयल को बंदरबाँट करने का और मौका दे दिया है । मुकेश गोयल को मिले इस मौके ने लायनेस के लिए स्वतंत्रता की माँग कर रहीं रश्मि चौहान की 'लड़ाई' को और मुश्किल बना दिया है । मजे की बात यह हुई है कि कई लायनेस को ही मौजूदा व्यवस्था ठीक लगती है, और वह रश्मि चौहान की ही खिलाफत करने लगी हैं । ऐसा होता ही है - अधिकतर लोग यथास्थिति के ही समर्थक होते हैं और जैसा चल रहा होता है, वैसा ही चलने देना चाहते हैं; इसीलिए व्यवस्था परिवर्तन चाहने वाले लोगों की लड़ाई मुश्किल होती है । रश्मि चौहान को इसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है । मुँहजबानी तो कई लोगों ने उनकी माँग का समर्थन किया है, लेकिन वास्तव में वह यह लड़ाई अकेले ही लड़ती देखीं जा रहीं हैं । पिछले दिनों हापुड़ में हुई लायंस की एक मीटिंग में उन्होंने मुकेश गोयल के सामने अपनी माँग रखने की कोशिश की, तो मुकेश गोयल ने उन्हें डपट कर चुप करा दिया । वहाँ उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिला, लिहाजा उन्हें चुप हो जाना पड़ा । मीटिंग में तो रश्मि चौहान चुप हो गईं, लेकिन लायनेस को स्वतंत्रता दिलवाने के मुद्दे पर वह चुप नहीं हुई हैं । अपने मुद्दे को लेकर अब उन्होंने लायंस इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को पत्र लिखा है । रश्मि चौहान द्वारा लायंस इंटरनेशनल का दरवाजा खटखटाए जाने से डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में लायनेस को स्वतंत्रता मिलने का मामला गंभीर हो गया है । नरेश अग्रवाल ने इस मामले में यदि गंभीरता दिखाई तो यह रश्मि चौहान की एक बड़ी जीत होगी ।
मुकेश गोयल को निशाने पर लेकर रश्मि चौहान ने मामले में गर्मी तो पैदा कर दी है, लेकिन मामले को राजनीतिक रंग भी दे दिया है । मुकेश गोयल खेमे की तरफ से कहा/पूछा जा रहा है कि सारे झमेले के लिए यदि सिर्फ मुकेश गोयल ही जिम्मेदार हैं, तो पिछले लायन वर्ष में गवर्नर रहे मुकेश गोयल के धुर विरोधी शिव कुमार चौधरी ने रश्मि चौहान की बात क्यों नहीं मानी ? इसी बात के सहारे, मुकेश गोयल खेमे के लोगों को कहने का मौका मिल रहा है कि लायनेस चेयरपरसन के चयन के लिए स्वतंत्रता की रश्मि चौहान की माँग मुकेश गोयल विरोधी नेताओं की राजनीति से प्रेरित है । मुकेश गोयल खेमे के लोगों का कहना है कि लायनेस क्लब अभी भी चूँकि लायंस क्लब की अनुशंसा पर खुलते हैं और उन्हीं के द्वारा प्रायोजित किये जाते हैं, इसलिए लायनेस चेयरपरसन की नियुक्ति लायंस के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के द्वारा ही हो सकती है । किसी को यदि लायंस से पूरी तरह स्वतंत्र होना ही है, तो वह कोई और संस्था खोल ले - वह लायनिज्म की पहचान के साथ ही क्यों रहना चाहता है ? कुछेक लोगों का कहना है कि लायनेस क्लब्स चूँकि लायंस की राजनीति के सहायक भी बनते हैं, इसलिए लायंस डिस्ट्रिक्ट और क्लब की राजनीति करने वाले लोग लायनेस क्लब और डिस्ट्रिक्ट की बागडोर अपने हाथ में रखना चाहते हैं और उन्हें स्वतंत्रता नहीं देना चाहते हैं । पिछले लायन वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी ने तो इसमें ठगी करने और पैसे बनाने के मौके भी खोज लिए । उन्होंने दो चेयरपरसन बनाने का काम किया और इसके बदले में दोनों से ही पैसे ऐंठे । पैसे ऐंठने के लालच में शिव कुमार चौधरी ने दो चेयरपरसन बनाने का जो काम किया, उनके बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने वाले अजय सिंघल और विनय मित्तल ने उसमें व्यवस्थासंबंधी सुविधा देखी/पहचानी, तो उन्होंने भी दो चेयरपरसन बनाने के काम को जारी रखा है ।
दो चेयरपरसन वाली व्यवस्था ने मुकेश गोयल को बंदरबाँट करने का और मौका दे दिया है । मुकेश गोयल को मिले इस मौके ने लायनेस के लिए स्वतंत्रता की माँग कर रहीं रश्मि चौहान की 'लड़ाई' को और मुश्किल बना दिया है । मजे की बात यह हुई है कि कई लायनेस को ही मौजूदा व्यवस्था ठीक लगती है, और वह रश्मि चौहान की ही खिलाफत करने लगी हैं । ऐसा होता ही है - अधिकतर लोग यथास्थिति के ही समर्थक होते हैं और जैसा चल रहा होता है, वैसा ही चलने देना चाहते हैं; इसीलिए व्यवस्था परिवर्तन चाहने वाले लोगों की लड़ाई मुश्किल होती है । रश्मि चौहान को इसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है । मुँहजबानी तो कई लोगों ने उनकी माँग का समर्थन किया है, लेकिन वास्तव में वह यह लड़ाई अकेले ही लड़ती देखीं जा रहीं हैं । पिछले दिनों हापुड़ में हुई लायंस की एक मीटिंग में उन्होंने मुकेश गोयल के सामने अपनी माँग रखने की कोशिश की, तो मुकेश गोयल ने उन्हें डपट कर चुप करा दिया । वहाँ उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिला, लिहाजा उन्हें चुप हो जाना पड़ा । मीटिंग में तो रश्मि चौहान चुप हो गईं, लेकिन लायनेस को स्वतंत्रता दिलवाने के मुद्दे पर वह चुप नहीं हुई हैं । अपने मुद्दे को लेकर अब उन्होंने लायंस इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को पत्र लिखा है । रश्मि चौहान द्वारा लायंस इंटरनेशनल का दरवाजा खटखटाए जाने से डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में लायनेस को स्वतंत्रता मिलने का मामला गंभीर हो गया है । नरेश अग्रवाल ने इस मामले में यदि गंभीरता दिखाई तो यह रश्मि चौहान की एक बड़ी जीत होगी ।