Sunday, April 1, 2018

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐंडॉर्सी के मामले में अनीता गुप्ता की दुत्कार के चलते घर/घाट से बेदखल शिव कुमार चौधरी की बदतमीजीपूर्ण प्रतिक्रिया से बचने के लिए ही अश्वनी काम्बोज चुनावी मीटिंग्स करने से बच रहे हैं क्या ?

देहरादून । 'ईंधन' की कमी का शिकार बताई जा रही राजेश गुप्ता की चुनावी गाड़ी को तो उसका 'ड्राईवर' जोर-शोर से सीटी बजाता और धुआँ छोड़ता हुआ - और कईयों का धुआँ निकालता हुआ - लेकर चल पड़ा है, लेकिन अश्वनी काम्बोज की चुनावी गाड़ी अभी भी कहीं अटकी पड़ी लग रही है । अश्वनी काम्बोज के नजदीकियों का कहना/बताना हालाँकि यह है कि उनकी चुनावी गाड़ी भी चल तो रही है, लेकिन वह शोर करने से बच रही है । यह बात लोगों को लेकिन हजम नहीं हो रही है; क्योंकि वह जानते/समझते हैं कि 'चुनावी गाड़ी' के चलने में शोर का ही तो महत्त्व होता है । माना/समझा जाता है कि चुनावी गाड़ी चले भले ही धीरे धीरे, लेकिन उसे शोर जोर से करना चाहिए और धुआँ भी छोड़ना चाहिए - ताकि दूसरों का धुआँ निकले । अश्वनी काम्बोज और उनके साथी यदि चुनावी राजनीति की इतनी सामान्य-सी बात भी नहीं समझ रहे हैं, तो फिर तो उनकी चुनावी गाड़ी के पिछले वर्ष के चुनाव जैसा हाल ही होने का डर व्यक्त किया जा सकता है । राजनीति जानने और समझने वाले अश्वनी काम्बोज के समर्थकों का कहना/बताना लेकिन यह भी है कि अपने 'कुनबे' की फूट को छिपाए रखने के लिए अश्वनी काम्बोज बड़ी मीटिंग को आयोजित करने से बच रहे हैं, और वन-टू-वन अभियान पर ही लगे हुए हैं । अश्वनी काम्बोज को डर है कि जिस दिन उनकी उम्मीदवारी के प्रमोशन की मीटिंग होगी, उसी दिन उनके 'कुनबे' का झगड़ा सभी के सामने आ जायेगा । अश्वनी काम्बोज के चुनाव अभियान में तवज्जो न मिलने से निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी बुरी तरह से खफा चल रहे हैं और मौके की तलाश में हैं कि कब उन्हें अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी की बागडोर सँभाले रखने वाली पूर्व गवर्नर अनीता गुप्ता से हिसाब बराबर करने का मौका मिले ।
दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐंडॉर्सी की चुनावी राजनीति में अनीता गुप्ता की दुत्कार ने शिव कुमार चौधरी की हालत धोबी के उस कुत्ते जैसी कर दी है, जो न घर का रहा और न घाट का । उल्लेखनीय है कि शिव कुमार चौधरी ने बड़े जोरशोर के साथ इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐंडॉर्सी के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी । उन्हें उम्मीद थी कि अश्वनी काम्बोज की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए उनके समर्थन को पक्का करने के लालच में अनीता गुप्ता उन्हें समर्थन देंगी । विरोधी खेमे की तरफ से इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐंडॉर्सी के लिए अरविंद संगल का नाम आने की संभावना थी; लेकिन शिव कुमार चौधरी को विश्वास था कि अनीता गुप्ता जब उन्हें समर्थन दे देंगी, तब अरविंद संगल अपना नाम आगे लाने की हिम्मत नहीं करेंगे । यह विश्वास शिव कुमार चौधरी को इसलिए भी था, क्योंकि उन्हें अनीता गुप्ता और अरविंद संगल के बीच छत्तीस के रिश्ते का पता था, और वह मान कर चल रहे थे कि अरविंद संगल का समर्थन तो अनीता गुप्ता हरगिज नहीं करेंगी । लेकिन अनीता गुप्ता ने जब उन्हें दुत्कार कर अरविंद संगल को समर्थन देने का फैसला सुनाया, तो शिव कुमार चौधरी 'घर' और 'घाट' के बीच कूँ कूँ करते सुनाई/दिखाई पड़े - और इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐंडॉर्सी के चुनाव में नामांकन करने तक की हिम्मत नहीं दिखा सके । जोरशोर से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले शिव कुमार चौधरी को अपनी उम्मीदवारी की बात से जिस तरह पीछे हटने और मुँह छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ा, उससे डिस्ट्रिक्ट में उनकी राजनीतिक हैसियत की पोल भी खुल गई - और इस पोल खुलने के चलते हुई फजीहत के लिए शिव कुमार चौधरी ने अनीता गुप्ता को जिम्मेदार माना/ठहराया ।
दरअसल, अनीता गुप्ता के फैसले से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यही संदेश गया और साबित हुआ कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी के लिए वह शिव कुमार चौधरी की बजाये अरविंद संगल के समर्थन को ज्यादा जरूरी मानती और अहमियत देती हैं । ऐसी फजीहत तो डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में शायद ही कभी किसी की हुई होगी । इसी समय में लोगों को यह भी देखने को मिल रहा है कि राजेश गुप्ता और अश्वनी काम्बोज के रूप में जिन लोगों को शिव कुमार चौधरी ने गवर्नर बनने का चस्का लगाया, वह दोनों ही गवर्नर बनने की दौड़ में शामिल रहते हुए शिव कुमार चौधरी की छाया से भी बच रहे हैं । शिव कुमार चौधरी को सबसे बड़ा झटका तो अश्वनी काम्बोज की तरफ से लग रहा है । अश्वनी काम्बोज यूँ तो उसी खेमे के उम्मीदवार हैं, शिव कुमार चौधरी जिस खेमे के नेता 'बनने' की कोशिश कर रहे हैं - लेकिन फिर भी अश्वनी काम्बोज उनसे बचने और दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं । मजे की बात यह देखने में आ रही है कि शिव कुमार चौधरी तो जबर्दस्ती अश्वनी काम्बोज के गले लगने/पड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन अश्वनी काम्बोज उनसे बचने की कोशिश करते हैं । राजेश गुप्ता की तरह, अपने अनुभव से अश्वनी काम्बोज ने भी समझ लिया है कि शिव कुमार चौधरी के साथ रहे तो जीवन में कभी गवर्नर नहीं बन सकेंगे । अनीता गुप्ता ने भी उनसे कहा हुआ है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट के रंगा-बिल्ला से बच कर रहना है । दरअसल, अश्वनी काम्बोज और अनीता गुप्ता जान/समझ रहे हैं कि रंगा-बिल्ला के पास जो छह/आठ वोट हैं भी, वह अश्वनी काम्बोज के पक्ष में पड़ने के लिए मजबूर ही हैं - इसलिए उन्हें तवज्जो देने की जरूरत ही नहीं है । उन्हें हालाँकि यह डर भी है कि चुनावी मीटिंग्स में शिव कुमार चौधरी को यदि तवज्जो नहीं दी गई, तो वह अपने बदतमीजीपूर्ण व्यवहार से मीटिंग्स खराब भी कर सकता है । अनीता गुप्ता और अश्वनी काम्बोज जान/समझ रहे हैं कि शिव कुमार चौधरी अपनी घटिया सोच और व्यवहार से कुछ अच्छा तो नहीं ही कर सकता है, लेकिन खराब जरूर कर सकता है । वास्तव में, इसीलिए अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए मीटिंग्स करने से अभी बचा जा रहा है - क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके अपने खेमे के नेताओं के झगड़े लोगों के सामने आ जायेंगे ।