देहरादून । अश्वनी
काम्बोज के मुकेश गोयल खेमे में चले जाने से अनाथ और बर्बाद हुए विरोधी
खेमे के नेताओं ने धीरज गोयल को आगे करके अश्वनी काम्बोज को ब्लैकमेल करने
की जो तैयारी की है, उसने विरोधी खेमे के पूर्व गवर्नर्स और अश्वनी
काम्बोज के बीच आँख-मिचौली वाला खेल शुरू कर दिया है । दरअसल अश्वनी
काम्बोज ने अभी तो विरोधी खेमे के पूर्व गवर्नर्स की चाल में फँसने से
इंकार किया हुआ है, लेकिन विरोधी खेमे के पूर्व गवर्नर्स ने भी खम ठोकी हुई
है कि अश्वनी काम्बोज बचते कैसे हैं ? विरोधी खेमे के पूर्व गवर्नर्स में
हालाँकि इस बात को लेकर मतभेद हैं कि अश्वनी काम्बोज को आखिर कितना ठगा जाए
। विरोधी खेमे के अधिकतर पूर्व गवर्नर्स तो चाहते हैं कि अश्वनी काम्बोज
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में उनके और उनके लोगों के लिए कमरों और खाने के
साथ-साथ पीने की व्यवस्था कर दें; लेकिन लायनिज्म को धंधा और कमाई का
जरिया बना लेने वाले इसी वर्ष पूर्व हुए गवर्नर शिव कुमार चौधरी इस सब के
साथ-साथ कुछ और कमाई कर लेने की योजना पर काम कर रहे हैं । दरअसल इसी
योजना के तहत उन्होंने धीरज गोयल का नामांकन करा दिया था । एक कुशल धंधेबाज
की तरह उन्होंने पहले ही भाँप लिया था कि अश्वनी काम्बोज हो सकता है कि
उनके हाथ से निकल जाएँ - अश्वनी काम्बोज या तो मैदान छोड़ जाते और या वह
करते, जो उन्होंने किया । शिव कुमार चौधरी पहले वाली स्थिति में धीरज गोयल
का इस्तेमाल करते हुए राजेश गुप्ता से पैसे ऐंठने का जुगाड़ लगाते, और दूसरी
स्थिति में अश्वनी काम्बोज की जेब काटने की तैयारी करते । मजे की बात
यह है कि धीरज गोयल की उम्मीदवारी की अभी तक कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन
अश्वनी काम्बोज के मुकेश गोयल खेमे में आते और चुनाव की संभावना खत्म होने
के हालात बनते ही धीरज गोयल की उम्मीदवारी दिखाई देने लगी ।
शिव कुमार चौधरी की तरफ से अश्वनी काम्बोज से धीरज गोयल को 'बैठाने' की कीमत माँगी जा रही है । अश्वनी काम्बोज को गणित बताया/समझाया जा रहा है कि उन्होंने यदि धीरज गोयल को नहीं बैठाया, तो चुनाव में उन्हें ज्यादा पैसा भी खर्च करना पड़ेगा और भाग-दौड़ भी करना पड़ेगी; पैसा हमें दे दो और भाग-दौड़ से बच लो । अश्वनी काम्बोज के नजदीकियों के अनुसार, अश्वनी काम्बोज लेकिन शिव कुमार चौधरी की इस ब्लैकमेलिंग के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं; अश्वनी काम्बोज का कहना है कि शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने यदि वह अभी झुके और उनकी 'माँग' मानी तो फिर शिव कुमार चौधरी आगे भी उन्हें तरह-तरह से ब्लैकमेल करते रहेंगे । अश्वनी काम्बोज का कहना है कि शिव कुमार चौधरी यदि धीरज गोयल को चुनाव लड़ाना ही चाहते हैं तो लड़ा लें । चुनाव होने पर उन्हें ज्यादा भाग-दौड़ करने के साथ-साथ ज्यादा पैसा खर्च करना होगा, तो वह कर लेंगे - लेकिन शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने समर्पण नहीं करेंगे । शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने झुकने से इंकार करने का साहस अश्वनी काम्बोज को अनीता गुप्ता और अरविंद संगल से भी मिल रहा है ।
अनीता गुप्ता और अरविंद कंसल ने अश्वनी काम्बोज को आश्वस्त किया हुआ है कि धीरज गोयल के बस की चुनाव लड़ना है ही नहीं, और वह शिव कुमार चौधरी की बातों में आकर उम्मीदवार तो बन गए हैं - लेकिन चुनाव लड़ने की सक्रियता नहीं दिखा सकेंगे । अनीता गुप्ता और अरविंद संगल ने अश्वनी काम्बोज को समझाया है कि विरोधी खेमे के समर्थक लोगों की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रहने/खाने की व्यवस्था यदि हो जाती है तो धीरज गोयल को शिव कुमार चौधरी का 'आदमी' होने के नाते कोई पास भी नहीं बैठायेगा । अश्वनी काम्बोज इसके लिए तैयार हैं । उनका कहना है कि एक उम्मीदवार के रूप में उन्हें जेनुइन रूप में खिलाने, पिलाने और ठहराने की जो व्यवस्था करनी है उसमें वह कोई पक्षपात नहीं करेंगे - लेकिन किसी पूर्व गवर्नर से ब्लैकमेल नहीं होंगे । अनीता गुप्ता व अरविंद संगल के समर्थन के भरोसे शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने अश्वनी काम्बोज ने जिस दृढ़ता के साथ झुकने से इंकार करने वाला तेवर दिखाया है, उसके चलते शिव कुमार चौधरी को धीरज गोयल के सहारे बनाई गई अपनी स्कीम फेल होती हुई ही नजर आ रही है । धीरज गोयल भी लगता है कि समझ रहे हैं कि शिव कुमार चौधरी जैसे बदनाम व्यक्ति की संगत में वह सिर्फ फजीहत का ही शिकार बनेंगे - इसलिए उम्मीद की जा रही है कि राजेश गुप्ता और अश्वनी काम्बोज की तरह वह भी जल्दी ही शिव कुमार चौधरी की 'पकड़' से छूट लेंगे और उनके सहारे अश्वनी काम्बोज को ब्लैकमेल करने की शिव कुमार चौधरी की योजना धरी की धरी ही रह जाएगी ।
शिव कुमार चौधरी की तरफ से अश्वनी काम्बोज से धीरज गोयल को 'बैठाने' की कीमत माँगी जा रही है । अश्वनी काम्बोज को गणित बताया/समझाया जा रहा है कि उन्होंने यदि धीरज गोयल को नहीं बैठाया, तो चुनाव में उन्हें ज्यादा पैसा भी खर्च करना पड़ेगा और भाग-दौड़ भी करना पड़ेगी; पैसा हमें दे दो और भाग-दौड़ से बच लो । अश्वनी काम्बोज के नजदीकियों के अनुसार, अश्वनी काम्बोज लेकिन शिव कुमार चौधरी की इस ब्लैकमेलिंग के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं; अश्वनी काम्बोज का कहना है कि शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने यदि वह अभी झुके और उनकी 'माँग' मानी तो फिर शिव कुमार चौधरी आगे भी उन्हें तरह-तरह से ब्लैकमेल करते रहेंगे । अश्वनी काम्बोज का कहना है कि शिव कुमार चौधरी यदि धीरज गोयल को चुनाव लड़ाना ही चाहते हैं तो लड़ा लें । चुनाव होने पर उन्हें ज्यादा भाग-दौड़ करने के साथ-साथ ज्यादा पैसा खर्च करना होगा, तो वह कर लेंगे - लेकिन शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने समर्पण नहीं करेंगे । शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने झुकने से इंकार करने का साहस अश्वनी काम्बोज को अनीता गुप्ता और अरविंद संगल से भी मिल रहा है ।
अनीता गुप्ता और अरविंद कंसल ने अश्वनी काम्बोज को आश्वस्त किया हुआ है कि धीरज गोयल के बस की चुनाव लड़ना है ही नहीं, और वह शिव कुमार चौधरी की बातों में आकर उम्मीदवार तो बन गए हैं - लेकिन चुनाव लड़ने की सक्रियता नहीं दिखा सकेंगे । अनीता गुप्ता और अरविंद संगल ने अश्वनी काम्बोज को समझाया है कि विरोधी खेमे के समर्थक लोगों की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रहने/खाने की व्यवस्था यदि हो जाती है तो धीरज गोयल को शिव कुमार चौधरी का 'आदमी' होने के नाते कोई पास भी नहीं बैठायेगा । अश्वनी काम्बोज इसके लिए तैयार हैं । उनका कहना है कि एक उम्मीदवार के रूप में उन्हें जेनुइन रूप में खिलाने, पिलाने और ठहराने की जो व्यवस्था करनी है उसमें वह कोई पक्षपात नहीं करेंगे - लेकिन किसी पूर्व गवर्नर से ब्लैकमेल नहीं होंगे । अनीता गुप्ता व अरविंद संगल के समर्थन के भरोसे शिव कुमार चौधरी की ब्लैकमेलिंग के सामने अश्वनी काम्बोज ने जिस दृढ़ता के साथ झुकने से इंकार करने वाला तेवर दिखाया है, उसके चलते शिव कुमार चौधरी को धीरज गोयल के सहारे बनाई गई अपनी स्कीम फेल होती हुई ही नजर आ रही है । धीरज गोयल भी लगता है कि समझ रहे हैं कि शिव कुमार चौधरी जैसे बदनाम व्यक्ति की संगत में वह सिर्फ फजीहत का ही शिकार बनेंगे - इसलिए उम्मीद की जा रही है कि राजेश गुप्ता और अश्वनी काम्बोज की तरह वह भी जल्दी ही शिव कुमार चौधरी की 'पकड़' से छूट लेंगे और उनके सहारे अश्वनी काम्बोज को ब्लैकमेल करने की शिव कुमार चौधरी की योजना धरी की धरी ही रह जाएगी ।