आगरा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पारस अग्रवाल ने
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने के लिए श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ जो धोखा
किया, वही धोखा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में श्याम बिहारी अग्रवाल के लिए वरदान बनता नजर आ रहा है ।
चुनावी अभियान के दौर में क्लब्स के पदाधिकारियों की तरफ से पारस अग्रवाल
से मिले धोखे को लेकर श्याम बिहारी अग्रवाल के प्रति जो हमदर्दी व्यक्त
होते हुए सुनी/देखी जा रही है, उससे आभास मिलता है कि क्लब्स के
पदाधिकारियों ने पारस अग्रवाल के रवैये को उचित नहीं माना है और उन्हें
लगता है कि श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ धोखा करके पारस अग्रवाल ने अच्छा
नहीं किया है । उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए
प्रस्तुत श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी को पारस अग्रवाल ने शुरू से
ही समर्थन दिया हुआ था और इस समर्थन के बदले उन्होंने मौके-बेमौके उनसे
पैसे भी खर्च करवाए थे । लेकिन तीन-चार महीने बाद ही पारस अग्रवाल ने अचानक
से रंग बदल लिया, और वह अजय सनाढ्य की उम्मीदवारी के पक्ष में हो गए । अजय
सनाढ्य को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बीके गुप्ता के उम्मीदवार के
रूप में देखा/पहचाना जाता है । समझा जाता है कि बीके गुप्ता ने पारस
अग्रवाल को साफ संकेत दे दिया कि उन्होंने यदि अजय सनाढ्य को समर्थन नहीं
दिया, तो मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में वह उनका समर्थन नहीं करेंगे
- और इसके बाद ही पारस अग्रवाल ने रंग बदल लिया । बीके गुप्ता जब
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार थे, तब पारस अग्रवाल ने
उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया था और उनकी प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार मधु
सिंह का समर्थन किया था; पारस अग्रवाल के विरोध के बावजूद बीके गुप्ता
चुनाव जीत गए थे । पारस अग्रवाल को डर हुआ कि उनके विरोध को याद करते हुए
बीके गुप्ता वैसे ही उनसे नाराज होंगे, और ऐसे में उन्होंने यदि उनके
उम्मीदवार अजय सनाढ्य का भी विरोध किया तो फिर उनके लिए मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन बन पाना मुश्किल ही क्या, असंभव ही होगा । सो, पारस अग्रवाल
ने श्याम बिहारी अग्रवाल का साथ छोड़ने में देर नहीं की । पारस अग्रवाल ने
यह घोषणा करके बीके गुप्ता को और खुश करने का काम किया है कि अजय सनाढ्य को
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने के लिए उन्हें जो भी सच्चा-झूठा
काम करना पड़ेगा, वह करेंगे ।
चुनावी अभियान के दौर में क्लब्स के पदाधिकारियों की तरफ से इस बात को लेकर भी श्याम बिहारी अग्रवाल के लिए सहानुभूति सुनी/देखी जा रही कि श्याम बिहारी अग्रवाल को तो दोहरे धोखे का शिकार होना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि श्याम बिहारी अग्रवाल पिछले लायन वर्ष में भी उम्मीदवार थे, लेकिन पिछले से पिछले वर्ष में पराजित हुईं मधु सिंह को निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने तथा डिस्ट्रिक्ट में भाईचारा बनाने के उद्देश्य से पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें अगले लायन वर्ष में समर्थन देने का आश्वासन देते हुए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी कर लिया था । यह आश्वासन देने वालों में पारस अग्रवाल भी आगे आगे थे । श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ लेकिन इस वर्ष जब उक्त आश्वासन को पूरा करने और निभाने का मौका आया, तो कुछेक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स और पारस अग्रवाल ने ऐसे मुँह मोड़ लिया - जैसे आश्वासन उन्होंने श्याम बिहारी अग्रवाल को धोखा देने के लिए दिया था । इस पूरे मामले में पूर्व गवर्नर जितेंद्र चौहान का रवैया तो दोहरेपन का दिलचस्प उदाहरण है । जितेंद्र चौहान एक तरफ तो श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ हुई धोखेबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं और कहते हैं कि श्याम बिहारी अग्रवाल को जो आश्वासन दिया गया था, उसका पालन और सम्मान होना चाहिए - लेकिन दूसरी तरफ वह खुद श्याम बिहारी अग्रवाल को दिए गए आश्वासन का पालन नहीं कर रहे हैं और अजय सनाढ्य का साथ दे रहे हैं । मजे की बात यह है कि जितेंद्र चौहान अपने इस दोहरे व्यवहार का कारण भी बताते हैं और वह यह कि वह तो पारस अग्रवाल के साथ हैं और अजय सनाढ्य का साथ इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि पारस अग्रवाल उनके साथ हैं ।
क्लब्स के पदाधिकारियों की तरफ से श्याम बिहारी अग्रवाल के प्रति जो हमदर्दी प्रकट हो रही है, उसने अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को चिंता में डाल दिया है । उनकी चिंता यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पारस अग्रवाल ने कुछ भी करके उन्हें चुनाव जितवाने का आश्वासन तो दे दिया है, लेकिन उनके आश्वासन का क्लब्स के पदाधिकारियों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है । आगरा के क्लब्स में ही श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी को जिस तरह समर्थन मिलता नजर आ रहा है, उसे देखते हुए अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को ही आशंका हो चली है कि पारस अग्रवाल जब आगरा में ही क्लब्स को श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ जुड़ने से नहीं रोक पा रहे हैं, तब फिर वह आगरा से बाहर के क्लब्स को श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ होने से कैसे रोक सकेंगे । अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को एक खतरा यह भी लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल का कामकाज चूँकि कुछ खास नहीं रहा है, इसलिए उसका खामियाजा कहीं उन्हें न भुगतना पड़े । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने कार्य-व्यवहार से पारस अग्रवाल ने क्लब्स के पदाधिकारियों को नाराज ही किया हुआ है । इसलिए ही अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को डर हो चला है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल के रवैये और व्यवहार से नाराज क्लब्स के पदाधिकारियों की नाराजगी कहीं उनके सिर ने फूटे । मजेदार सीन यह बना दिख रहा है कि अजय सनाढ्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल के जिस समर्थन को अपने लिए वरदान समझ रहे थे, वही उन्हें अपने लिए अभिशाप बनता हुआ नजर आ रहा है ।
चुनावी अभियान के दौर में क्लब्स के पदाधिकारियों की तरफ से इस बात को लेकर भी श्याम बिहारी अग्रवाल के लिए सहानुभूति सुनी/देखी जा रही कि श्याम बिहारी अग्रवाल को तो दोहरे धोखे का शिकार होना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि श्याम बिहारी अग्रवाल पिछले लायन वर्ष में भी उम्मीदवार थे, लेकिन पिछले से पिछले वर्ष में पराजित हुईं मधु सिंह को निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने तथा डिस्ट्रिक्ट में भाईचारा बनाने के उद्देश्य से पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें अगले लायन वर्ष में समर्थन देने का आश्वासन देते हुए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी कर लिया था । यह आश्वासन देने वालों में पारस अग्रवाल भी आगे आगे थे । श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ लेकिन इस वर्ष जब उक्त आश्वासन को पूरा करने और निभाने का मौका आया, तो कुछेक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स और पारस अग्रवाल ने ऐसे मुँह मोड़ लिया - जैसे आश्वासन उन्होंने श्याम बिहारी अग्रवाल को धोखा देने के लिए दिया था । इस पूरे मामले में पूर्व गवर्नर जितेंद्र चौहान का रवैया तो दोहरेपन का दिलचस्प उदाहरण है । जितेंद्र चौहान एक तरफ तो श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ हुई धोखेबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं और कहते हैं कि श्याम बिहारी अग्रवाल को जो आश्वासन दिया गया था, उसका पालन और सम्मान होना चाहिए - लेकिन दूसरी तरफ वह खुद श्याम बिहारी अग्रवाल को दिए गए आश्वासन का पालन नहीं कर रहे हैं और अजय सनाढ्य का साथ दे रहे हैं । मजे की बात यह है कि जितेंद्र चौहान अपने इस दोहरे व्यवहार का कारण भी बताते हैं और वह यह कि वह तो पारस अग्रवाल के साथ हैं और अजय सनाढ्य का साथ इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि पारस अग्रवाल उनके साथ हैं ।
क्लब्स के पदाधिकारियों की तरफ से श्याम बिहारी अग्रवाल के प्रति जो हमदर्दी प्रकट हो रही है, उसने अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को चिंता में डाल दिया है । उनकी चिंता यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पारस अग्रवाल ने कुछ भी करके उन्हें चुनाव जितवाने का आश्वासन तो दे दिया है, लेकिन उनके आश्वासन का क्लब्स के पदाधिकारियों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है । आगरा के क्लब्स में ही श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी को जिस तरह समर्थन मिलता नजर आ रहा है, उसे देखते हुए अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को ही आशंका हो चली है कि पारस अग्रवाल जब आगरा में ही क्लब्स को श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ जुड़ने से नहीं रोक पा रहे हैं, तब फिर वह आगरा से बाहर के क्लब्स को श्याम बिहारी अग्रवाल के साथ होने से कैसे रोक सकेंगे । अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को एक खतरा यह भी लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल का कामकाज चूँकि कुछ खास नहीं रहा है, इसलिए उसका खामियाजा कहीं उन्हें न भुगतना पड़े । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने कार्य-व्यवहार से पारस अग्रवाल ने क्लब्स के पदाधिकारियों को नाराज ही किया हुआ है । इसलिए ही अजय सनाढ्य और उनके समर्थकों को डर हो चला है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल के रवैये और व्यवहार से नाराज क्लब्स के पदाधिकारियों की नाराजगी कहीं उनके सिर ने फूटे । मजेदार सीन यह बना दिख रहा है कि अजय सनाढ्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पारस अग्रवाल के जिस समर्थन को अपने लिए वरदान समझ रहे थे, वही उन्हें अपने लिए अभिशाप बनता हुआ नजर आ रहा है ।