नई दिल्ली । मदन बत्रा और उनके समर्थक नेताओं को एक अप्रैल की मीटिंग में लगता है कि डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के पदाधिकारियों ने 'अप्रैल फूल' बना दिया है । उल्लेखनीय
है कि मदन बत्रा की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से एक अप्रैल
को दिल्ली में जो मीटिंग की गई, वह मदन बत्रा और उनके समर्थक नेताओं की
उम्मीदों पर ही खरी नहीं उतरी, और मीटिंग को खुद उनकी उम्मीद से कम
रेस्पॉन्स मिला । मीटिंग में करीब 25 क्लब्स के पदाधिकारी ही पहुँचे और
मीटिंग में उपस्थित लोगों की संख्या 250 के करीब गिनी गई । मीटिंग के
आयोजकों ने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि मेहरा का नाम और तस्वीर
भी बैनर पर लगाई हुई थी, लेकिन वह मीटिंग में नहीं आए । मीटिंग के
आयोजकों का कहना रहा कि रवि मेहरा खेमेबाजी की राजनीति के चलते मीटिंग में
नहीं आए; उन्होंने उनके मीटिंग में न आने पर अफसोस व्यक्त किया और कहा कि
रवि मेहरा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने जा रहे हैं और इस नाते उन्हें खेमेबाजी
की राजनीति से ऊपर उठ कर व्यवहार करना चाहिए । रवि मेहरा के समर्थकों का
कहना लेकिन यह है कि खेमेबाजी की राजनीति से ऊपर उठ कर व्यवहार करने की
माँग सिर्फ रवि मेहरा से ही क्यों की जा रही है ? यह माँग नॉमिनेटेड इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना और इंटरनेशनल डायरेक्टर
होने जा रहे जेपी सिंह जैसे बड़े नेताओं से भी क्यों नहीं की जा रही है ?
उनका कहना/पूछना है कि मदन बत्रा की उम्मीदवारी को प्रमोट करने की मीटिंग
करने वाले लोगों ने या यह मान लिया है कि विनोद खन्ना और जेपी सिंह तो अपने
पद की गरिमा की धज्जियाँ उड़ाते हुए पक्षपातपूर्ण मनमानी करेंगे और
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तक को अपमानित करेंगे ही । रवि मेहरा के नजदीकियों
और समर्थकों का गंभीर आरोप यह भी है कि उक्त मीटिंग के आयोजकों ने बैनर पर
रवि मेहरा का नाम और तस्वीर उनकी अनुमति लिए बिना ही लगाई थी और ऐसा करके
उन्होंने अपनी बेईमानीभरी तरकीबों का ही सुबूत प्रस्तुत किया है - और अपनी
तरकीब के फेल हो जाने पर वह रवि मेहरा को नाहक ही बदनाम कर रहे हैं ।
मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग के फेल/फ्लॉप हो जाने के लिए मुख्य कारण के रूप में पिछले दिनों पहले जेपी सिंह और फिर विनोद खन्ना के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह के साथ किए गए अशोभनीय व अपमानजनक व्यवहार को देखा/पहचाना जा रहा है । माना जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों ने इन दोनों के व्यवहार को पसंद नहीं किया है, और इसी का बदला लेने के लिए कई क्लब्स के पदाधिकारियों ने अपने आप को मदन बत्रा की उम्मीदवारी से जुड़े कार्यक्रम से अपने आप को दूर रखा । डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह ने इंद्रजीत सिंह के साथ जो किया, वह तो अब एक बड़े बबाल का रूप ले ही चुका है - उनके बाद, उनका अनुसरण करते हुए विनोद खन्ना ने भी एक रीजन कॉन्फ्रेंस में मनमाने तरीके से पिन व सर्टीफिकेट बाँटने के काम में पक्षपातपूर्ण व्यवहार दिखाते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह तक को अपमानित करने का काम किया । इंद्रजीत सिंह ने लायंस इंटरनेशनल कार्यालय तथा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को विनोद खन्ना की हरकत की शिकायत की, लेकिन उन्हें वहाँ से कोई जबाव नहीं मिला है । जेपी सिंह के मामले में भी इंद्रजीत सिंह को लायंस इंटरनेशनल कार्यालय तथा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट से अपने शिकायती पत्र का जबाव नहीं मिला है । समझा जाता है कि जेपी सिंह और विनोद खन्ना की हरकतों ने नरेश अग्रवाल को भी दुविधा में डाल फजीहत का शिकार बना दिया हुआ है - वह न तो उनकी हरकतों को जायज ठहरा पा रहे हैं, और न उनके खिलाफ कोई टिप्पणी या फैसला सुना पा रहे हैं; और ऐसे में चुप ही बने रहने के लिए मजबूर हैं । विनोद खन्ना और जेपी सिंह की हरकतों पर नरेश अग्रवाल भले ही चुप्पी साधे रख रहे हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के पदाधिकारियों ने मदन बत्रा की उम्मीदवारी की मीटिंग को फेल/फ्लॉप कर के अपनी नाराजगी जता/दिखा दी है ।
मदन बत्रा की उम्मीदवारी को समर्थन दिलाने/दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग को कामयाब बनाने के लिए जेपी सिंह, अनिल सेठ और प्रमोद सपरा जैसे पूर्व गवर्नर्स तथा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला ने अथक मेहनत की थी । मीटिंग के लिए स्थान भी ऐसा चुना गया था, जो करीब 70 से 80 क्लब्स के पदाधिकारियों की आसान पहुँच में था । इन 70 से 80 क्लब्स में करीब 30 क्लब्स को प्रतिद्धंद्धी खेमे के समर्थक क्लब्स के रूप में चिन्हित किया गया था और इस तरह मीटिंग के आयोजकों का खास फोकस 45 से 50 क्लब्स पर था । लेकिन मीटिंग में कुल करीब 25 क्लब्स के पदाधिकारियों को ही देख/पहचान कर मदन बत्रा और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता भौंचक रह गए । उनके लिए झटके वाली बात यह रही कि ऐसे क्लब्स, जिन्हें अभी पक्के तौर पर इधर या उधर नहीं माना/समझा जा सकता है - उन्होंने भी मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने हेतु हुई मीटिंग से दूरी बनाने/रखने का काम किया । मदन बत्रा की उम्मीदवारी से जुड़ी मीटिंग के फेल/फ्लॉप होने का एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि उनके खेमे के अन्य पूर्व गवर्नर्स मदन बत्रा से नाराज हैं और इस नाराजगी के चलते वह मदन बत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ करने में दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । खेमे के पूर्व गवर्नर्स की शिकायत है कि एक उम्मीदवार के रूप में मदन बत्रा सिर्फ जेपी सिंह, प्रमोद सपरा और अनिल सेठ को ही जान/पहचान रहे हैं तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स को कोई अहमियत ही नहीं दे रहे हैं; इससे उन्हें लग रहा है कि मदन बत्रा को जैसे उनकी मदद की जरूरत ही नहीं है । समर्थक खेमे के पूर्व गवर्नर्स की इस तरह की शिकायतों और बातों ने मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने की मीटिंग को जिस तरह से फेल/फ्लॉप करने में 'मदद' पहुँचाई है, उसे देख/जान कर मदन बत्रा की उम्मीदवारी के अभियान को तगड़ा झटका लगा है ।
मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग के फेल/फ्लॉप हो जाने के लिए मुख्य कारण के रूप में पिछले दिनों पहले जेपी सिंह और फिर विनोद खन्ना के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह के साथ किए गए अशोभनीय व अपमानजनक व्यवहार को देखा/पहचाना जा रहा है । माना जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों ने इन दोनों के व्यवहार को पसंद नहीं किया है, और इसी का बदला लेने के लिए कई क्लब्स के पदाधिकारियों ने अपने आप को मदन बत्रा की उम्मीदवारी से जुड़े कार्यक्रम से अपने आप को दूर रखा । डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह ने इंद्रजीत सिंह के साथ जो किया, वह तो अब एक बड़े बबाल का रूप ले ही चुका है - उनके बाद, उनका अनुसरण करते हुए विनोद खन्ना ने भी एक रीजन कॉन्फ्रेंस में मनमाने तरीके से पिन व सर्टीफिकेट बाँटने के काम में पक्षपातपूर्ण व्यवहार दिखाते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह तक को अपमानित करने का काम किया । इंद्रजीत सिंह ने लायंस इंटरनेशनल कार्यालय तथा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को विनोद खन्ना की हरकत की शिकायत की, लेकिन उन्हें वहाँ से कोई जबाव नहीं मिला है । जेपी सिंह के मामले में भी इंद्रजीत सिंह को लायंस इंटरनेशनल कार्यालय तथा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट से अपने शिकायती पत्र का जबाव नहीं मिला है । समझा जाता है कि जेपी सिंह और विनोद खन्ना की हरकतों ने नरेश अग्रवाल को भी दुविधा में डाल फजीहत का शिकार बना दिया हुआ है - वह न तो उनकी हरकतों को जायज ठहरा पा रहे हैं, और न उनके खिलाफ कोई टिप्पणी या फैसला सुना पा रहे हैं; और ऐसे में चुप ही बने रहने के लिए मजबूर हैं । विनोद खन्ना और जेपी सिंह की हरकतों पर नरेश अग्रवाल भले ही चुप्पी साधे रख रहे हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के पदाधिकारियों ने मदन बत्रा की उम्मीदवारी की मीटिंग को फेल/फ्लॉप कर के अपनी नाराजगी जता/दिखा दी है ।
मदन बत्रा की उम्मीदवारी को समर्थन दिलाने/दिखाने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग को कामयाब बनाने के लिए जेपी सिंह, अनिल सेठ और प्रमोद सपरा जैसे पूर्व गवर्नर्स तथा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला ने अथक मेहनत की थी । मीटिंग के लिए स्थान भी ऐसा चुना गया था, जो करीब 70 से 80 क्लब्स के पदाधिकारियों की आसान पहुँच में था । इन 70 से 80 क्लब्स में करीब 30 क्लब्स को प्रतिद्धंद्धी खेमे के समर्थक क्लब्स के रूप में चिन्हित किया गया था और इस तरह मीटिंग के आयोजकों का खास फोकस 45 से 50 क्लब्स पर था । लेकिन मीटिंग में कुल करीब 25 क्लब्स के पदाधिकारियों को ही देख/पहचान कर मदन बत्रा और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता भौंचक रह गए । उनके लिए झटके वाली बात यह रही कि ऐसे क्लब्स, जिन्हें अभी पक्के तौर पर इधर या उधर नहीं माना/समझा जा सकता है - उन्होंने भी मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने हेतु हुई मीटिंग से दूरी बनाने/रखने का काम किया । मदन बत्रा की उम्मीदवारी से जुड़ी मीटिंग के फेल/फ्लॉप होने का एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि उनके खेमे के अन्य पूर्व गवर्नर्स मदन बत्रा से नाराज हैं और इस नाराजगी के चलते वह मदन बत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ करने में दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । खेमे के पूर्व गवर्नर्स की शिकायत है कि एक उम्मीदवार के रूप में मदन बत्रा सिर्फ जेपी सिंह, प्रमोद सपरा और अनिल सेठ को ही जान/पहचान रहे हैं तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स को कोई अहमियत ही नहीं दे रहे हैं; इससे उन्हें लग रहा है कि मदन बत्रा को जैसे उनकी मदद की जरूरत ही नहीं है । समर्थक खेमे के पूर्व गवर्नर्स की इस तरह की शिकायतों और बातों ने मदन बत्रा की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने की मीटिंग को जिस तरह से फेल/फ्लॉप करने में 'मदद' पहुँचाई है, उसे देख/जान कर मदन बत्रा की उम्मीदवारी के अभियान को तगड़ा झटका लगा है ।