Tuesday, April 3, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से सतीश सिंघल की बर्खास्तगी; उनकी बर्खास्तगी के साइड इफेक्ट के रूप में मुकेश अरनेजा दूसरी बार डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं

नोएडा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से सतीश सिंघल की बर्खास्तगी के साथ ही पिछले कुछेक दिनों से चली आ रही ऊहापोह की स्थिति पर अंततः विराम लग गया है, जिसके फलस्वरूप उम्मीद बनी है कि डिस्ट्रिक्ट में अनिश्चय का वातावरण खत्म होगा और डिस्ट्रिक्ट में गतिविधियाँ सुचारू रूप से फिर से शुरू और व्यवस्थित होंगी । डिस्ट्रिक्ट में यूँ तो रूटीन तथा क्लब्स के कार्यक्रम हो ही रहे थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल के सिर पर जो तलवार लटकी हुई थी, उसके चलते सभी कार्यक्रम महज खानापूरी बन कर रह गए थे । रोज सुबह खुद सतीश सिंघल और डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोग सबसे पहले यह कंफर्म करते थे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उनकी कुर्सी बची हुई है या चली गई है । ऐसे में, न सतीश सिंघल के लिए और न दूसरों के लिए कुछ करने को लेकर उत्साह बचा रह गया था । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस जैसे महत्त्वपूर्ण आयोजन को लेकर अनिश्चितता तो थी ही, किसी के मन में कोई जोश या प्रेरणा भी नहीं नजर आ रही थी । पिछले दिनों, सतीश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को लेकर कुछ कार्रवाई शुरू तो की थी, लेकिन उसके पीछे उनका वास्तविक उद्देश्य अपने मामले को लेकर रोटरी इंटरनेशनल के मिजाज को भाँपना था । इसीलिए रोटरी इंटरनेशनल से डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने की उनकी तैयारी को हरी झंडी मिलने और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के लिए रोटरी इंटरनेशनल द्वारा प्रतिनिधि नियुक्त करने की कार्रवाई से सतीश सिंघल और उनके समर्थकों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी बचती हुई नजर आई । उनकी तरफ से तर्क सुने गए कि रोटरी इंटरनेशनल को यदि सतीश सिंघल के खिलाफ कार्रवाई करनी ही है, तो फिर वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने के लिए हरी झंडी क्यों देते और क्यों प्रतिनिधि नियुक्त करते ? रोटरी इंटरनेशनल के काम करने के तौर-तरीकों से परिचित बड़े नेताओं का कहना लेकिन यह था कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले ने जिस 'तेवर' के साथ उन्हें इस्तीफा दे देने के लिए पत्र लिखा था, उससे साफ था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर सतीश सिंघल के दिन बस अब गिने-चुने ही बचे हैं । अंततः यही सच साबित हुआ ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से सतीश सिंघल की बर्खास्तगी के साइड इफेक्ट के रूप में मुकेश अरनेजा को खासी फजीहत का शिकार होना पड़ा है । उल्लेखनीय है कि यह दूसरा मौका है, जबकि मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं । इससे पहले, अमित जैन ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, लेकिन उनकी हरकतों के चलते करीब दो महीने में ही अमित जैन ने उन्हें ट्रेनर पद से हटा दिया था । सतीश सिंघल के गवर्नर-काल में मुकेश अरनेजा के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने पर कई लोगों ने डर व्यक्त किया था कि मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेंगे और कहीं तब अमित जैन की तरह सतीश सिंघल के द्वारा भी वह ट्रेनर के पद से निकाल न दिए जाएँ । मुकेश अरनेजा ने लेकिन बहुत सावधानी रखी; जिसके तहत दूसरे लोगों के साथ उन्होंने चाहें जैसी जो हरकतें की हों, लेकिन सतीश सिंघल के साथ वह बच बच कर ही रहे । मुकेश अरनेजा इस बार कोई चांस नहीं लेना चाहते थे और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का कार्यकाल किसी भी तरह पूरा करना चाहते थे । लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से सतीश सिंघल के बर्खास्त हो जाने के चलते मुकेश अरनेजा का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का कार्यकाल भी पूरा नहीं हो सका - और जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि मुकेश अरनेजा के साथ यह दूसरी बार हुआ है । मुकेश अरनेजा की किस्मत का यह एक बड़ा दिलचस्प नजारा है - कभी अपनी हरकतों के चलते तो कभी दूसरों की हरकतों के कारण वह जहाँ-तहाँ से निकाल दिए जाते हैं । मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों के चलते अपने क्लब से निकाले जा चुके हैं, और अपने भाई-भतीजों के द्वारा पारिवारिक बिजनेस से निकाले जा चुके हैं । कुछेक लोगों ने तो उनका नाम ही 'निकालु अरनेजा' रख दिया है ।
सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त करने के चलते उम्मीद बनी है कि रोटरी के नाम पर धंधा करने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में और रोटरी में कुछेक लोग हमेशा पैसा बनाने/हड़पने की ताक में रहते हैं, और इसके लिए रोटरी के साथ और रोटरी के नाम पर बेईमानी करने से भी नहीं हिचकते हैं । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ की देखरेख में बने रोटरी वरदान ब्लड बैंक में भी पैसों की हेराफेरी के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके चलते उक्त प्रोजेक्ट के क्रियान्वन में काफी देर भी हुई । जेके गौड़ के दीपक गुप्ता के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने की चर्चा है; दीपक गुप्ता ने अपने गवर्नर-काल में कुछेक बड़े प्रोजेक्ट्स करने में दिलचस्पी दिखाई है और इसके लिए उन्होंने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर तथा इंटरनेशनल प्रेसिडेंट बनने की 'तैयारी' कर रहे सुशील गुप्ता के साथ कुछ विचार-विमर्श भी किया है । बड़े प्रोजेक्ट्स, मतलब बड़ा पैसा - उनमें पहले से ही आरोप और बदनामी झेल चुके जेके गौड़ की संलग्नता, प्रोजेक्ट्स की सावधानी के साथ निगरानी करने/रखने की जरूरत को रेखांकित करती है । सतीश सिंघल के साथ जो हुआ है, उसके बाद तो दीपक गुप्ता - और दीपक गुप्ता ही क्यों, सभी लोगों के लिए जरूरी हो गया है कि वह अपने अपने काम को सावधानी के साथ अंजाम दें और रोटरी के नाम पर पैसा बनाने की कोशिशों को हतोत्साहित करें । सतीश सिंघल का मामला यदि एक सबक बन सका, तो यह डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के लिए सचमुच उल्लेखनीय होगा ।