Saturday, April 21, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की डिसिप्लिनरी कमेटी की कार्रवाई शुरू होने के बाद नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन नितिन कँवर उन्हीं लोगों से मदद की गुहार लगाते देखे जा रहे हैं, जिनके साथ वह बदतमीजियाँ करते रहे हैं

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन नितिन कँवर इंस्टीट्यूट की डिसिप्लिनरी कमेटी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई शिकायत पर शुरू हुई कार्रवाई से बचने के लिए हाथ-पैर तो बहुत मार रहे हैं, पर फिलहाल उन्हें बचने की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है । नितिन कँवर शिकायतकर्ताओं के दरवाजे खटखटा चुके हैं, लेकिन किसी से भी उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है; उनके राजनीतिक आका सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा लगता है कि पहले ही इस मामले में हाथ खड़े कर चुके हैं । राजेश शर्मा ने हालाँकि पहले उन्हें यह कहते हुए निश्चिन्त रहने का भरोसा दिया था कि प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता से मेरे अच्छे संबंध हैं जिसके चलते मैं तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई शुरू ही नहीं होने दूँगा; लेकिन जब कार्रवाई शुरू हो गई तब राजेश शर्मा ने नितिन कँवर को बताया कि यह कार्रवाई अतुल गुप्ता और विजय गुप्ता ने शुरू करवाई है, इसलिए अब इस मामले में मैं कुछ नहीं कर सकूँगा । नितिन कँवर भी अपने खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई के पीछे एक बड़े षड्यंत्र को इसलिए देख/पहचान रहे हैं, क्योंकि पूर्व चेयरमैन राकेश मक्कड़ और मौजूदा ट्रेजरर राजेंद्र अरोड़ा के खिलाफ तो डिसिप्लिनरी कमेटी में उनसे भी पहले शिकायत दर्ज हुई थी - लेकिन कार्रवाई उन दोनों की बजाये नितिन कँवर के खिलाफ पहले शुरू हो गई । नितिन कँवर चूँकि अतुल गुप्ता के साथ बदतमीजी कर चुके हैं और विजय गुप्ता के साथ भी उनका एक अप्रिय बबाल हो चुका है, इसलिए उन्हें राजेश शर्मा की यह बात सच भी लग रही है कि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू होने/करवाने के पीछे उन दोनों सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का ही हाथ है । दरअसल इसी कारण से नितिन कँवर और उनके नजदीकियों को मामला गंभीर लग रहा है ।
गंभीर दिख रहे मामले से निपटने के लिए नितिन कंवर को अब उन लोगों से भी मदद की गुहार लगाना पड़ रही है, जिनके साथ वह लगातार बदतमीजियाँ करते रहे हैं । उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले वर्ष के कार्यकाल के अंतिम दिनों में, काउंसिल के 13 सदस्यों में से सात सदस्यों द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायत में आरोप तो हालाँकि निकासा चेयरमैन के रूप में नीतिन कँवर की कारस्तानियों को लेकर हैं, लेकिन वास्तव में यह शिकायत नितिन कँवर की बदतमीजियों की प्रतिक्रिया में थी । असल में, काउंसिल सदस्यों में इतना मौसेरा-भाईचारा तो बन ही जाता है कि वह एक-दूसरे की बेईमानियों और वित्तीय अनियमितताओं को ईश्यू नहीं बनाते हैं और एक-दूसरे की बेईमानियों पर चुप बने रहते हैं; पिछले वर्ष के पदाधिकारियों की बेईमानियों के किस्से लेकिन इसलिए चर्चा में रहे - क्योंकि तब के पदाधिकारियों ने बेईमानी करने के साथ-साथ काउंसिल सदस्यों तक के साथ बदतमीजियाँ भी कीं । नितिन कँवर का व्यवहार तो बिलकुल सड़क-छाप व्यक्ति की तरह रहा, जिसमें काउंसिल सदस्यों को गालियाँ बकना और चीखना-चिल्लाना आमबात रहती थी । उनके व्यवहार के चलते ही कुछेक बार मीटिंग में पुलिस बुलवाने तक की नौबत आई और कुछेक बार तो मीटिंग को सुचारु रूप से चलवाने के लिए इंस्टीट्यूट को ऑब्जर्वर तक भेजने पड़े । वास्तव में, नितिन कँवर के सड़क-छाप व्यवहार से निपटने के लिए ही डिसिप्लिनरी कमेटी में उनकी शिकायत की गई थी और शिकायत में निकासा चेयरमैन के रूप में की गई उनकी मनमानियों और बेईमानियों को मुद्दा बनाया गया ।
डिसिप्लिनरी कमेटी द्वारा कार्रवाई शुरू करते हुए नितिन कँवर को आरोपों का जबाव देने के लिए कहा गया; नितिन कँवर ने अपनी तरफ से आरोपों का जबाव दे भी दिया है । उनके जबाव में लेकिन बहुत से झोल और झूठ हैं । शिकायत करने वाले काउंसिल सदस्यों का मानना और कहना है कि डिसिप्लिनरी कमेटी के सदस्यों की आँखों में धूल झोंकने और अपने जबावों को उचित ठहराने के लिए नितिन कँवर ने झूठे तथ्य और विवरण गढ़ लिए हैं । नितिन कँवर के जबाव में दिए गए तथ्यों को सत्यापित करने का काम अब शिकायतकर्ताओं को करना है । जाहिर है कि सारा मामला अब शिकायतकर्ताओं के रवैये पर निर्भर है । नितिन कँवर शिकायतकर्ताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह उनके जबाव में दिए गए झूठे तथ्यों को न 'पकड़ें', ताकि मामला हल्का पड़ जाए और रफा/दफा हो जाए । शिकायतकर्ताओं में शामिल रहीं पूजा बंसल के रवैये पर सभी की निगाहें हैं - दरअसल करीब तीन महीने पहले जब शिकायत दर्ज हुई थी, तब पूजा बंसल विरोधी खेमे में थीं; लेकिन अब वह नितिन कँवर के साथ सत्ता खेमे में हैं । बाकी शिकायतकर्ताओं का नितिन कँवर से कहना है कि पहले सत्ता में शामिल अपनी सहयोगी पूजा बंसल को तो इस बात के लिए राजी करो कि वह तुम्हारे जबाव में दिए गए झूठे तथ्यों को अनदेखा करें, उसके बाद हमसे कोई उम्मीद करना । पूजा बंसल की तरफ से लेकिन कहा/बताया जा रहा है कि सत्ता में होने के बावजूद वह अपना स्टैंड नहीं बदलेंगी और वही करेंगी, जो बाकी शिकायतकर्ता करेंगे । समस्या दरअसल यह भी है कि पूजा बंसल यदि अकेले अपना स्टैंड बदल भी लेती हैं, और बाकी शिकायतकर्ता अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहते हैं तो भी नितिन कँवर को तो राहत नहीं ही मिलेगी - पूजा बंसल की साख/पहचान और खराब होगी । ऐसे में नितिन कँवर के लिए सारा मामला मुसीबतभरा हो गया नजर आ रहा है । नितिन कँवर हालाँकि अपने नजदीकियों को आश्वस्त भी कर रहे हैं कि उनका मामला अभी भले ही मुश्किल में दिख रहा हो, लेकिन अंततः सब ठीक हो जायेगा । डिसिप्लिनरी कमेटी में काम करने और फैसले लेने के नाम पर जिस तरह की खानापूरियाँ होती हैं, उनका हवाला देते हुए नितिन कँवर का कहना है कि जब बड़े बड़े 'चोर' डिसिप्लिनरी कमेटी में बच जाते हैं, तो वह ही क्यों फँसेंगे ? उनकी इस बात में दम तो है ।