नई
दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद से विनय गर्ग को हटाने की
कार्रवाई पर अदालती आदेश के चलते रोक लग जाने से 'गैंग और फोर' को जो करारी
चपत लगी है, उसने मल्टीपल 321 के परिदृश्य को दिलचस्प तो बनाया ही है -
नरेश अग्रवाल के प्रेसीडेंट-वर्ष में लायंस इंटरनेशनल की पहचान को कलंकित करने का काम भी किया है । इंटरनेशनल
बोर्ड के सदस्यों के संपर्क में रहने वाले बड़े लायन नेताओं का कहना/बताना
है कि विनय गर्ग के मामले में जिस जल्दबाजी और बेवकूफीपूर्ण तरीके से
कार्रवाई हुई है, उसके लिए बोर्ड में दूसरे देशों के सदस्य भारतीय सदस्यों
और प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को कोस रहे हैं; उन्हें लगता है कि लायनिज्म के
नाम पर अपनी लूट-खसोट को बचाये/बनाये रखने तथा अपनी निजी 'दुश्मनियाँ'
निकालने के लिए इंटरनेशनल बोर्ड में भारत के सदस्य अपनी स्थिति का मनमाना
दुरुपयोग कर रहे हैं, और इसके लिए लायनिज्म और लायंस इंटरनेशनल को कलंकित
करने का काम कर रहे हैं । विनय गर्ग और उनके संगी-साथी इसके लिए 'गैंग
ऑफ फोर' को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । 'गैंग ऑफ फोर' में नरेश अग्रवाल, वीके
लूथरा, विनोद खन्ना और जेपी सिंह का नाम लिया/बताया जा रहा है ।
एलसीआईएफ ग्रांट सीएफपी 15842/MD 321 के तहत मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 को
मिले करीब एक करोड़ 31 लाख रूपए को चोरी से बचाने की विनय गर्ग की कोशिशों
से नाराज 'गैंग ऑफ फोर' ने विनय गर्ग को रास्ते से हटाने के लिए योजना तो
बनाई, लेकिन वह योजना इतनी लचर निकली कि पहले ही धक्के में ढह गई । विनय
गर्ग ने यह खुलासा करके मामले को और गंभीर बना दिया है कि उक्त ग्रांट
के हिसाब-किताब को बिना देखे/जाँचे भुगतान करने के बदले में 'गैंग ऑफ फोर'
की तरफ से उन्हें बीस लाख रुपए नगद देने का ऑफर दिया गया था । उन्होंने
चूँकि उनका ऑफर नहीं माना, तब उन्हें रास्ते से ही हटा देने की योजना बनाई
गई ।
अदालती आदेश के चलते लेकिन उक्त योजना फिलहाल पिट गई नजर आ रही है । विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद से हटाने के लिए 'गैंग ऑफ फोर' ने दरअसल लंबा रुट पकड़ा । लायंस इंटरनेशनल बोर्ड में फैसला विनय गर्ग की लायन सदस्यता खत्म करवाने का लिया गया । माना/समझा यह गया कि विनय गर्ग जब लायन सदस्य ही नहीं रहेंगे, तो मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद से तो स्वतः ही बाहर हो जायेंगे । इस योजना को विभिन्न चरणों में लागू होना था; लेकिन उतावलेपन और बेवकूफी में पहले चरण के साथ ही अंतिम चरण को भी लागू कर देने से मामला गड़बड़ा गया है । लायंस इंटरनेशनल की तरफ से विनय गर्ग और मल्टीपल काउंसिल ट्रेजरर स्वतंत्र सब्बरवाल के क्लब्स के प्रेसीडेंट को इन दोनों को क्लब से निकालने का निर्देश दिया गया था, और इसके लिए दो मई तक का समय उन्हें दिया गया था । क्लब प्रेसीडेंट्स को लिखे/भेजे पत्र में साफ लिखा है कि दो मई तक उन्होंने यदि उन्हें दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और क्लब का चार्टर रद्द कर दिया जाएगा । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में उतावलापन और बेवकूफी यह हुई कि 18 अप्रैल को उक्त पत्र लिखने/भेजने के साथ ही इंटरनेशनल के बेवसाइट 'माय एलसीआई' पर विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को उनके पदों से हटा/हटाया गया दिखाया जाने लगा । तकनीकी और प्रशासनिक रूप से यह पूरी तरह गलत है । दरअसल विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को मल्टीपल काउंसिल के उनके पदों से हटाए जाने की कहीं कोई सूचना नहीं है; इस बारे में लायंस इंटरनेशनल का कहीं कोई आदेश और या फैसला नहीं है; मल्टीपल में किसी को भी इस बारे में सूचित नहीं किया गया है - यह दोनों अभी भी अपने अपने क्लब के सदस्य हैं; दो मई तक की मोहलत तो खुद लायंस इंटरनेशनल कार्यालय के पदाधिकारियों ने दी हुई है ।
लायंस इंटरनेशनल कार्यालय की तरफ से अपने ही फैसले का मजाक बना दिए जाने की इस स्थिति के पीछे 'गैंग ऑफ फोर' के सदस्यों को ही देखा/पहचाना जा रहा है । माना/समझा जा रहा है कि अपने अपने पदों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कार्यालय के पदाधिकारियों से मनमाने फैसले करवा लिए, लेकिन अब जो उन्हें उलटे पड़ रहे हैं, और उनकी फजीहत करने वाले साबित हो रहे हैं । अदालती आदेश के चलते विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को अपने अपने क्लब से निकाले जाने की लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई पर रोक लग जाने से मल्टीपल काउंसिल के पदों से उनके हटने की संभावना भी समाप्त हो गई है - जो 'गैंग ऑफ फोर' पर एक करारी चपत की तरह है । हालाँकि कई लोगों को लगता है कि 'गैंग ऑफ फोर' इस चपत के बाद भी चुप नहीं बैठेगा, और अपनी मनमानी तथा लूट को बरकरार रखने के लिए कोई न कोई तरकीब जरूर ही लगायेगा । वह क्या तरकीब लगायेगा, और उसका क्या नतीजा निकलेगा - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन यह जरूर पता चल रहा है कि पहले बीस लाख रुपए में विनय गर्ग को खरीदने की कोशिश और फिर उन्हें मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद से हटवाने की कोशिश के फेल हो जाने से 'गैंग ऑफ फोर' के सदस्य बदहवास तो हुए हैं, और उनकी यह बदहवासी मल्टीपल में अभी और नाटक दिखायेगी ।
अदालती आदेश के चलते लेकिन उक्त योजना फिलहाल पिट गई नजर आ रही है । विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद से हटाने के लिए 'गैंग ऑफ फोर' ने दरअसल लंबा रुट पकड़ा । लायंस इंटरनेशनल बोर्ड में फैसला विनय गर्ग की लायन सदस्यता खत्म करवाने का लिया गया । माना/समझा यह गया कि विनय गर्ग जब लायन सदस्य ही नहीं रहेंगे, तो मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद से तो स्वतः ही बाहर हो जायेंगे । इस योजना को विभिन्न चरणों में लागू होना था; लेकिन उतावलेपन और बेवकूफी में पहले चरण के साथ ही अंतिम चरण को भी लागू कर देने से मामला गड़बड़ा गया है । लायंस इंटरनेशनल की तरफ से विनय गर्ग और मल्टीपल काउंसिल ट्रेजरर स्वतंत्र सब्बरवाल के क्लब्स के प्रेसीडेंट को इन दोनों को क्लब से निकालने का निर्देश दिया गया था, और इसके लिए दो मई तक का समय उन्हें दिया गया था । क्लब प्रेसीडेंट्स को लिखे/भेजे पत्र में साफ लिखा है कि दो मई तक उन्होंने यदि उन्हें दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और क्लब का चार्टर रद्द कर दिया जाएगा । लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में उतावलापन और बेवकूफी यह हुई कि 18 अप्रैल को उक्त पत्र लिखने/भेजने के साथ ही इंटरनेशनल के बेवसाइट 'माय एलसीआई' पर विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को उनके पदों से हटा/हटाया गया दिखाया जाने लगा । तकनीकी और प्रशासनिक रूप से यह पूरी तरह गलत है । दरअसल विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को मल्टीपल काउंसिल के उनके पदों से हटाए जाने की कहीं कोई सूचना नहीं है; इस बारे में लायंस इंटरनेशनल का कहीं कोई आदेश और या फैसला नहीं है; मल्टीपल में किसी को भी इस बारे में सूचित नहीं किया गया है - यह दोनों अभी भी अपने अपने क्लब के सदस्य हैं; दो मई तक की मोहलत तो खुद लायंस इंटरनेशनल कार्यालय के पदाधिकारियों ने दी हुई है ।
लायंस इंटरनेशनल कार्यालय की तरफ से अपने ही फैसले का मजाक बना दिए जाने की इस स्थिति के पीछे 'गैंग ऑफ फोर' के सदस्यों को ही देखा/पहचाना जा रहा है । माना/समझा जा रहा है कि अपने अपने पदों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कार्यालय के पदाधिकारियों से मनमाने फैसले करवा लिए, लेकिन अब जो उन्हें उलटे पड़ रहे हैं, और उनकी फजीहत करने वाले साबित हो रहे हैं । अदालती आदेश के चलते विनय गर्ग और स्वतंत्र सब्बरवाल को अपने अपने क्लब से निकाले जाने की लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई पर रोक लग जाने से मल्टीपल काउंसिल के पदों से उनके हटने की संभावना भी समाप्त हो गई है - जो 'गैंग ऑफ फोर' पर एक करारी चपत की तरह है । हालाँकि कई लोगों को लगता है कि 'गैंग ऑफ फोर' इस चपत के बाद भी चुप नहीं बैठेगा, और अपनी मनमानी तथा लूट को बरकरार रखने के लिए कोई न कोई तरकीब जरूर ही लगायेगा । वह क्या तरकीब लगायेगा, और उसका क्या नतीजा निकलेगा - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन यह जरूर पता चल रहा है कि पहले बीस लाख रुपए में विनय गर्ग को खरीदने की कोशिश और फिर उन्हें मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद से हटवाने की कोशिश के फेल हो जाने से 'गैंग ऑफ फोर' के सदस्य बदहवास तो हुए हैं, और उनकी यह बदहवासी मल्टीपल में अभी और नाटक दिखायेगी ।