Thursday, June 25, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन्स की मौजूदा सदस्यों व पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत का आयोजन फ्लॉप होने से, चेयरमैन शशांक अग्रवाल को राहत तो मिली; लेकिन अविनाश गुप्ता व गौरव गर्ग के सार्वजनिक रोने ने उनकी मुसीबत व चुनौती को बढ़ाया

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के तीन सदस्यों की तीन पूर्व चेयरमैन्स के साथ मिल कर रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समस्याओं को हल करने की तैयारी को अपेक्षित समर्थन न मिलने के कारण खासा तगड़ा झटका लगा है । रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना है कि तीन नाकारा साबित हुए चेयरमैन्स की मदद से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समस्याओं को हल करने की बात करना/कहना भी एक भद्दा मजाक है । उल्लेखनीय है कि नितिन कँवर, राजेंद्र अरोड़ा और अविनाश गुप्ता ने दीपक गर्ग, राकेश मक्कड़ और हरीश जैन के साथ मिलकर रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की मौजूदा समस्याओं का निवारण करने के उद्देश्य से आज एक ऑनलाइन मीटिंग की, जिसमें गिनती के लोगों ने ही दिलचस्पी ली । लोगों का कहना है कि दीपक गर्ग, राकेश मक्कड़ और हरीश जैन जब चेयरमैन थे, तब अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वाह नहीं कर सके और नाकारा साबित हुए - तो अब वह क्या कर सकेंगे ? दीपक गर्ग चेयरमैन तो बन गए थे, लेकिन अपनी फजीहत होती देख छह महीने में ही इस्तीफा देकर भाग खड़े हुए थे - और उस वर्ष के बाकी छह महीनों में कार्यकारी चेयरपरसन के रूप में पूजा बंसल को कमान संभालना पड़ी थी । राकेश मक्कड़ के लिए तो चेयरमैन के रूप में लोगों का सामना करना ही मुश्किल होता था, उन्होंने शायद ही कभी मंच से लोगों को मुद्दों पर संबोधित किया हो - उन्हें देख कर लोगों को यही लगता था कि यह आदमी चेयरमैन आखिर बना क्यों है ? हरीश जैन का मामला तो सबसे निराला ही रहा, पहले दिन से ही उनका चेयरमैन-काल अराजकता का शिकार बना और इंस्टीट्यूट प्रशासन को उनके कार्यकाल को सस्पेंड ही कर देना पड़ा था । लोगों का कहना है कि ऐसे महानुभावों के सहारे रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समस्याओं को हल करने की बात करना चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की आँखों में धूल झोंकने जैसा है, और इसीलिए आज का आयोजन बुरी तरह फ्लॉप हुआ ।
मजे की बात यह रही कि आयोजन से जुड़े रीजनल काउंसिल के तीनों सदस्यों को भी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की आलोचना का शिकार होना पड़ा है । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना है कि यह तीनों काउंसिल के सदस्य और पदाधिकारी होते/रहते हुए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समस्याओं को समझने तथा हल करने की बजाये, काउंसिल के दूसरे पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ लड़ने-झगड़ने में व्यस्त रहते रहे हैं - और अब पूर्व चेयरमैन्स के साथ मिल कर समस्याओं को हल करने/करवाने की बात कर रहे हैं । नितिन कँवर और राजेंद्र अरोड़ा को पिछले टर्म में भी और इस टर्म में भी सबसे झगड़ालु सदस्यों के रूप में देखा/पहचाना गया है; काउंसिल की मीटिंग्स में उनके व्यवहार के चलते कई एक मौकों पर काउंसिल सदस्यों द्वारा ही पुलिस बुलाने तक की नौबत आई है । अविनाश गुप्ता से लोगों को बहुत उम्मीदें थीं, और कई मौकों पर उन्होंने बड़ी तथा उदार सोच व व्यवहार को प्रदर्शित भी किया और बड़प्पन दिखाया - लेकिन कुछेक अवसरों पर उनके रवैये को काउंसिल के माहौल को बिगाड़ने का काम करते हुए भी देखा/पाया गया । अविनाश गुप्ता को नितिन कँवर और राजेंद्र अरोड़ा के साथ नजदीकी बनाते देख, उनके नजदीकियों तथा उन्हें जानने वालों को अफसोस हुआ है । अविनाश गुप्ता को इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में तीन टर्म सदस्य रहे संजय अग्रवाल के नजदीक देखा/पहचाना जाता है, जिन्होंने सेंट्रल काउंसिल के अगले चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है । इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को लगता है कि नितिन कँवर और राजेंद्र अरोड़ा के साथ नजदीकी बनाने/रखने की अविनाश गुप्ता की कोशिश संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने वाली हो सकती है । अविनाश गुप्ता की संलग्नता वाले आज के आयोजन की विफलता ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है ।
उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की तरफ से रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समस्याओं को सुनने तथा हल करने के बाबत चेयरमैन शशांक अग्रवाल के नेतृत्व में कल एक अधिकृत कार्यक्रम करने की घोषणा की गई है, जिसके प्रति चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने अच्छी उत्सुकता दिखाई है । इसका कारण शायद यही है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को लगता है कि उनकी समस्याओं को काउंसिल के अधिकृत पदाधिकारी ही हल कर सकते हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के अधिकृत कार्यक्रम को लेकर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की उत्सुकता ने चेयरमैन शशांक अग्रवाल को राहत व बढ़त तो दी है, लेकिन उनके सामने इस कारण चुनौती भी आ खड़ी हुई है कि रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच यह पोल भी खुल चुकी है कि काउंसिल के पदाधिकारियों और सदस्यों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, और उनके बीच गंभीर टकराव के कारण मौजूद हैं । शशांक अग्रवाल ने कल के कार्यक्रम के बारे में सोशल मीडिया में जानकारी दी, तो अविनाश गुप्ता तथा गौरव गर्ग ने सोशल मीडिया में ही अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया कि काउंसिल के पदाधिकारी उनकी ईमेल्स के जबाव तक नहीं देते हैं । इनके रोने से काउंसिल के कामकाज की असलियत ही लोगों के सामने आई है, जो चेयरमैन के रूप में शशांक अग्रवाल के लिए मुसीबत व चुनौती दोनों है ।