Wednesday, June 24, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू की तरफ से मल्टीपल ड्यूज जमा करवाने को लेकर आनाकानी करती आ रहीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह ने पारस अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल कर अपनी खुन्नस को ही जाहिर किया है क्या ?

आगरा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह ने मल्टीपल ड्यूज जमा न करने/करवाने के मामले में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बीके गुप्ता को शर्मिंदा करने के लिए जैसे चादर बिछवाई थी, ठीक वैसे ही मधु सिंह के लिए भी चादर बिछवाने की तैयारी सुनी जा रही है - क्योंकि बीके गुप्ता की तरह ही मधु सिंह ने भी मल्टीपल ड्यूज जमा नहीं करवाए हैं, और जिसके कारण मल्टीपल काउंसिल के नए पदाधिकारियों की चुनावी प्रक्रिया में उनके डिस्ट्रिक्ट को प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं मिला है । उल्लेखनीय है कि बीके गुप्ता द्वारा मल्टीपल ड्यूज जमा न करने/करवाने के मामले को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालते ही मधु सिंह ने बड़े जोरशोर से उठाया था, और इसे डिस्ट्रिक्ट की बदनामी के तौर पर रेखांकित किया था । मधु सिंह के उस रवैये को याद करते हुए लोगों को हैरानी है कि बीके गुप्ता के पदचिन्हों पर चलते हुए मधु सिंह खुद भी मल्टीपल ड्यूज जमा न करवा कर डिस्ट्रिक्ट की बदनामी क्यों करवा रही हैं ? सुना/बताया जाता है कि मल्टीपल ड्यूज जमा न करने/करवाने के मामले में बीके गुप्ता को शर्मिंदा करने के उद्देश्य से मधु सिंह ने अपनी शुरू की एक मीटिंग में यह कहते हुए लोगों के सामने एक चादर बिछवाई थी, कि मल्टीपल ड्यूज के रूप में इकट्ठा हुई रकम तो बीके गुप्ता ने अपने घर-खर्च में इस्तेमाल कर ली है, इसलिए उनसे यह कहने की जरूरत नहीं है कि वह उक्त रकम जमा करवाएँ - लेकिन डिस्ट्रिक्ट को बदनामी से बचाने के लिए उक्त रकम हमें चंदा करके जमा करनी/करवानी चाहिए । यह तो किसी को नहीं पता कि उस चादर में कोई रकम इकट्ठा हुई थी, या नहीं हुई थी - और यदि हुई थी, तो उसका हुआ क्या ? लेकिन वह घटना लोगों को याद रह गई । उस घटना का संदर्भ लेकर ही, ठीक उसी तर्ज पर डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोग मधु सिंह के लिए भी चंदा इकट्ठा करने हेतु चादर बिछाने/बिछवाने की तैयारी करते सुने जा रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट में सुना जा रहा है कि सदस्यों से मल्टीपल ड्यूज ले लेने के बाद भी मधु सिंह इकट्ठा हुई रकम को मल्टीपल में जमा नहीं करवा रही हैं, उससे लगता है कि उक्त रकम उन्होंने अपने घर-खर्च में इस्तेमाल कर ली है । लोगों का कहना है कि अब जब उनके गवर्नर-काल को पूरा होने में मुश्किल से पाँच-छह दिन बचे हैं, और उन्होंने अभी भी मल्टीपल ड्यूज जमा नहीं करवाए हैं, उससे लगता है कि उनकी कोई आर्थिक मजबूरी होगी - इसलिए उनसे कहने की बजाये, चादर बिछवा कर चंदे के जरिये उक्त रकम इकट्ठा कर लेंगे और डिस्ट्रिक्ट को बदनामी से बचा लेंगे । उल्लेखनीय है कि तरह तरह की बहानेबाजी करके मल्टीपल ड्यूज जमा करवाने से बचने की मधु सिंह की कोशिशों को पहले उनकी राजनीतिक चाल के रूप में देखा/समझा गया था । समझा जा रहा था कि मल्टीपल कन्वेंशन से पहले वह इसलिए मल्टीपल ड्यूज नहीं जमा करवा रही हैं, ताकि उनके डिस्ट्रिक्ट के सदस्यों को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के एंडोर्समेंट के चुनाव में वोट देने का अधिकार न मिले, और उम्मीदवार के रूप में जितेंद्र चौहान को झटका लगे । जितेंद्र चौहान लेकिन उनसे ज्यादा चतुर निकले, और लायंस इंटरनेशनल के नियम का सहारा लेकर डिस्ट्रिक्ट के सदस्यों के वोटिंग अधिकार ले आए और भारी मतों से विजयी हुए । माना/समझा गया था कि मधु सिंह उसके बाद मल्टीपल ड्यूज जमा करा देंगी, लेकिन मल्टीपल कन्वेशन हुए तीन सप्ताह का समय बीत चुका है - और मधु सिंह ने वह अभी तक जमा नहीं करवाए हैं, और उसके चलते डिस्ट्रिक्ट की बदनामी हो रही है । इसीलिए डिस्ट्रिक्ट में लोगों को कहने का मौका मिला है कि सदस्यों से इकट्ठा हुई मल्टीपल ड्यूज की रकम लगता है कि मधु सिंह ने अपने घर-खर्च में इस्तेमाल कर ली है, इसलिए ड्यूज जमा न करने को लेकर डिस्ट्रिक्ट को बदनामी से बचाने के लिए लोगों के सामने चादर बिछानी/बिछवानी ही पड़ेगी । 
मजे की बात लेकिन यह है कि तरह तरह की बहानेबाजी से मल्टीपल ड्यूज जमा करने/करवाने से बचती/छिपती, और इस तरह से डिस्ट्रिक्ट की बदनामी करवा रहीं मधु सिंह ने निवर्त्तमान मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के हिसाब-किताब को लेकर मोर्चा खोला हुआ है, और तरह तरह के सवालों के जरिये वह पारस अग्रवाल को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं - और इस काम में उन्हें लगातार कुछेक बड़े नेताओं का सहयोग व समर्थन भी मिल रहा है । उनके अधिकतर सवाल 'बाल की खाल निकालने' वाली प्रवृत्ति के हैं, और सभी का मानना है कि इस प्रवृत्ति के आधार पर हिसाब-किताब यदि देखे गए तो क्लब से लेकर इंटरनेशनल तक के सभी पदाधिकारी 'अपराधी' साबित होंगे । मधु सिंह के सवालों से आभास होता है कि वह पदाधिकारी के रूप में पारस अग्रवाल से उच्च नैतिक आदर्शों की उम्मीद करती हैं । इसमें ऐतराज की कोई बात नहीं है । हर पदाधिकारी से ... हर पदाधिकारी से उच्च नैतिक आदर्शों की उम्मीद की ही जानी चाहिए - लेकिन यहाँ मजेदार सीन यह देखने को मिल रहा है कि उच्च नैतिक आदर्शों की ऐसीतैसी कर रहीं मधु सिंह दूसरे पदाधिकारी से इसकी उम्मीद कर रही हैं । एक 'पापी' दूसरे 'पापी' से पूछ रहा है कि तू पापी क्यों है ? इस मामले में मधु सिंह का सहयोग व समर्थन करने वाले बड़े नेताओं का रवैया और भी शर्मनाक है - उनके मुँह से एक बार भी नहीं फूटा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मधु सिंह को समय से मल्टीपल ड्यूज जमा करवाने चाहिएँ । जाहिर है कि मधु सिंह की सारी 'सक्रियता' निजी खुन्नस से संचालित है । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति और व्यवस्था में मधु सिंह को चूँकि पारस अग्रवाल व जितेंद्र चौहान की जोड़ी से मात पर मात मिलती रही है, इसलिए उससे पैदा हुए फ्रस्ट्रेशन को निकालने के लिए उन्होंने पारस अग्रवाल के हिसाब-किताब को मुद्दा बना लिया है । दिलचस्प बात यह है कि मधु सिंह के और पारस अग्रवाल के नजदीकियों की तरफ से एक जैसा ही तर्क सुनने को मिल रहा है, दोनों ही तरफ के लोगों का मानना और कहना है कि दोनों के ही द्वारा बेईमानी करने के सुबूत अभी तक सामने नहीं आए हैं; जो तथ्य सामने हैं उनके आधार पर यही कहा जा सकता है कि दोनों ने ही प्रक्रियागत गलतियाँ की हैं । मधु सिंह यदि समय पर मल्टीपल ड्यूज जमा कर देतीं, और पारस अग्रवाल यदि समय पर अकाउंट दे देते - तो दोनों को ही सवालों और आरोपों का सामना न करना पड़ता । अपनी कमी और गलती को छिपा कर, पारस अग्रवाल को निशाने पर लेकर मधु सिंह ने लेकिन डिस्ट्रिक्ट से लेकर मल्टीपल तक में  अपना मजाक बनवा लिया है । चादर वाले किस्से से लगता है कि उन्हें लेकर अभी और तमाशे देखने को मिलेंगे ।