Tuesday, June 23, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में बड़ी और एकतरफा जीत पाने वाले सुधीर मंगला ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल के दिशा-निर्देशन में, अमित जैन को नहीं - वास्तव में, उनकी उम्मीदवारी का नामांकन वापस करवाने की कोशिश करने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स नेताओं को हराया है

नई दिल्ली । सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में अमित जैन के मुकाबले सुधीर मंगला का पलड़ा भारी तो पहले दिन से ही माना/पहचाना जा रहा था, लेकिन किसी को भी - खुद सुधीर मंगला और उनके समर्थकों को भी - सुधीर मंगला की इतनी बड़ी और एकतरफा जीत की उम्मीद नहीं थी । कुल 156 वोटों में से 119 वोट प्राप्त करके सुधीर मंगला ने जो छप्परफाड़ जीत हासिल की है, वह इसलिए और भी बड़ी जीत है - क्योंकि अमित जैन की उम्मीदवारी के पक्ष में गवर्नर्स की खासी बड़ी फौज समर्थन जुटाने के अभियान में लगी हुई थी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तैयारी कर रहे पूर्व गवर्नर विनोद बंसल ने अमित जैन की उम्मीदवारी की कमान संभाली हुई थी, और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए विनोद बंसल के उम्मीदवार के उम्मीदवार के रूप में तैयारी कर रहे निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया ने अमित जैन को वोट दिलवाने का जिम्मा लिया हुआ था - और उन्हें रवि चौधरी सहित कुछेक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स के साथ-साथ मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा का सक्रिय समर्थन मिला हुआ था; इतने सारे नेता मिलकर अमित जैन को लेकिन कुल 37 वोट ही दिलवा सके । इस चुनाव में सबसे शर्मनाक भूमिका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन की देखी/सुनी गई । नामांकन वापसी के समय तक सुरेश भसीन ने सुधीर मंगला पर यह कहते हुए नाम वापस लेने के लिए खासा दबाव बनाया कि उनके जीतने की तो कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए पराजय की शर्मिंदगी से बचने के लिए अच्छा होगा कि वह अपनी उम्मीदवारी छोड़ दें ।
सुधीर मंगला लेकिन सुरेश भसीन के किसी दबाव में नहीं आए । सुधीर मंगला को कुछेक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स का समर्थन था तो, लेकिन उनके समर्थन में कोई पूर्व गवर्नर सक्रिय नहीं दिख रहा था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल को जरूर उनके समर्थन में सक्रिय सुना जा रहा था । लेकिन अपने पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए वह भी पर्दे के पीछे रहते हुए ही काम करते सुने जा रहे थे ।डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों को हालाँकि लगता है कि सुधीर मंगला की उम्मीदवारी की कमान अनूप मित्तल के हाथ में ही थी, और उन्होंने बड़ी होशियारी से सुधीर मंगला के लिए वोट जुटाने का काम किया । सीओएल प्रतिनिधि के चुनावी परिदृश्य में मजे की बात यह थी कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच - खासकर प्रेसीडेंट्स के बीच सुधीर मंगला की पहचान और सक्रियता ज्यादा थी, जबकि बड़े नेताओं और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के समर्थन के रूप में 'शोर' अमित जैन का ज्यादा था । ऐसे में अनूप मित्तल और सुधीर मंगला की जोड़ी ने चुपचाप तरीके से काम करने पर ध्यान केंद्रित किया और अपने संपर्कों व समर्थकों से व्यावहारिक काम लिया । अनूप मित्तल ने अपने खेमे के पूर्व गवर्नर्स की गरिमा को बनाये/बचाये रखते हुए उनके समर्थन तथा उनके संपर्कों का फायदा सुधीर मंगला को दिलवाया और साथ-साथ 'कमजोर जगहों' की पहचान करते हुए उन्हें मजबूती देने का काम सुधीर मंगला से करवाया । सुधीर मंगला की इस बड़ी और एकतरफा चुनावी जीत के पीछे अनूप मित्तल की सुनियोजित रणनीति को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार माना/समझा जा रहा है ।
दरअसल अनूप मित्तल और सुधीर मंगला की जोड़ी ने पहले ही भाँप लिया था कि अमित जैन को चूँकि सक्रिय गवर्नर्स का समर्थन है, इसलिए 'शोर' उनका ही ज्यादा बनेगा/रहेगा । ऐसे में, अनूप मित्तल और सुधीर मंगला ने 'शोर' की पिच पर खेलने की बजाये एक अलग रणनीति बनाई और चुपचाप काम करने पर जोर दिया - जिसके तहत अनूप मित्तल ने पर्दे के पीछे से मोर्चा संभाला और सुधीर मंगला मैदान में डटे । इन्होंने बड़ी होशियारी से संपर्क, सक्रियता और पहचान के मामले में अमित जैन की कमजोरी को मुद्दा बनाया - अमित जैन के समर्थक नेता इस मुद्दे पर असहाय नजर आये । उन्हें लोगों की इस शिकायत का कोई जबाव ही नहीं सूझा कि अमित जैन तो डिस्ट्रिक्ट और रोटरी की गतिविधियों में कहीं नजर ही नहीं आते हैं, और कई प्रेसीडेंट्स तो अमित जैन को पहचानते भी नहीं हैं । अमित जैन और सुधीर मंगला के बायोडेटाज को देखने/पढ़ने वाले लोगों ने भी देखा/पाया और जाना/समझा कि अमित जैन के मुकाबले सुधीर मंगला की डिस्ट्रिक्ट और रोटरी में कहीं ज्यादा सक्रियता है, और सुधीर मंगला डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ जोन व इंटरनेशनल स्तर के आयोजनों में भी लगातार शामिल होते रहे हैं । अमित जैन के समर्थक नेता इस सच्चाई के सामने निरुत्तर ही रहे और सिर्फ इस बात की कोशिश करते रहे कि लोग उनके कहने से अमित जैन को वोट दे दें । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट तथा पूर्व गवर्नर्स नेताओं की भारी-भरकम फौज अपने कहने पर लेकिन अमित जैन को कुल 37 वोट ही दिलवा सकी । इसी आधार पर डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों का मानना और कहना है कि सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में सुधीर मंगला ने अमित जैन को नहीं - वास्तव में, उनकी उम्मीदवारी का नामांकन वापस करवाने की कोशिश करने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स नेताओं को हराया है ।