Thursday, June 18, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के अगले चुनाव के संदर्भ में अंकित जैन की उम्मीदवारी को लेकर तैयारियाँ शुरू होती 'दिखने' के बावजूद, वेद जैन खेमे में अंकित जैन की उम्मीदवारी को लेकर बने संशय के पीछे डर आखिर क्या है ?

नई दिल्ली । अंकित जैन की सक्रियता के अचानक बढ़ने से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच चर्चा एक बार फिर गर्म हो उठी है कि इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन ने अपने बेटे को सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में उतारने की तैयारी शुरू कर दी है । इस चर्चा ने सुधीर अग्रवाल की उम्मीदवारी की संभावना को लेकर होने वाली चर्चाओं को तगड़ा झटका दिया है - और उनके बीच यह सवाल खासा महत्त्वपूर्ण हो उठा है कि वेद जैन यदि अपने बेटे को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रहे हैं, तब फिर सुधीर अग्रवाल की उम्मीदवारी का क्या होगा ? इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को सुधीर अग्रवाल की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने की भले ही उम्मीद हो, लेकिन खुद सुधीर अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की है - बल्कि जब जब भी किसी ने सुधीर अग्रवाल से उम्मीदवारी को लेकर सवाल किया है, तो उसे सुधीर अग्रवाल की तरफ से इंकार ही सुनने को मिला है । मजे की बात यह है कि सुधीर अग्रवाल भले ही अपनी उम्मीदवारी की बात से इंकार कर रहे हों, लेकिन लोगों को पक्का यकीन है कि सुधीर अग्रवाल अवश्य ही उम्मीदवार होंगे । संजय अग्रवाल का उदाहरण देते हुए लोगों का कहना है कि जैसे संजय अग्रवाल इंकार करते करते उम्मीदवारी की घोषणा कर बैठे हैं, वैसे ही अभी इंकार कर रहे सुधीर अग्रवाल भी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर देंगे । ऐसा सोचने, मानने और कहने वाले लोगों को लेकिन अंकित जैन की उम्मीदवार बनने की तैयारी देख कर झटका लगा है - वह सुधीर अग्रवाल के इंकार को लेकर थोड़ा गंभीर हुए हैं । दरअसल सुधीर अग्रवाल और वेद जैन की नजदीकियत को जानने वाले लोगों का भी मानना और कहना है कि सुधीर अग्रवाल और अंकित जैन में से कोई एक ही उम्मीदवार होगा ।
हालाँकि वेद जैन या अंकित जैन या सुधीर अग्रवाल की तरफ से अभी अंकित जैन की उम्मीदवारी की पुष्टि नहीं हुई है । उनकी तरफ से यही कहा/बताया जा रहा है कि अंकित जैन की जिस सक्रियता के आधार पर उनकी उम्मीदवारी का कयास लगाया जा रहा है, वह कोई बड़ा आधार नहीं है । वेद जैन ने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के सर्टीफिकेट ऑफ प्रैक्टिस को जब वापस कर दिया है, और वकील बन गए हैं तो उनकी चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म के काम अंकित जैन के नाम से ही होंगे - और इसमें कोई राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए । लोग लेकिन राजनीति 'देखने' से इसलिए बाज नहीं आ रहे हैं, क्योंकि लंबी-चौड़ी सफाई के बावजूद, वेद जैन के ऑफिस की तरफ से अंकित जैन की उम्मीदवारी को लेकर दो-टूक तरीके से बात नहीं की जा रही है । बातों की जलेबी सी बना कर जो कहा जा रहा है, उससे यह साफ नहीं हो रहा है कि अंकित जैन की उम्मीदवारी प्रस्तुत होगी या नहीं । वेद जैन के एक नजदीकी ने इस संबंध में बड़ी मजेदार बात बताई कि अंकित जैन की उम्मीदवारी को लेकर अभी घोषणा नहीं की जायेगी - क्योंकि उन्हें डर है कि घोषणा होते ही काम करवाने तथा नौकरी चाहने वाले युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की लाइन लग जायेगी; और जिसके काम नहीं होंगे, वह नाराज हो जायेगा और नकारात्मक प्रचार करेगा; इसलिए अंकित जैन की उम्मीदवारी की घोषणा चुनाव से छह/सात महीने पहले ही की जाएगी । अब वेद जैन को हक है कि वह अंकित जैन की उम्मीदवारी की घोषणा कब करें, ठीक इसी तरह दूसरों को भी हक है कि अंकित जैन की सक्रियता को देखते हुए वह अंकित जैन की उम्मीदवारी के बारे में कयास लगाएँ ।
वेद जैन के कुछेक नजदीकियों का हालाँकि यह भी कहना/बताना है कि अंकित जैन की उम्मीदवारी को लेकर तैयारी तो शुरू हो गई है, लेकिन अंतिम रूप से फैसला तैयारियों का जायेजा लेने के बाद ही किया जायेगा । ऐसे में, लोगों के बीच सवाल यह भी है कि अंकित जैन की उम्मीदवारी की तैयारियों को यदि अनुकूल नहीं पाया गया, और उसके चलते अंकित जैन की उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं हुई - तो क्या अगले चुनाव में वेद जैन खेमे की तरफ से कोई उम्मीदवार नहीं होगा; क्योंकि सुधीर अग्रवाल अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार कर चुके हैं । सुधीर अग्रवाल के समर्थकों का कहना हालाँकि यह है कि अंकित जैन की उम्मीदवारी को हरी झंडी न मिलने की स्थिति में उन्हें उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए राजी कर लिया जायेगा । सुधीर अग्रवाल के नजदीकियों का लेकिन दावा है कि उम्मीदवारी को लेकर सुधीर अग्रवाल में दरअसल जोश या उत्साह बचा नहीं दिख रहा है, इसलिए राजी करने की समर्थकों की कोशिशों का कोई नतीजा निकलेगा - इसमें शक है । साथ ही साथ उनका कहना हालाँकि यह भी है कि राजनीति में कब कौन क्या फैसला कर बैठे - यह कहना बड़ा मुश्किल है । एक बात लेकिन हर कोई बहुत साफगोई से कह रहा है कि वेद जैन खेमे ने अपने उम्मीदवार की घोषणा करने में यदि ज्यादा समय लिया और देर की, तो चुनावी नतीजे पर उसका प्रतिकूल प्रभाव अवश्य ही पड़ेगा ।