Friday, June 26, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में वेंडर्स व फैकल्टीज की नियुक्ति तथा उनके भुगतान में घपलेबाजी के काउंसिल सदस्यों के आरोपों पर, चुप्पी साध कर बचने की चेयरमैन शशांक अग्रवाल की कोशिश ट्रेजरर पंकज गुप्ता के रवैये से मुश्किल में पड़ी; लेकिन शशांक अग्रवाल को भरोसा है कि वह पंकज गुप्ता को 'मैनेज' कर लेंगे   

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पहले अविनाश गुप्ता और गौरव गर्ग ने आरोप लगाए कि चेयरमैन शशांक अग्रवाल उनकी ईमेल्स के जबाव नहीं देते है, और अब चेयरमैन शशांक अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि ट्रेजरर पंकज गुप्ता चेक साइन नहीं कर रहे हैं - जिसके चलते वेंडर्स तथा जीएमसीएस कोर्स की फैकल्टीज के भुगतान नहीं हो पा रहे हैं । आज आयोजित हुई एक ऑनलाइन मीटिंग में शशांक अग्रवाल ने पहले तो नितिन कँवर, गौरव गर्ग और अविनाश गुप्ता को मीटिंग में शामिल होने से रोका; लेकिन सुमित गर्ग ने उनसे जब इन तीनों को भी मीटिंग में शामिल करने का अनुरोध किया - तो शशांक अग्रवाल ने साफ कहा कि यह तीनों यदि मीटिंग में शामिल हुए, तो वह मीटिंग से निकल जायेंगे । पंकज गुप्ता मीटिंग में शामिल ही नहीं हुए । इन आरोपों और बातों से जाहिर है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पूरी तरह से अराजकता का माहौल है, और शशांक अग्रवाल पिछले चेयरमैन हरीश जैन के ही नक्शेकदम पर हैं - जिनसे इंस्टीट्यूट प्रशासन ने कार्यभार छीन लिया था, और वह बस नाम के ही चेयरमैन रह गए थे । हरीश जैन की जो गत बनी, और जिसके चलते रीजनल काउंसिल महीनों तक सस्पेंड रही - उसके चलते उम्मीद की गई थी कि शशांक अग्रवाल सबक लेंगे और अपने साथी पदाधिकारियों तथा सदस्यों के साथ तालमेल बना कर काम करेंगे । लेकिन लग ऐसा रहा है कि जैसे शशांक अग्रवाल खुद को हरीश जैन से भी 'बुरा' साबित करने की 'कोशिशों' में जुट गए हैं । शशांक अग्रवाल हालाँकि खुशकिस्मत रहे कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण बने हालात की वजह से उनकी कारगुजारियाँ अभी तक ढकी/छिपी रही थीं, लेकिन जो अब धीरे-धीरे खुल रही हैं, और सामने आ रही हैं ।
रीजनल काउंसिल को विभिन्न सर्विस मुहैया करवाने वाले वेंडर्स तथा जीएमसीएस कोर्स की फैकल्टीज के भुगतान को लेकर शशांक अग्रवाल की स्थिति पिछले चेयरमैन हरीश जैन जैसी ही है । इन्हें होने वाले भुगतान करीब तीन महीनों से रुके पड़े हैं । उल्लेखनीय है कि हरीश जैन के चेयरमैन रहते हुए भी यही हाल था; और मजे की बात यह है कि हरीश जैन की तरह शशांक अग्रवाल भी इसके लिए ट्रेजरर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । आज हुई एक मीटिंग में यह सवाल उठा तो शशांक अग्रवाल ने साफ कहा कि उन्होंने तो सब हिसाब बना दिए हैं, लेकिन चेक्स पर ट्रेजरर पंकज गुप्ता के साइन न हो पाने के कारण भुगतान नहीं हो सके हैं । मीटिंग में चूँकि पंकज गुप्ता उपस्थित नहीं थे, इसलिए उनका पक्ष सामने नहीं आ सका है; लेकिन मीटिंग में मौजूद उनके नजदीकी शशांक अग्रवाल के इस जबाव पर चुप रहे - जिससे शशांक अग्रवाल की बात को बल मिला । मीटिंग के बाद हुई अनौपचारिक चर्चाओं में बात सामने आई कि ट्रेजरर के रूप में पंकज गुप्ता को शशांक अग्रवाल के बनाए/दिए हिसाब में कई विवरण आपत्तिजनक लगे, जिन पर उन्होंने स्पष्टीकरण माँगे - लेकिन जो उन्हें नहीं मिले, इसलिए भुगतान अटक गए । हरीश जैन की ही तरह, शशांक अग्रवाल पर भी मनमाने तरीके से वेंडर्स व फैकल्टीज नियुक्त करने तथा उन्हें अनाप-शनाप तरीके से भुगतान करने की कोशिश करने के आरोप हैं । काउंसिल सदस्यों के ही आरोप हैं कि शशांक अग्रवाल ने अपने जानने वालों तथा अपने नजदीकियों को फायदा पहुँचाने का काम किया है । समझा जाता है कि ट्रेजरर के रूप में पंकज गुप्ता को भी चूँकि इस तरह के आरोपों में सच्चाई नजर आई, और इसीलिए उन्होंने आँख मूँद कर चेक्स पर साइन करने से इंकार कर दिया; शशांक अग्रवाल ने मीटिंग में यह तो बता दिया कि ट्रेजरर द्वारा चेक्स साइन नहीं करने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहे हैं - किंतु इस बात को वह छिपा गए कि ट्रेजरर साइन कर क्यों नहीं रहे हैं ?
शशांक अग्रवाल को डर हुआ कि जिस सच्चाई को वह छिपा रहे हैं, उस सच्चाई को कहीं नितिन कँवर, गौरव गर्ग व अविनाश गुप्ता न जाहिर कर दें - इसीलिए उन्होंने इन तीनों को मीटिंग में शामिल करने से इंकार कर दिया; और इन्हें मीटिंग में शामिल करने के सुमित गर्ग के अनुरोध को भी नहीं माना - उलटे धमकी और दी कि मीटिंग में यदि यह तीनों शामिल हुए, तो वह मीटिंग में मौजूद नहीं रहेंगे । गौरव गर्ग और अविनाश गुप्ता ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं कि शशांक अग्रवाल उनकी ईमेल्स के जबाव तक नहीं देते हैं । समझा जाता है कि गौरव गर्ग और अविनाश गुप्ता ने वेंडर्स व फैकल्टीज की नियुक्ति में होने वाली मनमानी तथा उन्हें होने वाले भुगतान की घपलेबाजी को लेकर सवाल पूछे हैं, इसलिए शशांक अग्रवाल ने जबाव देने की बजाये - चुप रहने का रास्ता अपनाया है । चेयरमैन के रूप में शशांक अग्रवाल को लग रहा है कि काउंसिल के ही सदस्यों के सवालों को अनसुना करके और सवाल उठाने वाले सदस्यों को मीटिंग में शामिल नहीं होने देकर वह आरोपों से बच जायेंगे, लेकिन ट्रेजरर पंकज गुप्ता के रवैये से लगता है कि उनकी मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं । शशांक अग्रवाल ने हालाँकि अपने नजदीकियों को आश्वस्त किया है कि पंकज गुप्ता को वह 'मैनेज' कर लेंगे । यह देखना दिलचस्प होगा कि पंकज गुप्ता चेक्स पर साइन करने के संबंध में अपनी जाँच-पड़ताल व आपत्तियों पर टिके रहेंगे, या फिर शशांक अग्रवाल के सामने अंततः समर्पण कर देंगे ?