Monday, June 1, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में झगड़ों और विवादों में फँसे लोगों के मदद की उम्मीद में विनोद खन्ना से जुड़ने की कोशिशें दीपक तलवार की उम्मीदवारी को लाभ पहुँचाती दिख रही हैं, और तेजपाल खिल्लन के लिए चुनावी मुकाबले में टिके/बने रहने को मुश्किल बना दे रही हैं 

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की प्रक्रिया से बाहर होने की संभावना ने तेजपाल खिल्लन की उम्मीदवारी को खासी तगड़ी चोट पहुँचाई है, और उसका फायदा दीपक तलवार की उम्मीदवारी को मिलता दिख रहा है । तेजपाल खिल्लन को डिस्ट्रिक्ट 321 एफ से अच्छे वोट मिलने की संभावना थी; ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट 321 एफ को वोट देने के अधिकार से वंचित किए जाने की स्थिति में तेजपाल खिल्लन की उम्मीदवारी को सीधा घाटा होने के हालात बन गए हैं । इस हालात ने दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में तेजपाल खिल्लन के समर्थकों और शुभचिंतकों को निराश व हतोत्साहित किया है - और वह तेजपाल खिल्लन के लिए तीसरे नंबर की सीट पक्की होती देखने लगे हैं । ऐसे में, दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के तेजपाल खिल्लन के समर्थक और शुभचिंतक यह भी सोचने लगे हैं कि तेजपाल खिल्लन को जब तीसरे नंबर पर ही रहना है, तो उन्हें वोट देकर अपना वोट खराब करने का भला क्या फायदा ? इस सोच के चलते, तेजपाल खिल्लन को सबसे तगड़ा झटका डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू तथा डिस्ट्रिक्ट 321 डी में लगता दिख रहा है, जिन्हें उनके बड़े वोट-बैंक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इन दोनों डिस्ट्रिक्ट्स में झगड़ेबाजी भी है, जो निश्चित रूप से लायंस इंटरनेशनल कार्यालय जायेगी ही - उसके चलते विरोधी खेमे के लोगों को लगता है कि तेजपाल खिल्लन की बजाये दीपक तलवार के साथ जुड़ पर वह लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में अपने पक्ष में समर्थन जुटा सकते हैं ।
लायंस राजनीति और व्यवस्था में अभी तक सत्ता पक्ष चूँकि एकजुट रहता था, इसलिए सत्ता पक्ष से नाराज होने/रहने वाले लोगों को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती थी - जो उनकी शिकायतों को लीडरशिप के सामने उठा सके । तेजपाल खिल्लन 'वैसे' व्यक्ति का रोल निभाने के कारण विरोधियों के नेता बन बैठे थे । लेकिन अब जब सत्ता पक्ष ही दो-फाड़ हो बैठा है, तो विरोधियों को सत्ता-पक्ष के 'विरोधी' हो गए पक्ष के साथ जुड़ने में ज्यादा फायदा दिख रहा है । इस प्रक्रिया में, सत्ता-पक्ष से नाराज होने/रहने वाले लोग तेजपाल खिल्लन को छोड़ कर विनोद खन्ना से जुड़ने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं । दरअसल, विनोद खन्ना चूँकि इंटरनेशनल डायरेक्टर रहे हैं और सत्ता-पक्ष के दाँव-पेंचों को जानते/समझते हैं, इसलिए सत्ता से नाराज और परेशान होने/रहने वाले लोगों को लग रहा है कि विनोद खन्ना ही उनके वास्तविक मददगार हो सकते हैं । इस सोच के चलते विनोद खन्ना से जुड़ने की लोगों की कोशिश इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी मुकाबले में दीपक तलवार की उम्मीदवारी को लाभ पहुँचाती दिख रही है, और तेजपाल खिल्लन के लिए चुनावी मुकाबले में टिके/बने रहने को मुश्किल बना दे रही है  । 
दीपक तलवार और तेजपाल खिल्लन की उम्मीदवारी के अभियान की तुलना करने पर एक बड़ा फर्क और दिखता है - तेजपाल खिल्लन का अभियान अकेले उन्हीं कंधों पर टिका है, जबकि दीपक तलवार के अभियान की कमान विनोद खन्ना ने सँभाली हुई है, जिन्हें एक दूसरे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी का समर्थन भी मिलता सुना/देखा जा रहा है । कुछेक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन भी उनके साथ बताया/सुना जा रहा है । जितेंद्र चौहान के डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर को ही दीपक तलवार की उम्मीदवारी के पक्ष में खुलकर काम करते हुए देखा जा रहा है । दूसरी तरफ, तेजपाल खिल्लन को डिस्ट्रिक्ट्स में ऐसे लोगों का समर्थन मिल रहा है जो अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में बदनाम और थकेले नेता के रूप में देखे पहचाने जाते हैं, और जो बकवास करने तथा बड़बोले बोल बोलने वाले के रूप में ही जाने/पहचाने जाते हैं - और जो अपने खुद के चुनाव नहीं जीत सके हैं और न अपने उम्मीदवार को चुनाव जितवा सके हैं । सहज ही समझा जा सकता है कि ऐसे लोग तेजपाल खिल्लन की भला क्या मदद कर पायेंगे ? तेजपाल खिल्लन के मुकाबले दीपक तलवार को बढ़त बनाते देख दीपक तलवार के समर्थक खासे उत्साहित हुए हैं, उनमें से कुछेक को लगने लगा है कि दीपक तलवार चुनाव जीत भी सकते हैं । हालाँकि दीपक तलवार के ही कई समर्थकों व शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि जितेंद्र चौहान की चुनाव पर जैसी मजबूत पकड़ है, और विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में उनके समर्थकों की जैसी सक्रियता और तैयारी है, उसका मुकाबला करना अभी भी बड़ी चुनौती है । लेकिन तेजपाल खिल्लन की उम्मीदवारी के मुकाबले बढ़त बना कर दीपक तलवार की उम्मीदवारी ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी परिदृश्य को दिलचस्प जरूर बना दिया है ।