नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में वोटिंग शुरू होने में अब जब कुछ घंटों का समय बचा है, तब दीपक तलवार की उम्मीदवारी के कमान सँभाले पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना वोट जुटाने तथा अपने वोटों को पक्का करने की बजाये डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू की गवर्नर मधु सिंह को आगे करके मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय मित्तल को घेरने/फँसाने की चाल चल रहे हैं । इन बातों से लग रहा है कि विनोद खन्ना ने वोटिंग शुरू होने से पहले ही अपनी हार मान ली है, और उनकी वोट जुटाने तथा अपने वोट डलवाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है । मजे की बात यह रही है कि विनोद खन्ना के कारण ही दीपक तलवार की उम्मीदवारी का ग्राफ तेजी से ऊँचा उठा और तेजपाल खिल्लन चुनावी दौड़ से बाहर ही हो गए लग रहे हैं, लेकिन विनोद खन्ना के कारण ही दीपक तलवार की उम्मीदवारी जितेंद्र चौहान से पिछड़ गई है । दरअसल विनोद खन्ना यह समझने में असफल रहे कि उन्हें जितेंद्र चौहान से लड़ना है, या विनय मित्तल से । उनकी तरफ से कभी जितेंद्र चौहान के 'देशी व्यक्तित्व' तथा अंग्रेजी ज्ञान को निशाना बनाने के प्रयास दिखे तो कभी उनके निशाने पर विनय मित्तल रहे । विनय मित्तल को तरह तरह से घेरने की उनकी कोशिशें विफल होती रहीं, लेकिन फिर भी वह अपनी एनर्जी, अपना समय और अपनी प्रतिभा विनय मित्तल पर ही खर्च करते रहे । इस के चलते, दीपक तलवार के लिए वोट जुटाने का काम करने का उन्हें मौका ही नहीं मिला और वह जितेंद्र चौहान के लिए कोई मुश्किल पैदा नहीं कर सके ।
जितेंद्र चौहान को उनके ही डिस्ट्रिक्ट में घेरा जा सकता था; क्योंकि वहाँ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से लेकर कई एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स जितेंद्र चौहान के खिलाफ हैं; विनोद खन्ना यदि कोशिश करते तो वह जितेंद्र चौहान के डिस्ट्रिक्ट में दीपक तलवार को अच्छे खासे वोट दिलवाने का इंतजाम कर सकते थे - विनोद खन्ना लेकिन इस पर ध्यान देने की बजाये डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के जरिये विनय मित्तल को घेरने की कोशिशों में जुटे रहे । विनय मित्तल के डिस्ट्रिक्ट में विरोधी नेताओं की खुन्नस विनय मित्तल से है, विनोद खन्ना ने लेकिन इस तथ्य पर ध्यान ही नहीं दिया और विनय मित्तल को निशाना बनाने की अपनी कोशिशों में उनके विरोधियों के साथ तालमेल बनाने का कोई प्रयास नहीं किया । इस चक्कर में विनोद खन्ना न तो विनय मित्तल को दबाव में ले पाए और न दीपक तलवार के लिए वोटों की व्यवस्था कर सके । इसका नतीजा यह है कि जितेंद्र चौहान को दोनों डिस्ट्रिक्ट्स में ही पाँच सौ से अधिक वोट मिलने की संभावना बन रही है, और दीपक तलवार को चिल्लर वोटों से ही काम चलाना पड़ेगा । जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल ने शुरू से ही अपने समर्थकों को एकजुट करने, उनके वोट पक्के करने तथा उनके वोट पड़ने की व्यवस्था करने के काम पर ध्यान दिया । विनय मित्तल यह सब करने में बड़े माहिर हैं । कुछेक लोगों को लगता भी है कि विनोद खन्ना ने विनय मित्तल को निशाने पर दरअसल इसलिए ही लिया हुआ था, ताकि उन्हें उलझाए रखा जाये और उन्हें अपने समर्थकों को एकजुट करने/रखने तथा उनके वोट पक्के करने व उन्हें डलवाने की व्यवस्था करने का काम करने का मौका ही न मिल सके ।
विनय मित्तल लेकिन राजनीति करने तथा व्यवस्था बनाने का 'कॉम्बो' हैं । यह बड़ा दुर्लभ गुण है और बहुत ही कम लोगों में ऐसा हुनर मिलता है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की मौजूदा चुनावी लड़ाई में उनके लिए काम आसान इसलिए भी रहा, क्योंकि यह काम उन्हें जितेंद्र चौहान के लिए करना रहा - जिनका पहले से एक बड़ा और प्रभावी नेटवर्क है । जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल की जोड़ी - एक और एक मिलकर दो नहीं, बल्कि ग्यारह बनते/बनाते हैं । इसीलिए चौतरफा हमलों और दबावों का सामना करने के बावजूद इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में जितेंद्र चौहान का पलड़ा लगातार भारी बना रहा है, और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव उनके ही पक्ष में एकतरफा तौर पर झुका हुआ लग रहा है । एक उम्मीदवार के रूप में जितेंद्र चौहान का व्यक्तित्व और बायोडाटा दीपक तलवार के मुकाबले कमजोर पड़ता है, लेकिन जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल ने चुनाव की ऐसी पिच तैयार की कि जितेंद्र चौहान की कमजोरी मुद्दा ही नहीं बन सकी । कुछेक लोगों को लगता है कि विनय मित्तल ने जानबूझ कर कुछेक ऐसी 'कार्रवाइयाँ' की, जिससे कि विरोधियों के निशाने पर वह आ जाएँ और जितेंद्र चौहान की कमजोरियाँ मुद्दा न बन सकें । इस बार के इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव का मजेदार सीन यह है कि उम्मीदवार जितेंद्र चौहान हैं, उनके विरोधियों को लड़ना उनसे है - लेकिन लड़ वह विनय मित्तल से रहे हैं ।
विनोद खन्ना के प्रभाव से दीपक तलवार को डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन, 321 बी टू, 321 डी और 321 ई में अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद है, लेकिन जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल की जोड़ी की रणनीति इन डिस्ट्रिक्ट्स में दीपक तलवार को अच्छी टक्कर देती हुई दिख रही है - जिस कारण दीपक तलवार का 321 सी वन और 321 सी टू में जितेंद्र चौहान को मिलने वाली एकतरफा बढ़त के सामने टिक पाना मुश्किल दिख रहा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में करीब ढाई हजार वोटों को मान्यता मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है । उम्मीद की जा रही है कि 2000 से 2200 के बीच वोट पड़ेंगे । जितेंद्र चौहान के नजदीकियों और समर्थकों को उम्मीद है कि करीब 55 प्रतिशत वोट जितेंद्र चौहान को मिल जायेंगी और जितेंद्र चौहान एक बड़े अंतर से चुनाव जीत लेंगे ।
जितेंद्र चौहान को उनके ही डिस्ट्रिक्ट में घेरा जा सकता था; क्योंकि वहाँ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से लेकर कई एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स जितेंद्र चौहान के खिलाफ हैं; विनोद खन्ना यदि कोशिश करते तो वह जितेंद्र चौहान के डिस्ट्रिक्ट में दीपक तलवार को अच्छे खासे वोट दिलवाने का इंतजाम कर सकते थे - विनोद खन्ना लेकिन इस पर ध्यान देने की बजाये डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के जरिये विनय मित्तल को घेरने की कोशिशों में जुटे रहे । विनय मित्तल के डिस्ट्रिक्ट में विरोधी नेताओं की खुन्नस विनय मित्तल से है, विनोद खन्ना ने लेकिन इस तथ्य पर ध्यान ही नहीं दिया और विनय मित्तल को निशाना बनाने की अपनी कोशिशों में उनके विरोधियों के साथ तालमेल बनाने का कोई प्रयास नहीं किया । इस चक्कर में विनोद खन्ना न तो विनय मित्तल को दबाव में ले पाए और न दीपक तलवार के लिए वोटों की व्यवस्था कर सके । इसका नतीजा यह है कि जितेंद्र चौहान को दोनों डिस्ट्रिक्ट्स में ही पाँच सौ से अधिक वोट मिलने की संभावना बन रही है, और दीपक तलवार को चिल्लर वोटों से ही काम चलाना पड़ेगा । जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल ने शुरू से ही अपने समर्थकों को एकजुट करने, उनके वोट पक्के करने तथा उनके वोट पड़ने की व्यवस्था करने के काम पर ध्यान दिया । विनय मित्तल यह सब करने में बड़े माहिर हैं । कुछेक लोगों को लगता भी है कि विनोद खन्ना ने विनय मित्तल को निशाने पर दरअसल इसलिए ही लिया हुआ था, ताकि उन्हें उलझाए रखा जाये और उन्हें अपने समर्थकों को एकजुट करने/रखने तथा उनके वोट पक्के करने व उन्हें डलवाने की व्यवस्था करने का काम करने का मौका ही न मिल सके ।
विनय मित्तल लेकिन राजनीति करने तथा व्यवस्था बनाने का 'कॉम्बो' हैं । यह बड़ा दुर्लभ गुण है और बहुत ही कम लोगों में ऐसा हुनर मिलता है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की मौजूदा चुनावी लड़ाई में उनके लिए काम आसान इसलिए भी रहा, क्योंकि यह काम उन्हें जितेंद्र चौहान के लिए करना रहा - जिनका पहले से एक बड़ा और प्रभावी नेटवर्क है । जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल की जोड़ी - एक और एक मिलकर दो नहीं, बल्कि ग्यारह बनते/बनाते हैं । इसीलिए चौतरफा हमलों और दबावों का सामना करने के बावजूद इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में जितेंद्र चौहान का पलड़ा लगातार भारी बना रहा है, और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव उनके ही पक्ष में एकतरफा तौर पर झुका हुआ लग रहा है । एक उम्मीदवार के रूप में जितेंद्र चौहान का व्यक्तित्व और बायोडाटा दीपक तलवार के मुकाबले कमजोर पड़ता है, लेकिन जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल ने चुनाव की ऐसी पिच तैयार की कि जितेंद्र चौहान की कमजोरी मुद्दा ही नहीं बन सकी । कुछेक लोगों को लगता है कि विनय मित्तल ने जानबूझ कर कुछेक ऐसी 'कार्रवाइयाँ' की, जिससे कि विरोधियों के निशाने पर वह आ जाएँ और जितेंद्र चौहान की कमजोरियाँ मुद्दा न बन सकें । इस बार के इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव का मजेदार सीन यह है कि उम्मीदवार जितेंद्र चौहान हैं, उनके विरोधियों को लड़ना उनसे है - लेकिन लड़ वह विनय मित्तल से रहे हैं ।
विनोद खन्ना के प्रभाव से दीपक तलवार को डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन, 321 बी टू, 321 डी और 321 ई में अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद है, लेकिन जितेंद्र चौहान और विनय मित्तल की जोड़ी की रणनीति इन डिस्ट्रिक्ट्स में दीपक तलवार को अच्छी टक्कर देती हुई दिख रही है - जिस कारण दीपक तलवार का 321 सी वन और 321 सी टू में जितेंद्र चौहान को मिलने वाली एकतरफा बढ़त के सामने टिक पाना मुश्किल दिख रहा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में करीब ढाई हजार वोटों को मान्यता मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है । उम्मीद की जा रही है कि 2000 से 2200 के बीच वोट पड़ेंगे । जितेंद्र चौहान के नजदीकियों और समर्थकों को उम्मीद है कि करीब 55 प्रतिशत वोट जितेंद्र चौहान को मिल जायेंगी और जितेंद्र चौहान एक बड़े अंतर से चुनाव जीत लेंगे ।