लखनऊ । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में अगले लायन वर्ष के वाइस चेयरमैन पद पर डिस्ट्रिक्ट 321 डी के गवर्नर गुरमीत सिंह मक्कड़ की ताजपोशी होने की चर्चाओं से डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के गवर्नर मनोज रुहेला के नजदीकियों और समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है । यह झटका इसलिए लगा है, क्योंकि अभी तक अगले वाइस चेयरमैन के रूप में मनोज रुहेला के नाम की चर्चा सुनी जा रही थी । समझा जा रहा था कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में जितेंद्र चौहान के नाम को एंडोर्स करवाने के लिए मनोज रुहेला इसीलिए जोरशोर से लगे हुए थे । उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के एंडोर्समेंट के लिए जितेंद्र चौहान के पक्ष में बिछाई गई चौसर की तैयारी मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के भावी पदाधिकारियों के चयन/चुनाव से ही शुरू हुई थी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जितेंद्र चौहान की चुनावी व्यूह रचना में डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन को थोड़ा 'टफ' समझा जा रहा था, क्योंकि इस डिस्ट्रिक्ट के दो बड़े नेताओं में एक गुरनाम सिंह को विनोद खन्ना के साथ नजदीकी के चलते दीपक तलवार के तथा दूसरे नेता केएस लूथरा को तेजपाल खिल्लन के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । ऐसे में, जितेंद्र चौहान की तरफ से इस डिस्ट्रिक्ट में पकड़ बनाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनोज रुहेला को 'साधा' गया । समझा जाता है कि साधने की इसी प्रक्रिया के तहत मनोज रुहेला को अगले वाइस चेयरमैन का पद ऑफर हुआ होगा ।
मनोज रुहेला और उनके नजदीकियों व समर्थकों ने जितेंद्र चौहान के लिए कस कर काम किया, और इस चक्कर में मनोज रुहेला को 'गड़बड़ी करते सुने गए' गुरनाम सिंह से भी भिड़ना पड़ा था । जितेंद्र चौहान की बंपर जीत में मनोज रुहेला की भूमिका को उल्लेखनीय माना/पहचाना गया था । दरअसल इसीलिए, मनोज रुहेला के नजदीकियों और समर्थकों को अब जब यह सुनने को मिल रहा है कि वह अगली मल्टीपल काउंसिल में वाइस चेयरमैन नहीं बन रहे हैं, तो उन्हें झटका लगा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के एंडोर्समेंट को लेकर मची आपाधापी में व्यस्त रहने के चलते दरअसल मल्टीपल काउंसिल की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले नेताओं को भी इसका पता नहीं चल पाया कि वाइस चेयरमैन पद के लिए कब मनोज रुहेला की जगह गुरमीत सिंह मक्कड़ का नाम आ गया । इस बारे में, नेताओं ने भावी चेयरमैन क्षितिज शर्मा और भावी सेक्रेटरी राजीव अग्रवाल से टोह लेने की भी कोशिश की, लेकिन इन दोनों ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए अपने मुँह बंद ही रखे । इन दोनों के इस रवैये से नेताओं को यह अहसास तो हुआ ही है कि 'खेल' ऊपर के लेबल पर हुआ है, जिसकी जानकारी खेल से जुड़े दूसरे खिलाड़ियों को या तो सचमुच है नहीं, या वह अपना मुँह बंद रखने में ही अपनी भलाई देख रहे हैं ।
जितनी जो जानकारी मिली है, उसे जोड़कर देखने से अनुमान लगाया जा रहा है कि यह खेल इंटरेनशनल डायरेक्टर पद के एंडोर्समेंट के लिए हुई वोटिंग से आठ/दस दिन पहले के दिनों का है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 डी के पूर्व गवर्नर और पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन एसएल कपूर को दीपक तलवार के समर्थन में अचानक से सक्रिय हुआ देख कर जितेंद्र चौहान और उनके नजदीकियों का माथा ठनका था । एसएल कपूर को चूँकि पूर्व प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल के खास नजदीकी के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए एसएल कपूर की सक्रियता के पीछे नरेश अग्रवाल की किसी 'योजना' की आशंका का डर बना । इस डर से निपटने के लिए जितेंद्र चौहान की तरफ से डिस्ट्रिक्ट 321 डी के गवर्नर गुरमीत सिंह मक्कड़ की मदद ली गई । समझा जाता है कि उसी मदद के चक्कर में अगली मल्टीपल काउंसिल में वाइस चेयरमैन के पद से मनोज रुहेला की छुट्टी होने का मौका बन गया था । मनोज रुहेला के कुछेक नजदीकियों और समर्थकों को हालाँकि अभी भी उम्मीद है कि अगली मल्टीपल काउंसिल में वाइस चेयरमैन मनोज रुहेला ही बनेंगे, लेकिन मल्टीपल की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच जोरदार चर्चा गुरमीत सिंह मक्कड़ के वाइस चेयरमैन बनने की ही है ।