नई दिल्ली । सैम मोव्वा (के क्लब) की शिकायत ने इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट रवि वदलमानी को तो 'डुबोया' ही, खुद सैम मोव्वा को भी ले डूबी - और इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी को भी बदनामी के छींटों से भिगो बैठी । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने जोन 7 में हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव और उसके नतीजे को रद्द कर दिया है, और फिर से चुनाव करवाने का फैसला सुनाया है । उक्त चुनाव में पराजित हुए सैम मोव्वा के क्लब की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत की गई थी कि चुनाव जीतने के लिए रवि वदलमानी ने कैम्पेन चलाया, और इस तरह रोटरी इंटरनेशनल के नियमों का उल्लंघन किया है । रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से एक जाँच-टीम बनाई गई, जिसने अपनी जाँच-पड़ताल में पाया कि उम्मीदवार के रूप में न सिर्फ रवि वदलमानी ने - बल्कि सैम मोव्वा ने भी कैम्पेन किया था । इस रिपोर्ट के आधार पर, रोटरी इंटरनेशनल ने उक्त चुनाव को तथा उसके नतीजे को अमान्य घोषित कर दिया - तथा दोबारा चुनाव करवाने का फैसला सुनाया । रवि वदलमानी तथा सैम मोव्वा के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने दोबारा होने वाले चुनाव में इन दोनों के उम्मीदवार बनने पर रोक लगा दी है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का यह फैसला इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी के लिए इसलिए झटके वाला माना/समझा जा रहा है, क्योंकि रवि वदलमानी के कैम्पेन में कमल सांघवी ने खूब बढ़चढ़ कर भाग लिया था - कमल सांघवी चूँकि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्य हैं, इसलिए माना/समझा जा रहा था कि सैम मोव्वा (के क्लब) की शिकायत पर बोर्ड में रवि वदलमानी को नुकसान पहुँचाने वाला फैसला नहीं हो सकेगा । दरअसल इसीलिए, रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का फैसला इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी के लिए भी झटके वाला साबित हुआ है ।
इस फैसले के पीछे रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व प्रेसीडेंट केआर रविंद्रन को देखा/पहचाना जा रहा है, और माना जा रहा है कि रवि वदलमानी रोटरी लीडरशिप की खेमेबाजी की 'लड़ाई' के शिकार बन गए हैं । उल्लेखनीय है कि सैम मोव्वा को पूर्व प्रेसीडेंट केआर रविंद्रन के तथा रवि वदलमानी को भावी प्रेसीडेंट शेखर मेहता के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था - और इस तरह से, उक्त चुनाव के जरिये वास्तव में केआर रविंद्रन व शेखर मेहता की राजनीतिक 'ताकत' को आँकने की तैयारी हो रही थी । चुनावी प्रक्रिया के पहले चरण में, नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा सैम मोव्वा को अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने से केआर रविंद्रन का पलड़ा भारी साबित हुआ; लेकिन रवि वदलमानी से चेलैंज करवा कर शेखर मेहता खेमे ने पहले चरण में हारी हुई बाजी को दूसरे चरण में जीतने की तैयारी की । रवि वदलमानी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए ही शेखर मेहता खेमे की तरफ कमल सांघवी ने रवि वदलमानी की उम्मीदवारी की कमान संभाली । समझा जाता है कि इसी बात से चिढ़ कर केआर रविंद्रन खेमे के नेताओं ने, चुनाव में विजयी हुए रवि वदलमानी की जीत पर ग्रहण लगाने के उद्देश्य से सैम मोव्वा (के क्लब) की तरफ से शिकायत दर्ज करवाई गई । रवि वदलमानी और उनके समर्थकों ने उक्त शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया; उन्हें विश्वास रहा कि कमल सांघवी ने जैसे उनके कैम्पेन को संभाला, वैसे ही इंटरनेशनल बोर्ड में शिकायत को भी 'संभाल' लेंगे । लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, वह इसलिए भी निश्चिंत रहे, क्योंकि उन्हें यकीन रहा कि यह मामला अगले रोटरी वर्ष में होने वाली मीटिंग में आयेगा - जब शेखर मेहता भी बोर्ड में होंगे, और तब रवि वदलमानी के खिलाफ कोई फैसला नहीं हो सकेगा । रवि वदलमानी और उनके छोटे-बड़े समर्थकों को यह उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी कि उक्त मामला मौजूदा रोटरी वर्ष में ही रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की कार्रवाई में आ जायेगा, और उनकी चुनावी जीत के लिए मुसीबत बन जायेगा ।
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले से झटका खाए रवि वदलमानी और उनके समर्थकों के लिए राहत की बात यही है कि 'सजा' यदि रवि वदलमानी को मिली है, तो सैम मोव्वा भी अपनी ही शिकायत के शिकार हुए हैं; और इस तरह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद यदि रवि वदलमानी से छिना है, तो सैम मोव्वा के लिए भी उक्त पद पाने की संभावना समाप्त हुई है । इस फैसले के सामने आने के बाद से, मजे की बात यह देखने/सुनने को मिल रही है कि कमल सांघवी के नजदीकी यह बताने/जताने/दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि कमल सांघवी यदि रवि वदलमानी का डायरेक्टर पद नहीं बचा सके हैं, तो उन्होंने सैम मोव्वा के लिए भी डायरेक्टर पद की कुर्सी पाने की संभावना नहीं बची रहने दी है - और इस तरह, मामले को 'बराबर' का बना दिया है । इस बताने/जताने/दिखाने को कमल सांघवी की तरफ से 'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । कमल सांघवी के नजदीकियों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जोन 7 में हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर हुई उठापटक उनकी 'स्थिति' पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले, और रोटेरियंस उन्हें 'कमजोर' न समझने लगें । वैसे, रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के इस फैसले ने अधिकतर रोटेरियंस को हैरान ही किया है - क्योंकि वह तो हर चुनाव में उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को कैम्पेन करते हुए 'देखते' और सुनते हैं । रोटरी में होने वाले छोटे से छोटे चुनाव में बड़े बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को कैम्पेन करते हुए देखा और सुना जाता है - उसकी शिकायतें भी होती हैं, लेकिन कार्रवाई होते हुए कभी-कभार ही देखा गया है । ऐसे में, रोटेरियंस को यही लग रहा है कि कैम्पेन करने जैसी शिकायतों पर कार्रवाई तभी होती है - जब बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को अपने 'स्कोर सेटल' करने होते हैं ।
इस फैसले के पीछे रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व प्रेसीडेंट केआर रविंद्रन को देखा/पहचाना जा रहा है, और माना जा रहा है कि रवि वदलमानी रोटरी लीडरशिप की खेमेबाजी की 'लड़ाई' के शिकार बन गए हैं । उल्लेखनीय है कि सैम मोव्वा को पूर्व प्रेसीडेंट केआर रविंद्रन के तथा रवि वदलमानी को भावी प्रेसीडेंट शेखर मेहता के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था - और इस तरह से, उक्त चुनाव के जरिये वास्तव में केआर रविंद्रन व शेखर मेहता की राजनीतिक 'ताकत' को आँकने की तैयारी हो रही थी । चुनावी प्रक्रिया के पहले चरण में, नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा सैम मोव्वा को अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने से केआर रविंद्रन का पलड़ा भारी साबित हुआ; लेकिन रवि वदलमानी से चेलैंज करवा कर शेखर मेहता खेमे ने पहले चरण में हारी हुई बाजी को दूसरे चरण में जीतने की तैयारी की । रवि वदलमानी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए ही शेखर मेहता खेमे की तरफ कमल सांघवी ने रवि वदलमानी की उम्मीदवारी की कमान संभाली । समझा जाता है कि इसी बात से चिढ़ कर केआर रविंद्रन खेमे के नेताओं ने, चुनाव में विजयी हुए रवि वदलमानी की जीत पर ग्रहण लगाने के उद्देश्य से सैम मोव्वा (के क्लब) की तरफ से शिकायत दर्ज करवाई गई । रवि वदलमानी और उनके समर्थकों ने उक्त शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया; उन्हें विश्वास रहा कि कमल सांघवी ने जैसे उनके कैम्पेन को संभाला, वैसे ही इंटरनेशनल बोर्ड में शिकायत को भी 'संभाल' लेंगे । लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, वह इसलिए भी निश्चिंत रहे, क्योंकि उन्हें यकीन रहा कि यह मामला अगले रोटरी वर्ष में होने वाली मीटिंग में आयेगा - जब शेखर मेहता भी बोर्ड में होंगे, और तब रवि वदलमानी के खिलाफ कोई फैसला नहीं हो सकेगा । रवि वदलमानी और उनके छोटे-बड़े समर्थकों को यह उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी कि उक्त मामला मौजूदा रोटरी वर्ष में ही रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की कार्रवाई में आ जायेगा, और उनकी चुनावी जीत के लिए मुसीबत बन जायेगा ।
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले से झटका खाए रवि वदलमानी और उनके समर्थकों के लिए राहत की बात यही है कि 'सजा' यदि रवि वदलमानी को मिली है, तो सैम मोव्वा भी अपनी ही शिकायत के शिकार हुए हैं; और इस तरह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद यदि रवि वदलमानी से छिना है, तो सैम मोव्वा के लिए भी उक्त पद पाने की संभावना समाप्त हुई है । इस फैसले के सामने आने के बाद से, मजे की बात यह देखने/सुनने को मिल रही है कि कमल सांघवी के नजदीकी यह बताने/जताने/दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि कमल सांघवी यदि रवि वदलमानी का डायरेक्टर पद नहीं बचा सके हैं, तो उन्होंने सैम मोव्वा के लिए भी डायरेक्टर पद की कुर्सी पाने की संभावना नहीं बची रहने दी है - और इस तरह, मामले को 'बराबर' का बना दिया है । इस बताने/जताने/दिखाने को कमल सांघवी की तरफ से 'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । कमल सांघवी के नजदीकियों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जोन 7 में हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर हुई उठापटक उनकी 'स्थिति' पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले, और रोटेरियंस उन्हें 'कमजोर' न समझने लगें । वैसे, रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के इस फैसले ने अधिकतर रोटेरियंस को हैरान ही किया है - क्योंकि वह तो हर चुनाव में उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को कैम्पेन करते हुए 'देखते' और सुनते हैं । रोटरी में होने वाले छोटे से छोटे चुनाव में बड़े बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को कैम्पेन करते हुए देखा और सुना जाता है - उसकी शिकायतें भी होती हैं, लेकिन कार्रवाई होते हुए कभी-कभार ही देखा गया है । ऐसे में, रोटेरियंस को यही लग रहा है कि कैम्पेन करने जैसी शिकायतों पर कार्रवाई तभी होती है - जब बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को अपने 'स्कोर सेटल' करने होते हैं ।