नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम का नाम लेकर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर रौब जमाने/दिखाने और उन्हें धमकाने के आरोप में बुरी तरह घिर गए हैं । क्लब्स
के प्रेसीडेंट्स के आरोप हैं कि रवि चौधरी तरह तरह की बातों के बहाने उन
पर रौब गाँठने की कोशिश करते रहते हैं, और हद की बात तो अभी हाल ही में तब
हुई जब उन्होंने कई एक प्रेसीडेंट्स को बासकर चॉकलिंगम का नाम लेकर धमकी दी
कि 'सुधर जाओ, नहीं तो तुम्हारे क्लब बंद कर/करवा दूँगा ।' कुछेक
प्रेसीडेंट्स ने रवि चौधरी के रवैये और व्यवहार की शिकायत कुछेक पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से की, तो उन्होंने यह कहते हुए मामले से पल्ला
झाड़ लिया कि काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग हो तो उसमें वह इस मामले को
उठाये भी, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी तो काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाने/करने
में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । कुछेक क्लब्स के प्रेसीडेंट्स
ने इस मामले में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर दमनजीत सिंह से भी बात की, लेकिन
उन्होंने भी यह कहते/बताते हुए किनारा कर लिया कि रवि चौधरी उनकी सुनता
कहाँ है, वह तो बस कहने/दिखाने भर के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हैं ।
क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को धमकाने तथा उन पर रौब जमाने/दिखाने की रवि चौधरी की हरकत दरअसल उस समय संगठित और मुखर रूप में सामने आई, जब रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के 14/15 क्लब्स को 'कमजोर क्लब' के रूप में चिन्ह्यित करते हुए उनके प्रेसीडेंट्स की मीटिंग ली । मीटिंग में उपस्थित हुए प्रेसीडेंट्स का कहना/बताना रहा कि मीटिंग में रवि चौधरी के व्यवहार और रवैये को देख कर वह बहुत हैरान/परेशान तो हुए ही, अपमानित भी हुए - क्योंकि मीटिंग में रवि चौधरी खुद को मास्टर और उन्हें फेल हुए छात्र मान कर व्यवहार कर रहे थे; और उनके क्लब्स को कमजोर क्लब्स के रूप में संबोधित कर रहे थे । मीटिंग में उपस्थित हुए प्रेसीडेंट्स ने उन्हें बार बार यह बताने/समझाने की कोशिश की कि उनके क्लब 'कमजोर' नहीं, बल्कि 'छोटे' क्लब हैं - और क्लब्स का मूल्याँकन उनकी सदस्य संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि उनके कामकाज के आधार पर किया जाना चाहिए । प्रेसीडेंट्स ने रवि चौधरी से बार बार अनुरोध किया कि वह यदि उन्हें ऐसे कोई सुझाव दे सकें, जिन्हें अपना कर वह 'छोटे' होने के बावजूद भी और बेहतर काम कर सकें, तो उनके लिए और डिस्ट्रिक्ट के लिए भी अच्छा होगा । रवि चौधरी लेकिन उन पर अपना रौब जमाते हुए एक ही रट लगाए रहे कि 'सुधर जाओ, नहीं तो क्लब बंद कर/करवा दूँगा' - और प्रेसीडेंट्स को लगातार अपमानित करते रहे ।
गंभीर बात यह रही कि रवि चौधरी ने सारा तमाशा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के नाम पर किया । मीटिंग में बुलाए गए प्रेसीडेंट्स को रवि चौधरी ने बताया कि बासकर चॉकलिंगम ने सभी डिस्ट्रिक्ट्स के गवर्नर्स को निर्देश दिए हैं कि वह अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में क्लब्स की स्ट्रेंगथनिंग पर ध्यान दें, और इसी काम को करने के लिए उन्होंने कमजोर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स की यह मीटिंग बुलाई है । कुछेक प्रेसीडेंट्स ने उन्हें यह बताने/समझाने की कोशिश भी की कि क्लब्स की स्ट्रेंगथनिंग पर ध्यान देने का मतलब यह है कि सभी क्लब्स को इस तरह से प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाए कि वह अपनी अपनी क्षमताओं का बेहतर और अधिकतम इस्तेमाल कर सकें । रवि चौधरी मीटिंग में लेकिन यह मान कर बैठे थे कि चूँकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, इसलिए अक्ल सिर्फ उन्हीं के पास है और क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तो बेवकूफ हैं और इस कारण से उन्हें प्रेसीडेंट्स की बात नहीं सुननी है - बल्कि उन्हें प्रेसीडेंट्स को बात सुनानी है; और वह प्रेसीडेंट्स को लगातार सुनाते रहे कि 'सुधर जाओ, नहीं तो क्लब बंद कर/करवा दूँगा ।' मीटिंग में मौजूद प्रेसीडेंट्स ने रवि चौधरी के इस रवैये के चलते अपने आप को बेहद अपमानित महसूस किया । अधिकतर प्रेसीडेंट्स का कहना रहा कि उन्हें यदि एक छोटे क्लब का प्रेसीडेंट बनने का मौका मिला है, तो इसमें भला उनका क्या कुसूर है - और रवि चौधरी अपने से पहले के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से क्यों नहीं पूछते कि उन्होंने अपने अपने गवर्नर-काल में छोटे क्लब्स को बड़ा करने/बनाने के लिए प्रयास आखिर क्यों नहीं किए ?
उक्त मीटिंग में रवि चौधरी द्वारा की गयी हरकत की खबर जब डिस्ट्रिक्ट में फैली, तब हर किसी ने माथा ही पीटा - अधिकतर लोगों का कहना यही रहा कि रवि चौधरी जैसे लोग जब गवर्नर बनेंगे, तो इसी तरह के तमाशे होंगे । लोगों ने उक्त मीटिंग में मौजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सुरेश भसीन की भूमिका पर भी सवाल उठाए, हालाँकि कुछेक लोगों का यह भी कहना है कि यह बेचारे करते भी तो क्या ? प्रेसीडेंट्स की इज्जत लुटते देख इन्होंने अपनी अपनी इज्जत बचाने की कोशिश में चुप रहने में ही अपनी भलाई देखी, तो यह बहुत स्वाभाविक बात ही है । छोटे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के साथ रवि चौधरी द्वारा की गई बदतमीजी की खबर ने दूसरे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को भी डरा दिया है; उन्हें भय हुआ है कि वह भी किसी न किसी कारण से कभी भी रवि चौधरी की धौंस-डपट का शिकार हो सकते हैं । कई लोगों का कहना है कि प्रेसीडेंट्स को नसीहत देने से पहले रवि चौधरी को यह भी देखना चाहिए कि खुद उन्होंने रोटरी में छिछोरपन करने के अलावा और क्या किया है ?
क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को धमकाने तथा उन पर रौब जमाने/दिखाने की रवि चौधरी की हरकत दरअसल उस समय संगठित और मुखर रूप में सामने आई, जब रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के 14/15 क्लब्स को 'कमजोर क्लब' के रूप में चिन्ह्यित करते हुए उनके प्रेसीडेंट्स की मीटिंग ली । मीटिंग में उपस्थित हुए प्रेसीडेंट्स का कहना/बताना रहा कि मीटिंग में रवि चौधरी के व्यवहार और रवैये को देख कर वह बहुत हैरान/परेशान तो हुए ही, अपमानित भी हुए - क्योंकि मीटिंग में रवि चौधरी खुद को मास्टर और उन्हें फेल हुए छात्र मान कर व्यवहार कर रहे थे; और उनके क्लब्स को कमजोर क्लब्स के रूप में संबोधित कर रहे थे । मीटिंग में उपस्थित हुए प्रेसीडेंट्स ने उन्हें बार बार यह बताने/समझाने की कोशिश की कि उनके क्लब 'कमजोर' नहीं, बल्कि 'छोटे' क्लब हैं - और क्लब्स का मूल्याँकन उनकी सदस्य संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि उनके कामकाज के आधार पर किया जाना चाहिए । प्रेसीडेंट्स ने रवि चौधरी से बार बार अनुरोध किया कि वह यदि उन्हें ऐसे कोई सुझाव दे सकें, जिन्हें अपना कर वह 'छोटे' होने के बावजूद भी और बेहतर काम कर सकें, तो उनके लिए और डिस्ट्रिक्ट के लिए भी अच्छा होगा । रवि चौधरी लेकिन उन पर अपना रौब जमाते हुए एक ही रट लगाए रहे कि 'सुधर जाओ, नहीं तो क्लब बंद कर/करवा दूँगा' - और प्रेसीडेंट्स को लगातार अपमानित करते रहे ।
गंभीर बात यह रही कि रवि चौधरी ने सारा तमाशा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के नाम पर किया । मीटिंग में बुलाए गए प्रेसीडेंट्स को रवि चौधरी ने बताया कि बासकर चॉकलिंगम ने सभी डिस्ट्रिक्ट्स के गवर्नर्स को निर्देश दिए हैं कि वह अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में क्लब्स की स्ट्रेंगथनिंग पर ध्यान दें, और इसी काम को करने के लिए उन्होंने कमजोर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स की यह मीटिंग बुलाई है । कुछेक प्रेसीडेंट्स ने उन्हें यह बताने/समझाने की कोशिश भी की कि क्लब्स की स्ट्रेंगथनिंग पर ध्यान देने का मतलब यह है कि सभी क्लब्स को इस तरह से प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाए कि वह अपनी अपनी क्षमताओं का बेहतर और अधिकतम इस्तेमाल कर सकें । रवि चौधरी मीटिंग में लेकिन यह मान कर बैठे थे कि चूँकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, इसलिए अक्ल सिर्फ उन्हीं के पास है और क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तो बेवकूफ हैं और इस कारण से उन्हें प्रेसीडेंट्स की बात नहीं सुननी है - बल्कि उन्हें प्रेसीडेंट्स को बात सुनानी है; और वह प्रेसीडेंट्स को लगातार सुनाते रहे कि 'सुधर जाओ, नहीं तो क्लब बंद कर/करवा दूँगा ।' मीटिंग में मौजूद प्रेसीडेंट्स ने रवि चौधरी के इस रवैये के चलते अपने आप को बेहद अपमानित महसूस किया । अधिकतर प्रेसीडेंट्स का कहना रहा कि उन्हें यदि एक छोटे क्लब का प्रेसीडेंट बनने का मौका मिला है, तो इसमें भला उनका क्या कुसूर है - और रवि चौधरी अपने से पहले के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से क्यों नहीं पूछते कि उन्होंने अपने अपने गवर्नर-काल में छोटे क्लब्स को बड़ा करने/बनाने के लिए प्रयास आखिर क्यों नहीं किए ?
उक्त मीटिंग में रवि चौधरी द्वारा की गयी हरकत की खबर जब डिस्ट्रिक्ट में फैली, तब हर किसी ने माथा ही पीटा - अधिकतर लोगों का कहना यही रहा कि रवि चौधरी जैसे लोग जब गवर्नर बनेंगे, तो इसी तरह के तमाशे होंगे । लोगों ने उक्त मीटिंग में मौजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सुरेश भसीन की भूमिका पर भी सवाल उठाए, हालाँकि कुछेक लोगों का यह भी कहना है कि यह बेचारे करते भी तो क्या ? प्रेसीडेंट्स की इज्जत लुटते देख इन्होंने अपनी अपनी इज्जत बचाने की कोशिश में चुप रहने में ही अपनी भलाई देखी, तो यह बहुत स्वाभाविक बात ही है । छोटे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के साथ रवि चौधरी द्वारा की गई बदतमीजी की खबर ने दूसरे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को भी डरा दिया है; उन्हें भय हुआ है कि वह भी किसी न किसी कारण से कभी भी रवि चौधरी की धौंस-डपट का शिकार हो सकते हैं । कई लोगों का कहना है कि प्रेसीडेंट्स को नसीहत देने से पहले रवि चौधरी को यह भी देखना चाहिए कि खुद उन्होंने रोटरी में छिछोरपन करने के अलावा और क्या किया है ?