Saturday, September 30, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के मामले में राकेश मक्कड़ और उनके साथियों द्वारा दिखाई जा रही निर्लज्ज किस्म की बेशर्मी के सामने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट, वाइस प्रेसीडेंट व सेक्रेटरी जैसे प्रमुख पदाधिकारी आखिर कब तक असहाय बने रहेंगे ?

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे, वाइस प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता तथा सेक्रेटरी वी सागर की बेपरवाही और कानों में तेल डाले बैठे होने की धृतराष्ट्री प्रवृत्ति ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ को निर्लज्ज किस्म की बेशर्मी दिखाने का सुनहरा अवसर प्रदान किया हुआ है । गौरतलब है कि रीजनल काउंसिल के 13 में से सात सदस्यों ने रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए नोटिस दिया हुआ है, नॉर्दर्न रीजन का प्रतिनिधित्व करने वाले सेंट्रल काउंसिल के तीन सदस्यों तथा एक नोमीनेटेड सदस्य ने उक्त नोटिस का समर्थन किया हुआ है - लेकिन फिर भी राकेश मक्कड़ रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग पर बेशर्मी भरी चुप्पी साधे हुए हैं । इंस्टीट्यूट के नियमानुसार, रीजनल काउंसिल के तीन सदस्य रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग कर सकते हैं । चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ इस नियम का खुल्लमखुल्ला मजाक बनाए हुए हैं - और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट, वाइस प्रेसीडेंट व सेक्रेटरी आँखों पर पट्टी बाँध धृतराष्ट्र बने हुए हैं । राकेश मक्कड़ को अपनी इस बेशर्मीभरी निर्लज्जता में अपने साथी पदाधिकारियों का पूरा पूरा समर्थन मिला हुआ है । नियमानुसार, रीजनल काउंसिल के सेक्रेटरी या ट्रेजरर में से किसी एक के समर्थन से वाइस चेयरमैन भी रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुला सकता है - लेकिन इस संबंध में वाइस चेयरमैन विवेक खुराना के प्रयासों को न तो सेक्रेटरी राजेंद्र अरोड़ा से और न ट्रेजरर सुमित गर्ग से समर्थन मिला है ।
उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन सहित सात सदस्यों - विवेक खुराना, राजिंदर नारंग, राजेश अग्रवाल, स्वदेश गुप्ता, आलोक जैन, योगिता आनंद और पूजा बंसल ने 17 सितंबर को सेक्रेटरी राजेंद्र अरोड़ा को संबोधित पत्र के जरिए 4 अक्टूबर को रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग की । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में हाल ही के दिनों में घटी घटनाओं के संदर्भ में विचार करने तथा जरूरी फैसले लेने का वास्ता देते हुए उक्त माँग की गई । उक्त माँग के साथ, बुलाई जाने वाली रीजनल काउंसिल की मीटिंग के लिए रीजनल काउंसिल की कमेटियों के पुनर्गठन तथा चेयरमैन सहित रीजनल काउंसिल के अन्य पदाधिकारियों को दिए गए विशेषाधिकारों पर पुनर्विचार को प्रमुख एजेंडे के रूप में रेखांकित किया गया है । रीजनल काउंसिल के 13 सदस्यों में से सात सदस्यों द्वारा की जा रही इस माँग से स्वतः ही साबित है कि मीटिंग में राकेश मक्कड़ की मनमानी भरी लूट-खसोट पर लगाम लगना निश्चित ही है । पिछली एक मीटिंग में जिस तरह पूर्व चेयरमैन दीपक गर्ग तथा मौजूदा ट्रेजरर सुमित गर्ग द्वारा की गई लूट को पकड़ा गया था, जिसके चलते यह दोनों काउंसिल के खजाने से 'लूटी' गई रकम को वापस करने के लिए मजबूर हुए - उससे राकेश मक्कड़ बुरी तरह घबराए हुए हैं । अपनी बेईमानीभरी हरकतों के कारण राकेश मक्कड़ रीजनल काउंसिल में बहुमत सदस्यों का समर्थन खो चुके हैं, इसलिए वह चुपचाप चेयरमैन पद पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं और रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग पर चुप्पी ओढ़े हुए हैं ।
राकेश मक्कड़ के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि रीजनल काउंसिल में बहुमत बनाते सात सदस्यों की रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग को सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की तरफ से जोरदार और सक्रिय समर्थन मिला है । सेंट्रल काउंसिल में नॉर्दर्न रीजन का प्रतिनिधित्व करने वाले संजय अग्रवाल, संजीव चौधरी तथा संजय वासुदेवा ने इंस्टीट्यूट के नियमों का हवाला देते हुए रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाए जाने की माँग का जोरदार तरीके से समर्थन किया । सेंट्रल काउंसिल में नॉमिनेटेड सदस्य विजय झालानी का रवैया तो राकेश मक्कड़ के लिए खासा अप्रत्याशित रहा है । उल्लेखनीय है कि विजय झालानी कुछ समय पहले तक राकेश मक्कड़ के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाते रहे हैं, जिसके चलते उनकी राजिंदर नारंग से झड़प भी हो गई थी - लेकिन राकेश मक्कड़ के लिए मुसीबत बनी रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग का विजय झालानी ने खासी मुखरता के साथ समर्थन किया है । और सिर्फ समर्थन ही नहीं किया है, बल्कि इस मामले में लीपापोती-सी करते दिख रहे इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर तक से भिड़ गए । दरअसल, मामले में सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की सक्रियता से दबाव बढ़ता देख वी सागर ने राकेश मक्कड़ को संदेश लिखा/भेजा और उनसे मीटिंग बुलाने का अनुरोध किया । इस पर विजय झालानी ने उन्हें तुरंत लिखा कि आप अनुरोध क्यों कर रहे हैं, नियमों के हवाले से आप मीटिंग बुलाने के लिए निर्देश दीजिए ।
राकेश मक्कड़ लेकिन तमाम हील-हुज्जत के बावजूद मीटिंग बुलाने की माँग पर बेशर्मों की तरह चुप्पी साधे हुए हैं । दरअसल वह समझ रहे हैं कि रीजनल काउंसिल की इस बार की मीटिंग उनकी और उनके साथियों की लूट-खसोट पर पूरी तरह रोक लगाने का काम करेगी - इसलिए वह किसी भी तरह मीटिंग करने से बचना चाहते हैं और इसके लिए अपनी फजीहत करवाने से लेकर इंस्टीट्यूट और उसके पदाधिकारियों तक की किरकिरी करवाने के लिए तैयार हैं । यह देखना दिलचस्प होगा कि राकेश मक्कड़ और उनके साथियों की निर्लज्ज किस्म की बेशर्मी के सामने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट, वाइस प्रेसीडेंट व सेक्रेटरी जैसे प्रमुख पदाधिकारी आखिर कब तक असहाय बने रहते हैं ?